हम तो एक भिच्छुक ब्राह्मण हैं , भिच्छा मांगना हमारा कर्म भी हैं , और धर्म भी हैं , इसमे ना ही कोई शर्म की बात हैं और न ही किसी प्रकार की हीनता का बोध ही मुझे महसूस हो रहा हैं ,रही बात महाविद्या की तो महाविद्या का मतलब धन सम्पदा , ऐश्वर्या , शक्ति , नहीं होता , .
महाविद्या तो जीवन जीने की एक कला हैं अपने आप को जानने का एक माध्यम हैं अपने आप को पहचानने का एक साधन हैं कि में कौन हूँ , क्या कर रहi हूँ , इस धरती पे मेरे आने का कारन क्या हैं , , .
महाविद्या चमत्कार नहीं है , वरन एक मार्ग हैं , जिसके द्वारा मानव के अंदर का मोह , माया , काम , वासना , इर्षा , द्वेष , लालच का नास होता हैं , जिससे मानव अपने जीवन का आनंद प्राप्त करता हैं .
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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