Saturday, June 6, 2015

दुर्गा उपासना







जीवन की व्याख्या ही अपने आप मे एक कठिन बात है,साथ मे जीवन की सारी इच्छाये ही हमे पाप-पुण्य की और अग्रेसर करती है॰ कही येसी भी बाते है जिन्हे सिर्फ एक नाम दी जाती है जैसे ‘तंत्र या तन्त्रोक्त साधना’ पर क्या किसिने ये जान्ने की कोशिश की है की इस साधना की वास्तविकता क्या है ? शायद समय ही नहीं है किसिके पास,इसिलिये सारी साधनात्मक गलतिया हमारे ही नसीब मे लिखी गयी है,क्या मै ये पूछ सकती हु की साधक अपने पतन और प्रगति मे किस गति से चल रहे है। चलो जानेदो गलतिया भूलानेसे ही आगे प्रगति होगी। ‘‘माँ जगदंबा की इच्छा रही,तो हम इस साधना विषय पर आगे भी बात करेगे” और इस बात से तो एक बात हमारे समज मे तो आहि जाती है की “ दुर्गा जी की उपासना ” कितनी महत्वपूर्ण है,मै तो सिर्फ इतना ही कहेना चाहत हु की चाहे दुनिया की लाखो साधनाये आप कर लीजिये परंतु अंतता आना है आपको माँ भगवती जी की शरण मे और गुरु जी की शरण मे। अगर आप ये बात जानते है तो फिर येसी भटकन क्यू चल रही है मस्तिष्य मे की नवरात्रि आयेगी तभी हम दुर्गाजी की साधना सम्पन्न करेगे , कोई contract sign की है क्या हमने माँ के साथ ? जब येसी कोई बात ना हो तो आज से ही दुर्गा उपासना आवश्यक है , हमने जन्म लेते समय पंचांग नहीं देखि थी और नहीं मृत्यु की समय देखने वाले है क्यूकी जीवन-मृत्यु कोई कहानी नहीं एक पूर्ण सत्य है तो ये बात भी समजनी आवश्यक है की दुर्गा उपासना भी एक पूर्ण सत्य है कोई भी कहानी नहीं। दुर्गा साधना मे मेरी अनुभूतिया आज तक तो 100% ही है आगे माँ जगदंबा की इच्छा । कोई भी भगवती साधक/साधिका विश्व-कल्याण की ही बात करेगे,स्वयं के कल्याण की नहीं , अगर उन्हे साधनात्मक अनुभूतिया हो तो । इस साधना मे कई प्रकार की अनुभूतिया मिलती ही है,संसार मे येसी कोई इच्छा ही बाकी नहीं रहेती है ज्यो हमे नवार्ण मंत्र जाप से ना मिले,नवार्ण साधना साभिकी प्रिय साधना है चाहे फिर वह
शिव,विष्णु,ब्रम्ह,इन्द्र,सन्यासी,गृहस्थ या अन्य कोई देवी देवताये ही क्यू न हो। जब यह इतनी प्रिय साधना है तो बाकी साधनात्मक चिंतन तो नहीं होनी चाहिये, आपकी ध्येय आपको ही सोचनी है ताकि लक्ष्य प्राप्ति मे पूर्णता मिले ,मै तो ग्यारंन्टी और चुनौती के साथ बोल सकती हु की मनोकामना पूर्ति हेतु इस्से बड़ी कोई साधना इस पूरे संसार मे ही नहीं है , यह साधना हर मनोकामना पूर्ति की लिये सभी लोको मे प्रचलित साधना है , आज मै जहा तक भी पहोचि हु इस बात की सारी श्रेय मै गुरू
साधना और नवार्ण को ही देत हु अन्य साधना ओ को नहीं,मेरी सारी इच्छाये इन दो ही साधना ओ से मैंने पूर्ण होते हुये देखि है और हुयी ही है,जब येसी साधनाये आपके पास हो और फिर भी आप समस्याओसे ग्रसित है तो इस बात से मै बहोत ज्यादा दुखी हु ……………
इसी विषय पर अब तो आगे भी बात चलेगी,अब हम साधनात्मक बात करते है।
साधना सामग्री:-
नवार्ण यंत्र , कार्य सिद्धि यंत्र , स्फटिक माला ,जगदंबा जी का भव्य चित्र , लाल वस्त्र , लाल आसन ।
नोट:
ये मत सोचिये की आपके पास की सामग्री चैतन्य है या नहीं है,आपको तो सिर्फ यही बात सोचनी है की कही से भी यह सामग्री शीघ्र ही आपको प्राप्त हो जाये,सामग्री को चैतन्य करने की क्रिया की ज़िम्मेदारी मै लेत हु।
साधना विधि :-
ॐ नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम :।
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्म ताम ॥
यह मंत्र 11 बार बोलनी है ताकि साधनात्मक वातावरण चैतन्य बने,
शुद्धिकरण:-(एक-एक मंत्र उच्चारण की साथ जल पीनी है)
हाथ मे जल लेकर मंत्र बोलिए,
ॐ ऐं आत्मतत्वं शोधयामी नम: स्वाहा ॥
ॐ ह्रीं विद्यातत्वं शोधयामी नम: स्वाहा ॥
ॐ क्लीं शिवतत्वं शोधयामी नम: स्वाहा ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्वं शोधयामी नम: स्वाहा ॥ (बोलते हुये हाथ धो लीजिये)
विनियोग:-
ॐ अस्य श्रीनवार्णमंत्रस्य ब्रम्हाविष्णुरुद्रा ऋषय:गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छंन्दांसी , श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवता: , ऐं बीजम , ह्रीं शक्ति: , क्लीं कीलकम श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥
