माँ मातंगी ख्याति प्राप्ति साधना
हम जीवन में सदा मेहनत करते है।तथा सदा प्रयत्न करते रहते है की हमारा समाज तथा परिवार हमसे प्रसन्न रहे।परन्तु ऐसा होता नहीं है।उसका सबसे बड़ा कारन है की हमारे पास बहुतमत नहीं है।यहाँ बहुमत का अर्थ प्रसिद्धि से है।
क्युकी जब तक हमें जीवन में प्रसिद्धि नहीं मिलती हमारा कोई सम्मान नहीं करता है।क्युकी दुनिया सर झुकाएगी तो ही परिवार सम्मान देगा .
अन्यथा कहावत तो सुनी ही होगी घर की मुर्गी दाल बराबर।और यदि आप प्रसिद्ध है तो लक्ष्मी भी आपके जीवन में आने को आतुर हो उठती है।प्रस्तुत साधना इसीलिये है।कुछ लाभ यहाँ लिख रहा हु जो इस साधना से आपको प्राप्त होंगे।
1. साधक अपने कार्य क्षेत्र में तथा समाज में ख्याति प्राप्त करता है।
2. साधना माँ मातंगी से सम्बंधित है अतः साधक को पूर्ण गृहस्थ सुख प्राप्त होता है।तथा परिवार में सम्मान होता है।
3.माँ मातंगी में महा लक्ष्मी समाहित है अतः साधक का आर्थिक पक्ष मजबूत होता है।
यह केवल मैंने 3 लाभ लिखे है परन्तु एक साधक होने के नाते आप सभी ये बात बखूबी जानते है की कोई भी साधना मात्र लाभ ही नहीं देती है बल्कि साधक का चहुमुखी विकास करती है।साथ ही धैर्य तथा विश्वास परम आवश्यक है।
अतः साधना साधना कर लाभ उठाये तथा अपने जीवन को प्रगति प्रदान करे।
विधि:
साधना किसी भी शुक्रवार की रात्रि 10 के बाद करे,या ब्रह्मा मुहरत में भी की जा सकती है।आसन,वस्त्र सफ़ेद हो तथा आपका मुख उत्तर की और हो।सामने बजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछाये और उस पर अक्षत से बीज मंत्र, "ह्रीं" लिखे फिर उस पर माँ मातंगी का कोई भी यन्त्र या चित्र स्थापित करे।
ये संभव न हो तो एक मिटटी के दीपक में तील का तेल डालकर कर जलाये और उसे स्थापित कर दे।अब दीपक को ही माँ का स्वरुप मानकर पूजन करे।
अगर अपने यन्त्र चित्र स्थापित किया है तो घी का दीपक पूजन में लगाये,सफ़ेद मिठाई अर्पित करे,कोई भी इतर अर्पित करे,यदि अपने तेल का दीपक स्थापित किया है तो घी का दीपक लगाने की कोई जरुरत नहीं है।
बाकि क्रम वैसा ही रहेगा।अब सद्गुरु तथा गणपति पूजन करे।जितना हो सके गुरुमंत्र का जाप करे।फिर मातंगी पूजन करे।तथा माँ से अपनी मनोकामना कहे एवं सफलता तथा आशीर्वाद प्रदान करने की प्रार्थना करे।
अब स्फटिक माला से निम्न मन्त्र की 21 माला करे।माला के बाद अग्नि प्रज्वलित कर घी,तील तथा अक्षत मिलकर 108 आहुति प्रदान करे।अगले दिन दीपक हो तो विसर्जन कर दे।
यन्त्र चित्र हो तो पूजा में रख दे।प्रसाद स्वयं ग्रहण कर ले।इतर संभल कर रख ले प्रति दिन इसे लगाने से आकर्षण पैदा होता है।इस तरह ये एक दिवसीय साधना सम्प्पन होगी।
मंत्र:
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महा मातंगी प्रचिती दायिनी,लक्ष्मी दायिनी नमो नमः।
कुछ दिनों में आप साधना का प्रभाव स्वयं अनुभव करने लग जायेंगे।तो देर किस बात की साधना करे तथा जीवन को पूर्णता प्रदान करे।
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
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