Monday, September 21, 2015

नील सरस्वती साधना



देवी तारा दस महाविद्याओं में से एक है इन्हे नील सरस्वती भी कहा जाता है ! ये सरस्वती का तांत्रिक स्वरुप है
अब आप एक एक अनार निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ गणेश जी व् अक्षोभ पुरुष को काट कर बली दे ..
ॐ गं उच्छिस्ट गणेशाय नमः भो भो देव प्रसिद प्रसिद मया दत्तं इयं बलिं गृहान हूँ फट .
.ॐ भं क्षं फ्रें नमो अक्षोभ्य काल पुरुष सकाय प्रसिद प्रसिद मया दत्तं इयं बलिं गृहान हूँ फट ..
अब आप इस मंत्र की एक माल जाप करे ..
॥क्षं अक्षोभ्य काल पुरुषाय नमः स्वाहा॥
फिर आप निम्न मंत्र की एक माला जाप करे ..
॥ह्रीं गं हस्तिपिशाची लिखे स्वाहा॥
इन मंत्रो की एक एक माला जाप शरू में व् अंत में करना अनिवार्य है क्यों नील तारा देवी के बीज मंत्र की जाप से अत्यंत भयंकर उर्जा का विस्फोट होता है शरीर के अंदर .. ऐसा लगता है जैसे की आप हवा में उड़ रहे हो .. एक हि क्षण में सातो आसमान के ऊपर विचरण की अनुभति तोह दुसरे ही क्षण अथाह समुद्र में गोता लगाने की .. इतना उर्जा का विस्फोट होगा की आप कमजोर पड़ने लग जायेंगे आप के शारीर उस उर्जा का प्रभाव व् तेज को सहन नहीं कर सकते इस के लिए ही यह दोनों मात्र शुरू व् अंत में एक एक माला आप लोग अवस्य करना .. नहीं तोह आप को विक्षिप्त होने से स्वं माँ भी नहीं बचा सकती ..
इस साधना से आप के पांच चक्र जाग्रत हो जाते है तोह आप स्वं ही समझ सकते हो इस मंत्र में कितनी उर्जा निर्माण करने की क्षमता है .. एक एक चक्र को उर्जाओ के तेज धक्के मार मार के जागते है ..अरे परमाणु बम क्या चीज़ है भगवती की इस बीज मंत्र के सामने ?
सब के सब धरे रह जायेंगे ..
मूल मंत्र-
॥स्त्रीं ॥ ॥ STREENG ॥
जप के उपरांत रोज देवी के दाहिने हात में समर्पण व् क्षमा पार्थना करना ना भूले ..
साधना समाप्त करने की उपरांत यथा साध्य हवन करना .. व् एक कुमारी कन्या को भोजन करा देना ..अगर किसी कन्या को भोजन करने में कोई असुविधा हो तोह आप एक वक्त में खाने की जितना मुल्य हो वोह आप किसी जरुरत मंद व्यक्ति को दान कर देना ...
भगवती आप सबका कल्याण करे ..
जब भगवती का बीजमंत्र का एक लाख से ऊपर जप पूर्ण हो जाये तब उनके अन्य मंत्रो का जाप लाभदायी होता है
कुछ लॊग अपने आपको वयक्त नहीं कर पाते, उनमे बोलने की छमता नहीं होती ,उनमे वाक् शक्ति का विकास नहीं होता ऐसे जातको को बुधवार के दिन तारा यन्त्र की स्थापना करनी चाहिए ! उसका पंचोपचार पूजन करने के पश्चात स्फटिक माला से इस मंत्र का २१ माला जप करना चाहिए -
मंत्र - ॐ नमः पद्मासने शब्दरुपे ऐं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा
२१ वे दिन हवन सामग्री मे जौ-घी मिलाकर उपरोक्त मंत्र का १०८ आहुति दे और पूर्ण आहुति प्रदान करे !
इस साधना से वाक् शक्ति का विकास होता है , आवाज़ का कम्पन जाता रहता है ! यह मोहिनी विद्या है एवं बहुत से प्रवचनकार,कथापुराण वाचक इसी मंत्र को सिद्ध कर जन समूह को अपने शब्द जालो से मोहते है ! अपने पास कुछ भी गोपनीय नहीं रख रहा सब आप लोगो से शेयर कर रहा हु !! प्रतिदिन साधना से पूर्व माँ तारा का पूजन कर एक -एक माला (स्त्रीम ह्रीं हुं ) तारा कुल्लुका एवं ( अं मं अक्षोभ्य श्री ) की अवश्य करे I
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अनुभुत सिद्ध अष्टलक्ष्मी साधना




मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं निर्धनता.धन के अभाव में मनुष्य मान सन्मान प्रतिष्ठा से भी
वंचित रहेता..
साधना को शुरू करने से पहले पञ्च देवता पूजन और गुरु पूजन के साथ साथ सदगुरुदेव प्रदुत्त मंत्र जाप
(गुरुमंत्र) जाप जरूर कर लें ....संकल्प करना ना भूले..
चाहे वह कितना भी बड़ा ज्ञानी क्यों ना हो..कही मैंने सुना था की पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी
नहीं..आज के युग में यह बात शत प्रतिशत मुझे योग्य लगती हैं...जिनके जीवन में धन का अभाव
हैं...जिनका व्यापार अच्छे से नहीं चल रहा हैं जो कर्जे के चक्र्व्ह्यु में फस गए हैं...जो लोग धन के अभाव के
कारण बार बार अच्छे मोके गवा देते हैं स्वयं भी दुखी होते हैं और परिवार भी दुखी रहेता हैं ..यह साधना उन
सब को तो समर्पित तो हैं ही साथमे हमारे प्रिय साधक भाई यो को भी समर्पित हैं क्यूंकि धन के अभाव में
साधन उपलब्ध नहीं होता और बिना साधन,साधना नहीं होती...अब आगे मैं क्या कहू पर आप स्वयं यह
साधना करे फिर आपका हृदय स्वयं बोलेगा....
सामग्री
१.सिद्ध श्रीयंत्र , पाट ,पीला वस्त्र , ताम्बे की थाली, गाय के घी के ९(नौ) दीपक, गुलाब अगरबत्ती, लाल/पीले फूलो की माला, पीली बर्फी, शुद्ध,अस्ट्गंध,
२.माला :स्फटिक/कमलगट्टा. जप संख्या :१,२५०००
३.आसन :पीला,---- वस्त्र : पीले ; समय :शुक्रवार रात नौ बजे के बाद
४.दिशा :उत्तराभिमुख
मंत्र:
ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा ||
५.विधान :-पाट पर पिला वस्त्र बिछा कर उस पर सिद्ध श्री यन्त्र स्थापित करे,पीले वस्त्र धारण कर पीले
आसन पर बैठे श्री यन्त्र पर अस्ट्गंध का छीट्काव कर खुद अस्ट्गंध का तिलक करे उसके बाद ताम्बे की
थाली में गाय के घी से नौ दीपक जलाये,गुलाब अगरबत्ती लगाये,प्रस्साद में पीली बर्फी रखे श्री यन्त्र पर फूल
माला चढ़ाये उसके बाद मन्त्र जप करे.और माँ की कृपा को प्राप्त करे ...माँ भगवती आप सभी को सुख समृद्धि
से पूर्ण करे..
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त्रिपुर सुंदरी उपासना





