Saturday, September 21, 2019

योगिनी साधना





योगिनी साधना


योगिनी दशा सरलतम साधना तंत्र से सांसारिक दुःखों से मुक्ति पाने के लिए योगिनी साधना एक महत्त्वपूर्ण साधना मानी गयी है । 

माता, बहन, पुत्री आदि जिस भाव से उनकी साधना या उपासना की जाए उसी रूप में वे सदैव प्रसन्न होकर साधक का कल्याण करती हैं । परन्तु सर्वश्रेष्ठ यह होता है कि साधक किसी एक रूप विशेष में ही योगिनी साधना करें ।

योगिनियों के नाम

योगिनियाँ अनेक रूप और नाम की अध्यात्म, योग तथा अन्य गुह्य विषयों में चर्चित हैं, जैसे योग साधक का योगी इसी प्रकार योग साधिका को सामान्यतः लोग योगिनी सम्बोधित कर देते हैं । 

ज्योतिष शास्त्र में जैसे जातक की विंशोत्तरी दशा, अष्टोत्तरी दशा, चर दशा, महादशा आदि दशाएं जन्म से जीवन के अन्तिम समय तक क्रमशः एक निश्चित क्रम में आती रहती हैं, इसी प्रकार योगिनी दशाएं भी जीवन में निरन्तर घटित होकर प्रभावी रहती हैं । कुछ योगनियाँ वह हैं जो महाविद्याओें के साथ निवास करती हैं । 

कुछ वह हैं, जो साधना करते-करते शरीर त्याग देती हैं और साधना पूर्ण नहीं कर पातीं अथवा जिनकी साधना पूर्ण हो जाती है परन्तु किन्हीं त्रुटि के कारण उनकी सद्गति नहीं हो पाती अथवा उनका पुनर्जन्म नहीं हो पाता । कुछ शक्तियों के नाम विशेष जो सङ्ख्या में कुल ६४ हैं को भी योगिनी कहते हैं । तन्त्र क्षेत्र में यह ६४ योगिनियों के नाम से विख्यात हैं ।

प्रस्तुत लेख में जातक दशा चक्रिणी योगिनियों का सरलीकृत परिचय दे रहा हूँ । योगिनी दशाओं भोग का एक निश्चित समय निर्धारित है । ज्योतिष शास्त्र की दशाओं की तरह योगिनी दशाएं भी अपने समय काल में सुख और दुःख का जातक को उनके कर्मानुसार फल देती हैं । 

योगिनी दशाओं कि कुल संख्या ८ हैं । इनमें से कोई सिद्धदायिनी है, कोई मंगलकारक है, कोई कष्टकारी है, कोई सफलता प्रदायक आदि हैं । जीवन की सफलता के लिए यदि इनकी साधना कर ली जाए तो साधक के लिए यह बहुत ही भाग्यशाली सिद्ध होती हैं । जन्म पत्री में जिस योगिनी की दशा चल रही है उसकी पूजा-अर्चना करने की सरलतम विधि पाठकों के लाभार्थ दे रहा हूँ ।

योगिनी अत्यन्त सामान्य से नियमानुसार निम्न प्रकार से सुख-दुःख अपनी दशा में देती हैं-

१. मंगला - 

मंगला देवी की कृपा जिस व्यक्ति पर हो जाती है उसको हर प्रकार के सुखों से सम्पन्न कर देती हैं । यथाभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्ति मंगल ही मंगल भोगता है । 

२. पिंगला - 

पिंगला देवी की कृपा से सारे विघ्न शांत हो जाते हैं । धन-धान्य और उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं । 

३.धान्या - 

धान्या देवी की कृपा से धन-धान्य की कभी क्षति नहीं होती है ।

४. भ्रामरी - 

यदि भ्रामरी दशा में देवी की कृपा हो जाए तो शत्रु पक्ष पर विजय, समाज में मान-सम्मान तथा अनेक लाभ के अवसर आने लगते हैं । 

५. भद्रिका - 

शत्रु का शमन और जीवन में आए समस्त व्यवधान समाप्त होने लगते हैं, यदि देवी की कृपा हो जाए ।

६. उल्का -

 कार्यों में किसी भी प्रकार से यदि व्यवधान आ रहे हैं और अपनी दशा में उल्का देवी की व्यक्ति पर कृपा हो जाए तो तत्काल व्यक्ति के समस्त कार्यों में गति आने लगती है । 

७. सिद्धा - 

सिद्धा दशा में परिवार में सुख-शान्ति, कार्य की सिद्धि, यश, धन लाभ आदि में आश्चर्यजनक रूप से फल मिलने लगते हैं । परन्तु सम्भव यह उस दशा में ही सम्भव है जब देवी की कृपा हो जाए ।

