Sunday, September 3, 2023

राक्षसी बगलामुखी प्रयोग


 


राक्षसी बगलामुखी प्रयोग


शत्रुओं का पूर्णत: शमन


यह एक विशेष उच्च कोटि का तंत्र प्रयोग है। जब भगवती असुरों का वध करते-करते उनके संघार हेतु क्रोधित हुईं तब असुरों ने भगवती का क्रोध को जान कर ब्रह्मा, विष्णु, महेश, रूद्र, सदाशिव, पाँचों का पंच अस्त्रों के रूप में आह्वान किया तब भगवती भयानक रूप धारण कर आसुरी बगला के विराट रूप में प्ररकट हो गयीं।


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 वे ब्रह्मा, विष्णु, महेश, रूद्र, और सदाशीव अस्त्र-रूपों को पकड़ अपना कमला आसन बना कर बैठ गयीं अंत: पंच प्रेत आसन पर बिराजमान होकर कलल असुर की जिह्वा पकड़ बज्र से प्रहार कर उसका सघारं कर दिया। 


उस समय माँ स्वयं ही असुर की समस्त शक्तियों को छीनकर आसुरी रूप में प्रकट हुयीं और उसे मार पंच-प्रेत- आसन विराजित भगवती आसुरी बगलामुखी कहलाईं कुछे एक दुष्ट साधक ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि का आह्वान कर स्वयंम् का बचाव कर लेते है, तथा दूसरों को शैतानी विद्या के माध्यम से कष्ट पहुँचाते हैं। इसके लिए वे आसुरी बगलामुखी का विशेष व उच्चकोटि के तंत्र अस्त्र का प्रयोग करते हैं जिसके प्रभाव से बचना असंभव है।


 इसे ही अभिचार कर्म की संज्ञा दी गयी है। अभिचार कर्म से मुक्ती हेतु आसुरी बगलामुखी प्रयोग को सबमे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह अघोरी, शमशानी, आदि का भी नाश कर देतीं है।


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