विलोम बीज न्यास:-
ॐ च्चै नम: गूदे ।
ॐ विं नम: मुखे ।
ॐ यै नम: वाम नासा पूटे ।
ॐ डां नम: दक्ष नासा पुटे ।
ॐ मुं नम: वाम कर्णे ।
ॐ चां नम: दक्ष कर्णे ।
ॐ क्लीं नम: वाम नेत्रे ।
ॐ ह्रीं नम: दक्ष नेत्रे ।
ॐ ऐं ह्रीं नम: शिखायाम ॥
(विलोम न्यास से सर्व दुखोकी नाश होती है,संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दहीने हाथ की
उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये)
ब्रम्हारूपन्यास:-
ॐ ब्रम्हा सनातन: पादादी नाभि पर्यन्तं मां पातु ॥
ॐ जनार्दन: नाभेर्विशुद्धी पर्यन्तं नित्यं मां पातु ॥
ॐ रुद्र स्त्रीलोचन: विशुद्धेर्वम्हरंध्रातं मां पातु ॥
ॐ हं स: पादद्वयं मे पातु ॥
ॐ वैनतेय: कर इयं मे पातु ॥
ॐ वृषभश्चक्षुषी मे पातु ॥
ॐ गजानन: सर्वाड्गानी मे पातु ॥
ॐ सर्वानंन्द मयोहरी: परपरौ देहभागौ मे पातु ॥
( ब्रम्हारूपन्यास से सभी मनोकामनाये पूर्ण होती है, संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दोनों हाथो की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये )
ध्यान:-
खड्गमं चक्रगदेशुषुचापपरिघात्र्छुलं भूशुण्डीम शिर:
शड्ख संदधतीं करैस्त्रीनयना सर्वाड्ग भूषावृताम ।
नीलाश्मद्दुतीमास्यपाददशकां सेवे महाकालीकां
यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधु कैटभम ॥
अब हमे जितनी भी जानकारी माँ की प्रति है उसी हिसाब से उनकी नित्य ध्यान और स्तुति करनी है,
निम्न मंत्र 21 बार बोलनी है,
ॐ ह्रीं सर्वबाधा प्रशमनं ,त्रैलोकस्याखिलेश्वरी ।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि , विनाशनम ॥ ह्रीं ॐ ॥ फट स्वाहा: ॥
माला पूजन:-जाप आरंभ करनेसे पूर्व ही इस मंत्र से मालाकी पुजा कीजिये,इस विधि से आपकी माला भी चैतन्य हो जाती है ॰
“ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नंम:’’
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिनी ।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृहनामी दक्षिणे करे ।
जपकाले च सिद्ध्यर्थ प्रसीद मम सिद्धये ॥
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देही देही सर्वमन्त्रार्थसाधिनी साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा ।
नवार्ण मंत्र :-
!! ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे !!
जप पूरा करके उसे भगवतीजी की चरणोमे समर्पित करते हुए कहे
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम ।
सिद्धिर्भवतू मे देवी त्वत्प्रसादान्महेश्वरी ॥
नवार्ण मंत्र की सिद्धि 9 दिनो मे 1,25,000 मंत्र जाप से होती है,परंतु आप येसे नहीं कर सकते है तो रोज 3,5,7,11,21………….इत्यादि माला मंत्र जाप भी हम कर सकते है,इस विधि से सारी इच्छाये पूर्ण होती है,सारी दुख समाप्त होती है और धन की वसूली भी सहज ही हो जाती है। हमे शास्त्र की हिसाब से यह सोलह प्रकार की न्यास देखने मिलती है जैसे ऋष्यादी ,कर ,हृदयादी ,अक्षर ,दिड्ग ,सारस्वत ,प्रथम मातृका ,द्वितीय मातृका ,तृतीय मातृका ,षडदेवी ,ब्रम्हरूप ,बीज मंत्र ,विलोम बीज ,षड ,सप्तशती ,शक्ति जाग्रण न्यास और बाकीकी 8 न्यास गुप्त न्यास नाम से जानी जाती है,इन सारी न्यासो की अपनी एक अलग ही अनुभूतिया होती है,उदाहरण की लिये शक्ति जाग्रण न्यास से माँ सुष्म रूप से साधकोके सामने शीघ्र ही आ जाती है और मंत्र जाप की प्रभाव से प्रत्यक्ष होती है और जब माँ चाहे किसिभी रूप मे क्यू न आये हमारी कल्याण तो निच्छित है।
यहा से आगे भी एक और साधना हमे गुरु जी की असीम कृपा से गुरु जी की श्रीमुख से प्राप्त हुयी है,यह साधना बहुत ही अद्वितीय है। जिसे हमे आगे की साधनाओमे करनी है........
( नोट:-कृपया अनुष्ठान की रूप मे साधना करते समय कलश स्थापना आवश्यक मानी जाती है , इस बात की ध्यान रखिये
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
08467905069
E - mail-- aghoriramji@gmail.com

