हाथ की लकीर से जानें अपने हर सवाल का जवाब ...
ये नहीं देखा तो क्या देखा जीवन रेखा ही हथेली में एक ऐसी रेखा है, जो प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में पाई जाती है। यदि किसी के हाथ में यह रेखा न देखने को मिले तो यह समझना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व शून्यवत् है
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और उस व्यक्ति की जीवन शक्ति का सर्वथा लोप हो गया है। ऐसे व्यक्ति का जीवन किसी भी समय समाप्त हो सकता है। कई बार मंगल रेखा चल कर इस रेखा को बल देती है,
कभी-कभी शनि रेखा भी इस रेखा को बल देती हुई दिखाई देती है फिर भी जो जीवन रेखा अपने आप में निर्दोष और स्पष्ट होती है, वास्तव में वही रेखा मानव के लिए कल्याणकारी मानी जाती है।
इसी रेखा से व्यक्ति की आयु का पता चलता है तथा इस रेखा के माध्यम से यह जाना जा सकता है कि जीवन में कौन-कौन सी दुर्घटनाएं किस-किस समय घटित होंगी तथा मृत्यु का कारण और मृत्यु का समय भी इसी रेखा से ज्ञात होता है।
यह रेखा बृहस्पति पर्वत के नीचे से निकलती है पर कई बार यह रेखा बृहस्पति पर्वत के ऊपर से भी निकलती हुई दिखाई दी है। इस रेखा के बारे में यह ध्यान रखना अत्यंत जरूरी है
कि यह रेखा शुक्र पर्वत को जितने ही बड़े रूप में घेरती है, उतनी ही यह रेखा ज्यादा श्रेष्ठ मानी जाती है। यद्यपि कई बार यह रेखा शुक्र पर्वत को अत्यंत संकीर्ण बना देती है,
जब ऐसा तथ्य हथेली में दिखाई दे तब यह समझ लेना चाहिए कि इस व्यक्ति की प्रगति जीवन में कठिन ही होगी, साथ ही साथ इस व्यक्ति को जीवन में प्रेम, भोग, सुख आदि सांसारिक गुणों की न्यूनता ही रहेगी।
अंगूठे के पास में से होकर यह रेखा निकले तो उस व्यक्ति की आयु बहुत कम होती है।
जीवन रेखा जितनी ज्यादा गहरी स्पष्ट और बिना टूटी हुई होती है उतनी ही ज्यादा अच्छी कहलाती है। ऐसे व्यक्ति का स्वास्थ्य उन्नत होगा।
उसके हृदय में प्रेम और सौंदर्य की भावना विकसित रहेगी परंतु जिसके हाथ में यह रेखा कटी-फटी या टूटी हुई अथवा अस्पष्ट दिखाई दे तो उसका जीवन दुखमय, भावना शून्य एवं दुर्घटनाओं से युक्त रहता है। ऐसे व्यक्ति तुनक मिजाज, चिड़चिड़े तथा बात-बात पर क्रोधित होने वाले होते हैं।
यदि गुरु पर्वत के नीचे, जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा का पूर्ण मिलन होता है तो यह शुभ माना जाता है। ऐसा व्यक्ति परिश्रमी, सतर्क और योजनाबद्ध तरीके से काम करने वाला होता है परंतु यदि इन दोनों रेखाओं का उद्गम अलग-अलग होता है ...
तो व्यक्ति उन्मुक्त विचारों वाला तथा अपनी ही धुन में कार्य करने वाला होता है परंतु यदि किसी के हाथ में जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा तीनों एक ही स्थान से निकलें तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण प्रतीक होता है। ऐसे व्यक्ति की नि:संदेह हत्या हो जाती है।
जीवन रेखा पर यदि आड़ी-तिरछी लकीरें दिखाई दें तो उस व्यक्ति का स्वास्थ्य कमजोर समझना चाहिए यदि हृदय रेखा और जीवन रेखा के बीच में त्रिभुज बन जाए तो ऐसा व्यक्ति दमे का रोगी होता है।
यदि जीवन रेखा से कोई पतली रेखा निकल कर गुरु पर्वत की ओर जाती दिखाई दे तो उस व्यक्ति में इच्छाएं, भावनाएं और महत्वाकांक्षाएं जरूरत से ज्यादा होती हैं और वह उन इच्छाओं को पूरा करने का भागीरथ प्रयत्न करता है।
यदि इस रेखा पर कई रेखाएं उठती हुई दिखाई दें तो वह परिश्रमी और कर्मठ होता है तथा अपने प्रयत्नों से भाग्य का निर्माण करता है।
यदि जीवन रेखा के प्रारंभ से ही उसके साथ-साथ सहायक रेखा चल रही हो तो ऐसा व्यक्ति सोच-समझ कर कार्य करने वाला, विवेकपूर्वक योजनाएं बनाने वाला, चतुर तथा महत्वाकांक्षी होता है।
