महाकाली साधना
काल की गति सूक्ष्म से अति सूक्ष्म हैं . काल केबल कोई समय मात्र नहीं हैं , काल सजीव व् निर्जीव की गतिशीलता की पृष्ठभूमि हैं . काल गति के हरेक बिंदु में असंख्य घटनाए समाहित हैं .
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इन्ही को हम काल योग या काल खंड कहते हैं . काल खंड में एक साथ हजारो प्रक्रियाए चलती रहती हैं , पर जिस भी प्रक्रिया का प्रभुत्व ज्यादा होता हे उसका असर हम पर प्रभाव ज्यादा रहता हे.
इसी तरह अगर हम घटनाओ का अनावरण करे तो हरेक प्रक्रिया के लिए हमारे शास्त्रों में देवी एवं देवता निर्धारित हैं .
आप ब्रम्हा, विष्णु, महेश, वरुण, इन्द्र, लक्ष्मी, सरस्वती, महाविद्या या किसी भी देवी देवता को देख लीजिए, प्रकृति में उनके कार्य निश्चित रूप से होते ही हैं .
अगर हम इसी बात को आगे लेकर बढे तो यह एक निष्कर्ष हैं कि पृथ्वी में जो भी गतिशीलता हैं या, काल खंड में समाहित जो भी घटनाए हैं उन हरएक घटना के स्वामी देव या देवी होते ही हैं.
हर एक क्षण में हमारे जीवन पर कोई न कई देवी देवता का प्रभाव पड़ता ही हैं . इसी को कहा गया हैं कि हरेक क्षण में कोई न कोई देवी या देवता शरीर में चैतन्य होते ही हैं .
साधनाओ के द्वारा किसीभी देवी एवं देवताओ को सिद्ध कर के उनके द्वारा हमारी मनोकामना पूर्ति ,कार्य पूर्ति व इच्छा पूर्ति करवा सकते हैं .
मगर हम ये नहीं जानते की किस क्षण में कौन देव / देवी चैतन्य हैं , और अगर हैं भी तो हम ये नहीं जानते कि प्रकृति आखिर कौन सा कार्य उस क्षण में करेगी और उसका हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
अत्यंत उच्चकोटि के योगी, इस प्रकार का कालज्ञान रखते हैं , उन्हें मालूम रहता हैं कि कौन से क्षण में क्या होगा और उसका परिणाम किसके ऊपर क्या असर करेगा.
कौनसे देवी या देवता उस क्षण में जागृत होंगे और कौन से देवी देवता उस क्षण अलग अलग मनुष्य में चैतन्य रहते हैं .
इसी के आधार पर वे भविष्य में कौन से क्षण में किसके साथ क्या होगा और उसे अलग अलग व्यक्तियों के लिए कैसे अनुकूल या प्रतिकूल बनाना हैं इस प्रकार से अति सूक्ष्म ज्ञान रहता हैं .
जैसे कि पहले कहा गया हैं , कि काल खंड में घटित असंख्य घटनाओ में से किसी एक घटना का प्रभाव सब से ज्यादा रहता हैं हर एक व्यक्ति के लिए वो अलग अलग हो सकता हैं . और हम उसी को एक डोर में बांधते हुए "जीवन" नाम देते हैं .
दरअसल हमारे साथ एक ही वक़्त में सेकड़ो घटनाए घटित होती हैं पर उनके न्यून प्रभाव के कारण हम उसे समझ नहीं पाते. अब जिस घटनाका प्रभाव सबसे ज्यादा होगा उसके देवता को अगर हम साधना के माध्यम से अनुकूल करले तो उस समय में होने वाले किसी भी घटना क्रम को हम आसानी से हमारे अनुकूल बना सकते हैं .
पर हम इतने कम समय में कैसे समझ ले की क्या घटना हैं देवता कौन हैं प्रभाव कैसा रहेगा आदि आदि ...उच्चकोटि के योगियों के लिए ये भले ही संभव हो लेकिन सामान्य मनुष्यों के लिए ये किसी भी हिसाब से संभव नहीं हैं .
और इसी को ध्यान में रखते हुए , एक ऐसी साधना का निर्माण हुआ जिससे अपने आप ही हर एक क्षण में रहा देव योग अपने आप में सिद्ध हो जाता हैं और देव योग का ज्ञान होता रहता हे जिससे कि ये पता चलेगा कि कौन से क्षण में क्या कार्य करना चाहिए.
अपने आपही क्षमता आ जाती हैं की उसे कार्य के अनुकूल या प्रतिकूल होने का आभाष पहले से ही मिल जाता हैं और देवता उसके वश में रहते हैं
काल की देवी महाकाली को कहा गया हैं और काल उनके नियंत्रण में रहता हैं . इस साधना के इच्छुक लोगो को साधना के साथ साथ शक्ति चक्र पर त्राटक का भी अभ्यास करना चाहिए.
ये साधना रविवार या फिर किसी भी दिन शुरू की जा सकती हैं इस साधना में साधक को काले वस्त्र ही धारण करने चाहिए.
इस साधना में महाकाली यन्त्र व काले हकीक माला की जरुरत रहती हैं साधना काल के के सभी नियम इस साधना में पालन करने चाहिए .
रात्रि में ११ बजे के बाद साधक स्नान कर के, काले वस्त्र धारण कर के काले उनी आसन पर बेठे. अपने सामने महाकाली का चित्र स्थापित हो. यन्त्र की सामान्य पूजा करे. दीपक और लोबान धूप जरुर लगाए.
फिर निम्न लिखित ध्यान करे
मुंड माला धारिणी दिगम्बरा
शत्रुसम्हारिणी विचित्ररूपा
महादेवी कालमुख स्तंभिनी
नमामितुभ्यम मात्रुस्वरूपा
इसके बाद साधना में सफलता के लिए महाकाली से प्राथना करे एवं निम्न लिखित मन्त्र का २१ माला जाप करे.
क्लीं क्लीं क्रीं महाकाली काल सिद्धिं क्लीं क्लीं क्रीं फट .
११ दिन तक प्रति दिन साधना निर्देशित जप करे . इसके बाद माला को १ महीने तक धारण करे फिर इसे नदी में विसर्जित करदे. यन्त्र को पूजा स्थान में रखा
जा सकता हैं.
साधना समाग्री दक्षिणा === 1500
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चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
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महायोगी राजगुरु जी 《 अघोरी रामजी 》
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