Sunday, July 23, 2023

दिव्य दृ्ष्टि यक्षिणी साधना


 


दिव्य दृ्ष्टि यक्षिणी साधना


इस साधना के बाद साधक किसी भी मनुष्य के बारे मे आखे बन्द करके ही सब कुछ जान लेता है

वो जहॉ भी हो एकदम साफ साफ देख लेता है


कि सामने वाला क्या कर रहा है किस हाल मे है


योगी ध्यानी इसका अधिक प्रयोग करते है


ये प्रयोग पूर्ण रूप से गोपनीय है


मे इसे पहली बार आपलोगो के समक्ष पेश कर रहा हू

ये बहुत दुर्लभ साधना है


पूर्णिमा की रात नहा धोकर

साधक लाल वस्त्र पहने

लाल आसन पर बैठे

उत्तर मुख होकर

सामने यक्षिणी के लिये एक थाल रखे जिसमे सिन्दूर से स्वास्तिक बना ले

लाल कपडे की पट्टी जिसे आखो पर लपेट कर बाधॉ जा सके उतनी बडी होनी चाहिये

गुरू गणेश इष्ट कुल देव स्थान देव की पूजा दे

माता दुर्गा की पूजा दे

शिव पार्वती की पूजा दे


सभी से साधना मे सफलता का आशिर्वाद ले


फिर हाथ मे चावल लेकर दिव्या यक्षिणी का आवाहन करे


चावलो को थाल मे छोडे

फिर धूप दीप पुष्प गंध चन्दन इत्र सिन्दूर मिठाई कुमकुम आदि से पूजा करे


यक्षिणी का देवी रूप मे ही आवाहन पूजन करे

कोई सम्बंध ना बनाये

दिव्य दृष्टि के  लिये ही केवल संकल्प लें


पूजन करके

उस लाल पट्टी को आखो पर बॉध ले फिर

एक माला गुरू मंत्र की करे फिर 21 माला मंत्र स्फटिक की माला  से जाप करे

जाप उपांशु करे


जाप के बाद पट्टी खोल कर वही रख दे


जाप के बाद छमा याचना करे

वही कमरे मे ही सोये


येसा लगातार 15 दिन करे

पन्द्रहवे दिन अमावस्या को जाप करके उस पट्टी को आखो पर बॉध ले और फिर खोले नही लगातार तीन दिन तक बंधी रहने दे


साधना के बीच मे ही आपको रोशनी दिखाई देगी फिर वो साफ होकर चित्र रूप मे दिखने  लगेगा


येसा होने पर साधना सिद्ध मानी जाती है


इसमे यक्षिणी दर्शन भी दे सकती है और वो सिर पर हाथ रखकर भी दिव्य दृष्टि खोल सकती है


इसमे यक्षिणी का दर्शन होना जरूरी नही है

तीन दिन पट्टी बॉधते वक्त अपने साथ किसी और को रख लेना जो दैनिक कार्यो मे मदद करेगा


या जो लोग पट्टी को तीन दिन लगातार नही बाध सकते वो साधना लगातार पूरे एक महीने तक विधिवत करे

यानि पूर्णिमा तक तो बीच मे ही दिव्य दृष्टि खुल जाती है


येसा होने पर पूजन का विसर्जन करे


यक्षिणी दर्शन दे तो ये समय की मॉग करती है तो जितने वर्ष के लिये दिव्य दृष्टि रखनी हो जैसे बीस साल तीस साल उतने दिन का बोल दे


साधना समाग्री दक्षिणा === 2100


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