इन्द्रजाल को जानिए :
इन्द्रजाल का नाम सुनते ही सभी को लगता है कि यह कोई मायावी विद्या है। बहुत से लोग इसे तंत्र, मंत्र और यंत्र से जोड़कर देखते हैं। कई लोग तो इसे काला जादू, वशीकरण, सम्मोहन, मारण और मोहन से भी जोड़कर देखते हैं। हालांकि फारसी में इसे तिलिस्म कहा जाता है।
कुछ लोग इसे काला जादू भी मानते हैं। यह शब्द इन्द्रजाल भारत में बहुत प्रचलित है जो जादू के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है।*
प्राचीनकाल में इस विद्या के कारण भी भारत को विश्व में पहचाना जाता था। देश-विदेश से लोग यह विद्या सिखने आते थे। आज पश्चिम देशों में तरह-तरह की जादू-विद्या लोकप्रिय है तो इसका कारण है भारत का ज्ञान।
इन्द्रजाल जैसी विद्या चकमा देने की विद्या है। आजकल भी भाषा में इसे भ्रमजाल कह सकते हैं। जादू का खेल ही इन्द्रजाल कहलाता है। मदारी भी बहुधा ऐसा ही काम दिखाता है। सर्कस के भ्रमपूर्ण कर्तबन करने वाले, बाजीगर, सड़क पर जादू दिखाने वाले आदि सभी लोग ऐंद्रजालिक हैं।
हालांकि मध्यकाल में इस विद्या का बहुत दुरुपयोग हुआ। युद्ध में विजय, धर्म के विस्तार और व्यक्तिगत स्वार्थ साधने में कई लोगों ने इसका उपयोग किया। आज भी इस विद्या द्वारा लोगों को भरमाया जाता है। खासकर पश्चिमी धर्म के लोग इसका खूब इस्तेमाल करते है।.
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चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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(रजि.)
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