भूत-प्रेत-भूतिनी-प्रेतिनी साधना सिद्धि ------
मै और मेरे प्रिय राजेश भाई हम दोनों सन २००८ मे उज्जैन मे थे,वह स्मशान ज्यो माँ क्षिप्रा जी के तठ पर है मौजे अत्यधिक प्रिय है,उस स्मशान मे एक स्मशान भैरव जी का मंदिर है,इस मंदिर मे जुओ मूर्ति है उसकी एक खासियत है-मूर्ति आधी पाताल लोक मे है और आधी भूतल पर है,आप इस मूर्ति को चाहो जितना सिगरेट पिलाओ कम ही है,मै २-३ घंटे तक स्मशान भैरव जी के विग्रह को सिगरेट पिलाया था,यहा पे रात्रि मे कुछ विशेष ही साधक साधना मे बैठे दिखते है,इस स्मशान को महाकाल जी का वन भी कहा जाता है,कहेते है की इसी स्मशान से भस्म महाकाल जी के भस्म-आरती मे भेजी जाती है,इस स्मशान मे आज भी महाकाल-महाकाली जी का नृत्य होता है,इस दृश्य को देखने के लिए बहोत अधिक ऊर्जा का सहाय्यता स्मशान भैरव जी से लेना पड़ता है, भूत-प्रेत-भूतिनी-प्रेतिनी साधना सिद्धि मैंने सिर्फ एक ही मंत्र के माध्यम से महाकाल वन मे की थी और इस साधना के माध्यम से मौजे कुछ क्षण तक यह मनमोहक अद्वितीय दृश्य सदगुरुजी की कृपा से देखने मिला,क्यूकी जब भी मै नृत्य देखने की इच्छा रखता तो इतर योनीया बीच मे आड़े आती थी और मुजे बहोत ज्यादा तकलीफ भी देती थी,इसलिये मैंने पहिले भूत-प्रेत-भूतिनी-प्रेतिनी को वश मे कर रखा था,यह मेरे लिये तो सदगुरुजी भगवान का प्रेम-मय आशीष था........
किसि भी अमावस्या के बाद आपको इस साधना के लिये ११ दिन का रात्रिकाल मे समय देना है समय रात्री मे १०:३० बजे का होगा,और एक वट-वृक्ष का पौधा किसी भी गमले मे अभी से लगाकर रखे ताकि आप साधना घर मे ही कर सकेगे..........काला आसान/वस्त्र साधना मे आवश्यक है,काली हकीक माला भी॰उग्र सुगंधित इत्र का व्यवस्था पहेले से ही करके रखना है,साधना से पूर्व ही गुरुमंत्र और चेतना मंत्र का जाप अधिक से अधिक कर लेना है क्यूकी यह साधना अत्यधिक तिष्ण मानी जाती है,कमजोर हृदय वाले साधक गलती से भी इस साधना को करनेका प्रयास न करे तो बेहतर होगा
मंत्र इस प्रकार है....
॥ ॐ ह्रौं....क्रौं क्रौं....क्रुं फट फट कट कट.... ....ह्रीं ह्रीं भूत प्रेत भूतिनी प्रेतिनी आगच्छ आगच्छ ह्रां ह्रीं ठ ठ ॥
आप लोग ही साधना को सम्पन्न करनेका तारीख निच्छित करे,क्यूकी साधना शुरुवात करने के बाद किसी भी कारण की वजेसे बंद नहीं कर सकते..................
चेतावनी - सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ । बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
कमजोर हृदय वाले साधक गलती से भी इस साधना को करनेका प्रयास न करे तो बेहतर होगा
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
08601454449
व्हाट्सप्प न०;- 9958417249
मै और मेरे प्रिय राजेश भाई हम दोनों सन २००८ मे उज्जैन मे थे,वह स्मशान ज्यो माँ क्षिप्रा जी के तठ पर है मौजे अत्यधिक प्रिय है,उस स्मशान मे एक स्मशान भैरव जी का मंदिर है,इस मंदिर मे जुओ मूर्ति है उसकी एक खासियत है-मूर्ति आधी पाताल लोक मे है और आधी भूतल पर है,आप इस मूर्ति को चाहो जितना सिगरेट पिलाओ कम ही है,मै २-३ घंटे तक स्मशान भैरव जी के विग्रह को सिगरेट पिलाया था,यहा पे रात्रि मे कुछ विशेष ही साधक साधना मे बैठे दिखते है,इस स्मशान को महाकाल जी का वन भी कहा जाता है,कहेते है की इसी स्मशान से भस्म महाकाल जी के भस्म-आरती मे भेजी जाती है,इस स्मशान मे आज भी महाकाल-महाकाली जी का नृत्य होता है,इस दृश्य को देखने के लिए बहोत अधिक ऊर्जा का सहाय्यता स्मशान भैरव जी से लेना पड़ता है, भूत-प्रेत-भूतिनी-प्रेतिनी साधना सिद्धि मैंने सिर्फ एक ही मंत्र के माध्यम से महाकाल वन मे की थी और इस साधना के माध्यम से मौजे कुछ क्षण तक यह मनमोहक अद्वितीय दृश्य सदगुरुजी की कृपा से देखने मिला,क्यूकी जब भी मै नृत्य देखने की इच्छा रखता तो इतर योनीया बीच मे आड़े आती थी और मुजे बहोत ज्यादा तकलीफ भी देती थी,इसलिये मैंने पहिले भूत-प्रेत-भूतिनी-प्रेतिनी को वश मे कर रखा था,यह मेरे लिये तो सदगुरुजी भगवान का प्रेम-मय आशीष था........
किसि भी अमावस्या के बाद आपको इस साधना के लिये ११ दिन का रात्रिकाल मे समय देना है समय रात्री मे १०:३० बजे का होगा,और एक वट-वृक्ष का पौधा किसी भी गमले मे अभी से लगाकर रखे ताकि आप साधना घर मे ही कर सकेगे..........काला आसान/वस्त्र साधना मे आवश्यक है,काली हकीक माला भी॰उग्र सुगंधित इत्र का व्यवस्था पहेले से ही करके रखना है,साधना से पूर्व ही गुरुमंत्र और चेतना मंत्र का जाप अधिक से अधिक कर लेना है क्यूकी यह साधना अत्यधिक तिष्ण मानी जाती है,कमजोर हृदय वाले साधक गलती से भी इस साधना को करनेका प्रयास न करे तो बेहतर होगा
मंत्र इस प्रकार है....
॥ ॐ ह्रौं....क्रौं क्रौं....क्रुं फट फट कट कट.... ....ह्रीं ह्रीं भूत प्रेत भूतिनी प्रेतिनी आगच्छ आगच्छ ह्रां ह्रीं ठ ठ ॥
आप लोग ही साधना को सम्पन्न करनेका तारीख निच्छित करे,क्यूकी साधना शुरुवात करने के बाद किसी भी कारण की वजेसे बंद नहीं कर सकते..................
चेतावनी - सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ । बिना गुरू साधना करना अपने विनाश को न्यौता देना है बिना गुरु आज्ञा साधना करने पर साधक पागल हो जाता है या म्रत्यु को प्राप्त करता है इसलिये कोई भी साधना बिना गुरु आज्ञा ना करेँ ।
कमजोर हृदय वाले साधक गलती से भी इस साधना को करनेका प्रयास न करे तो बेहतर होगा
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
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