Thursday, May 10, 2018

धनाभाव व भगवती पीताम्बरा

धनाभाव व भगवती पीताम्बरा मेरे यजमान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, वह हर समय पैसों के अभाव में परेशान रहता था। उसके लिए अनुष्ठान करने का मन बना लिया, अब कोई ऐसा अनुष्ठान कंरू, जिससे उसे तुरन्त राहत मिलने लगे, बिना भगवती के प्रसन्न हुए यह सम्भव नहीं था, अतः भगवती बगला की प्रसन्नता एवं धन लाभ हेतु बगला शतनाम के पाठ व हवन का संकल्प लिया। बगला शतनाम के एक सौ आठ माला पाठ कर, हवन कर दिया। परिणाम तुरन्त सामने आया यजमान की आर्थिक स्थिति में जबरदस्त सुधान प्रारम्भ हो गया। क्रिया इस प्रकार की गई - विष्णुयामल से उद्धत है- विनियोग - ऊँ अस्य श्री पीताम्वर्य अण्ठोन्तर शतनाम स्त्रोतस्य सदा शिव ऋषि, अनुष्टुप छन्दः श्री पीताम्बरी देवता श्री पीताम्बरी जपे हवन विनियोगः। (जल पृथवी पर डाल दें) 1. ऊँ बगलाये नमः स्वाहा। 2. ऊँ विष्णु विनिताये नमः स्वाहा। 3. ऊँ विष्णु शंकर भामनी नमः स्वाहा। 4. ऊँ बहुला नमः स्वाहा। 5. ऊँ वेदमाता नमः स्वाहा। 6. ऊँ महा विष्णु प्रसूरपि नमः स्वाहा। 7. ऊँ महा-मत्स्या नमः स्वाहा। 8. ऊँ महा-कूर्मा नमः स्वाहा। 9. ऊँ महा-वाराह-रूपिणी नमः स्वाहा। 10. ऊँ नरसिंह-प्रिया रम्या नमः स्वाहा। 11. ऊँ वामना वटु-रूपिणी नमः स्वाहा। 12. ऊँ जामदग्न्य-स्वरूपा नमः स्वाहा। 13. ऊँ रामा राम-प्रपूजिता नमः स्वाहा। 14. ऊँ कृष्णा नमः स्वाहा। 15. ऊँ कपर्दिनी नमः स्वाहा। 16. ऊँ कृत्या नमः स्वाहा। 17. ऊँ कलहा नमः स्वाहा। 18. ऊँ कलविकारिणी नमः स्वाहा। 19. ऊँ बुद्धिरूपा नमः स्वाहा। 20. ऊँ बुद्धि-भार्या नमः स्वाहा। 21. ऊँ बौद्ध-पाखण्ड- खण्डिनी नमः स्वाहा। 22. ऊँ कल्कि-रूपा नमः स्वाहा। 23. ऊँ कलि-हरा नमः स्वाहा। 24. ऊँ कलि-दुर्गति-नाशिनी नमः स्वाहा। 25. ऊँ कोटि-सूर्य-प्रतीकाशा नमः स्वाहा। 26. ऊँ कोटि-कन्दर्प-मोहिनी नमः स्वाहा। 27. ऊँ केवला नमः स्वाहा। 28. ऊँ कठिना नमः स्वाहा। 29. ऊँ काली नमः स्वाहा। 30. ऊँ कला कैवल्य-दायिनी नमः स्वाहा। 31. ऊँ केश्वी नमः स्वाहा। 32. ऊँ केश्वाराध्या नमः स्वाहा। 33. ऊँ किशोरी नमः स्वाहा। 34. ऊँ केशव-स्तुता नमः स्वाहा। 35. ऊँ रूद्र-रूपा नमः स्वाहा। 36. ऊँ रूद्र-मूर्ति नमः स्वाहा। 37. ऊँ रूद्राणी नमः स्वाहा। 38. ऊँ रूद्र-देवता नमः स्वाहा। 39. ऊँ नक्षत्र-रूपा नमः स्वाहा। 40. ऊँ नक्षत्रा नमः स्वाहा। 41. ऊँ नक्षत्रेश-प्रपूजिता नमः स्वाहा। 42. ऊँ नक्षत्रेश-प्रिया नमः स्वाहा। 43. ऊँ नित्या नमः स्वाहा। 44. ऊँ नक्षत्र-पति-वन्दिता नमः स्वाहा। 