त्रिपुर सुंदरी की उपासना लक्ष्‍मी रूप में होती है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश की शक्तियां उनमें समाहित हैं। भगवती
त्रिपुरसुंदरी दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर हैं। इन्हें षोडशी,ललिता और राजराजेश्वरी नाम से भी वर्णित
किया गया है। षोडशी इसलिए कही जाती हैं क्योंकि ये 16 साल की युवती का प्रतिनिधित्व करती हैं। शाक्त
तांत्रिकों के मध्य ये सबसे प्राचीन पूजित देवी हैं। इन्हें तीनों लोकों में सबसे सुंदर और आकर्षक माना गया है।
इसका एक अर्थ यह भी है कि ये स्थूल,सूक्ष्म और परालोक की अद्भुत प्रभाव वाली देवी हैं जो हर तरह की सुख-
संपदा देने में सक्षम हैं।
त्रिपुर सुंदरी मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:
व्यक्तित्व विकास, स्वस्थ्य और सुन्दर काया के लिए त्रिपुर सुंदरी देवी की साधना करें। रुद्राक्ष की माला का
प्रयोग करें। दस माला मंत्र २१ दिन तक लगातार जप अवश्य करें।
चमत्कार आपके सामने होगा
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मुकदमे में जीत व केद से रिहाई




मंगलवार के दिन से शुरू करके हर रोज़ शाम को चार- पांच बजे के करीब गेंहू क़ी रोटी के चूरे मे खालिस देशी
घी और चीनी मिलाकर कोओं को खिलायेl ऐसा तब तक करते रहे जब तक कि मुकदमा समाप्त न हो जायेl
तारीक वाले दिन उन्ही कोओं मैं से किसी कि पीठ से हासिल किये हुए एक लंबे पंख को अपनी दांयी तरफ कि 
जेब मे डालकार अदालत मे हासिल हों l उस पंख के असर से अदालत का ध्यान आपकी बातों की तरफ हो
जायेगा और मुकदमे का फेसला आपके हक़ मे हो जाएगा l जब मुकदमे मे जीत हो जाये तो देसी घी और
चीनी मिली हुई गेहू की रोटी की चुरी कम से कम एक हफ्ता तक आगे भी कोओं को अवश्य खिलाते रहे l
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धन लक्ष्मी के आगमन का मार्ग





श्वेत बबूल के पुष्प, अरण्डी के पुष्प एवं मेंहदी के पुष्प-तीनों को प्राप्त करके चांदी की डिब्बी में बंद करके घर
में रखने से धन का आगमन होने लगता हैं।
दान करने से धन घटता नहीं, बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना र्इश्वर हमें दे देता है।
इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात को सोते समय पांच-पांच बार नियम से
उसका स्मरण करें। मातेश्वरी लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी।
दुकानदार दुकान खोलें, तब महादेव का थड़ा अर्थात दुकान की गद्दी पर बैठकर इस मंत्र की प्रथम माला जप लें।
श्री शुक्ले महाशुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नम:। लक्ष्मी मार्इ सबकी सवाइर््र आवो चेतो करो
भलार्इ न करो तो सात समुद्रों की दुहार्इ, ऋद्धि-सिद्धि न करे तो नौ नाथ चौरासीसिद्धोंकी दुहार्इ।
आप जब भी बैंक में रुपये जमा करने जाएं तो प्रयास करें कि पश्चिममुखी होकर ही कार्य करें तथा मानसिक
रूप से मां लक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जप करते रहें। यदि मां लक्ष्मी का कोर्इ मंत्र याद न हो तो निम्न मंत्र का
जप करें। इससे आपका धन सदैव बढ़ता रहेगा। मंत्र इस प्रकार है-
ऊँ श्रीं श्रीं श्रीं।
पीपल के पत्त्ो पर ‘राम’ लिखकर तथा कुछ मीठा रखकर हनुमान मंदिर में चढ़ा आएं। इससे अवश्य ही धन
लाभ होगा। इसके अतिरिक्त नित्य प्रात:काल लक्ष्मी को लाल पुष्प अर्पित करके दूध निर्मित मिष्ठान का
भोग लगाने से भी धन का लाभ होगा।
शनिवार के दिन पीपल का एक अखंडित पत्ता तोड़कर उसे गंगाजल से धोकर उसके ऊपर हल्दी तथा दही के
घोल से दाएं हाथ की अनामिका उंगली द्वारा एक वर्ग के भीतर ‘हृी’ लिखें। तत्पश्चात धूप-दीप दिखाकर यह
पत्ता मोड़कर अपने बटुए मे रख लें। प्रत्येक शनिवार को पूजा के साथ वह पत्ता बदलते रहें। आपका बटुआ
धन से कभी खाली नही रहेंगा। पुराना पत्ता घर से बाहर किसी पवित्र स्थान पर ड़ाल दें।
अचानक धन प्राप्ति के लिए अपनी मनोकामना कहते हुए बरगद की जटा में गांठ लगा दें। जब धन लाभ हो
जाए तो उसे खोल दें।
काली हल्दी को सिंदूर और धूप देकर लाल वस्त्र में लपेटकर एक-दो मुद्राओं सहित तिजोरी में रखें। इससे धन
लक्ष्मी की वृद्धि होती रहेगी।
यदि धन का लाभ नही हो रहा हो तो शुक्रवार के दिन से नित्य गोधूलि वेला में श्री महालक्ष्मी या तुलसी के पौधे
के समक्ष गौ घृत का दीपक जलाएं।
यदि किसी भी धर्म स्थल में आपको कोर्इ सिक्का या धन मुद्रा मिले तो आप उसे बिना किसी झिझक के उठा
लें और उसको धन रखने के स्थान पर लाल अथवा पीले रेशमी वस्त्र में बांधकर रख दें। इससे धन में वृद्धि
होगी।
शुक्रवार के दिन किसी सुहागिन स्त्री को लाल वस्त्र या सुहाग सामग्री दान करने से धन लक्ष्मी के आगमन का
मार्ग प्रशस्त होता है। यदि शुक्रवार के दिन कोर्इ विवाहित स्त्री आपको चाय-पानी पर आमंत्रित करे तो उसके
आग्रह को न ठुकराएं-चाहे आप कितने ही अधिक व्यस्त क्यों न हों। यह धन के आगमन का द्योतक है।
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Sunday, September 20, 2015

