Wednesday, February 10, 2016

काला जादू हटाने के उपाय-भूत-प्रेत निवारक - ज्योतिषीय सामग्री








मनुष्य जब भूत-प्रेत अथवा नजर, हाय या किसी दुष्ट आत्मा के जाल में फंस जाता है तब उसकी समस्या का समाधान करना दुष्कर कार्य होता है। ऐसे में बाधित व्यक्तियों को ज्योतिषीय सामग्रियों के धारण या पूजन से अवश्य लाभ मिलता है। नजर सुरक्षा लाॅकेट स्वास्थ्यवर्द्धक और जीवन की बाधाओं को हटाने वाला लाॅकेट है। बुरी नजर से बचाव करता है। तंत्र-मंत्र-जादू, टोने के दुष्प्रभाव को काटता है व शनि दोष, साढ़ेसाती, ढैय्या की अवधि में, विशेष रूप से शुभ रहता है। नजर दोष निवारक लाॅकेट पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से धारण करने पर धारक की सभी पराबाधाओं का निवारण होता है। इसके चमत्कारिक प्रभाव से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि होती है तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार धारक को आशा और उन्नति की ओर लेकर जाता है। बाधामुक्ति कवच बाधामुक्ति कवच पांचमुखी, तेरहमुखी तथा गणेश रुद्राक्ष के संयुक्त मेल से बनाया गया है। तेरह मुखी रुद्राक्ष विश्वेश्वर का प्रतीक होने के कारण सभी बाधाओं को नष्ट करता है। पांचमुखी रुद्राक्ष, महारुद्र स्वरूप है और पाप, ताप आदि अशुभ बाधाओं से रक्षा करता है। गणेश रुद्राक्ष विघ्नेश्वर का स्वरूप होने के कारण जीवन में आने वाली सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करता है। इस बाधामुक्ति कवच को धारण करने से धारणकर्ता के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का निराकरण होता है। काले घोड़े की नाल घर में मुख्य दरवाजे पर काले घोड़े की नाल लगाने से नजर दोष दूर होता है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि की ढैय्या, शनि की साढ़ेसाती, शनि की दशा चल रही हो, उन व्यक्तियों के लिए शनि उपाय करना विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है। घोड़े की नाल शीघ्र सफलता प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है। मोटर वाहन में सामने लगाकर प्रतिष्ठित किया जाये, तो दुर्घटना की आशंका कम होती है। काले घोड़े की नाल की अंगूठी काले घोड़े की नाल की अंगूठी नीच कर्मों से दूर रखती है तथा भूत-प्रेत, टोना, टोटका, नजर दोष आदि से बचाती है। एवं परिवार में कलह-पीड़ा नहीं होती। यह नौकरी पेशावालों के लिए भी उपयोगी है। ज्योतिष के अनुसार शनि जीवन में कई बार ढैय्या, साढ़ेसाती, महादशा व अंतर्दशा के रूप में प्रभावी होते हैं। इस स्थिति में काले घोड़े की नाल अंगूठी में धारण करना शनि दोषों का निवारण करता है। काले हकीक की माला घर से दरिद्रता दूर करने के लिए काले हकीक की माला को पूजा घर में स्थित माता लक्ष्मी के चित्र पर चढ़ा दें। ऐसा करने से साधक की आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होना शुरू हो जाएगा। काले हकीक की माला पर हनुमान मंत्र का जप करने से शत्रु बाधा और प्रेत बाधा का निवारण होता है। जन्म पत्रिका में शनि अकारक होने पर तथा शनि से संबंधित वस्तुओं के व्यापारियों को शनि उपासना नियमित रूप से करनी चाहिए। काले हकीक की माला पर शनि के मंत्र का जप करना अत्यंत लाभकारी रहता है। बगलामुखी यंत्र बगलामुखी यंत्र द्वारा शत्रुओं पर विजय व वांछित सफलता प्राप्त हो सकती है। बगलामुखी यंत्र बुरी शक्तियों से बचाव के लिए अचूक यंत्र है। बगलामुखी यंत्र अकाल मृत्यु, दंगा फसाद, आपरेशन आदि से बचाव करता है। इसे गले में पहनने के साथ-साथ पूजा घर में रख सकते हैं। अपनी सफलता के लिए कोई भी व्यक्ति इस यंत्र का उपयोग कर सकता है।
