Saturday, May 5, 2018

अक्षय पात्र साधना

अक्षय पात्र साधना जीवनदायनी कुदरत ने सब को एक समान जीवन दिया है|एक समान इसलिए कह रही हूँ क्योकि शायद सांस लेने को ही हम लोगो ने जीवन मान लिया है क्योकि सांस रुक जाने की प्रक्रिया को तो हम लोग मृत्यु मानते है ना, ....और यदि ऐसा ही है तो क्या पड़ी थी ईश्वर को हमे मानव देह देने कि क्योकि सांस लेना,पेट भरना,बच्चे पैदा करना और फिर अन्त में मर जाना ये सब क्रिया कलाप तो जानवर भी करते ही है. ...और यदि हम में कोई विलक्षणता नहीं तो हम में और जानवरों में फर्क भी क्या है.... बस इतना कि हमें बोलने के लिए भगवान ने जुबां दी है, हम एक दूसरे की भावनाएं समझ सकते है तो जानवर भी एक दूसरे कि भाषा समझते है, एक दूसरे के भाव समझ लेते है तो उनमें और हम में मात्र एक ही आधारित भेद ये है कि हम विवेक से काम ले सकते है तो यदि हम में सोचने समझने कि क्षमता है तो क्या ये उचित है कि हम सब कुछ जानते बूझते हुए भी दरिद्रता वाला जीवन जियें ...क्या ये हमारी गलती नहीं है कि कल-कल करती बहती नदी हमारे सामने बह रही है और फिर भी हम चीख-पुकार मचा रहे है कि हमे प्यास लगी है..... ठीक इसी तरह होते हुए भी यदि हम अपूर्णता, दरिद्रता और आभावों से युक्त जीवन जीते हैं तो हमसे बड़ा बदनसीब कोई नहीं हो सकता और दूसरी बात कहते है कि ," जीवन में पैसा सब कुछ नहीं होता मगर बहुत कुछ जरूर होता है" . यदि सम्पन्नता चाहिए तो दरिद्रता का नाश करना ही पड़ेगा....पर ऐसे धन का क्या लाभ जिसमें लक्ष्मी हमारा वरन तो कर ले पर उसे सम्भालने का सामर्थ्य हममें नहीं है??मतलब यदि देह रोग मुक्त नहीं है तो धन का क्या अभिप्राय रह जाता है| ऐसा धन किसी काम का नहीं जो हमें सांसरिक सुखो को भोगने के काम ना आ सके क्योकि अक्सर ऐसा होता है कि अगर किसी धनवान को कोई रोग हो जाए तो डाक्टर उसे सिर्फ दाल रोटी खाने को बोल देंगे जब कि वो कुछ भी और कितना भी महंगा भोजन खा सकता है और एक गरीब जिसको दो वक्त को रोटी के वभी वांदे होते है उसको कोई रोग होने पर ऐसी ऐसी चीज़े खाने को बता देंगे जो उस बेचारे की कल्पना के भी बाहर हो.....कहने का अभिप्राय ये है कि यदि आप हर तरह से सुपात्र हैं तो ही जीवन सपूर्ण हो पायेगा. सदगुरुदेव हमेशा कहते है कि पात्र का अर्थ मात्र बर्तन से नहीं है इसका गूढ़ अर्थ हमारे जीवन से जुड़ा है| अगर हम में सुपात्रता नहीं है तो हम अपने गुरु से कुछ भी नहीं ले पायेंगे क्योकि यदि हमारी ही अंजुरी छोटी है तो दाने तो बाहर गिरेंगे ही...इसीलिए अच्छे सुपात्र बनने के लिए जीवन को अक्षय बनाना अति आवश्यक है क्योकि जो अजय है वही तो अमर होंने कि कला सीख पायेगा ना| किसी भी साधना को सिद्ध करने का मूल मंत्र ये है कि खुद को ही शिव और शक्ति मान के आपने आप को मंत्र बनाना सीख लिया जाए अर्थात मंत्र और आप में कोई भेद ना रहे ...जैसे लक्ष्य भेदन के लिए इकाग्र्ता जरूरी है ठीक वैसे ही आपनी अन्तश्चेतना को इतना गहरा कर लो कि गुरु कि उपस्थिति महसूस कर सको...महसूस कर सको उनके शरीर की दिव्य गंध जो आपने आप में अद्वितीय है...क्योकि जिस दिन ये हो जाएगा उसी दिन आपका जीवन भी अक्षय पात्र बन जाएगा ... हर साधना के अपने कुछ निर्धारित नियम होते हैं जिनसे उस साधना को सिद्ध किया जा सकता है...वैसे ही अक्षय पात्र साधना के लिए... १- आपके पास एक तांबे का पात्र (बर्तन) होना चाहिए जिसमें कम से कम 250ml पानी आ सके. २- चावल जिसे आप आपनी क्षमता के हिसाब से रोज मंत्र जाप करने के बाद उस पात्र में दाल सको. ३- पीली धोती या साड़ी ४- आपकी दिशा पूरब या उत्तर होगी ५- ये रात कालीन साधना है ५- एक लाल कपड़ा ये ११ दिनों की साधना है और पहले दिन इसकी २१ माला करनी होती है उसके बाद अगले ११ दिनों तक १-१ माला और यदि २१ माला हर दिन कर सको तो और अच्छा. गुरु चित्र के सामने पात्र को रख लो और साधना शुरू करने से पहले गुरु मंत्र करो क्योकि गुरु मंत्र हमारे और गुरु के बीच सेटेलाइट का काम करता है. साधना में बैठने से पहले अच्छे से नहा लो क्योकि देह का शुद्ध होना बहुत जरूरी है और जितने दिन साधना चलेगी उतने दिन बिलकुल शुद्ध भोजन खाये. रोज रात को साधना के बाद थोड़े से चावल हाथ में लेकर उस पात्र में डाल दे और अंतिम दिन साधना सम्पन्न करने के बाद उस पात्र को चावल समेत लाल कपड़े में बाँध कर अपनी तिजोरी में या मंदिर में रख दें. मंत्र ओम ह्रीं श्रीं ह्रीं अक्षय पात्र सिद्धिम ह्रीं श्रीं ह्रीं ओम || OM HREENG SHREEM HREENG AKSHAY PATRA SIDDHIM HREENG SHREEM HREENG OM… वस्तुतः किसी भी साधना की महत्ता तभी समझी जा सकती है,जब उसे स्वयं प्रयोग का देखा जाये,मात्र शब्दों का महिमामंडन करने से तो प्रयोग को नहीं समझा जा सकता, अब मर्जी आपकी है| राजगुरु जी महाविद्या आश्रम किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें : मोबाइल नं. : - 09958417249 08601454449 व्हाट्सप्प न०;- 99584172490

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