2 comments:

  1. संयुक्त राष्ट्र इसकी वजह से उपल्ब्ध कराई असली "मैं मेे रखा सच से बिना शर्त प्यार "So many things you will know , God gives the gift of discernment , you will know , only not being express but kept to the heart .@ it's all in the mind. There's power in our thoughts /words Practice the power of positive Thinking Start loving yourself first,and love will find you Your never ugly your inner you will shine so much brighter then the outer you ever thought about. Just b true to yourself. And you will see Absolutely The Truth.+!! प्रभु श्रीराम !!​••••••••••••••••••••••••••••••
    चारों जुग परताप तुम्हारा,है परसिद्ध जगत उजियारा॥
    29॥★
    《अर्थ 》→ चारो युगों सतयुग,त्रेता,द्वापर
    तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है,जगत मे
    आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।★
    ••••••••••••••••••••••••••••••
    चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा साधुसंत के तुम रखवारे असुर निकंनदन राम दुलारे, अष्टसिद्धि नव निद्धि के दाता असबर दिन जानकी माता। राम रसायन तुम्हारे पासा सदा रहो रघुपति के दासा। मन और प्राण जब माँ सरस्वती जी के साथ हो जाये तब जाके होश आता है मै कहा हुं और अज्ञान रुपी अंधकार से जीव ऊर्ध्व गति को प्राप्त होता है और फिर हर पल आज है अभी है इसी वक्त जो है वह है और सही है उसीमे अपने को परम् भाग्यशाली समझता है और जानता और बिना वक्त गवाये प्रभु की भक्ति में सदा लिन रहता है। जय श्री राधे कृष्ण कृष्णं वंदे जगत गुरु।

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  2. संयुक्त राष्ट्र इसकी वजह से उपल्ब्ध कराई असली "मैं मेे रखा सच से बिना शर्त प्यार "So many things you will know , God gives the gift of discernment , you will know , only not being express but kept to the heart .@ it's all in the mind. There's power in our thoughts /words Practice the power of positive Thinking Start loving yourself first,and love will find you Your never ugly your inner you will shine so much brighter then the outer you ever thought about. Just b true to yourself. And you will see Absolutely The Truth.+!! प्रभु श्रीराम !!​••••••••••••••••••••••••••••••
    चारों जुग परताप तुम्हारा,है परसिद्ध जगत उजियारा॥
    29॥★
    《अर्थ 》→ चारो युगों सतयुग,त्रेता,द्वापर
    तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है,जगत मे
    आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।★
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    चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा साधुसंत के तुम रखवारे असुर निकंनदन राम दुलारे, अष्टसिद्धि नव निद्धि के दाता असबर दिन जानकी माता। राम रसायन तुम्हारे पासा सदा रहो रघुपति के दासा। मन और प्राण जब माँ सरस्वती जी के साथ हो जाये तब जाके होश आता है मै कहा हुं और अज्ञान रुपी अंधकार से जीव ऊर्ध्व गति को प्राप्त होता है और फिर हर पल आज है अभी है इसी वक्त जो है वह है और सही है उसीमे अपने को परम् भाग्यशाली समझता है और जानता और बिना वक्त गवाये प्रभु की भक्ति में सदा लिन रहता है। जय श्री राधे कृष्ण कृष्णं वंदे जगत गुरु।

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