मै यहां देखता हूं कि, कितने सारे तंत्रशास्त्र के मंत्रविधी..
सार्वजनिक हो रहे हैं!..
जिन्हें भगवान् शिव ने माँ पार्वती को कहा था कि, "जीस तरह स्त्री, अपने योनी को सबसे छुपाकर रखती है, उसीप्रकार इन्हें गुप्त रखना!"...
यह मंत्र -तंत्र, बच्चों के खिलौने नहीं है!..
कोई भी जिज्ञासु यदी सच्चे मन से इसका पठन करता है, तो यथासमय यह अपनी शक्ति प्रकट करते हैं!..
और यदि उस साधक को सही गुरु और सही जानकारी नहीं होती है,..
साथ ही इस साधना के प्रति, स्वयं में कोई, गम्भीर भाव और प्रयास नहीं होता है!..
तो उसे और गुरु को भी, अनिष्ट परीनाम भुगतना अवश्यंभावी है!..
तो साधक / साधीकाओंने पहले इस शास्त्र के बारे अच्छे से समझकर, सही गुरु के मार्गदर्शन में बहोत ही सम्भलकर आगे बढना चाहिए!..
साथ ही मैं यह भी बता दूँ...
जीन साधकों में, कामवासना की बजाय,.. उस अतींन्द्रीय शक्ति को जानने की चेष्टा हो...
उन्हें हानी का डर नहीं है..
क्योंकि,..
वह साधक अपना सही मार्ग चुन ही लेगा!..
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें
राजगुरु जी
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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