45. ऊँ नागिनी नमः स्वाहा। 46. ऊँ नाग-जननी नमः स्वाहा। 47. ऊँ नाग-राज-प्रवन्दिता नमः स्वाहा। 48. ऊँ नागेश्वरी नमः स्वाहा। 49. ऊँ नाग-कन्या नमः स्वाहा। 50. ऊँ नागरी नमः स्वाहा। 51. ऊँ नगात्मजा नमः स्वाहा। 52. ऊँ नगाधिराज-तनया नमः स्वाहा। 53. ऊँ नाग-राज-प्रपूजिता नमः स्वाहा। 54. ऊँ नवीना नमः स्वाहा। 55. ऊँ नीरदा नमः स्वाहा। 56. ऊँ पीता नमः स्वाहा। 57. ऊँ श्यामा नमः स्वाहा। 58. ऊँ सौन्दर्य-करिणी नमः स्वाहा। 59. ऊँ रक्ता नमः स्वाहा। 60. ऊँ नीला नमः स्वाहा। 61. ऊँ घना नमः स्वाहा। 62. ऊँ शुभ्रा नमः स्वाहा। 63. ऊँ श्वेता नमः स्वाहा। 64. ऊँ सौभाग्या नमः स्वाहा। 65. ऊँ सुन्दरी नमः स्वाहा। 66. ऊँ सौभगा नमः स्वाहा। 67. ऊँ सौम्या नमः स्वाहा। 68. ऊँ स्वर्णभा नमः स्वाहा। 69. ऊँ स्वर्गति-प्रदा नमः स्वाहा। 70. ऊँ रिपु-त्रास-करी नमः स्वाहा। 71. ऊँ रेखा नमः स्वाहा। 72. ऊँ शत्रु-संहार-कारिणी नमः स्वाहा। 73. ऊँ भामिनी नमः स्वाहा। 74. ऊँ तथा माया नमः स्वाहा। 75. ऊँ स्तम्भिनी नमः स्वाहा। 76. ऊँ मोहिनी नमः स्वाहा। 77. ऊँ राग-ध्वंस-करी नमः स्वाहा। 78. ऊँ रात्री नमः स्वाहा। 79. ऊँ शैख-ध्वंस-कारिणी नमः स्वाहा। 80. ऊँ यक्षिणी नमः स्वाहा। 81. ऊँ सिद्ध-निवहा नमः स्वाहा। 82. ऊँ सिद्धेशा नमः स्वाहा। 83. ऊँ सिद्धि-रूपिणी नमः स्वाहा। 84. ऊँ लकां-पति-ध्ंवस-करी नमः स्वाहा। 85. ऊँ लंकेश-रिपु-वन्दिता नमः स्वाहा। 86. ऊँ लंका-नाथ-कुल-हरा नमः स्वाहा। 87. ऊँ महा-रावण-हारिणी नमः स्वाहा। 88. ऊँ देव-दानव-सिद्धौध-पूजिता नमः स्वाहा। 89. ऊँ परमेश्वरी नमः स्वाहा। 90. ऊँ पराणु-रूपा नमः स्वाहा। 91. ऊँ परमा नमः स्वाहा। 92. ऊँ पर-तन्त्र-विनाशनी नमः स्वाहा। 93. ऊँ वरदा नमः स्वाहा। 94. ऊँ वदराऽऽराध्या नमः स्वाहा। 95. ऊँ वर-दान-परायणा नमः स्वाहा। 96. ऊँ वर-देश-प्रिया-वीरा नमः स्वाहा। 97. ऊँ वीर-भूषण-भूषिता नमः स्वाहा। 98. ऊँ वसुदा नमः स्वाहा। 99. ऊँ वहुदा नमः स्वाहा। 100. ऊँ वाणी नमः स्वाहा। 101. ऊँ ब्रह्म-रूपा नमः स्वाहा। 102. ऊँ वरानना नमः स्वाहा। 103. ऊँ वलदा नमः स्वाहा। 104. ऊँ पीत-वसना नमः स्वाहा। 105. ऊँ पीत-भूषण-भूषिता नमः स्वाहा। 106. ऊँ पीत-पुष्प-प्रिया नमः स्वाहा। 107. ऊँ पीत-हारा नमः स्वाहा। 108. ऊँ पीत-स्वरूपिणी नमः स्वाहा। हवन सामग्री:- शक्कर का बूरा - 2 किलो0 काला तिल - 2 किलो कमल बीज - 200 ग्राम शहद - 100 ग्राम देशी घी - 200 ग्राम नमक - 10 ग्राम -निर्देश ----- 1. पहले 10 माला का हवन यानी दस हजार आहुतियाँ देकर प्रतिदिन छत्तीस दिनों तक एक माला हवन यानी एक सौ आहुतियाँ देते रहने से आर्थिक स्थिति में जबर्दस्त सुधार हो जाता है। 