सुर सुन्दरी यक्षिणी :-
शास्त्रों मे सुर सुन्दरी यक्षिणी को सुबसे सुंदर यक्षिणी कहा गया है | सुर सुन्दरी यक्षिणी सभी कार्यों को पुरा करने वाली है इस साधना में सिद्ध प्राप्त होने पर साधक धन-सम्पत्ति और एश्वर्य को प्राप्त करता है |
इस यक्षिणी साधना में साधक जिस भाव से और जिस रूप में यक्षिणी की आराधना करता है वह उसे उसी रूप में स्वप्न में आकार दर्शन देती है |
जैसे : माँ के रूप में, प्रेमिका के रूप में , पुत्री के रूप में , इनमें से जिस भी रूप में आराधना की जाये, उसी रूप में साधक को यक्षिणी के दर्शन प्राप्त होते है | इस साधना के लिए साधक को इस मंत्र द्वारा साधना करनी चाहिए :
ॐ ऐं ह्रीं आगच्छ सुर सुन्दरी स्वाहा ||
समय रात्रि मे 10 से 12 के बीच दिशा पुर्व या उत्तर
माला स्फटिक की स्नान कर के सुन्दर गुलाबी या लाल वस्त्र पहने अपने उपर गुलाव का इत्र लगाये लाल रंग कै आसन पर वैठे अपने सामने एक काट की चौकी विछाये उस पर लाल या गुलाबी कपडा विछाये और उसके ऊपर सुर सुन्दरी देवी का फोटो रखे दिपक चमेली के तेल का जलाये भोग मे दुध से वनी मिठाई और ड्राई फ्रूट रखे एक प्याले मे शराब रखे सुगन्धित धुप जलाये और चारो तरफ ईत्र छिड़के फिर एक माला गणेशजी के मन्त्र की करे
ॐ गं गणपतये नमः
फिर एक माला भैरव जी की करे
ॐ श्री भैरवाय नमः
फिर एक माला अपने गुरू मन्त्र की करे गुरु मन्त्र ना हो तो
ॐ नमः शिवाय
मन्त्र की करे फिर 108 माला सुर सुन्दरी मन्त्र की करे ये विधि रोज 21 दिन करनी है 22 वे दिन हवन करे 1008 आहुतियां दे हवन शुद्ध घी मे चमेली का इत्र और गुलाब की पत्ती मिला कर करना है
यक्षिणी देवी प्रसन्न हो कर स्वप्न मे दर्शन देगी और सभी कार्य पुरा करेगी
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चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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