Friday, December 11, 2020

महाकाली साधना


 




महाकाली साधना  

                     


          

           फिर भी जिन साधकों काली साधना को सिद्ध किया है, उनके अनुसार निम्न तथ्य तो साधना सम्पन्न करते ही प्राप्त हो जाते हैं ---


         १. काली साधना से तुरन्त वाक् सिद्धि (जो भी कहा जाए, वह सत्य हो जाए) तथा इस लोक में समस्त मनोवांछित फल प्राप्त करने में सक्षम हो पाता है।

          २. इस साधना की सिद्धि करने से व्यक्ति समस्त रोगों से मुक्त हो कर पूर्ण स्वास्थ, सबल एवं सक्षम हो जाता है।

          ३. यह साधना जीवन के समस्त भोगों को दिलाने में समर्थ है, साथ ही काली साधना से मृत्यु के उपरान्त मोक्ष की प्राप्ति होती हैे।

          ४.  शत्रुओं को मान-मर्दन करने के लिए, उन पर विजय पाने के लिए, मुकदमे में सफलता के लिए और पूर्ण सुरक्षा के लिए इस से बढ़ कर और कोई साधना नहीं है।

          ५.  इस साधना से दस महाविद्याओ में से एक महाविद्या सिद्ध हो जाती है, जिससे सिद्धाश्रम जाने का मार्ग प्रशस्त होता है।

          ६.  इस साधना की सिद्धि से तुरन्त आर्थिक लाभ और प्रबल पुरुषार्थ की प्राप्ति सम्भव होती है।

          ७. "काली पुत्रे फलप्रदः" के अनुसार काली साधना योग्य पुत्र की प्राप्ति व पुत्र की उन्नति, उसकी सुरक्षा और उसे पूर्ण आयु प्रदान करने के लिए श्रेष्ठ साधना कही गई हैे।

         ८. इसके साथ ही काली साधना से साधक मृत्यु को जीतकर पूर्ण निर्भय हो जाता है।


          वस्तुतः काली साधना को संसार के श्रेष्ठ साधकों और विद्वानों ने अद्भुत एवं शीघ्र  सिद्धि देने वाली साधना कहा है। इस साधना से साधक अपने जीवन के सारे अभाव को दूर कर अपने भाग्य को बनाता हुआ पूर्ण सफलता प्राप्त करता है।


साधना विधि :-----


         नवरात्रि के प्रथम दिन से अथवा किसी भी मास की शुक्लपक्ष की नवमी के दिन से अथवा किसी भी मंगलवार से साधक इस साधना को आरम्भ कर सकता है। परन्तु नवरात्रि काल में इस विशिष्ट साधना का विशेष महत्व बताया गया है। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन से ही प्रारम्भ करना चाहिए और अष्टमी को इसका समापन किया जाना शास्त्र सम्मत है। इस साधना में कुल एक लाख मन्त्र जाप किया जाता है। यह नियम नहीं है कि नित्य निश्चित संख्या में ही मन्त्र जाप हो, परन्तु यदि नित्य पन्द्रह हज़ार मन्त्र जाप होता है तो उचित है। यह साधना प्रातः या रात्रि दोनों समय में की जा सकती है। यदि साधक चाहे तो प्रातःकाल और रात्रि दोनों ही समय का उपयोग कर सकता है।


          साधक स्नान करके शुद्ध काले या लाल वस्त्र धरण करके काले अथवा लाल आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए। फिर अपने सामने एक बाजोट पर काला अथवा लाल वस्त्र बिछाकर उसपर सद्गुरुदेव और भगवती महाकाली का चित्र या यन्त्र स्थापित कर दे। साथ ही साधक गणेश और भैरव के प्रतीक रूप में दो सुपारी मौलि बाँधकर क्रमशः अक्षत और काले तिल की ढेरी पर स्थापित कर दे।


          फिर शुद्ध घी का दीपक और धूप-अगरबत्ती जलाकर सर्वप्रथम साधक संक्षिप्त गुरुपूजन सम्पन्न करे और गुरुमन्त्र का चार माला जाप करे। इसके बाद सद्गुरुदेवजी से भगवती महाकाली साधना सम्पन्न करने आज्ञा लें और साधना की सफलता के लिए प्रार्थना करे।


