Monday, October 29, 2018

मंगल के प्रत्येक भाव पर दृष्टि फल





ज्योतिष चर्चा

मंगल के प्रत्येक भाव पर दृष्टि फल

प्रत्येक ग्रह अपने घर से सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है। इसके साथ ही साथ कुछ ग्रह जैसे गुरु, मंगल, शनि व मतांतर से राहु व केतु की कुछ अन्य दृष्टि भी होती है। इसके अतिरिक्त मंगल की अन्य दृष्टि भी होती है। जिसे एक पाद, द्विपाद कहते हैं परंतु फल पूर्ण दृष्टि का होता है इसलिए हम यहां मंगल की पूर्ण दृष्टि के फल की चर्चा करेंगे मंगल अपनी सातवीं दृष्टि के अतिरिक्त चतुर्थ, अष्टम भाव को भी पूर्ण दृष्टि से देखता है।

प्रथम भाव👉  अर्थात लग्न पर यदि मंगल की दृष्टि हो तो ऐसा जातक उग्र प्रवृत्ति का, प्रथम जीवन साथी का 22 वर्ष अथवा 28 वर्ष की आयु में भी वियोग तथा भूमि के माध्यम से आर्थिक लाभ प्राप्त करने वाला होता है।

द्वितीय भाव👉 पर मंगल की यदि पूर्ण दृष्टि हो तो जातक गुदा रोगी, परिवार से अलग रहने वाला होता है। स्वयं के श्रम से धन अवश्य आता है परंतु उसकी मात्रा कम होती है। ऐसा व्यक्ति परिश्रमी भी बहुत होता है लेकिन श्रम का पूर्ण फल ना मिलने से उसका चित्त सदैव उच्चाट व खिन्न रहता है।

तृतीय भाव👉 इस घर पर मंगल की दृष्टि होने से व्यक्ति भाई के प्रेम के सुख से हीन होता है। व्यक्ति पराक्रमी तथा भाग्यवान होता है एक बहन विधवा अवश्य होती है।

चतुर्थ भाव👉 इस भाव पर मंगल की दृष्टि होने से भी जातक माता पिता के सुख से विहीन, श्रम के कार्यों से दूर रहने वाला, 28 वर्ष आयु तक दुखी फिर सुख प्राप्त करने वाला, चतुर्थ भाव तथा भावेश की स्थिति भी शुभ अथवा अनुकूल हो तो वाहन सुख प्राप्त करता है। परंतु शारीरिक कष्ट कुछ ना कुछ बना रहता है।

पंचम भाव👉 इस भाव को मंगल के देखने से व्यक्ति की पहली संतान की मृत्यु अथवा गर्भपात हो सकता है। जातक अनेक भाषा का ज्ञानी, विद्वान परंतु व्यभिचारी तथा संतान से कष्ट पाने वाला तथा उपदंश रोग होता है।

षष्ठ भाव👉 इस घर को मंगल के देखने से व्यक्ति मातृ पक्ष के लिए कष्टकारी होता है अर्थात मामा मौसी को कष्ट होता है। शत्रु को भय देने वाला, रक्त विकार से पीड़ित तथा यश व कीर्ति प्राप्त करने वाला होता है।

सप्तम भाव👉  इस भाव को यदि मंगल पूर्ण दृष्टि से देखें तो व्यक्ति कामी स्वभाव वाला, जीवनसाथी के अतिरिक्त दूसरे से संबंध बनाने वाला, मद्यपान प्रेमी तथा 21 अथवा 28 वर्ष आयु में प्रथम जीवन साथी का वियोग सहने वाला होता है।

अष्टम भाव👉 इस भाव पर मंगल के देखने से जातक की अग्नि अथवा विस्फोट से मृत्यु का भय होता है। ऐसा व्यक्ति अपने पिता के द्वारा संचित धन व कुटुंब का नाश करता है। सदैव ऋण ग्रस्त रहने वाला परिश्रमी परंतु दुखी व भाग्य हीन होता है।

नवम भाव👉  इस भाव पर मंगल की दृष्टि के शुभ फल अधिक मिलते हैं। जातक धनवान, बुद्धिमान व पराक्रमी किंतु नास्तिक भी हो सकता है। 

दशम भाव👉 इस घर पर मंगल की दृष्टि से व्यक्ति सरकारी सेवाओं में नौकरी करने वाला तथा सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है। भाग्यवान भी होता है परंतु माता पिता के लिए कष्टकारी होता है।

एकादश भाव👉 इस घर पर भी मंगल की दृष्टि से ऐसा व्यक्ति धनवान अवश्य होता है परंतु उसे संतान से कलेश व कष्ट मिलते हैं। परिवार कुटुंब के दुख में स्वयं भी बहुत दुखी होता है।

द्वादश भाव👉  इस भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि से व्यक्ति गलत मार्ग पर चलने वाला, मातृ पक्ष के लिए कष्टकारी, उग्र क्रोधी स्वभाव का शत्रु वर्ग का नाश करने वाला तथा गुदा रोग से पीड़ित व शल्यक्रिया करवाने वाला होता है।

 क्रमशः

अगले लेख में हम मंगल द्वारा होने वाले रोगों के विषय मे चर्चा करेंगे।

राज गुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

 (रजि.)

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