८. संकटा - 

यथानाम रोग, शोक और संकटों के कारण इस दशा का समय काल व्यक्ति को त्रस्त करता है । संकटों से मुक्ति के लिए मातृ रूप में योगिनी की पूजा करें तो देवी की कृपा होने लगती है । सङ्कटा के अवधि में प्रारम्भ के चार साल तक यह राहु के शुभ/अशुभ फलों को प्रदान करती है तथा बाद के चार साल पर्यन्त यिनका रूप विकटा का हो जाता है, और वह केतु के शुभ/अशुभ फलों को प्रदान करती हैं । 

योगिनी दशाओं को अनुकूल बनाने के लिए यथा भाव, सुविधा और समय निम्न प्रकार से साधना करें :-

किसी शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि से पूर्णिमा तक प्रत्येक योगिनी दशा के कारक ग्रह के दिन से सम्बन्धित योगिनी दशा के कारक ग्रह के पांच-पांच हजार मंत्र पूरे कर लें । संकटा दशा के कारक ग्रह के लिए रविवार राहु के लिए तथा मंगलवार केतु के लिए चुनें ।

 इसी प्रकार मंगला के कारक ग्रह चन्द्रमा के लिए सोमवार, पिंगला के लिए रविवार, धान्या के कारक ग्रह गुरू के लिए गुरूवार, भ्रामरी के मंगल के लिए मंगलवार, भद्रिका के ग्रह बुध के लिए बुधवार, उल्का के शनि ग्रह के लिए शनिवार और सिद्धा के लिए शुक्रवार चुनें ।

योगिनी दशाओं का कुल समय काल १ वर्ष से आरम्भ होकर क्रमशः २, ३, ४, ५, ६, ७ और ८ वर्षों का होता है । जितने वर्ष तक योगिनी दशा का समय जन्मपत्री के अनुसार चल रहा है उतने वर्षों में निरन्तर नहीं तो अपनी समय की सुविधानुसार कुछ-कुछ अन्तराल से योगिनी दशाओं के समय काल में उनके मंत्र जप अवश्य करते रहें । 

साधना वांछित मंत्र जप साधना के लिए पीला आसन तथा गोघृत का दीपक जलाकर बैठें । सम्भव हो तो एक नवग्रह यंत्र अपनी पूजा में ध्यान के लिए स्थापित कर लें । जप के बाद प्रत्येक दिन पांच देवी रूप कन्याओें को भोजन करवाकर उनकी प्रसन्नता और आशीर्वाद लें ।

 अन्तिम अर्थात् पूर्णिमा को नवग्रह यंत्र अपनी पूजा में स्थाई रूप से स्थापित कर दें । तदन्तर में नित्य एक माला उस योगिनी देवी की करते रहें जिनकी दशा आप भोग रहे हैं । 
जप मंत्र

मंगला - 

ॐ ह्रीं मङ्गले मङ्गलायै स्वाहा ।                              (जाप सङ्ख्या - १०००)

पिंगला -

 ॐ ग्लौं पिङ्गले वैरिकारिणी प्रसीद फट् स्वाहा ।         (जाप सङ्ख्या - २०००)

धान्या - 

ॐ श्रीं धनदे धान्यै स्वाहा ।                                   (जाप सङ्ख्या - ३०००)

भ्रामरी - 

ॐ भ्रामरि जगतामधीश्वरि भ्रामरि क्लीं स्वाहा ।          (जाप सङ्ख्या - ४०००)

भद्रिका - 

ॐ भद्रिके भद्रं देही अभद्रं नाशय स्वाहा ।              (जाप सङ्ख्या - ५०००)

उल्का - 

ॐ उल्के मम रोगं नाशय जृम्भय स्वाहा ।                 (जाप सङ्ख्या - ६०००)

सिद्धा - 

ॐ ह्रीं सिद्धे मे सर्वमानसं साधय स्वाहा ।                  (जाप सङ्ख्या - ७०००)

संकटा - 

ॐ ह्रीं सङ्कटे मम रोगं नाशय स्वाहा ।                     (जाप सङ्ख्या - ८०००)

विकटा - 

ॐ नमो भगवति विकटे वीरपालिके प्रसीद, प्रसीद ।  (जाप सङ्ख्या - ८०००)

 चेतावनी - 

सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।

विशेष -

किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें

       राजगुरु जी 

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

 (रजि.)

मोबाइल नं. : - 09958417249

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249


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