महाकाली साधना









अत्यंत उच्चकोटि के योगी, इस प्रकार का कालज्ञान रखते हैं , उन्हें मालूम रहता हैं कि  कौन से क्षण में क्या होगा और उसका परिणाम किसके ऊपर क्या असर करेगा। कौनसे देवी या देवता उस क्षण में जागृत होंगे और कौन से देवी-देवता उस क्षण अलग अलग मनुष्य में चैतन्य रहते हैं…काल की गति सूक्ष्म से अति सूक्ष्म है। काल  केवल कोई समय मात्र नहीं हैं , काल सजीव व निर्जीव की गतिशीलता की पृष्ठभूमि हैं। काल गति के हरेक बिंदु में असंख्य घटनाएं समाहित हैं। इन्हीं को हम कालयोग या कालखंड कहते हैं। कालखंड में एक साथ हजारों प्रक्रियाएं चलती रहती हैं, पर जिस भी प्रक्रिया का प्रभुत्व ज्यादा होता है, उसका असर हम पर प्रभाव  ज्यादा रहता है। इसी तरह अगर हम घटनाओं का अनावरण करें तो हरेक प्रक्रिया के लिए हमारे शास्त्रों में देवी एवं देवता निर्धारित हैं। आप ब्रह्मा, विष्णु, महेश, वरुण, इंद्र, लक्ष्मी, सरस्वती, महाविद्या या किसी भी देवी देवता को देख लीजिए, प्रकृति में उनके कार्य निश्चित रूप से होते ही हैं। अगर हम इसी बात को आगे लेकर बढे़ं तो यह एक निष्कर्ष हैं कि  पृथ्वी में जो भी गतिशीलता हैं। काल खंड में समाहित जो भी घटनाएं हैं, उन हर एक घटना के स्वामी देव या देवी होते ही हैं। हर एक क्षण में हमारे जीवन पर कोई न कई देवी-देवता का प्रभाव पड़ता ही है। इसीलिए कहा जाता है कि हरेक क्षण में कोई न कोई देवी या देवता शरीर में चैतन्य होते ही हैं। साधनाओं के द्वारा किसी भी देवी एवं देवता को सिद्ध करके उनके द्वारा हमारी मनोकामना पूर्ति ,कार्य पूर्ति व इच्छा पूर्ति करवा सकते हैं। मगर हम यह नहीं जानते की किस क्षण में कौन देव / देवी  चैतन्य हैं , और अगर हैं  भी तो हम यह नहीं जानते कि  प्रकृति आखिर कौन सा कार्य उस क्षण में करेगी और उसका हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अत्यंत उच्चकोटि के योगी, इस प्रकार का कालज्ञान रखते हैं , उन्हें मालूम रहता हैं कि  कौन से क्षण में क्या होगा और उसका परिणाम किसके ऊपर क्या असर करेगा। कौन से देवी या देवता उस क्षण में जागृत होंगे और कौन से देवी-देवता उस क्षण अलग-अलग मनुष्य में चैतन्य रहते हैं। इसी के आधार पर वे भविष्य में कौन से क्षण में किसके साथ क्या होगा और उसे अलग अलग व्यक्तियों के लिए कैसे  अनुकूल या प्रतिकूल बनाना है, इस प्रकार से अति सूक्ष्म ज्ञान रहता है। जैसे कि  पहले कहा गया है कि काल खंड में घटित असंख्य घटनाओं में से किसी एक घटना का प्रभाव सब से ज्यादा रहता है।  हर एक व्यक्ति के लिए वो अलग-अलग हो सकता है और हम उसी को एक डोर में बांधते हुए  ‘जीवन’ नाम देते हैं। दरअसल हमारे साथ एक ही वक्त में सैकड़ों घटनाएं घटित होती हैं, पर उनके न्यून प्रभाव के कारण हम उन्हें समझ नहीं पाते। अब जिस घटना का प्रभाव सबसे ज्यादा होगा उसके देवता को अगर हम साधना के माध्यम से अनुकूल कर लें, तो उस समय में होने वाले किसी भी घटनाक्रम को हम आसानी से हमारे अनुकूल बना सकते हैं . पर हम इतने कम समय में कैसे समझ लें कि क्या घटना  है,  देवता कौन हैं और   प्रभाव कैसा रहेगा।




राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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महाकाली साधना.




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मै 12 वर्ष से काली साधना ही कर रहा,कुछ अनुभुतिया भी प्राप्त की तो कभी किसी वक्त नाराज भी होना पढा,परंतु साधना बंद नही की,हमेशा करता रहा सिर्फ इस वर्ष नही कर पाया फिर भी रोज 21 बार मंत्र बोलता हू.माँ ने बहोत कुछ दिया मुझे जिसे लिखना भी मेरे लिये संभव नही.ह्रुदय से माँ को हमेशा एक ही कामना करता हू "पूर्ण जीवन मे कुछ मत देना मुझे,सिर्फ आखरी समय मे मुझ पर कृपा कर देना",क्या करे माँ है वो सिर्फ देना जानती है और कुछ ना कुछ देती रहेती है.इसलिये जो मुझे दिल से ठिक लगा वोही साधना यहा दे रहा हू.
येसा इस दुनिया मे कुछ भी नही जो माँ दे नही सकती सिर्फ माँगने वाला सही होना चाहिये.अघोरी हो या तांत्रिक हो सब की आराध्या महाकाली ही है,जिसने काल को सेवा मे रखा हुआ है.जहा महाकाली है वही महाकाल है और जो व्यक्ती महाकाली साधना करता है उसपर महाकाल तो कृपा करते ही है.व्यर्थ का चिंता छोड दो और महाकाली साधना संपन्न कर लो.
साधना विधान:-
वस्त्र कोई भी हो आसन लाल हो,रुद्राक्ष का माला या काली हकिक माला से जाप करे,दिशा उत्तर,चैत्र नवरात्री मे जाप करना हो तो रात्री मे 9 बजे के बाद करे,रोज 11 माला अवश्य करे.
ध्यान :-
ओम कराल वदनां घोरां मुक्तकेशीं चतुर्भुजाम
आद्यं कालिकां दिव्यां मुंडमाला विभूषिताम
सद्यश्छिन्ना शिरः खडग वामोर्ध्व कराम्बुजाम
महामेघप्रभाम् कालिकां तथा चैव दिगम्बराम्
कंठावसक्तमुंडाली गलद्वधिर चर्चिताम्
कर्णावतंसतानीत शव युग्म भयानकाम
घोरदृष्टाम करालास्यां पीनोन्नत पयोधराम
शवानाम करसंघातै कृतकांची हसनमुखीम्
सृक्कद्वय गलद्वक्त धारा विस्फुरिताननाम
घोररावां महारौद्रीं श्मशानालय वासिनीम्
बालार्क मंडलाकारां लोचन त्रितयांविताम्
दंतुरां दक्षिण व्यापि मुक्तालविकचोच्चयाम
शव रूप महादेव हृदयोपरि संस्थिताम्
शिवाभिर्घोर रावाभिष्चतुर्दिक्षु समन्विताम्
महाकालेन च समं विपरीत रतातुराम
सुख प्रसन्न वदनां स्मेराननसरोरुहाम ll
मंत्र:-
ll ओम क्रीं क्रीं महाकालीके क्रीं क्रीं फट ll
हर सकंट मे मंत्र का जाप करे,सही रास्ता मिलेगा.रोग कोई भी हो माँ के कृपा से भाग जायेगा,यह छोटासा मंत्र माँ के दर्शन प्राप्त कराने हेतु सक्षम है.
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Monday, September 14, 2015

