इतर योनि अवलोकन साधना
मित्रों !!!! इस अनन्त ब्रह्मांड में मनुष्य अकेला नहीं है जिसका निर्माण भगवान द्वारा किया गया है । पेड़-पौधे, पशु- पक्षियों के इलावा कोई और भी है जो हमारी ही दुनिया में रहतीं हैं पर हमें दिखतीं नहीं । उनका हमें ज्ञान तो है पर प्रमाण नहीं । परंतु!! यदा-कदा वो किसी के सामने आ भी जाएँ , तो कौन यकीन करता है भाई!! क्योंकि दुनिया कहती है आँखों से देखी बात ही सत्य है । लेकिन आज की प्रस्तुत साधना आपको पूरा यकीन दिलाने के लिए है की हमारे इलावा और भी कोई है जो अगर हमारे वश में हो जाए तो वो अपनी शक्तिओं द्वारा पूरा जहान हमारे कदमों में लाकर रख सकती हैं । वो हैं इतर योनिआँ । मनुष्य को भगवान ने उसके कर्मों के अनुसार मृत्यु उपरांत कई योनिओं मे विभक्त किया है
जैसे : -
भूत , प्रेत , पिशाच , राक्षस , ब्रह्मराक्षस , देव , यक्ष , गन्धर्व , किन्नर , पितृ , अप्सरा , परि , जिन्नात आदि ॥
साधकों के लिए इन्हें सिद्ध करना किसी भयंकर चुनौती से कम नहीं होता क्योंकि इस संसार में कोई किसी का गुलाम बनकर नहीं रहना चाहता । हर कोई अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित करना चाहता है तो ये योनिआँ कैसे यूं ही आपके वश में हो जाएँ । ये योनिआँ खुद को आपके वश से बचाने के लिये किसी भी हद तक जा सकतीं हैं । परंतु!! एक बार साधक इन्हें सिद्ध करले तो ये आजीवन साधक को वो सब कुछ देतीं रहती हैं जो साधक चाहता है । आपका वफ़ादार कुत्ता आपको एक बार काट सकता है पर ये योनिआँ अपनी शक्ति का प्रयोग आपके खिलाफ कभी नहीं करतीं । ये अपनी जान पर खेलकर भी आपके उपर आई मुसीबत खुद पर ले लेती हैं ।
परंतु कई मेरे भाई साधक एसे भी हैं जो लाख कोशिश करते हैं किसी इतर योनि को वश में करने की और अन्य साधनाएँ भी करते हैं और बाद में थक हार कर बैठ जाते हैं जब उन्हें कोई अनुभूति नहीं होती । पर आज की यह साधना इतर योनिओं के दर्शन करने के लिए है जिसे अगर कोई नास्तिक भी करे तो वो भी इतर योनिओं के दर्शन कर अपना विश्वास इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड की इन गुप्त शक्तिओं पे दृढ़ कर सकता है । आप खुद इस साधना को करके देखिए और अवलोकन कीजिए उन शक्तिओं का जिनका अस्तित्व अति दिव्य होने के साथ - साथ गोपनीय भी है । पूरी कर लीजिए अपने मन की कामना विभिन्न प्रकार की इतर योनिओं के दर्शन करके क्योंकि तंत्र में शंका का कोई स्थान नहीं है ।" तंत्र निर्मल है , स्वच्छ है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि तंत्र प्रत्यक्ष है । जो भी इसका अनुसरण करेगा वो निश्चित ही समस्त भौतिक सुखों को भोगते हुए अंततः मुझमें विलीन हो जाएगा "॥ एसा भगवान शिव ने कहा है ।
इन योनिओं से आपको भय खाने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जो खुद भगवान शिव के सान्निधय में रहती हों और बेचैन होकर और किसी के बस में होकर अपनी मुक्ति के लिए तत्पर हों उनसे भय कैसा!!!!!
॥ साधना विधि ॥
दिन - अमावस्या
साधना अवधि - 16 दिन
दिशा - उत्तर
वस्त्र एवं आसन - सफेद
माला - रूद्राक्ष की
साधना समय - रात 10 बजे
साधना अवधि - 16 दिन
दिशा - उत्तर
वस्त्र एवं आसन - सफेद
माला - रूद्राक्ष की
साधना समय - रात 10 बजे
साधक को चाहिये कि वो वट वृक्ष की थोड़ी सी जटा जो लमक रही होती है तोड़कर ले आए और उसे अपने साधना कक्ष में बाजोट पर रख दे । याद रखिए उसे धोना बिल्कुल नहीं है । इसके बाद स्नान करे और अपने साधना कक्ष में उत्तर की ओर मुख करके बैठे । गुरु पूजन एवं गणेश पूजन सम्पन्न करके उस जटा को अपने बाएँ हाथ में और माला दायें हाथ में पकड़ कर निम्न मंत्र की 11 माला संपन्न करे । इसके बाद किसी से बात किए बिना उस जटा को अपने तकिए के नीचे रखिए और सो जाइये । इससे आपको सपने में एसी - एसी इतर योनिओं के दर्शन होंगे जिनके बारे में आपने किसी किताब में ही पढ़ा या किसी से सिर्फ सुना होगा ॥
॥ मन्त्र ॥
ॐ हूं हूं फट
( OM HOOM HOOM PHAT )
साधक को अगले दिन उस जटा को जल में प्रवाहित कर देना चाहिए और माला को पुनः प्राण प्रतिष्ठित कर देना चाहिए ताकि भविष्य में अन्य साधनाओं में इसका उपयोग किया जा सके ।
॥ मेरा अनुभव ॥
जब मैंने ये साधना की थी तब एसी - एसी इतर योनिआँ मेरे सामने आ रहीं थी जिनमें से कई के मुँह में से आग निकल रही थी और कई एक छोटे Pipe के समान मुख में लगातार खून और मांस डालतीं जा रहीं थी । इसके पश्चात मुझे अप्सरा , परि और यक्ष एवं अन्य योनिओं के भी दर्शन हुए जो उग्र के साथ - साथ सौम्य भी थीं ।
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
व्हाट्सप्प न०;- 9958417249
No comments:
Post a Comment