माँ बगलामुखी साधना
12 मई रविवार जयंती करे
जय माँ बगलामुखीमुखी
बगलामुखी एकादशाक्षर मंत्र -
"ॐ ह्लीं क्लीं ह्रीं बगलामुखि ठः ठः"
"ॐ ह्लीं क्लीं ह्रीं बगलामुखि स्वाहा"
बगलामुखी पञ्चादशाक्षर मंत्र -
"ह्रीं क्लीं ऐं बगलामुख्यै गदाधारिण्यै स्वाहा"
❄बगलामुखी एकोनविंशाक्षर मंत्र –
(भक्त-मंदार मंत्र)
यह मंत्र अर्थ-प्राप्ति हेतु उत्तम मंत्र है ।
"श्रीं ह्रीं ऐं भगवति बगले मे श्रियं देहि देहि स्वाहा"
●विशेषः-
इस मंत्र के पद-विभाग करके श्रीमद-भागवत के आठवें स्कंध के आठवें अध्याय के आठवें मंत्र से संयोग कर लक्ष्मी-प्राप्ति हेतु सफल प्रयोग किये जा सकते हैं ।
यथा -
"श्रीं ह्रीं ऐं भगवति बगले ततश्चाविरभुत साक्षाच्छ्री रमा भगवत्परा ।
रञ्जयन्ती दिशः कान्त्या विद्युत् सौदामिनी यथा मे श्रियं देहि देहि स्वाहा"
●इस मंत्र से पुटित शत-चण्डी प्रयोग आर्थिक रुप से आश्चर्य-जनक रुप से सफल होते हैं ।
बगलामुखी त्रयविंशाक्षर मंत्र -
"ॐ ह्लीं क्लीं ऐं बगलामुख्यै गदाधारिण्यै प्रेतासनाध्यासिन्यै स्वाहा
ॐ पीत शंख दगाहस्ते पीतचन्दन चर्चिते ।
बगले मे वरं देहि शत्रुसंघ-विदारिणि"
बगलामुखी चतुस्त्रिंशदक्षर मंत्र -
"ॐ ह्लीं क्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा"
हिन्दी तंत्र-शास्त्र’ व ‘मूल-मंत्र-कोष’ में
नारद ऋषिः । त्रिष्टुप् छन्दः । बगलामुखी देवता ।
ह्लीं बीजं ।स्वाहा शक्तिः । कहा गया है ।
'पुरश्चर्यार्णव’ में ऋषि नारायण, छन्द पंक्ति कहा गया है ।
विनियोगः-
ॐ अस्य श्रीबगलामुखी-मन्त्रस्य नारद ऋषिः, त्रिष्टुप् छन्दः, बगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादिन्यासः-
नारद ऋषये नमः शिरसि, त्रिष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, बगलामुखी देवतायै नमः हृदि, ह्लीं बीजाय नमः गुह्ये, स्वाहा शक्तये नमः पादयोः, सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।
षडङ्ग-न्यासकर-न्यास अंग-न्यास-
*ॐ ह्लीं क्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः
*बगलामुखि तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा
*सर्वदुष्टानां मध्यमाभ्यां नमः शिखायै वषट्
*वाचं मुखं स्तंभय अनामिकाभ्यां नमः कवचाय हुं
*जिह्वां कीलय कनिष्ठिकाभ्यां नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्
*बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट्
ध्यानः-
गंभीरा च मदोन्मत्तां स्वर्णकान्ती समप्रभां,
चतुर्भुजां त्रिनयनां कमलासन संस्थिताम् ।
मुद्गरं दक्षिणे पाशं वामे जिह्वां च वज्रकं,
पीताम्बरधरां देवीं दृढपीन पयोधराम् ।।
हेमकुण्डलभूषां च पीत चन्द्रार्द्ध शेखरां,
पीतभूषणभूषां च रत्नसिंहासने स्थिताम् ।।
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बगलामुखी षट् त्रिशदक्षर मंत्र-
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"ॐ ह्ल्रीं (ह्लीं) बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं (ह्लीं) ॐ स्वाहा"
विनियोगः-
ॐ अस्य श्रीबगलामुखी-मन्त्रस्य नारद ऋषिः, त्रिष्टुप् छन्दः, श्रीबगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, ॐ कीलकं, ममाभीष्ट सिद्धयर्थे च शत्रूणां स्तंभनार्थे जपे विनियोगः।।
●‘मंत्र-महोदधि’ में छन्द वृहती लिखा है तथा विनियोग ‘शत्रूणां स्तम्भनार्थे या ममाभीष्ट-सिद्धये’ है ।
●‘सांख्यायन तंत्र’ में छंद अनुष्टुप्, लं बीज, हं शक्ति तथा ईं कीलक बतलाया गया है ।
❄ऋष्यादिन्यासः-
नारद ऋषये नमः शिरसि, त्रिष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीबगलामुखी देवतायै नमः हृदि, ह्लीं बीजाय नमः गुह्ये, स्वाहा शक्तये नमः पादयोः,
कीलकाय नमः नाभौ, ममाभीष्ट सिद्धयर्थे च शत्रूणां स्तंभनार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे।।
षडङ्ग-न्यासकर-न्यास अंग-न्यास-
ॐ ह्ल्रीं क्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः
बगलामुखि तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा
सर्वदुष्टानां मध्यमाभ्यां नमः शिखायै वषट्
वाचं मुखं पदं स्तंभय अनामिकाभ्यां नमः कवचाय हुं
जिह्वां कीलय कनिष्ठिकाभ्यां नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्
बुद्धिं विनाशय ह्ल्रीं ॐ स्वाहा करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट्
ध्यानः-
हाथ में पीले फूल, पीले अक्षत और जल लेकर ‘ध्यान’ करे -
मध्ये सुधाब्धि-मणि-मण्डप-रत्न-वेद्यां, सिंहासनोपरि-गतां परिपीत-वर्णाम् ।
पीताम्बराभरण-माल्य-विभूषितांगीं, देवीं स्मरामि धृत-मुद्-गर-वैरि-जिह्वाम् ।।
जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं, वामेन शत्रून् परि-पीडयन्तीम् ।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन, पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि ।।
सांख्यायन तंत्र’ में अन्य ध्यान दिया हैं । न्यास हेतु मंत्र के जो विभाग हैं, उनमें प्रत्येक के आगे “ॐ ह्लीं” जोड़ने की विधि दी है ।
एक लाख जप करके चम्पा के फूल से व बिल्व-कुसुमों से दशांश हवन करें ।
जय जय श्री पीताम्बरा माई की।।
बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ । बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है
विशेष -
किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें
राजगुरु जी
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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