इसके जीवन में कुछ भी असंभव नहीं होता। यदि जीवन रेखा चलती-चलती अचानक बीच में समाप्त हो जाती है तो यह आकस्मिक मृत्यु की ओर संकेत करती है।
यदि जीवन रेखा से कोई सहायक रेखा निकल कर चंद्र पर्वत की ओर जाती हुई दिखाई दे तो यह व्यक्ति वृद्धावस्था में पागल होता है। यदि इस रेखा में शनि रेखा आकर मिल जाए तो वह प्रतिभावान और तेजस्वी होता है।
जीवन रेखा के अंत में यदि किसी प्रकार का कोई बिंदू या क्रास दिखाई दे तो उस व्यक्ति की मृत्यु अचानक होती है। यदि जीवन रेखा अंत में जाकर कई भागों में बंट जाए तो ऐसे व्यक्ति को बुढ़ापे में निश्चय ही क्षय रोग होगा।
कुछ अन्य तथ्य-
छोटी रेखा-कम आयु।
पीली और चौड़ी रेखा-बीमारी और विवादास्पद चरित्र।
लाल रेखा - हिंसा की भावना।
पतली रेखा - आकस्मिक मृत्यु।
जंजीरदार रेखा- शारीरिक कोमलता।
टूटी हुई रेखा- बीमारी।
सीढ़ी के समान रेखा- जीवन भर रुग्णता।
बृहस्पति पर्वत के नीचे प्रारंभ- उच्च सफलता।
मस्तिष्क रेखा से मिली हुई- विवेकपूर्ण जीवन।
जीवन मस्तिष्क तथा हृदय रेखा का मिलन- दुर्भाग्यपूर्ण व्यक्ति।
धंसी हुई गहरी रेखा- अशिष्टतापूर्ण व्यवहार।
स्वास्थ्य तथा मस्तिष्क रेखाओं के पास नक्षत्र-संतानहीनता।
स्पष्ट रेखा : न्यायपूर्ण जीवन।
प्रारंभ स्थल पर शाखा पुंज : अस्थिर जीवन।
रेखा के मध्य से शाखाएं : क्षयपूर्ण जीवन।
अंतिम सिरे पर शाखाएं : दुखदायी बुढ़ापा।
अंत में दो भागों में विभक्त : निर्धनतापूर्ण मृत्यु।
अंत में जाल- धनहानि के बाद मृत्यु।
रेखा के ऊपर की ओर उठती हुई सहायक रेखा : आकस्मिक धन प्राप्ति।
रेखा पर काला धब्बा : रोग का प्रारंभ।
नीचे की ओर जाती सहायक रेखाएं- स्वास्थ्य तथा धन की हानि
मार्ग में रेखा का टूटना-आर्थिक हानि।
कई जगह पर कटती हुई रेखाएं- स्थायी रोग।
रेखा पर वृत्त का निशान - हत्या।
प्रारंभ में क्रास-दुर्घटना से अंग-भंग।
रेखा के अंत में क्रास : असफल बुढ़ापा।
क्रास से काटती हुई जीवन रेखा : मानसिक कमजोरी।
रेखा के प्रारंभ में द्वीप : तंत्र विद्या में रुचि।
रेखा के मध्य में द्वीप : शारीरिक कमजोरी।
लहरदार जीवन रेखा और उस पर द्वीप रोगी- जीवन।
जीवन रेखा के हाथ से पार जाती हुई रेखाएं- चिंताएं और कष्ट।
जीवन रेखा से गुरु पर्वत को जाती हुई रेखाएं- कदम-कदम पर सफलता।
शनि पर्वत पर जाती हुई रेखाएं- पशु से दुर्घटना एवं मृत्यु।
सूर्य पर्वत की ओर जाती हुई रेखाएं- प्रसिद्धि और सम्मान।
बुध पर्वत की ओर जाती हुई रेखाएं- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता।
चंद्र पर्वत की ओर जाती हुई रेखाएं- जरूरत से ज्यादा निर्धनता तथा रोगमय जीवन।
निम्र मंगल की ओर जाती हुई रेखाएं- क्रोध में आत्महत्या।
मंगल पर्वत की ओर जाती हुई रेखाएं- प्रेम के कारण युवावस्था में बदनामी।
शुक्र पर्वत की ओर जाती हुई
रेखाएं- प्रेम भंग।
जीवन रेखा को कई स्थानों पर काटती हुई रेखाएं : पारिवारिक जीवन में असफलता।
जीवन रेखा को काट कर भाग्य रेखा तक जाने वाली रेखा- व्यापार में पूर्ण असफलता।
जीवन रेखा को काट कर मस्तिष्क रेखा की ओर जाती हुई रेखा- पागलपन।
जीवन रेखा को काट कर हृदय रेखा की ओर जाती हुई रेखा- हृदय रोग।
जीवन रेखा तथा हृदय रेखा को काटती हुई रेखा- प्रेम कार्यों में असफलता।
हृदय रेखा की ओर जाने वाली रेखा के अंत में द्वीप- दुखपूर्ण वैवाहिक जीवन।
जीवन रेखा और सूर्य रेखा को काटती हुई रेखा- सामाजिक पतन।
शुक्र पर्वत तथा जीवन रेखा पर नक्षत्र का चिन्ह- घरेलू झगड़े।
सूर्य रेखा तथा जीवन रेखा पर नक्षत्र - दुखमय घरेलू जीवन।
मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा तथा जीवन रेखा पर चिन्ह- रोगपूर्ण जीवन।
भाग्य रेखा तथा जीवन रेखा पर त्रिकोण- आर्थिक हानि।
सूर्य रेखा तथा जीवन रेखा पर त्रिकोण- अपराधपूर्ण जीवन
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