मैं हिंदी हूं।






स्तब्ध हूं। इसी देश की हूं। बहुत दुखी हूं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? क्योंकि समय आ चला है रस्मी सरकारी याद करने का वह दिन, एक और हिन्दी दिवस मनाने का सितंबर महीने शुरू होते ही लोग अक्सर यह पूछते मिल जाते है कि हिंदी आगे कैसे बढ़े, और आज ही के दिन हिंदी के नाम पर कई सारे पाखंड होंगे। कई पुरस्कारों का ऐलान भी होंगा। अलग-अलग जगहों पर हिन्दी की दुर्दशा पर विभिन्न प्रकार के सम्मेलन भी किए जाएंगे।
पर समझ नहीं आता कहां से शुरू करू? कैसे शुरू करूं मैं हिंदी हूं जिसकी पहचान इस देश के कण-कण से है। इसकी माटी से है। इसकी सुगंध से है। पर आज अपने ही आंगन में बेज्जत कर दी जाती हूं। मन दुखता है कि मैं इसी देश की हूं। फिर मुझे क्यों ऐसे उखाड़ फेक दिया जा रहा है। मैं अपनों में ही क्यों बेज्जत हो रही हूं। मुझे आज क्यों बताना पड़ रहा है कि मैं भारत के संविधान के अनुच्छेद-343 में लिखित हूं जहां मुझे राजभाषा का दर्जा प्राप्ता है। मैं भारत के 70 फीसदी गांवों के गलियों में महकती हूं। भारतीय सिनेमा से लेकर टीवी सीरियल तक मैं ही तो हूं फिर भी मुझे डर लगता है अपनों से अपने बच्चों से जो मुझे ही भुलने लगे है। मुझे नहीं पता की मैं अपने ही घर में कब से इतना बेज्जत हो रही हूं। लोग मुझे गवार समझनें लगे है।
लोगों को लगता है कि मुझसे दोस्ती गवारों की पहचान है, जो लोग कल तक मुझसे दोस्ती कर के फुले नहीं समाते थे वह लोग आज मुझसे ही कन्नी काट रहे है। उन्हें लगता है कि मुझसे बात करने पर उनका समाज में रूतबे में कमी आ जीती है। आज मैं अपनों की बेवाफाई से ही तरस्त हूं। दम घुटने लगा है मेरा अपने ही देश में, कल तक जो मुझे गवार समझते थे। वह मुझे अब अपना रहें हैं। उन्हें अब मुझ में बहुत खुबियां नजर आती है। कल तक वो अपने चौखट पर आने नहीं देते थे, आज वह मुझे सीने से लगा रहे है, और अपने ही बच्चे मुझे घर से निकाल रहे है। विश्वास करो मेरा कि मैं दिखावे की भाषा नहीं हूं, मैं झगड़ों की भाषा भी नहीं हूं। मैंने अपने अस्तित्व से लेकर आज तक कितनी ही सखी भाषाओं को अपने आंचल से बांध कर हर दिन एक नया रूप धारण किया है।
फिर भी क्यों तुम लोग मुझे उखाड़ फेकने पर तुले हो, यकीन मानो मेरे साथ तुम लोग महफूज हो मैं किसी को छती नहीं पहुंचाती मूझे भी जीनों दो क्यों मुझे उजाड़ने पर तुले हो। हमारे संविधान के अनुच्छेद-351 के अनुसार संघ का यह कर्तव्य है कि वह मुझे बढ़ाएं, लेकिन यह कैसी विडंबना है कि मेरे ही देश के बडे-बडे विश्वविद्यालय में मुझे नहीं पढ़ाया जाता है मैं अपने ही देश के विश्वविद्यालयों में मैं नोकरानी बन गई हूं और वह पटरानी यह सिलसिला पिछले सात दशकों से लगातार जारी है और न जाने कब तक जारी रहे। मेरा मन मथने लगा है अब एक तरफ जहां मैं दुनिया में सबसे ज्यादा चाहने वालों में दूसरे नंबर पर हूं, लेकिन अपने ही घर में बेगानों की तरह बर्ताव किया जा रहा है। आज लोग अपने बच्चों को मेरे पास भटकने भी नहीं देते है। मुझे कितना दुख होता है मैं किसे कहूं कोई मेरा सुनने वाला नहीं है।
अब आलम यह है कि मैं जहां सबसे ज्यादा पसंद की जाती थी वही के लोग मुझे देख मुह मोड़ने लगे है। लोग मुझसे ऐसे दुरी बनाने लगे है जैसे मैं कोई संक्रमक बीमारी हूं। लोग मुझे देख कर भागते है मैं चिखती हूं चिल्लती हूं, लेकिन मेरा यह चीख मेरा यह दर्द किसी के अंदर रहम का चिराग नहीं जलाता। मैं अपने जगह पर रेंगती हूं सिसकते रहती हूं पर कोई मेरा सुद लेने नहीं आता। मेरे अपने ही बच्चे मुझसे नफरत करने लगे है कभी साउथ के तो कभी महराष्ट्र के मुझसे इतना नफरत क्यो? मैं किसी को मारती नहीं, डराती नहीं, मैं किसी पर चिखती नहीं, चिल्लती नहीं फिर मुझे ही उखाडने पर क्यों लगे हो मैनें तो कईयों को अपने अंदर बसाया है चाहे वह फारसी, अरबी, उर्दू से लेकर 'आधुनिक बाला' अंग्रेजी तक को आत्मीयता से अपनाया है। बरसों से तुम लोगों का मनोरंजन कर रही हूं तुम्हें जिला रही हूं यकिन न आए तो फिल्म इंडस्ट्री वालों से पूछ कर देख लो क्या मेरे बिना उसका अस्तित्व रह सकेगा? यकीन मानों मुझे अपने घर में रहने दो मैं तुम लोगों को छती नहीं बल्की सीने से लगाउगी और दुनिया में मैं भी अपना चमक दिखाउंगी।
ये लेखक का नीजि विचार है...
लेडीज एंड जेंटलमैन

आज है हिंदी डे

सो आई थौट की
स्पीच भी हिंदी में दें

इंडिया हमारी कंट्री है
इसलिए हिंदी बोलना
हमारी ड्यूटी है
बट हिंदी की किस्मत ही
फूटी है
या टांग सायद टूटी है

क्योंकि
आजकल की यंग जनरेशन
व्हेनेवेर भी माउथ खोलती है
सिगारेट के धुंवे जैसी
ओनली एंड ओनली
इंग्लिश ही बोलती है

