Sunday, February 24, 2019

कालसर्प दोष काटने को शयनकक्ष में हमेशा रखें मोर पंख ...








कालसर्प दोष काटने को शयनकक्ष में हमेशा रखें मोर पंख ...

   

प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में कालसर्प योग का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन व्यवहारिक दृष्टि से यह योग जातक को काफी परेशान भी करता है। 

कुंडली में जब सातों ग्रह राहु और केतु के बीच में हो तो यह ग्रह बनता है। यदि एक भी ग्रह राहु-केतु से अलग हो तो फिर कालसर्प का अशुभ फल कम हो जाता है।

योग की शांति के लिए करें ये उपाए:

-चौबीस मोर पंख लेकर उनकी झाड़ू सी बनाएं तथा इसे सदैव शयनकक्ष में रखें और प्रतिदिन राहु काल के समय इससे जातक के शरीर में झाड़ा लगाएं। सभी प्रकार के कालसर्प योग के लिए लाभकारी है। 

-भगवान शिव की आराधना करना कालसर्प योग से राहत पाने का सर्वोत्तम एवं आजमाया हुआ उपाय है। इसके लिए प्रतिदिन शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग के दर्शन करें तथा ऊं नम: शिवाय का नित्य जाप करें। 

इसके अलावा प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में शिवलिंग पर बिल्व पत्र तथा दूध चढाएं और भगवान शंकर से इस कष्ट से उबारने हेतु याचना करने से कुछ ही महीनों पश्चात शुभकारी प्रभाव सामने आ जाएंगे।

-रसोई घर में बैठकर भोजन करें और बुधवार के दिन ताजा मूली का दान करें।

-यदि किसी स्त्री की जन्मकुंडली में कालसर्प योग है और इस कारण से संतान उत्पन्न करने में बाधा आती हो या बार-बार गर्भपात हो रहा हो तो इसके निवारण के लिए उसे प्राचीन बड़ के वृक्ष की 72 दिनों तक 24 परिक्रमा नियमित लगानी चाहिए।

-प्रत्येक संक्रांति के दिन गंगाजल में गौमूत्र मिलाकर घर के सभी कमरों में छिड़काव करें।

-कालसर्प योग के कारण वैवाहिक जीवन में कठनाइयां आ रही हों तो पत्नी के साथ दोबारा विवाह करें तथा घर की मुख्य चौखट के ऊपर चांदी का स्वास्तिक दो नागों के जोड़ों के मध्य लगाएं।

-यदि कालसर्प योग के कारण पुत्र की प्राप्ती नहीं हो रही है तो ऐसे लोगों को नागपंचमी का व्रत करना चाहिए। नाग पंचमी के व्रत को करने के लिए गेहूं में एक चुटकी हल्दी डालकर एक पांच फनों वाला नाग तैयार करें ..

और इसे शुक्ल पंचमी के दिन कलश पर स्थापित करें। लागातार एक वर्ष तक विधिपूर्वक व श्रद्धा के साथ व्रत करें और पुत्र प्राप्ती की कामना करें।

-काले वस्त्र या रुमाल में साबुत मूंग या साबुत उड़द एक मुट्ठी भरकर राहु का मंत्र ऊं  रां राहवे नम: जप कर किसी भिखारी को दें अथवा किसी कुएं, नदी, तालाब में डाल दें। ऐसा कम से कम 72 बुधवार तक करना चाहिए।

-18 अलसी के बीज लेकर उसको गौमूत्र में भिगोकर अपने सिरहाने रखकर सोएं।

-सोना 7 रत्ती, चांदी 12 रत्ती तथा तांबा 16 रत्ती मिलाकर एक सर्पकार अंगूठी अनामिका उंगली में धारण करें। जिस दिन अंगूठी पहनें उस दिन राहु की सामग्री का अंश दान भी करना चाहिए।

-मसूर की दाल और कुछ धन सूर्योदय के समय गरीब हरिजन को दान करें।

-एक नारियल तथा एक सिक्का 43 दिन लगातार चलते पानी में प्रवाहित करें।

इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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