Tuesday, May 8, 2018

तारा तन्त्रम

'तारा तन्त्रम' महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ में भगवती-तारा को महाविधायों में सर्वश्रेष्ठ एवं अद्धुतिया सफलता प्रदान करने वाली बताया गया है.. महर्षि विश्वामित्र ने स्वयं कहा है की यदि तारा मंत्र के साथ "तारा-सपर्या" शिद्ध कर ले तो उस साधक में आकर्षण शक्ति विशेष रूप से आजाती है और वह रम्भा , मेनका , उर्वशी जैसी अप्सराओं को अपने वश में कर सकता है, युद या मुकदमे बाजी में निश्चित ही उसे सफलता प्राप्त होती है है , यदि इस सपर्या का आदि रत को मंतर जप करे , तो उसकीवाणी में विशेष प्रभाव व्याव्त होता है और वह धरा प्रवाह बोलता हुआ हजारोंलाखों लोगो को एक साथ सम्मोहन कर सकता है "तारा तूर्ण " साधना से वह साधक 'परकाय प्रवेश' सिद्धि में सफलता प्राप्त कर सकता हैं और विविध यक्षिणी किन्नरी को अपने वश में करसकता है , एक प्रकार से देखा जाय तो वह नवीन स्रष्टि रचना में समर्थ हो सकता है ...!! भगवती तारा को "वक् शक्ति " "नील सरस्वती " "तारा" तथा उग्र तारा के नाम से भी संबोधन करते है , क्युकी तांत्रिक मान्त्रिक दोनों ही तरीकों से इसकी श्रेष्ठम साधना संपन्न की जा सकती है ! ... जय माँ तारा... राजगुरु जी महाविद्या आश्रम साधना पीठ किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें : मोबाइल नं. : - 09958417249 08601454449 व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

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