Tuesday, March 24, 2020

तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है






तारा महाविद्या की साधना जीवन का सौभाग्य है ।


यह महाविद्या साधक की उंगली पकडकर उसके लक्ष्य तक पहुंचा देती है।

गुरु कृपा से यह साधना मिलती है तथा जीवन को निखार देती है ।

यह प्रयोग साधक किसी भी शुभ दिन शुरू कर सकता है. साधक को यह प्रयोग रात्री काल में ही संपन्न करना चाहिए.

साधक को स्नान कर साधना को शुरू करना चाहिए. साधक लाल रंग के वस्त्र को धारण करे तथा लाल रंग के आसन पर बैठे. साधक का मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए.

साधक प्रथम गुरुपूजन करे तथा गुरु मन्त्र का जाप करे. इसके बाद साधक गणपति एवं भैरव देव का पंचोपचार पूजन करे. अगर साधक पंचोपचार पूजन न कर पाए तो साधक को मानसिक पूजन करना चाहिए.

साधक अपने सामने ‘पारद तारा’ विग्रह को स्थापित करे तथा निम्न रूप से उसका पूजन करे.

ॐ श्रीं स्त्रीं गन्धं समर्पयामि |

ॐ श्रीं स्त्रीं पुष्पं समर्पयामि |

ॐ श्रीं स्त्रीं धूपं आध्रापयामि |

ॐ श्रीं स्त्रीं दीपं दर्शयामि |

ॐ श्रीं स्त्रीं नैवेद्यं निवेदयामि |

साधक को पूजन में तेल का दीपक लगाना चाहिए तथा भोग के रूपमें कोई भी फल या स्वयं के हाथ से बनी हुई मिठाई अर्पित करे. इसके बाद साधक निम्न रूप से न्यास करे. इसके अलावा इस प्रयोग के लिए साधक देवी विग्रह का अभिषेक शहद से करे.

करन्यास

ॐ श्रीं स्त्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः

ॐ महापद्मे तर्जनीभ्यां नमः

ॐ पद्मवासिनी मध्यमाभ्यां नमः

ॐ द्रव्यसिद्धिं अनामिकाभ्यां नमः

ॐ स्त्रीं श्रीं कनिष्टकाभ्यां नमः

ॐ हूं फट करतल करपृष्ठाभ्यां नमः

हृदयादिन्यास

ॐ श्रीं स्त्रीं हृदयाय नमः

ॐ महापद्मे शिरसे स्वाहा

ॐ पद्मवासिनी शिखायै वषट्

ॐ द्रव्यसिद्धिं कवचाय हूं

ॐ स्त्रीं श्रीं नेत्रत्रयाय वौषट्

ॐ हूं फट अस्त्राय फट्

न्यास के बाद साधक को देवी तारा का ध्यान करना है.

ध्यायेत कोटि दिवाकरद्युति निभां बालेन्दु युक् शेखरां

रक्ताङ्गी रसनां सुरक्त वसनांपूर्णेन्दु बिम्बाननाम्

पाशं कर्त्रि महाकुशादि दधतीं दोर्भिश्चतुर्भिर्युतां

नाना भूषण भूषितां भगवतीं तारां जगत तारिणीं

इस प्रकार ध्यान के बाद साधक देवी के निम्न मन्त्र की 125  माला मन्त्र जाप करे. साधक यह जाप शक्ति माला, मूंगामाला से या तारा माल्य से करे तो उत्तम है. अगर यह कोई भी माला उपलब्ध न हो तो साधक को स्फटिक माला या रुद्राक्ष माला से जाप करना चाहिए.

॥ ऐं ऊं ह्रीं स्त्रीं हुं फ़ट ॥

॥ ॐ तारा तूरी स्वाहा ॥

 

  ॥   ऐं   ॐ   ह्रीं  क्रीं    हुं   फ़ट   ॥

किसी भी एक मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.

साधना से पहले गुरु से तारा दीक्षा लेना लाभदायक होता है.

साधक यह क्रम 9 दिन तक करे. 9 दिन जाप पूर्ण होने पर साधक शहद से इसी मन्त्र की १०८ आहुति अग्नि में समर्पित करे. इस प्रकार यह प्रयोग 9 दिन में पूर्ण होता है.

साधक की धनअभिलाषा की पूर्ति होती है

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

 बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

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(रजि.)

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