Wednesday, September 2, 2015

सम्मोहन







सम्मोहन को अंग्रेजी में हिप्नोटिज्म कहा जाता है ,जिसका शाब्दिक अर्थ है निद्रा ,,किन्तु यह निद्रा प्राकृतिक एवं स्वाभाविक निद्रा नहीं होती है ,,इसे एक एक विशेष प्रकार की तंत्रिका की निद्रा या प्रेरित निद्रा भी कह सकते हैं |प्राकृतिक निद्रा में व्यक्ति बेखबर होकर सोता है जबकि सम्मोहित निद्रा या अवस्था में व्यक्ति सम्मोहनकर्ता के आदेशों और निर्देशों के प्रति सजग होता है |खुद भी साधक अपने पर यह प्रयोग कर सकता है |
सम्मोहन मानव मन की उस दशा का नाम है जिसमे पहुचकर उसका मन सम्मोहनकर्ता अथवा स्वयं को दी गयी आज्ञाओं या निर्देशों का पालन करने लगता है |इस अवस्था में मानव मन प्रयोगकर्ता के निर्देशों द्वारा निद्रा अवस्था में आ जाता है |यह ठीक वैसी अवस्था होती है जैसी निद्रागमन के समय मन की होती है |उस समय मनुष्य की बुद्धि तेजी से काम करने लगती है और उसकी कल्पनाशक्ति उच्चतम शिखर पर पहुच जाती है |
स्वसम्मोहन या आत्म सम्मोहन एक ऐसी विशिष्ट अवस्था है जिसके माध्यम से साधक स्वयं कृत्रिम निद्रा में सो जाता है |इस अवस्था में साधक अपनी प्रतिकूल परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर ,अपने अचेतन व् निष्क्रिय शरीर के भीतर छिपे हुए चेतन मन ,प्राण शक्ति एवं संकल्प के द्वारा असाध्य कार्यों को भी सिद्ध कर जाता है |योग निद्रा की इस अवस्था में साधक पर काल प्रक्रिया निष्प्रभावी हो जाती है |सम्मोहन कई तरह का होता है ,व्यक्ति सम्मोहन ,स्वसम्मोहन ,समूह सम्मोहन आदि |
सम्मोहन का इतिहास बहुत पुराना है ,वैदिक काल में ऋषियों के आश्रमों में सम्मोहन विद्या पराकाष्ठ पर थी ,विदेशी इसे
इजिप्सियन ,पर्सियन ,ग्रीक एवं रोमन सभ्यता की दें मानते हैं ,,कणव् ऋषि के आश्रम में शेर व् बकरी एक घाट पर पानी पीते थे ,नेवला व् सर्प एक वृक्ष की छाया में बैठते थे ,सम्मोहन की इस अवस्था में हिंसक प्राणियों का नैसर्गिक बैरभाव भी नष्ट हो जाता था ,,तात्विक दृष्टि से देखा जाए तो वासुदेव कृष्ण सम्मोहन विद्या के आदि अवतार थे ,,इन्होने व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक दृष्टि से इसके अनेक प्रयोग किये |कृष्ण ने सारे गोकुल- मथुरा- वृन्दावन को सम्मोहित कर रखा था |कृष्ण बंसी के मधुर संगीत के माध्यम से सार्वजनिक सम्मोहन कर देते थे |स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो के स्प्रिंगफील्ड मैदान में प्रवचन करते हुए समूह सम्मोहन के माध्यम से आधा मील दूर तक श्रोताओं को खींच ले गए जब उन्होंने कृष्ण के सम्मोहन प्रभाव के बारे में प्रश्न किया तो |इस सम्मोहन शक्ति को हमारे प्राचीन ग्रंथों में माया या निशाचरी माया का नाम दिया गया है |कुम्भकरण ,मेघनाद आदि ने राम की सेना को निशाचरी माया से मूर्छित कर दिया था ,यह एक प्रकार का सम्मोहन ही था ,,,वैज्ञानिकों के गहन अनुसन्धान -अध्ययन से यह सिद्ध हो गया है की मनुष्य के शरीर में एक विद्युतीय आवेश ,विद्युतीय गंघ [चुम्बकीय आकर्षण शक्ति ]निरंतर प्रवाहित होती रहती है |यह गंध उसके द्वारा प्रयोग की हुई वस्तुओं में भी प्रवाहित हो जाती है और वातावरण में भी फैलती है और काफी समय तक विद्यमान रहती है |यह औरा और फेरोमोंन होते हैं आधुनिक वैज्ञानिक भाषा में |यह आसपास के व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं स्वयमेव |म्मंसिक शक्ति के साथ इनका विस्तार व्यक्ति को सम्मोहित कर सकता है |
सृष्टि के मूल में सम्मोहन है |जड़ -चेतन सभी किसी न किसी रूप में एक-दुसरे के प्रति सम्मोहित होते हैं ,आकर्षित होते हैं ,,वे जाने-अनजाने अपने आपको किसी न किसी के प्रति समर्पित करने के लिए तैयार रहते हैं ,जुड़ने को तैयार रहते है ,आकर्षित होते हैं ,खींचते हैं | यह सामान्य सम्मोहन -आकर्षण है |मनुष्य बुद्धिमान प्राणी है ,वह सम्मोहित ही नहीं होता अपितु दूसरों को भी सम्मोहित करके उनसे अपने मनोनुकूल कार्य करना चाहता है |यह प्राणी में किसी न किसी के प्रति सम्मोहित होने की भावना जानता है |इसी मानवीय भावना को समझकर बुद्धिमान व्यक्तियों ने अन्य व्यक्तियों ,अपने को ,समूह को प्रयत्नपूर्वक अपने वश में करने का प्रयत्न किया है और उपाय सोचे हैं ,इसका मुख्य रूप सम्मोहन है| सम्मोहन से लोगो से मनचाहे कार्य कराये जा सकते हैं ,उनको असाध्य रोगों -दुर्व्यसनों से मुक्ति दिलाई जा सकती है ,रोग दूर किये जा सकते हैं ,मानसिक भय दूर किया जा सकता है ,मनोविकार दूर किये जा सकते हैं, मन में नए उत्साह-ऊर्जा का संचार किया जा सकता है ,हीन भावना समाप्त की जा सकती है ,भावों -सोचों में परिवर्तन किया जा सकता है ,सफ़लता बधाई जा सकती है ,ईष्ट तक की प्राप्ति हो सकती है |सम्मोहन उपचार को हिप्रोथेरैपी नाम दिया गया है जिससे ह्रदय रोग ,स्वाशनली में सूजन ,उच्च रक्त चाप ,गर्भावस्था की उलटी ,प्रसव
पीड़ा ,अनिद्रा ,अंधापन ,मनोरोग ,फोबिया ,धूम्रपान ,वजन में कमी आदि रोग दूर करने में सहायता मिली है ,मानसिक बल और जीवनी शक्ति बढ़ाकर असाध्य रोगों में भी अच्छी सफलता प्राप्त होती है |
सम्मोहन की शक्ति प्राप्त करने की पहली सीढ़ी त्राटक है ,अर्थात ध्यान का केन्द्रीकरण अर्थात मन का एकाग्रीकरण ,इसकी अनेक प्रारम्भिक विधियाँ हैं जो बाद में एक दुसरे में समायोजित होती चली जाती हैं |यह क्रियाएं क्रमिक रूप से चलती है चरणबद्ध रूप से |.........................................
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

No comments:

Post a Comment

महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...