वीर महाकाली साधना
वीर साधना सदा से साधको के मध्य प्रचलित रही है।वीर कई प्रकार के होते है।उनमे से ही एक है महाकाली वीर।इस वीर की उत्पत्ति महाकाली से ही होती है तथा ये उन्ही में विलीन हो जाता है।ये कई कार्य संपन्न कर सकता है
जैसे साधक को सुरक्षा प्रदान करना,कई प्रकार की जानकारी लाकर देना,कई गोपनीय साधनाओ के विषय में बताना आदि सभी कार्य कर सकता है जो साधक आदेश देता है।
वास्तव में इस वीर की अपनी कोई शक्ति नहीं होती है।ये महाकाली से शक्ति प्राप्त करता है,अतः इससे कभी कोई अनेतिक कार्य नहीं करवाया जा सकता है अन्यथा ये साधक को छोड़कर पुनः महाकाली में समां जाता है,और दुबारा कभी सिद्ध नहीं होता है।
साधना जितनी रोचक है उतनी ही उग्र भी है अतः निडर व्यक्ति ही इसे करे।तथा गुरु आज्ञा से ही साधना की जाये।साधना में यदि कोई हानि होती है तो उसके लिये हम जिमीदार नहीं है,अतः स्वयं के विवेक का प्रयोग करे.
विधि :
साधना शमशान,निर्जन स्थान,या नदी तट पर करे अगर ये संभव न हो तो किसी ऐसे कक्ष में करे जहा कोई साधना पूर्ण होने तक न आये।आपके आसन वस्त्र काले हो तथा दिशा दक्षिण हो।।
सामने एक नीला वस्त्र बिछाये,उस पर महाकाली का कोई भी चित्र स्थापित करे,गुरु तथा गणेश पूजन संपन्न करे,तथा सुरक्षा घेरा खीच ले।
अब महाकाली का सामान्य पूजन करे,सरसों के तेल का दीपक लगाये।
लोबान की अगरबत्ती जलाये,भोग में गुलाबजामुन रखे,ये नित्य साधना स्थल पर ही छोड़ कर आ जाना है,यदि आप घर में कर रहे है तो नित्य गाय को खिला दे,उत्तम रहेगा यदि आप नित्य भोग भैरव मंदिर में रख आये।
माँ से प्रार्थना करे की वे अपने वीर को भेजे।और रुद्राक्ष माला या काली हकिक माला से पहले निम्न मंत्र की ११ माला संपन्न करे .
मंत्र :
||जंत्र काली मंत्र काली तंत्र काली||
अब निचे दिए गए मंत्र को लगातार माँ के चित्र की और देखते हुए एक घंटे तक जाप करे बिना किसी माला के।
मंत्र :
||वीर वीर महाकाली को वीर,आवो टूटे मेरो धीर,महाकाली की दुहाई दू,तुझको काली मिठाई दू,मेरो हुकुम पूरण करो,जो यहाँ न आओ तो महाकाली को खडग पड़े,तू चटक कुआँ में गिर मरे ,आदेश आदिनाथ को आदेश आदेश आदेश||
साधना ४१ दिन करे,वीर माँ के चित्र से ही प्रत्यक्ष होता है।जब सामने आये तो डरे नहीं भोग की मिठाई उसे दे दे,और वचन ले ले की में जब तुम्हे बुलाऊंगा तब आना और मेरे कार्य पूर्ण करना।
स्मरण रहे कोई गलत कार्य न करवाना अन्यथा सिद्धि समाप्त,और पुनः कभी सिद्ध होगी भी नहीं अतः
सावधान रहे।कभी कभी वीर साधना पूर्ण होने के पहले ही आ जाता है,तब भी उससे बोले नहीं जाप करते रहे।यदि जाप के बाद भी वो वही रहे और आपसे बात करे तो मिठाई देकर वचन ले ले।और साधना को वही समाप्त कर दे।माँ आपका कल्याण करे
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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(रजि.)
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