Sunday, October 14, 2018

भगवती मातंगी




भगवती मातंगी

यह नौंवी महाविद्या है .इनकी साधना तमाम प्रकार की जनजातियों द्वारा सम्पन्न की जाती है. इन्हें उच्छिष्ट चांडालिनी नाम से अधिकाधिक लोग जानते है..जो इंद्रजाल आदि जादुई क्रियाएं सीखते या जगाते है.!.इनके द्वारा नृणा प्रकार की तंत्र क्रियाएं सम्पन्न की जाती है.!

इंद्रजाल विद्या या जादुई शक्ति कि देवी प्रदाता हैं, वाक् सिद्धि, संगीत तथा अन्य ललित कलाओं में निपुण, सिद्ध विद्याओ से सम्बंधित हैं तथा अपने भक्तों को प्रदान करती हैं। सन्तान प्राप्ति.शत्रु शमन .सम्पदा प्राप्ति .माया विद्या.हेतु अत्यंत उपयोगी.

देवी, केवल मात्र वचन द्वारा त्रिभुवन में समस्त प्राणिओ तथा अपने घनघोर शत्रु को भी वश करने में समर्थ हैं, जिसे सम्मोहन क्रिया कहा जाता हैं। देवी सम्मोहन विद्या की अधिष्ठात्री हैं।

 देवी का सम्बन्ध प्रकृति, पशु, पक्षियों, जंगलों, वनों, शिकार इत्यादि से हैं तथा जंगल में वास करने वाले आदिवासिओ, जनजातिओ से भगवती मातंगी देवी पूजिता हैं।

 वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए देवी की साधना सफलदायी होती हैं। देवी मातंग मुनि के पुत्री के रूप से भी जानी जाती हैं। देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध उच्छिष्ट भोजन पदार्थो से हैं, देवी तभी उच्छिष्ट चांडालिनी के नाम से विख्यात हैं तथा देवी की आराधना हेतु उपवास की भी आवश्यकता नहीं होती। 

देवी कि आराधना हेतु उच्छिष्ट सामाग्रीओ की आवश्यकता होती हैं चुकी देवी की उत्पत्ति शिव तथा पार्वती के उच्छिष्ट भोजन से हुई थी। 

महाभगवती मातंगी देवी की आराधना स्वयं श्री भगवान विष्णु द्वारा सर्वप्रथम संपन्न हुई, तभी भगवान विष्णु सुखी, सम्पन्न, श्री युक्त तथा उच्च पद पर विराजित हैं। 

देवी के अन्य विख्यात नाम: उछिष्ट साम मोहिनी, लघु श्यामा, राज मातंगी, वैश्य मातंगी, चण्ड मातंगी, कर्ण मातंगी, सुमुखि मातंगी, षडाम्नायसाध्य। रति, प्रीति, मनोभाव, क्रिया, शुधा, अनंग कुसुम, अनंग मदन तथा मदन लसा देवी मातंगी की आठ शक्तियां हैं।

देवी चण्डालिनी हैं तथा भगवान शिव चांडाल, जो श्मशान घाटो में शव दाह से सम्बंधित कार्य करते हैं।
देवी का सम्बन्ध मृत शरीर या शव तथा श्मशान भूमि से भी हैं।

 देवी अपने दाहिने हाथ पर महा शंख का खप्पर, धारण करती हैं। श्मशान साधन आसन आदि से देवी का सम्बन्ध  हैं पारलौकिक शक्तियां यही वास करती हैं। तंत्रो या तंत्र विद्या के अनुसार देवी तांत्रिक सरस्वती नाम से जनि जाती हैं ! 

 तंत्र शास्त्र में देवी की उपासना विशेषकर वाक् सिद्धि हेतु, पुरुषार्थ सिद्धि तथा भोगविलास में पारंगत होने हेतु कि जाती हैं। देवी मातंगी चौसठ प्रकार के ललित कलाओं से सम्बंधित विद्याओं से निपुण हैं तथा तोता पक्षी इनके बहुत निकट हैं.!

राजगुरु जी

तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान  अनुसंधान संस्थान

महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट

 (रजि.)

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 9958417249


No comments:

Post a Comment

महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...