Wednesday, March 18, 2020

स्वप्नेश्वर साधना







स्वप्नेश्वर साधना


शाबर मंत्रो के साहित्य में कुछ ऐसे करिश्मे भी हे कि जिनके बारे में जितना भी कहे , कम ही हे. तंत्र क्षेत्र में मेरे प्रवेश के साथ ही मुझे सर्व प्रथम जो साधना प्राप्त हुयी उसी दुर्लभ साधना को आज आप सब लोगो के समक्ष रख रहा हू. इस साधना को किये हुए आज कितने साल हो गए, न जीने कितनी साधनाए इस अवधि में कि हे लेकिन आज इतने समय के बाद भी इसका प्रभाव अचूक है . 

स्वप्न तंत्र के अनुसार शिव को स्वप्नेश्वर और शक्ति को स्वप्नेश्वरी कि संज्ञा दी गयी है. आदि देव एवं देवी स्वप्नों के अधिष्ठाता हैं.

हमारे स्वप्न मात्र स्वप्न न हो के भविष्यके संकेत होते हे ये तो कई लोगो का अनुभव रहा ही होगा. यदा कदा साधनाओ के दर्मिया ऐसे कई अनुभव और संकेत मिलना, देव दर्शन करना , मृत परिचितों को देखना, समश्या का समाधान मिलना , पूर्व जन्म देखना , आदि से सहज ही समजा जा सकता हे कि साधक के जीवन में स्वप्न कि मह्हता क्या हे. हमारे महर्षियोने इस विषय पर पूर्ण शोध करके स्वप्नों का विष्लेषण करके कई नए साधनात्मक एवं भौतिकता सबंधी रहस्य प्रकट किये हे.

 स्वप्नों में दिखाई देने वाली घटाने, स्थल, स्वप्नों का समय, उसके अनुसार नक्षत्र आदि सभी को जोडके निश्चित रूप से ये जाना जा सकता हे कि आखिर स्वप्न के द्रश्य का सही और सचोट संकेत किस घटना पर हे. इसी विज्ञान के साथ जब तंत्र को जोड़ा गया तो इसी में ही उदभव् हुआ स्वप्न तंत्र का. 

स्वप्न तंत्र के द्वारा हम तांत्रिक प्रक्रियाओ और साधनाओ के द्वारा कई ऐसे कार्य कर सकते हे जिसे आश्चर्य ही कहा जा सकता हे. जेसे कि स्वप्न के माध्यम से प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करना, स्वप्नों के संकेतों को समजना, स्वप्नों के द्वारा देव दर्शान करना आदि.

 तांत्रिक ग्रंथो में कई एसी साधनाए दी गयी हे जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति ये सब कर सकता है. विभ्भिन साधनाओ का प्रयोजन विभ्भिन रूप से होता आया हे. जेसे कोई साधना के द्वारा प्रश्नों का उत्तर जाना जा सकता हे. या फिर कोई साधना के द्वारा स्वप्न में देव दर्शन संभव हे
.                                                  

पर क्या कोई एसी भी साधना है जिसके द्वारा पुरे स्वप्न शास्त्रों को एक ही बार में समझा जाए 

जब प्रयोग होता हे तब रात्रि में स्वप्नावस्थामें भोलेनाथ दर्शन देते हे और आगे कोन सी साधना, साधक को फलीभूत होगी उस विषय पर मार्ग दर्शन करते हे. ये स्वप्न सिर्फ गुरु के सामने ही बताया जाता हे और गुरु उस स्वप्न के संकेत से साधक को आगे कि साधनाए प्रदान करता हे. 

अस्तु, ये प्रयोग इतना अधिक महत्त्व रखता हे ये तो इसी से ही समझा जा सकता हे. इस साधना के द्वारा कोई भी व्यक्ति अपने स्वप्न के माध्यम से प्रश्नों के जवाब प्राप्त कर शकता हे, भोलेनाथ का स्वप्नेश्वर स्वरुप में दर्शन भी इसी के द्वारा संभव हे. इस साधना कि विशेषता ये भी हे कि इसको करने से अपने आप ही स्वप्न के संकेतों को समझने का ज्ञान हो जाता हे और भविष्य में वो उसके हर एक स्वप्नों को समजते हुवे सचेत होता हुआ अपने मार्ग पर गतिशील रहता हे. 

  

ये साधना तीन चरणों में सम्प्पन होती हे 

स्वप्नेश्वर दर्शन हेतु : ११ माला मंत्रो को ११ रात्रि तक जाप करे. 

पूर्ण सिद्धि के लिए (स्वप्न शाश्त्र के ज्ञान के लिए): उपरोक्त पद्धति से ११ माला ११ दिन का एक अनुष्ठान होता हे , ऐसे तीन अनुष्ठान करने से पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती हे. 

स्वप्न में प्रश्न का जवाब प्राप्त करने के लिए : १०८ (१ माला) मंत्रो को ११ रात्रि तक जाप करे 

यह साधना सोमवार से शुरू करे . सिर्फ रुद्राक्ष माला का ही प्रयोग होता हे. रात्रि के ११ बजे बाद स्नान करके ही ये प्रयोग करे. आसन कोई भी हो . दिशा उत्तर रहे. 
मानसिक रूप से गुरु पूजन करके भगवन शिव एवं गुरु को शाक्षी मानके उनसे आज्ञा लेकर साधना शुरू करे. 

       मंत्र : 

ओम नमो त्रिनेत्राय पिंगलाय महात्मने वामाय विश्वरूपाय स्वप्नाधिपतये नमः मम स्वप्ने कथयमे तथ्यम सर्व कार्य स्वशेषत: त्रिया सिद्धि विद्या स्वामी तत प्रसादाना महेश्वरे 
                                                                                                                       

अगर स्वप्न में कोई प्रश्न का उत्तर जानना चाहे तो उस रोज जाप सम्प्पन करने के बाद उस प्रश्न को मानसिक रूप से दोहराए और स्वप्नेश्वर से जवाब प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करे. 

इस साधना के दरम्यान रात्रि में एक बार नींद उड़ जाती हे और कुछ मिनिटे नींद नहीं आती हे और पूर्ण निंद्रा का आभाष होता हे पर कुछ ही समय में नींद आ जाती हे. ऐसा निश्चित रूप से होता ही हे. प्रश्न का जवाब मिले तो इस कार्य काल में लिख ले वर्ना सुबह तक वो जवाब भूल जायेंगे. 

मेरी ये हार्दिक इच्छा रहेगी कि सभी गुरु भाई एक न एक बार इस साधना को सम्प्पन ज़रूर करे.

चेतावनी -

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

विशेष -

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महायोगी  राजगुरु जी  《  अघोरी  रामजी  》

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(रजि.)

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