यदि आप मुझसे कुछ सीखना चाहते है तो परिश्रम तो करना ही होगा। किसी को दो दिन में तारा चाहिए,तो किसी को ९ दिन में छिन्नमस्ता,किसी को ५ दिन में मातंगी सिद्ध करना है तो,किसी को ११ दिन में भुवनेश्वरी। कितनी बचकानी बात है. मेरा उद्देश्य किसी के ह्रदय को पीड़ित करना नहीं है.अगर किसी को दुःख हुआ हो तो हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हु.परन्तु कभी कभी व्यर्थ का रोग मिटाने के लिए कड़वे वचनो कि औषधि आवश्यक हो जाती है.
Sunday, July 8, 2018
श्री हनुमान भगवान के प्रत्यक्ष दर्शन करने हेतु अनुष्ठान
श्री हनुमान भगवान के प्रत्यक्ष दर्शन करने हेतु अनुष्ठान
हर व्यक्ति की यही इच्छा रहती है की उसे अपने जीवन में किसी न किसी रूप में ईश्वर के दर्शन हो जाएँ। आज आप सब के लाभार्थ एक अनुपम हनुमान साधना का विवरण कर रहा हूँ।
यदि इस अनुष्ठान को पूर्ण विश्वास और श्रद्धा के साथ नियम-पालन करते हुए किया जाये तो हनुमान जी किसी न किसी भेष में आपको दर्शन दे देंगे इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।
साधना सामग्री :
हनुमान जी की प्राण-प्रतिष्ठित पारद मूर्ति, मूंगे की माला, लकड़ी का बाजोट, गुड-चने का प्रसाद, स्टील या तांबे की थाली, सिन्दूर, धुप, अगरबत्ती, घी का दीपक, लाल वस्त्र (सवा मीटर ), जनेऊ, फल, दक्षिणा।
साधना समय :
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शनिवार या मंगलवार से आरम्भ करके ११ दिन लगातार
साधना विधि :
मंगलवार या शनिवार को सुबह उठकर नहाधोकर लाल रंग के वस्त्र पहने। सर्वप्रथम घर के पूजा-स्थान में रखी हनुमान मूर्ति या चित्र के दर्शन कर उन्हें प्रणाम करें। उठने के बाद आपको मौन धारण करना है किसी से बात नहीं करनी है और पूरे दिन मौन रहना है।
अब अपने पूजा स्थान में बैठ जाएँ और सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करके "ॐ गं गणपतये नमः " इस मन्त्र को १०८ बार जाप करके गणेश जी को प्रणाम करें एवं उनसे विनती करें की जो अनुष्ठान आप करने जा रहे हो उसमे कोई विघ्न न आये व उसमे आपको सफलता प्राप्त हो।
इसके पश्चात अपने सामने लकड़ी का बाजोट रख लें। इस बाजोट के ऊपर लाल रंग का कपडा बिछा दें व उससे मोली से बाजोट के चारों तरफ से बाँध दे। एक स्टील या तांबे की थाली लें उससे बाजोट पर रख दें।
इसके बाद इस थाली में गुलाब के पुष्प की पंखुड़ियाँ बिछा दें। उस पर श्री हनुमान जी की प्राण-प्रतिष्ठित पारद मूर्ति रख दें।
मूर्ति को पहले गंगाजल से उसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण ) से स्नान कराएं। इसके बाद एक दूसरी थाली में सिन्दूर के घोल से ॐ का चिन्ह बनायें और उस पर पुनः लाल पुष्प की पंखुड़ियाँ रख कर पारद हनुमान मूर्ति स्थापित कर दें।
इसके बाद मूर्ति के ऊपर हनुमान जी के लाल सिन्दूर के घोल से लेप कर दें। अब घी का दीपक जलाएं, धुप अगरबत्ती जलाएं और हनुमान जी को दिखाएँ।
इसके पश्चात लाल पुष्प अर्पित करें, जनेऊ चढ़ाएं, और गुड-चने के प्रसाद और फल का भोग लगाएं। अब दक्षिणा भी अर्पित करें।
इसके बाद दाहिने हाथ में जल लेकर आँखे बंद करकर हनुमान जी का ध्यान करें और इस अनुष्ठान को करने की अपनी मनोकामना या इच्छा को मन ही मन दोहराएं। जल को दाहिनी और जमीन पर छोड़ दें।
अब मूंगे की माला से इस मन्त्र के आपको १५१ जाप करने हैं। मन में हनुमान जी का चिंतन करें।
मन्त्र :
ॐ नमो हनुमंताय आवेशय आवेशय स्वाहा । ।
मन्त्र जाप के पश्चात पुनः हनुमान जी को प्रणाम करें व अपनी मनोकामना उनके सामने रखे। बाजोट व समस्त सामग्री को वहीँ रखा रहने दें। प्रसाद उठाकर थोड़ा स्वयं ग्रहण करें एवं बाकि घर के सदस्यों में बाँट दें।
दिनभर आपको मौन धारण करते हुए हनुमान जी का ही ध्यान करना है। व किसी भी प्रकार के बुरे विचारों को अपने मन में न आने दें। दिन में एक बार आपको बिना नमक और हल्दी का भोजन करना है।
ऐसा ११ दिन तक लगातार करना है। ११ दिन के बाद यह अनुष्ठान पूर्ण हो जायेगा और आपको हनुमान जी किसी न किसी रूप में दर्शन देने अवश्य आएंगे।
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम ( राज योग पीठ ) ट्रस्ट
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