Sunday, June 24, 2018

किन्नर और किन्नरियां साधना

किन्नर और किन्नरियां साधना प्राचीनकाल में देवाताओं के साथ जहां गंधर्व रहते थे वहीं एक दूसरे क्षेत्र में किन्नर जाति के लोग भी रहते थे। किन्नर जाति के लोग पहाड़ी क्षेत्र में रहते थे। ये लोग अपने अनुपम तथा मनमोहक सौन्दर्य के लिए प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध हैं। किन्नरों को मृदुभाषी तथा गायन में निपुण माना गया है। हिन्दू तंत्र ग्रंथों में किन्नरियों को विशेष स्थान प्राप्त है। किन्नरियों में रूप परिवर्तन की अद्भुत काला होती है। गायन तथा सौंदर्यता हेतु इनकी साधना विशेष लाभप्रद हैं। परिणामस्वरूप प्राचीन काल से किन्नरियों की साधना ऋषि मुनियों द्वारा की जाती हैं। किन्नरियों का वरदान अति शीघ्र तथा सरलता से प्राप्त हो जाता हैं। माना जाता है कि प्रमख रूप से छह किन्नरियों का समूह है- 1. मनोहारिणी किन्नरी 2. शुभग किन्नरी 3. विशाल नेत्र किन्नरी 4. सुरत प्रिय किन्नरी 5. सुमुखी किन्नरी और 6. दिवाकर मुखी किन्नरी। राजगुरु जी महाविद्या आश्रम ( राजयोग पीठ ) फाउंडेशन ट्रस्ट किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें : मोबाइल नं. : - 09958417249 08601454449 व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

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