2. इस शतनाम हवन के प्रयोग से भगवती की प्रसन्नता साधक के प्रति बढ़ जाती है, जिससे साधक के प्रत्येक कार्य सुगमता-पूर्वक होने लगते हैं व विपक्षियों की उल्टी गिनती प्रारम्भ हो जाती है। 3. हवन कर अग्नि विसर्जन कर दें - हे अग्नि देव अब आप अपने लोक में प्रस्थान करें व हमारे द्वारा दी गई आहुतियाँ सम्बन्धित देवी/देवताओं को पहुँचा दें, कह कर हवन की अग्नि पर तीन बार जल डाल दें। उपरोक्त पोस्ट ऐक अनुभवी साधक का स्वंय का अनुभवहै। वशीकरण कर्म षट् कर्मो मे दूसरे नम्बर पर आता है वशीकरण यानि किसी को भी अपने वश मे करना आज मे वशीकरण के नियम बता रहा हू जिनके पालन करने से वशीकरण के प्रयोग सफल होते है और ना करने पर असफल वशीकरण की देवी सरस्वती है वशीकरण पूर्व या उत्तर मुख होकर किया जाता है वशीकरण के लिये वसन्त रितु उत्तम मानी जाती है वशीकरण दशमी एकादशी , प्रतिपदा ,अमावस्या को शुभ होता है वशीकरण शुक्रवार शनिवार को किया जाता है ज्येष्ठा , उत्ताषाढ ,अनुराधा , रोहिणी ये माहेन्द्र मण्डल के नक्षत्र है इनमे वशीकरण करना चाहिये मीन मेष कन्या धनु लग्न मे वशीकरण करना चाहिये वशीकरण अग्नि तत्व के उदय मे करने चाहिये वशीकरण आकर्षण के लिये देवता को लोहित वर्ण मे ध्यान करना चाहिये वशीकरण भद्रासन मे करना चाहिये मेढा के आसन पर बैठकर वशीकरण करे या लाल कम्बल पर वशीकरण मे पाश मुद्रा का प्रयोग किया जाता है वशीकरण मे देवता को सुन्दर रूप का ध्यान किया जाता है वशीकरण मे पीतल का कलश रखा जाता है वशीकरण रूद्राक्ष या स्फटिक माला प्रयोग करनी चाहिये आकर्षण मे घोडे के पूछ के बालो से माला तैयार करनी चाहिये वशीकरण के लिये योनि जैसी आकृति वाले कुण्ड मे वायव्य कोण की तरफ मुह करके हवन करना चाहिये चमेली के फूलो से , वशीकरण कर्म मे हवन करना चाहिये आकर्षण कर्म मे ईशान कोण मे स्थित अग्नि की स्वर्ण वर्णा हिरण्या नामक जिह्वा की जरूरत होती है वशीकरण मे पूर्ण आहुति के समय अग्नि के कामद नाम का उच्चारण करना चाहिये वशीकरण मे मंत्र के अंत मे स्वाहा लगाकर होम किया जाता है अगली पोस्ट विद्वेषण पर होगी इनमे दी गयी सारी जानकारी प्रयोग करते समय पालन करने से प्रयोग निष्फल नही होता राजगुरु जी महाविद्या आश्रम किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें : मोबाइल नं. : - 09958417249 08601454449 व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

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