एंड
सम अधकचरे ग्रेजुएट
गुटके जर्दे के साथ
लोनली हिंग्लिस
ही थूकती है
और
इंग्लिश की चाटती है

इंग्लिश की गाली भी
गुड लगती है
और
हिंदी तो मासूका
भी नहीं समझती है

बट दिस इज टोटली रॉंग
हमे इसे बदलना होगा
अब राष्ट्रभाषा में बोलना होगा
हिंदी संस्कारो में ढलना होगा

इस अंगेजो की आंटी को
अब मौसी बनाना होगा
और
हिंदी को माँ के सिंहासन पर
बिठाना होगा

हिंदी को कंट्री लैंग्वेज
बनाना होगा
पर साऊथ में आज भी
हिंदी डे पर
इंग्लिश में ही
बकबकना होगा

फिर भी
एक्सेप्ट साऊथ
हिंदी वर्ल्ड वाइड
फैलाना होगा
और हिंदी में ही
हिंदी दिवस मनाना होगा

तब कही भारत माता के
ड्रीम्स होंगे सच
थैंक यू वेरी मच

"क्षमा करना दोस्तों"

यही है मेरी मातृभाषा हिंदी की
दसा और दिशा
पर नेताओ जैसी हिंदी सुनकर
आज भी कोई नहीं हँसा

पर मेरी भाषा पर
जरूर होंगे कमेंट
कुछ को हर्ट होगा
कुछ गालियां करेंगे सेंड

पर सचमुच मैं
यही चाहता हूँ
जैसे मुझे चुभता है
वैसा ही सबको
चुभोना चाहता हूँ

जब चुभेगा
तो जागेगा
जब जागेगा
तब लड़ेगा
और लडेगा
तब देश सुधरेगा

"जय हिन्द"

Sunday, September 13, 2015

सर्व बाधा मुक्ति शाबर मंत्र




ये मंत्र योगी गुरु गोरखनाथ प्रणित हैं का शाबर मंत्र
मंत्र
ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला, वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा, तहां वज्र का लग्या किवाड़ा, वज्र में चौखट, वज्र में कील, जहां से आय, तहां ही जावे, जाने भेजा, जांकू खाए, हमको फेर न सूरत दिखाए, हाथ कूँ, नाक कूँ, सिर कूँ, पीठ कूँ, कमर कूँ, छाती कूँ जो जोखो पहुंचाए, तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फुरे, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र इश्वरोवाचा.
विधि - सात कुओ या किसी नदी से सात बार जल लाकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगी को स्नान करवाए तो उसके ऊपर से सभी प्रकार का किया-कराया उतर जाता है.
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2 चमत्कारी देवी बीज मंत्र, परेशानियों का कर दे सूपड़ा साफ






धर्मशास्त्रों में देव स्मरण से सुखी जीवन के लिये मंत्र जप का बहुत महत्व बताया गया है। मन्त्र का शाब्दिक अर्थ मन के त्राण यानी दु:ख हरने वाला माना गया है। दु:खनाशक इन मंत्रो के अलग-अलग रूपों में अलग-अलग प्रभाव और फल होते हैं।
मंत्र के ऐसे ही पीड़ाहारी और असरदार रूप है बीज मंत्र। असल में बीज मंत्र देवशक्तियों का सूचक होता है, जिसमें देव विशेष की विराट शक्ति और गुण छुपे होते हैं। बीज मंत्रों के अक्षर, ध्वनि और स्वर द्वारा संबंधित देवशक्तियों को संकेत रूप में स्मरण कर जाग्रत किया जाता है। जिससे देव विशेष की शक्ति के मुताबिक प्रभाव उपासक को प्राप्त होते हैं। यही कारण है कि श्रद्धा और आस्था से बीज मंत्रों के जप चमत्कारिक फल देने वाले माने गए हैं।
बीज मंत्रों की इस कड़ी में यहां बताए जा रह हैं, दुर्गा और काली के बीज मंत्र संकट और पीड़ानाशक बहुत ही असरदार माने गए हैं। जानते हैं इन मंत्रों और उनके अर्थ -
क्रीं -
यह कालीबीज के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें क का अर्थ काली, र यानी प्रकृति, ई मतलब महामाया, नाद का अर्थ जगत माता, बिंदु यानी दु:खहर्ता। इस तरह बीज मंत्र का सार है महादेवी काली सभी दु:खों का नाश करे।
इस बीज मंत्र के साथ महाकाली की प्रसन्नता का नीचे लिखा मंत्र काल रक्षक माना गया है। इस मंत्र की सामान्य रूप से भी एक माला यानी 108 बार सुबह या
शाम को जप घर को कलह और काल मुक्त रखता है।
क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा
दुं -
यह दुर्गा बीज मंत्र है। जिसमें द यानी दुगर्तिनाशिनी, उ व नाद यानी रक्षा और बिंदु का अर्थ शोकनाशक है। पूरे बीज का सार है कि जगतजननी दुर्गा दुर्गति से रक्षा करे।
इस बीज मंत्र के साथ महादुर्गा का नीचे लिखे मंत्र का जप साधक को दु:ख-दरिद्रता से रक्षा करता है। शुक्रवार के दिन देवी की सामान्य पूजा यानी गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य और धूप, दीप से पूजा कर नीचे लिखे मंत्र का यथाशक्ति जप मातृशक्ति को प्रसन्न करने वाला माना गया है -
ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै नम:
राज गुरु जी
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Friday, September 11, 2015

कहीं आपके साथ भी तो ऐसा नही हो रहा ?





यदि जीवन में निरंतर समस्याए आ रही है। और यह प्रतीत हो की जीवन में कही कुछ सही नही हो रहा तो निश्चित रूप से हो सकता है आप पैरानार्म्ल समस्याओं से ग्रस्त है। आपके आस पास नेगेटिव एनर्जी है। यदि ऐसा है तो कुछ पहलुओ पर जरुर गौर करे।
1) पूर्णिमा या अमावस्या में घर के किसी सदस्य का Depression या Aggression काफी बढ़ जाना या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओ का बढ़ जाना।
2) बृहस्पतिवार, शुक्रवार या शनिवार में से किसी एक दिन प्रत्येक सप्ताह कुछ ना कुछ नकारात्मक घटनाएं घटना।
3) किसी ख़ास रंग के कपडे पहनने पर कुछ समस्याए या स्वास्थ्य पर असर जरुर होना।
4) घर में किसी एक सदस्य द्वारा दुसरे सदस्य को देखते ही अचानक से क्रोधित हो जाना।
5) पुरे मोहल्ले में सिर्फ आपके घर के आस पास कुत्तों का इकट्ठा होना।
6) घर में किसी महिला को हर माह अमावस्या में Period होना।
7) घर में किसी ना किसी सदस्य को अक्सर चोट चपेट लगना।
8) वैवाहिक संबंधो में स्थिरता का ना होना।
9) घर में किसी सदस्य का उन्मादी या नशे में होना।
10) सोते समय दबाव या स्लीपिंग पैरालाइसेस महसूस करना।
11) डरावने स्वप्न देखना।
12) स्वप्न में किसी के डर से खुद को भागते हुए देखना।
13) स्वप्न में अक्सर साँप या कुत्ते को देखना।
14) स्वप्न में खुद को सीढ़ी से नीचे उतरते देखना और आख़िरी सीढ़ी का गायब होना।
15) किसी प्रकार के गंध का अहसास होना।
16) पानी से और ऊँचाई से डर लगना।
17) सोते वक्त अचानक से कुछ अनजान चेहरों का दिखना।
18) अनायास हाथ पाँव का कांपना।
19) अक्सर खुद के मृत्यु की कल्पना करना।
20) व्यापार में अचानक उतार चढ़ाव का होना।
ये मुख्य ल्क्ष्ण है, जिनसे आप खुद जान सकते है की आपको या आपके घर में किसी प्रकार की पैरानार्म्ल प्राब्लम तो नही।
राजगुरुजी
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2 चमत्कारी देवी बीज मंत्र, परेशानियों का कर दे सूपड़ा साफ








