।।पिशाच बाधा का पितृदोषों से संबंध।।
कभी कभी बुरी आत्मायें संतानहीनता के अलावा जातक के भाग्य के विकास पर।
भी बुरा प्रभाव डालती हैं।ज्योतिष् शास्त्र में पिशाच बाधा से संबंधित योग निम्नलिखित हैं।
●किसी भी जन्मकुंडली में राहु या केतु सप्तम भाव में होने पर पिशाच बाधा होती है
●किसी जातक की कुंडली में लग्न में राहु ग्रस्त चंद्रमा होनेऔर पंचम अथवा नवम में पापग्रस्त शनि एवं मंगल होने पर पिशाच बाधा होती है।
●लग्न में शनि राहु की युति हो तो पिशाच बाधा होती है।
●लग्न में केतु किसी भी पापी ग्रह से युत या दृष्ट होने पर पिशाच बाधा होती है
●लग्न में शुक्र हो और सप्तम भाव में शनि हो एवं किसी भी भाव में पापी ग्रह दृष्ट चन्द्र होने से भूत-प्रेत पिशाच बाधा का योग होता ह
●शनि से युक्त चन्द्रमा अष्टम भाव में होने पर पिशाच बाधा का योग बनता है।
●किसी भी पाप ग्रह से चन्द्रमा छठे भाव में हो और सप्तम में राहु या केतु हो तो ऐसे जातक को पिशाच बाधा का योग बनता है।
●किसी भी जातक की कुंडली में शनि, राहु द्वितीय भाव में हों तो पिशाच बाधा होती है।
●किसी जन्म कुंडली में छठे स्थान पर पापी ग्रह दृष्ट राहु या केतु हो तो पिशाच बाधा होती है
●किसी जातक की कुंडली में अष्टम भाव में क्षीण चंद्रमा मंगल या राहु से युत हो तो पिशाच बाधा होती है।
●किसी जातक की कुंडली में लग्न में बुध केतु पापी ग्रह से दृष्ट हों तो पिशाच बाधा होती है।
●शिव-शक्ति या विष्णु, सूर्य की उपासना करें मंदिर नियमपूर्वक जायें।पीपल वृक्ष की सेवा करें।गुरुजनो के चरण छूकर आशीर्वाद लें।
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जन्म कुंडली देखने और समाधान बताने की
दक्षिणा - 201 मात्र .
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राजगुरु जी
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महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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