Friday, March 31, 2017

भुताकर्षण गोलक निर्माण विधि

सामग्री: पीपल के निचे की मिट्टी,लाल चन्दन,सिंदूर,काले तील,गुलाबजल और सादा जल।

विधि:

 निर्माण आपको अमावस्या की रात्रि में करना है. समय रात्रि दस बजे के बाद हो,दिशा दक्षिण हो ,आसन वस्त्र लाल या काले हो. अपने सामने एक पात्र में मिटटी रखे और और उसमे लाल चन्दन मिलाये,याद रखे मिटटी में कंकर न हो इसलिये उसे पहले ही सुखाकर छान कर रखे.

 अब गुलाब जल और सादा जल मिलाये।यह सब प्रक्रिया करते वक़्त" भ्रं भ्रं भूतेश्वराय " का जाप करते रहे.जब सारी सामग्री मिल जाए ,तब उसका एक गोला बना ले लड्डू की तरह।और उसे सुखा ले.जब वो सुख जाये तो उस पर सिंदूर का लेप कर दे.

अब किसी भी शनिवार की रात्रि में सामने लाल वस्त्र बिछा कर,उसपर ताम्र पात्र स्थापित करे. और उसमे सिंदूर या शमशान भस्म से बीज मंत्र ' हूं ' लिखे. और उस पर गोलक को स्थापित करे. और उसका सामान्य पूजन करे.

 भोग में गुड रखे. अब निरंतर बिना किसी माला के, मंत्र जाप करते जाये और काले तील गोलक पर अर्पण करते जाये।याद रखे इसमें तील के तेल का दीपक जलता रहे जब तक क्रिया पूर्ण न हो जाये .

अगर कोई अनुभव हो तो डरे नहि. सदगुरुदेव रक्षक है तो कैसा डर ?अगले दिन गोलक को संभाल कर रख ले.

 जब भी आप भूत साधना करे इसे सामने रखे और इसका पूजन कर मंत्र का एक सौ आठ बार जाप करे और साधना शुरू करे. लाल कपडा ,तील, भोग का गुड सभी को शमशान में फेक दे.

ताम्र पात्र को धो ले उसे उपयोग किया जा सकता है.एक बात और याद रखे आपको जिस दिन भी भूत साधना में सफलता मिल जाएगी,ये गोलक उसी वक़्त तेज हिन हो जायेगा,तब इसे अपने पास न रखे इसे भी शमशान में फेक दे कुछ दक्षिणा के साथ।जब तक सफलता न मिले इसका उपयोग किया जा सकता है. उसके बाद नहीं।जय माँ

मंत्र:

 ॐ हूं भ्रं भ्रं भ्रं भूतेश्वराय भूताकर्षण कुरु कुरु भ्रं भ्रं भ्रं हूं फट

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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