          फिर साधक भगवान गणपतिजी का संक्षिप्त पूजन करे और “ॐ वक्रतुण्डाय हुम्” मन्त्र की एक माला जाप करे। इसके बाद साधक भगवान गणपति जी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता और साधना की सफलता के लिए प्रार्थना करें।


          इसके बाद साधक संक्षिप्त भैरव पूजन सम्पन्न करे और “ॐ  भ्रं भ्रं क्रीं क्रीं महाकाल भैरवायै भ्रं भ्रं क्रीं क्रीं फट्” मन्त्र का एक माला जाप करें। फिर साधक महाकाल भैरवजी से साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।


          इसके पश्चात साधक को साधना के पहले दिन संकल्प अवश्य लेना चाहिए। इसके लिए साधक दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प करे कि “मैं अमुक पिता का नाम अमुक गोत्र अमुक गुरुजी का शिष्य होकर आज से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए, सिद्धि के लिए महाकाली साधना का अनुष्ठान प्रारम्भ कर रहा हूँ। मैं ८ दिनों तक नित्य १५० माला मन्त्र जाप सम्पन्न करूँगा। हे, माँ! आप मेरी इस साधना को स्वीकार कर मुझे सिद्धि प्रदान करें और इसकी ऊर्जा को आप मेरी बुद्धि में स्थापित कर दें।”


          ऐसा कह कर हाथ में लिया हुआ जल जमीन पर छोड़ देना चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन संकल्प करने की आवश्यकता नहीं है।


         इसके बाद साधक महाकाली यन्त्र अथवा चित्र का पंचोपचार से पूजन करे। पूजन में कुमकुम, अक्षत, पुष्प और प्रसाद अर्पित करके धूप व दीप समर्पित करें।


         फिर साधक दाहिने हाथ में जल लेकर निम्न विनियोग मन्त्र का उच्चारण करके जल भूमि पर छोड़ दें ---


विनियोग :-----


        ॐ अस्य श्रीदक्षिणकालीमन्त्रस्य भैरव ऋषिः, उष्णिक् छन्द, दक्षिण कालिका देवता, क्रीं बीजं, हूं शक्तिः, क्रीं कीलकं ममाभिष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।


व्यापक न्यास :------


        श्री दक्षिणकाली देवी के मूल मन्त्र से पाँच बार या सात बार अथवा नौ बार व्यापक न्यास करें ---


ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हुं हुं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हुं हुं स्वाहा ॥


         फिर हाथ जोड़कर भगवती काली का निम्नानुसार ध्यान करे -----


ॐ शवारूढ़ां महाभीमां घोरदंष्ट्रां हसन्मुखीम्,                                                          चतुर्भुजां खड्ग-मुण्ड वराभयकरां शिवाम्।                                         मुण्डमालाधरां देवीं ललज्जिह्वां दिगम्बराम्,                                                                 एवं सञ्चिन्तयेत् कालीं श्मशानालयवासिनीम्॥


         इस प्रकार ध्यान करने के पश्चात निम्न मन्त्र का काली हकीक माला अथवा रुद्राक्ष माला से १५० माला जाप करे -----


काली साधना मन्त्र :-----


॥ ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हुं हुं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हुं हुं स्वाहा ॥


         मन्त्र जाप के उपरान्त साधक निम्न श्लोक का उच्चारण करने के बाद एक आचमनी जल छोड़कर सम्पूर्ण जाप माँ भगवती महाकाली को समर्पित कर दें।


ॐ गुह्यातिगुह्य गोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपं।

     सिद्धिर्भवतु मे देवि! त्वत्प्रसादान्महेश्वरि।।


         इस प्रकार यह साधना क्रम साधक नित्य ८ दिनों तक निरन्तर सम्पन्न करें।


         इस काली साधना में आपको कुल एक लाख मन्त्र जाप करना है। नवरात्रि काल में यह जाप आठ दिनों में सम्पन्न हो जाना चाहिए। अन्य दिनों में यह साधना २१ दिनों में भी सम्पन्न की जा सकती है।


चेतावनी -


सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।


विशेष -


किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें


राजगुरु जी


तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान


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 (रजि.)


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4 comments:

  1. Guru ji guru ya guru ka sanidhya na ho to kaise Sadhna or pooja kare...

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    1. किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें : मोबाइल नं. : - 09958417249 व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

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  2. Guru ji guru ya guru ka sanidhya na ho to kaise Sadhna or pooja kare...

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  3. किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें : मोबाइल नं. : - 09958417249 व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

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