Thursday, December 12, 2019

प्रेत श्राप तब बनता है जब जन्म-पत्रिका के किसी भी भाव में शनि-राहू या शनि-केतू की युति हो तो प्रेत श्राप कानिर्माण करती है |





प्रेत श्राप तब बनता है जब जन्म-पत्रिका के किसी भी भाव में शनि-राहू या शनि-केतू की युति हो तो प्रेत श्राप कानिर्माण करती है |


 शनि-राहू या शनि-केतू की युति उस भाव के फल  को पूरी तरह बिगाड़ देती है तथा लाख यत्न करने पर भी उस भाव का उत्तम फल प्राप्त
नहीं होता है  हर बार आशा तथा हर बार
धोखा की आँख मिचौली जीवन भर
चलती रहती है |

 वह चाहे धन का भाव
हो, सन्तान सुख, जीवन साथी या कोई अन्य
भाव | 

भाग्य हर कदम पर रोड़े लेकर खड़ा सा दिखता है जिसको पार करना बार-बार की हार के बाद जातक के लिए अत्यन्त
कठिन होता है शनि + राहू = प्रेत श्राप योग
यानि ऐसी घटना जिसे अचनचेत घटना कहा जाता है अचानक कुछ ऐसा हो जाना जिसके बारे में दूर दूर तक अंदेशा भी न हो और भारी नुक्सान हो जाये | 

इस योग के कारण एक के बाद एक मुसीबत
बडती जाती है यदि शनि या राहू में से
किसी भी ग्रह की दशा चल रही हो या आयुकाल चल रहा हो यानी 7
से 12 या 36 से लेकर 47 वर्ष तक का समय
हो तो मुसीबतों का दौर थमता नही है  

.कई
बार ऐसा भी होता है किसी शुभ
या योगकारी ग्रह की दशा काल हो और
शनि + राहू रूपी प्रेत श्राप योग
की दृष्टि का दुष्प्रभाव उस ग्रह पर हो जाये तो उस शुभ ग्रह के समय में भी मुसीबतें
पड़ती हैं जिस पर अधिकतर ज्योतिष गण ध्यान नही देते परन्तु पूर्व जन्म के दोषों में इसे शनि ग्रह से निर्मित पितृ दोष कहा जाता है इस दोष का निवारण भी घर में सन्तान के जन्म लेते
ही ब्राह्मण की सहायता से
करवा लेना चाहिए अन्यथा मकान सम्बन्धी परेशानियाँ शुरू हो जाती है  प्रापर्टी बिकनी शुरू हो जाती है कारखाने बंद हो जाते हैं | पिता पर कर्जा चड़ना शुरू हो जाता है  

नौकरी पेशा हो कारोबारी संतान के प्रेत श्राप
योग के कारण बाप का काम बंद होने के कगार पर पहुंच जाता है  ऐसे योग वाले के घर में निशानी होती है
की जगह जगह दरारें पड़ना सफाई के बावजूद
भी गंदी बदबू आते रहना  घर में से
जहरीले जीव जन्तु निलकना बिच्छू - सांप
आदि.

  इस लिए ये प्रेत श्राप योग
भारी मुसीबतें ले कर आता है और इस योग
के दशम भाव पर प्रभाव के कारण ही चलते हुए कामबंद हो जाते हैं  सप्तम भाव पर प्रभाव के कारण ही शादिया टूट जाती है  अष्टम भाव पर
इसका प्रभाव हो तो जातक पर जादू – टोना जैसा अजीब सा प्रभाव रहता है और दर्द नाक मौत होती है  नवम भाव में हो तो भाग्य
हीनता ही रहती है 

 एकादश भाव में हो तो मुसीबतों से लड़ता लड़ता इंसान हार
कर बैठ जाता है मेहनत के बाद भी फल
नही पाता आदि कुंडली के
सभी भावों में इसका बुरा प्रभाव रहता है मित्रों  ज्योतिष कोई जादू की छड़ी नहीं है 

ज्योतिष एक विज्ञानं है .

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राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

(रजि.)

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