भैरव यंत्र के सहयोग से आप भैरव जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। भैरव यंत्र भूत-प्रेत, काले जादू के प्रभाव को दूर करने में सहयोग करता है, तंत्र-मंत्र की नकारात्मक शक्तियों से व्यक्ति को बचा कर रखता है तथा सकारात्मक शक्तियों की शुभता बनाए रखता है। श्री भैरव यंत्र स्वास्थ्य सुख देने वाला यंत्र है। इस यंत्र से आप अपने ऋण, रोग पर विजय प्राप्त करने में सफल हो सकते है। व्यावसायिक समस्याओं का निवारण करने में भी भैरव यंत्र लाभकारी सिद्ध होता है। श्री भैरव यंत्र के सभी शुभ फल प्राप्त करने के लिए इस यंत्र की नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। संपूर्ण बाधामुक्ति यंत्र शत्रुओं पर विजय, मुकद्दमे में जीत, रुके कार्यों में सफलता और बुरी नजर से बचाव के लिए संपूर्ण बाधामुक्ति यंत्र बहुत प्रभावशाली है। इससे जातक का चोट, दुर्घटना, दुर्भाग्य आदि से बचाव होता है। जातक का प्रभामंडल उज्जवल होता है। संपूर्ण बाधामुक्ति यंत्र में महामृत्युंजय यंत्र, बगलामुखी यंत्र, नवग्रह यंत्र, वशीकरण यंत्र, वाहन दुर्घटना नाशक यंत्र, शनि यंत्र, राहु और केतु यंत्र, वास्तु दोष निवारण यंत्र, गणपति यंत्र और कालसर्प यंत्र सम्मिलित हैं। गीता यंत्र संपूर्ण जगत में श्रीमदभगवत गीता का पाठ अति लाभप्रद है। गीता पाठ करने वालों को यह यंत्र अवश्य ही अपने पास रखना चाहिए। यंत्र के सम्मुख गीता पाठ करने से सहस्त्रोगुण से अधिक फल मिलता है। पाठ करने में असमर्थता होने पर यंत्र के सम्मुख शुद्ध मन से तुलसी या पंचमुखी रूद्राक्ष की माला पर जप करना विशेष लाभ देता है। गीता यंत्र पर प्रतिदिन ग्यारह की संख्या में बिल्वपत्र अर्पण करने से लक्ष्मी जी संतुष्ट होकर लाभवृद्धि करती हैं। घर में शांति का वातावरण बना रहता है। गीता यंत्र की उपासना से भूत-प्रेत एवं पितृ दोष की शांति होती है तथा गीता यंत्र की उपासना से विद्या प्राप्ति होती है। श्री हनुमान जी कृपा यंत्र जो व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहता है। उसे प्रतिदिन इस यंत्र का पूजन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त जिन व्यक्तियों की कुंडली में मांगलिक योग हो, उन व्यक्तियों के लिए इस यंत्र का पूजन करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है। श्री हनुमान कृपा यंत्र के नियमित पूजन से सभी प्रकार की ऊपरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। ऊपरी बाधा, नजर, टोना-टोटका, भूत-प्रेत आदि की शांति एवं इनसे होने वाले कष्टों से बचने के लिए लोबान, गंधक, राई एवं काली मिर्च को हनुमान यंत्र के ऊपर से 7 बार फेर कर घर के प्राणियों के पास रखने से ऊपरी बाधाएं नष्ट होती हैं। ग्यारहमुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र है। यह 11 रुद्रों एवं भगवान शंकर के ग्यारहवें अवतार संकटमोचन महावीर बजरंगबली का प्रतीक है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सांसारिक ऐश्वर्य और संतान सुख प्राप्त होता है और उसकी सारी ऊपरी बाधाएं दूर होती हैं। तेरहमुखी रुद्राक्ष साक्षात इंद्र का स्वरूप है। यह कार्तिकेय के समान समस्त प्रकार के ऐश्वर्य देता है और कामनाओं की पूर्ति करता है। इसे धारण करने से व्यक्ति सभी प्रकार की धातुओं एवं रसायनों की सिद्धि का ज्ञाता हो जाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार कामदेव को भी तेरहमुखी रुद्राक्ष का देवता माना गया है। इसका प्रभाव शुक्र ग्रह के समान होता है। यह निःसंतान को संतति प्रदान करने वाला, सुख, शांति, सफलता एवं आर्थिक समृद्धि प्रदायी रुद्राक्ष है। पंद्रहमुखी रुद्राक्ष भगवान पशुपतिनाथ का स्वरूप माना गया है। यह धारक के आर्थिक एवं आध्यात्मिक स्तर को उठाकर उसे सुख, संपदा, मान- सम्मान-प्रतिष्ठा एवं शांति प्रदान करता है। पंद्रहमुखी रूद्राक्ष विशेष रूप से नजर दोष और भूत बाधा से मुक्ति प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है। बीसमुखी रुद्राक्ष को जनार्दन स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने से भूत, पिशाच आदि का भय नहीं रहता। साथ ही क्रूर ग्रहों का अशुभ प्रभाव भी नहीं पड़ता है। वह श्रद्धा एवं तंत्र विद्या के जरिए विशेष सफलता प्राप्त करता है। उसे सर्पादि विषधारी प्राणियों का भी भय नहीं होता है।
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
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