यहाँ से जानिये अपनी कुंडली में राहु की महादशा -
अगर आप भी अपनी नौकरी व व्यवसाय में बाधा ,अचानक धन का अधिक खर्च होना या धन रूक-रूक कर प्राप्त होना,आदि समस्याओ के बारे में और अपनी महादशा के बारे में जानना चाहते है तो आज ही आप महाविद्या आश्रम राज योग पीठ ट्रस्ट से सम्पर्क कर सकते हैं .
महादशा शब्द का अर्थ है वह विशेष समय जिसमें कोई ग्रह अपनी प्रबलतम अवस्था में होता है और कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ फल देता है।
इन वर्षों में मुख्य ग्रहों की महादशा में अन्य ग्रहों को भी भ्रमण का समय दिया जाता है जिसे अन्तर्दशा कहा जाता है।
आज हम बात करेंगे राहु की महादशा की अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहू की दशा या अंतरदशा चल रही हो तो उसे क्या समस्या आएगी।
राहू की महादशा 18 साल की आती है। विश्लेषण के स्तर पर देखा जाए तो राहू की दशा के मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं। ये लगभग छह छह साल के तीन भाग हैं।
नवग्रहों में यह अकेला ही ऐसा ग्रह है जो सबसे कम समय में किसी व्यक्ति को करोड़पति, अरबपति या फिर कंगाल भी बना सकता है।
इसकी शुभता जहां व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर झुकाव पैदा करती है, वहीं अशुभ राहु व्यक्ति को आपराधिक कृत्यों के लिए प्रेरित करता है. परन्तु राहु कितना भी शुभ क्यों न हो ये तो पक्का है की कुछ तो अशुभ करेगा ही।
राहु की महादशा में व्यक्ति की नौकरी व व्यवसाय में बाधा, मानसिक तनाव व अशांति, रात को नींद न आना, परीक्षाओं में असफलता प्राप्त होना, कार्य में मन न लगना, बेबुनियाद ख्यालों में उलझे रहना, अचानक धन का अधिक खर्च होना या धन रूक-रूक कर प्राप्त होना, बिना सोचे समझे कार्य करना, बनते कार्यो में रूकावट होनाा ये सब समस्यायें आती है और
अगर राहु की महादशा राहु की अंतर्दशा चल रही हो तो इसका समय 2 वर्ष 8 माह और 12 दिन का होता है। इस अवधि में राहु से प्रभावित जातक को अपमान और बदनामी का सामना करना पड़ सकता है। विष और जल के कारण पीड़ा हो सकती है। विषाक्त भोजन, से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इसके अतिरिक्त अपच, सर्पदंश, परस्त्री या पर पुरुष गमन की आशंका भी इस अवधि में बनी रहती है।
अशुभ राहु की इस अवधि में जातक के किसी प्रिय से वियोग, समाज में अपयश, निंदा आदि की संभावना भी रहती है। किसी दुष्ट व्यक्ति के कारण उस परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
और अगर राहु की महादशा में शुक्र की प्रत्यंतर दशा चल रही हो तो यह पूरे तीन वर्ष चलती है। इस अवधि में शुभ स्थिति में दाम्पत्य जीवन में सुख मिलता है। वाहन और भूमि की प्राप्ति तथा भोग-विलास के योग बनते हैं। यदि शुक्र और राहु शुभ नहीं हों तो शीत संबंधित रोग, बदनामी और विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
हमारे यहा राहु की महादशा की एक स्पेशल रिपोर्ट बनायी जाती है जिसमे की आपको ये बताया जायेगा की आपकी कौन कौन सी महादशा चल रही है या आगे चलेगी और उन ग्रहों की दशाओं के परिणामस्वरुप आपके स्वास्थ्य, संबंध और आर्थिक स्थिति आदि पर पड़ने वाले प्रभाव।
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चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
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