धर्मशास्त्रों में देव स्मरण से सुखी जीवन के लिये मंत्र जप का बहुत महत्व बताया गया है। मन्त्र का शाब्दिक अर्थ मन के त्राण यानी दु:ख हरने वाला माना गया है। दु:खनाशक इन मंत्रो के अलग-अलग रूपों में अलग-अलग प्रभाव और फल होते हैं।
मंत्र के ऐसे ही पीड़ाहारी और असरदार रूप है बीज मंत्र। असल में बीज मंत्र देवशक्तियों का सूचक होता है, जिसमें देव विशेष की विराट शक्ति और गुण छुपे होते हैं। बीज मंत्रों के अक्षर, ध्वनि और स्वर द्वारा संबंधित देवशक्तियों को संकेत रूप में स्मरण कर जाग्रत किया जाता है। जिससे देव विशेष की शक्ति के मुताबिक प्रभाव उपासक को प्राप्त होते हैं। यही कारण है कि श्रद्धा और आस्था से बीज मंत्रों के जप चमत्कारिक फल देने वाले माने गए हैं।
बीज मंत्रों की इस कड़ी में यहां बताए जा रह हैं, दुर्गा और काली के बीज मंत्र संकट और पीड़ानाशक बहुत ही असरदार माने गए हैं। जानते हैं इन मंत्रों और उनके अर्थ -
क्रीं -
यह कालीबीज के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें क का अर्थ काली, र यानी प्रकृति, ई मतलब महामाया, नाद का अर्थ जगत माता, बिंदु यानी दु:खहर्ता। इस तरह बीज मंत्र का सार है महादेवी काली सभी दु:खों का नाश करे।
इस बीज मंत्र के साथ महाकाली की प्रसन्नता का नीचे लिखा मंत्र काल रक्षक माना गया है। इस मंत्र की सामान्य रूप से भी एक माला यानी 108 बार सुबह या
शाम को जप घर को कलह और काल मुक्त रखता है।
क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा
दुं -
यह दुर्गा बीज मंत्र है। जिसमें द यानी दुगर्तिनाशिनी, उ व नाद यानी रक्षा और बिंदु का अर्थ शोकनाशक है। पूरे बीज का सार है कि जगतजननी दुर्गा दुर्गति से रक्षा करे।
इस बीज मंत्र के साथ महादुर्गा का नीचे लिखे मंत्र का जप साधक को दु:ख-दरिद्रता से रक्षा करता है। शुक्रवार के दिन देवी की सामान्य पूजा यानी गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य और धूप, दीप से पूजा कर नीचे लिखे मंत्र का यथाशक्ति जप मातृशक्ति को प्रसन्न करने वाला माना गया है -
ऊँ ह्रीं दुं दुर्गायै नम:
राज गुरु जी
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बंधी हुई दुकान खोलने हेतु प्रयोग








यदि आप की दुकान अथवा व्यापर को किसी ने ईर्ष्या वश अथवा देषवश तांत्रिक अभिचारकर्म के माध्यम से बांध दिया हो , तो इस बंधन को समाप्त करने तथा दुकान को पुनः सुचारू रूप से चलाने हेतु इस प्रयोग को अवश्य ही सम्पन्न करके लाभ उठाना चाहिए .
सामग्री ;- कपूर कचरी , गोरोचन , गुलाल , छारछबीला .
माला ;- मंत्र सिद्धि चैतन्य रुद्द्राक्ष माला
समय ;- दिन अथवा रात्रि
दिन ;- रविवार
धारणीय वस्त्र ;- पीले रंग की धोती
आसन ;- पीले रंग का
दिशा ;- दक्षिण दिशा
जाप संख्या ;- प्रतिदिन १०८ बार
अवधि ;- ११ दिन
मंत्र ;-
''' ॐ दक्षिण भैरवाय भूत - प्रेत बंध , तंत्र बंध , निग्रहनी , सर्व शत्रु संहारिणी मम कार्य सिद्धिम कुरु - कुरु स्वहा'''
प्रयोग विधि - उपरोक्त वर्णित चारो सामग्री ( यथा - गोरोचन , कपूर कचरी , गुलाल , और छार -छबीला )
को सामान मात्र में उन्हें पीसकर तथा आपस में मिललर एक मिशरण तैयार कर ले . तत्पश्चात इस मिशरण को उपरोक्त मंत्र से १०८ बार अम्भीमंत्रित करे .
अब इस अभिमंत्रित मिश्रण को उपरोक्र्त मंत्र का ही निरंतर जाप करते हुए प्रातः दुकान खोलने से पूर्व दुकान के सामने बिखेर कर दुकान खोले .ले .
किसी भी रविवार से आरम्भ करके यह प्रयोग लगातार ११ दिनों तक करना चाहियें प्रतिदिन प्रयोग विधि एक सामान रहेगा .
राज गुरु जी
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रुका हुआ धन प्राप्ति हेतु प्रयोग







