सर्व_सिद्धि_दायक_मन्त्र
१:- ॐ पर मंत्र पर यंत्र बन्धय बन्धय मां रक्ष रक्ष हूं हूं हूं स्वाहा ।
अ
२:- ॐ ठं ठः परकृतान बन्धय बन्धय छेदय छेदय स्वाहा ।
शो
३:-ॐ क्रौं ह्रौं वैरिकृत विकृतं नाशय नाशय उलटवेधं कुरू कुरू स्वाहा ।
४:- ॐ परकृतभिचारं घातक घातक ठः ठः स्वाहा हूं।
५:- ॐ नमो ह्रों पर विधा छिन्दि छिन्दि स्वाहा ।
क
६:-ॐ शत्रु कृतान मंत्र यंत्र तंत्रान नाशय नाशय उद् बन्धन उद् बन्धन स्वाहा।
७:- ॐ नमः परमात्मने सर्वात्मने सर्वतो मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
८:- ॐ ॐ ॐहुं हुं हुं अरिणा यत्कृतं कर्म तत्तस्यैव भवतु इति रूदाज्ञांपयति स्वाहा फट् ।
वशिष्ठ
उपरोक्त आठो मंत्र क्रमबद्ध दिये है । ये सिद्ध मंत्र है जिन लोगो का कार्य नही चलता नित्य परेशानी का सामना करना पडता हो व्यापार मे रूकावट आ गई हो शत्रुओं से सदा आशंका बनी रहती हो क्या पता कब कौन शत्रु हमारा बूरा कर दे। इन तमाम परेशानीओं से मुक्ति दिलाने मे ये मंत्र परम लाभकारी है।
जो व्यक्ति इन मंत्रों का २१-२१ बार जाप नियमित श्रद्धा पूर्वक करेगा । उसकी समस्त परेशानिया कुछ दिनों मे दुर हो जायेगी। मंत्र का जाप नहा धोकर सुबह एकांत कक्ष मे करना है।
No comments:
Post a Comment