यदि किसी को आपने रुपया उधर दिया हुआ हो और वह व्यक्ति आप का धन वापिस करने में आनाकानी कर रहा हो अथवा उधर दिया धन डूबने की स्थिति में हो तो निम्नांकित प्रयोग को पूर्ण श्रद्धा के साथ सम्पन्न करके रुका हुआ धन वसूल करने में सफलता प्राप्त की जा सकती हैं
सामग्री ;- मंत्र सिद्धि प्राण - प्रतिष्ठित युक्त , '' पारद शिवलिंग '' , जलपात्र , लकड़ी का बाजोट , सफ़ेद रंग का वस्त्र , आक , धतूरा , अष्टरागंध , विल्वपत्र , पंचामृत , घी का दीपक , धुप , अगरबत्ती , चमेली का इत्र , , गंगा जल , , साबुत चावल , , थाली आदि ,
माला ;-- मंत्र सिद्धि चैतन्य , शुद्ध रुद्राक्ष माला .
धारणीय वस्त्र ;-- पीले रंग की धोती .
आसन ;-- काले रंग का ऊनी कम्बल
दिशा ;-- दक्षिण दिशा
दिन ;- मंगलवार
समय ;;-- रात्रि के समय
जाप संख्या ;--- इक्कीस हजार ( २१००० )
अवधि ;-- ग्यारह दिन ( ११ )
मंत्र ;----
'' ॐ नमः क्लीं कालिके कालिकाय काली महाकाली कालिके भूताय क्लीं नमः ''
प्रयोग ;---
सर्वप्रथम मंगलवार को रात्रि के समय स्नान - ध्यान करके पीले रंग की धोती पहनकर किसी एकांत स्थान में दक्षिणमुखी हो कर काले रंग के ऊनी कम्बल पर बैठ जाये . लकड़ी के बाजोट पर सफ़ेद रंग का वस्त्र बिछाकर थाली रखे और थाली में अष्टरागंध से स्वास्तिक चिन्ह अंकित करके मंत्र सिद्धि चैतन्य प्राण - प्रतिष्ठा युक्त '' पारद शिवलिंग '' को स्थापित करके जलाभिषेक करें .
ततपश्चात पंचामृत से अभिषेक करें और आक , धतूरे के पुष्प , बिल्व पत्र अर्पित करके धूप - दीप जलावें . फिर मंत्र सिद्धि चैतन्य '' रुद्राक्ष माला '' से उपरोक्त मंत्र का ११ दिनों में २१००० हजार जाप पूर्ण करें . साधना कल के दौरान सात्विक आहार - विहार तथा पूर्ण ब्रम्हचर्य का पालन करना आवश्यक हैं ( साधना कल में घर से बहार कतई भी नहीं निकले ) प्रयोग समाप्त के पश्चात बारहवे ( १२ ) दिन ग्यारह (११ ) कुंवारी कन्याओ को भोजन कराकर भेट पूजा देकर विदा करें और '' पारद शिवलिंग '' को घर के पूजा - स्थल में स्थापित कर देवें . शेष पूजन सामग्री को शिव मंदिर में अर्पित कर देवें . इस प्रकार से यह अद्भुत प्रयोग प्रयोग विधिपूर्वक सम्पन्न हो जाता हैं .
राज गुरु जी
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** शाबर लक्ष्मी साधना **







लक्ष्मी देवी के अनेक रूप अनेको आयाम है किन्तु इन सब में अष्टलक्ष्मी की साधना प्रमुख है .देवी अष्टलक्ष्मी की साधना से जहा एक और साधक का जीवन दरिद्रता से निकल कर सौभाग्य के ओर जाती है वही उनकी कृपा से साधक अध्यात्म मके छेत्र में भी उच्चइयो को छूता है .
श्री महालक्ष्मी के 8 रूप दो तरह से बताए गए हैं-
(1) धनलक्ष्मी/ धान्य लक्ष्मी/ शौर्य लक्ष्मी/ धैर्य लक्ष्मी/ विद्या लक्ष्मी/विजय लक्ष्मी/ कीर्ति लक्ष्मी/ राज्य लक्ष्मी।
(2) आदिलक्ष्मी/ धन लक्ष्मी/ धान्य लक्ष्मी/ ऐश्वर्य लक्ष्मी/ गज लक्ष्मी/ वीर लक्ष्मी/ विजय लक्ष्मी/ संतान लक्ष्मी।
श्री महालक्ष्मी यानी विष्णु की शोभा, शक्ति, कांति, श्री! श्री विष्णु की गूढ़ माया शक्ति जब मूर्त होती है तो वह लक्ष्मी रूप में होती है।
निम्नलिखित मंत्र अनुभूत है इसके कई चमत्कार देखे गए है .वस्तुतः इन प्रयोगों को भिन्न तरीको से भी की गयी है जिसमे इसके पूर्ण चमत्कारिक परिणाम प्राप्त हुए है .यह मंत्र लक्ष्मी आवाहन एवं प्रत्याक्चिकरण मंत्र है.एक निश्चित अवधि में पूर्ण मनोयोग से पूर्ण करने पर आपको धन सम्बंधित सभी समस्याए दूर हो जाती है .धन आगमन के नए नए स्रोत मिलते जाते है .प्रस्तुत प्रयोग शाबर मंत्र है ,शाबर मंत्रों की सिद्धि के लिए मन में दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है। जिस प्रकार की इच्छा शक्ति साधक के मन में होती है, उसी प्रकार का लाभ उसे मिल जाता है। यदि मन में दृढ़ इच्छा शक्ति है तो अन्य किसी भी बाह्य परिस्थितियों एवं कुविचारों का उस पर प्रभाव नहीं पड़ता। आप इस दीवाली पर्व को ऐसे प्रयोग को करके अपना जीवन दीपो की तरह जगमगाए .
प्रयोग विधि -
!! आवो लक्ष्मी बैठो आँगन, रोरी तिलक चढ़ाऊँ । गले में हार पहनाऊँ । वचनोँ को बाँधो, आवो हमारे पास । पहला वचन श्रीराम का, दूजा वचन ब्रम्हा का, तीजा वचन महा देव का । वचन चूके तो नर्क पड़े । सकल पंच में पाठ करूँ । वरदान नहीं देवे, तो महादेव शक्ति की आन !!
!! aawo laxmi baitho aangan, rori tilak chadhao| gale me haar pahnao| vachno ko bandho, aawo hamare paas| pahla vachan shri ram ka, dooja vachan bramha ka, tija vachan mahadev ka| vachan chuke to nark pade| sakal panch me path karoon| vardan nahi deve to mahadev shakti ki aan !!
=>आसन -ऊनी कम्बल या काला
दिशा-उत्तर
माला-कमलगट्टा ,रुद्राछ
मंत्र जाप-५ या ११ माला
सर्वप्रथम लक्ष्मी का कोई भी विग्रह स्थापित करले सामने .अब सर्वप्रथम गणेश पूजन ,भैरव पूजन ,शिवशक्ति पूजन उसके पश्चात लक्ष्मी देवी के चित्र को पंचोपचार पूजन करे फिर ,धुप दीप जला दे.अब गुरुमंत्र का जाप करे ओर फिर गुरुगोराख्नाथ को प्रणाम करके शाबर सुमेरु मंत्र की १ माला जाप करले (इससे पूर्व यदि शाबर सुमेरु मंत्र का जाप ११ माला कर लिया हो किसी सिद्ध मुहूर्त में तो वो सिद्ध हो जाती है ,इससे विशेष अनुकूलता रहती है साधना में ). शाबर सुमेरु के बाद दिशा बांधने का मंत्र पढ़ ले.इसके बाद उपर लिखित विधि का अनुसरण करे.यह साधना दीवाली को या किसी भी अमावस्या शुरू कि जा सकती है। इसकी ११ माला करके आगे २१ दिनों तक करके ११ माला हवं करे। या ११ माला दीवाली के दिन से शुरू करके १ माला प्रतिदिन अपने दैनिक जीवन में शामिल करले।
शाबर गुरु मंत्र-
!! गुरु सठ गुरु सठ गुरु है वीर ,गुरु साहब सुमरौ बड़ी भांत ,सिङ्गि टोरों बन कहौं , मन नाऊ करतार ,सकल गुरु की हर भजे ,घट्टा पाकर उठ जाग चेत सम्भार श्री परम हंस !!
दिशा बांधने का मंत्र-
||ॐ वज्र क्रोधाय महा दन्ताय दश दिशों बंध बंध हुं फट स्वाहा||
इसे पढकर सरसों के दाने सभी दिशाओ में फेक दे.
जीवनोपयोगी तथ्य -
१) लक्ष्मि सूक्त एवं श्री सूक्त के पाठ से घर में लक्ष्मि कि स्थिरता होती है।
२)सम्पुटित श्री सूक्त एवं कनकधारा स्तोत्र का
प्रतिदिन पाठ लक्मी को स्थिर करती है एवं घर धन -धन्य में दिन प्रतिदिन आश्चार्यजनक वृद्धि होती है (आप इसकी रिकॉर्डिंग १ हफ्ते तक घर में बजने दे आप इसके आश्चार्यजनक परिणाम से खुद चमत्कृत हो जायेंगे)
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Saturday, September 5, 2015

मनो वांछित निश्चित जीवन प्राप्ति हेतु सरल तंत्र साधना





भारतीय मनिषियों ने मानव जीवन को सुचारू रूप से गतिशील बनाये रखने और समाज में एक निरंतरता के साथ मर्यादा का पालन भी हो सके इसकेलिए अनेको संस्कार की कल्पना की .जिन्हें हम सोलह संस्कार के नाम से भी जानते हैं .पर आज इनमे से अनेको का पालन वेसे नही होता जैसे की होना चाहिये .अब न वेसे योग्य विद्वान रहे न ही उन संस्कारों को पालन करने लायक हमारा मानस ...पर कुछ संस्कारों का अस्तित्व आज भी हैं उनमे से प्रमुख हैं ..विवाह संस्कार ..जो जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना कही जा सकती हैं .जिस पर एक पूरे समाज की आधार शिला रहती हैं.पर इसके लिए योग्य जीवन साथी का होना जरुरी हैं . अनेको विधिया हैं फिर चाहे कुंडली हो या अन्य .पर अगर कोई मन को भा गया हैं तब क्या ...क्या तब भी कुंडली के पीछे दौड़े ...खासकर उस समय जब की उसकी जन्म समय की शुद्धता के बारे में ही प्रशन चिन्ह हो ..और फिर प्रामाणिक विद्वान न मिले जो सत्य विश्लेषण कर सके तब ....
हमारी इस सनातन संस्कृति में क्या उन उच्चस्थ पुरुषों को यह न ज्ञात रहा होगा की कतिपय ऐसी भी स्थिति भी बन सकती हैं ...की जब कोई मन को भा गया.और उसे ही अपने जीवन साथी के रूप में देखना चाहता हो तब ..देवर्षि नारद ने यह व्यवस्था दी की .जो प्रथम बार के दर्शन में ही मन को भा जाए वही कन्या श्रेष्ठ हैं जीवन साथी के रूप में ..क्योंकि उन्हें तो जीवन के हर स्थिति को ध्यान में रखना था .आज के इस आधुनिक काल में यही समस्या बहुत विकट हैं.की कैसे योग्य जीवन साथी पाया जाए .
और जहाँ योग्य हैं वहां वह आपके लिए तैयार हो यह भी तो संभव नही .तब क्या किया जाए??
और यह अवस्था .किसी पुरुष के लिए ..स्त्री पक्ष की हो सकती हैं .
तो किसी स्त्री के लिए ...पुरुष पक्ष से हो सकती हैं .अर्थात यह प्रयोग दोनों के लिए ही लाभ दायक हैं .
पर ध्यान में रखने योग बात हैं .यह किसी भी उछंख्लाता को बढ़ावा देनेके लिए नही हैं .जहाँ सच में मनो भाव पवित्र हो .उनके लिए हैं यह साधना ...क्योंकि जब कुछ ओर शेष न हो तब ...
ऐसे समय ही साधना की उपयोगिता सामने आती हैं ध्यान रखने योग्य बात हैं की हर साधना का एक अपना ही अर्थ हैं और कोई भी मंत्र जप व्यर्थ नही जाता हैं इस बात को किसी भी साधना करने से पूर्ण मन मस्तिष्क में अच्छे से उतार लेना चहिये .
लंबी साधनाओ का अपना महत्व तो हैं ही .पर इस कारण सरल और अल्प समय वाली साधनाओ को उपेक्षित भी नही किया जा सकता हैं .
अनेको बार यह सरल कम अवधि की साधनाए बहुत तीव्रता से परिणाम सामने ले आती हैं . इस प्रयोग को सिद्ध करना जरुरी नही हैं ,पर हमारी इच्छा शक्ति और कार्य सफल हो ही इस कारण मात्र दस हज़ार जप कर लिया जाए तो सफलता की सभावना कहीं ओर भी बढ़ जाती हैं
नियम :
मंत्र जप यदि करना चाहे तो केबल दस हज़ार .यह करने पर सफलता की सभावना कई गुणा अधिक होगी .
पीले वस्त्र और पीले आसन का उपयोग होगा .
कोई भी माला का उपयोग किया जा सकता हैं .
किसी भी शुभ दिन से पूर्ण पूजन कर प्रारंभ कर सकते हैं .
सुबह या रात्रि काल में भी मंत्र जप किया जा सकता हैं .
दिशा पूर्व या उत्तर हो तो अधिक श्रेष्ठ हैं .
मंत्र ::
ओं ह्रीं कामातुरे काम मेखले विद्योषिणि नील लोचने .........वश्यं कुरु ह्रीं नम:||
Om hreem kamature kaam mekhle vidyoshini neel lochne …….vasyam kuru hreem namah ||
जहाँ पर .... हैं वहाँ पर इच्छित पुरुष या स्त्री का नाम ले कर मंत्र जप करें . फिर इस प्रयोग को सम्पन्न करने के बाद जब भोजन करने बैठे तो जो भी पहला ग्रास आप काह्ये उसे पहले सात बार ऊपर दिए मंत्र से अभी मंत्रित कर स्वयं ग्रहण कर ले
.
बहुत ही अल्प समय में आप इसका परिणाम देखसकते हैं .
पर इस प्रयोग में यह आवश्यक हैं की स्त्री पुरुष ..जो भी जिसके लिए प्रयोग कर रहा हो .उनका आपस में कहीं भी मिलने की सम्भावना तो होनी ही चहिये ...
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महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...