Friday, December 29, 2017

लवण वशीकरण

लवण वशीकरण मंत्र- ओम भगवती भग भग दायनी देवदन्ति मम वास्यम कुरु कुरु स्वाहा । इस मंत्र का प्रयोग स्त्री को वश में करने के लिए किया जाता है । देवदन्ति के स्थान पर स्त्री का नाम बोले । गुरुवार के दिन थोड़ा नमक लेकर इस मंत्र से सात बार अभ्मंत्रित करे फिर स्त्री को खाने या पिने में मिलाकर दे दे ऐसा करने से वह स्त्री अवस्य ही जाएगी । - मिठाई वशीकरण मंत्र मंत्र ओम नमो आदेश कामाख्या देवी को जल मोहु । थल मोहु । जंगल की हिरणी मोहू । बाट चलता बटोही मोहू । दरबार बैठा राजा मोहू । मोहिनी मेरा नाम । मोहू जगत संसार । तार तारिले तोतला । तीनो बसे कपाल मात मोहिनी देवी की दुहाई । फुरे मंत्र खुदाई इस मंत्र से मिठाई को अभिमंत्रित करके जिसे चाहो खिलाओ उसे अपने वश में करो --- चेतावनी - इस वशीकरण तंत्र साधना प्रयोग में कुछ जानकारी पूरी नहीं बाताई गयी हैं . इस लिए की कोई मानव किसी के साथ गलत प्रयोग ना कर सके . जिस किसी को भी इस वशीकरण प्रयोग की ज़रुरत हो ऑफ़ मुझसे फ़ोन पर बात कर सकता हैं . राजगुरु जी महाविद्या आश्रम किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें : मोबाइल नं. : - 09958417249 08601454449 व्हाट्सप्प न०;- 09958417249

Tuesday, December 26, 2017

लक्षमी यक्षणी साधना

लक्षमी यक्षणी साधना लक्ष्मी यक्षणी कुबेर ने धन पूर्ति के लिए जेबी महा लक्ष्मी की साधना की तो महा लक्ष्मी ने पर्सन हो कर वर मांगने को कहा तो श्री कुबेर जी ने उन्हे अपने लोक अल्का पूरी में निवास करने को कहा तो लक्ष्मी जी ने व्हा यक्षणी रूप में निवास किया और तभी से वहाँ धन की स्दह पूर्ति होती रहती है ! हर एक चाहता है उस के पास सभी सुख हो और उसे कभी किसी का मोहताज न होना पड़े जीवन में हर क्षेत्र में उच्ता मिले शरीर भी सोन्द्र्यवान हो और धन की भी प्रचुर अवस्ता में प्राप्ति हो ! इस के लिए यक्षणी साधनाए काफी महत्व पूर्ण मानी जाती है ! और उनसे भी उत्म यह है के ऐसी यक्षणी साधना हो जो जल्द सीध हो और जो सभी मनोरथ पूरे करे ! यह लक्ष्मी यक्षणी की साधना है इस एक साधना को करने से 108 यक्षणिए सिद्ध हो जाती ! और साधक की हर ईछा पूर्ण करती है ! इस साधना का विधान जटिल है फिर भी उसे आसान तरीके से दे रहा हु ! एक कटोरी में चावल संदूर चन्दन और कपूर मिश्रत कर ले और लक्ष्मी के 108 नाम से नमा लगा कर पूजन करे और लक्ष्मी के 108 नाम आप किसी भी लक्ष्मी पूजन की बूक में देख सकते है ! सुंगधित तेल का दिया लगा दे एक पात्र में कुश उपले जला के उस में गूगल और लोहवान धुखा दे सुगधित अगरवाती भी लगाई जा सकती है ! लाल कनेर से पूजन करे ! और गुरु मंत्र का एक माला जप कर के लक्ष्मी यक्षणी मंत्र का 101 माला जप करे यह कर्म 14 दिन करना है ! और साधना पूरी होने पे कनेर के फूल और घी से हवन करना है 10000 मंत्रो से ! इस प्रकार यह साधना सिद्ध हो जाती है और साधक को रसयान सिधी प्रदान करती है ! इस से साधक के जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती जैसे चाहे जितना भी खर्चे धन घर में आता ही रेहता है इस के लिए कुबेर यंत्र और श्री यंत्र का पूजन करे और कमल गट्टे की माला जा लाल चन्दन की माला का उपयोग करे ! दिशा उतर और वस्त्र पीले धारण करे ! हवन के बाद घर में बनी खीर जा मिष्ठान का भोग लगाए ! यह साधना सोमवार स्वाति नक्षत्र से शुरू करे ! मंत्र — ॐ लक्ष्मी वं श्रीं कमलधारणी हंसह सवाहा !! राजगुरु जी महाविद्या आश्रम .किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें : मोबाइल नं. : - 09958417249 08601454449 व्हाट्सप्प न०;- 9958417249

Saturday, December 23, 2017

पुष्पदेहा अप्सरा साधना (शाबर मंत्र)

पुष्पदेहा अप्सरा साधना (शाबर मंत्र)











गुरु गोरखनाथ प्रणित एक श्रेष्ठ ग्रंथ मे वर्णित यह साधना अचुक और प्रामाणीक है

अप्सरा साधना से रूपवती स्त्री का आकर्षण होता है, सीधना सफल होने पर अप्सरा आपको स्वर्ग से द्रव्य और दिव्य रसायन लाकर देगी , जिसे पीने के बाद आपको कभी बुड़ापा नही आएगा

मेनका अप्सरा सिद्ध् पुरुष जो ब्रम्हश्री कहेलाये और उन्होने स्वयं विश्वामित्र ने यह कहा है 'कि पुष्पदेहा के समान अन कोइ अप्सरा स्वर्गलोक मे हो ही नही सकती,इसके आगे सभि सिद्धो ने स्वीकार्य किया है "कि पुष्प से भी ज्यादा सुंदर,पुष्प से भी ज्यादा कोमल और पुष्पदेहा अप्सरा से ज्यादा योवनवति और सुंदर अप्सरा है ही नही,उसका सौन्दर्य तो इतना अद्वितीय है कि इसके शरीर से निरंतर मादक,मनमोहक,कामभाव को उत्तेजित करने वाला सुगंध प्रवाहित होता रहता है।

पुष्पदेहा इतनी नाजुक है कि एक बार उसको जो भी देख ले वह उसको जिंदगी भर नही भुला सकता,उसके  नयन अत्यंत दर्शनीय है

आज लाखों लोग अप्सरा साधना करना चाहते है
पर एक बात याद रखें कि उसका सही प्रयोग करेंगे तो जीवन में किसी वस्तु की कामना बाकी नही रहेगी
कौन नही चाहता कि स्वर्ग की सबसे शक्तिशाली अप्सरा उसके साथ हो वो चाहे तो आपको स्वर्ग का दर्शन भी करा सकती है

अप्सरा साधना से होने वाले मुख्य लाभ

1:- जो साधक पूर्ण रूप से हष्ट पुष्ट होते हुए भी आकर्षक व्यक्तित्व न होने के कारण अन्य लोगों को अपनी और आकर्षित नहीं कर पाते हैं तथा हीन भावना से ग्रस्त होते हैं , इस साधना के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक व चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी और आकर्षित होने लगते हैं.

2:- जो साधक मन के अनुकूल सुंदर जीवन साथी पाना चाहते हैं किन्तु किसी कारणवश यह संभव न हो रहा हो, इस साधना के प्रभाव से उनको मन के अनुकूल सुंदर जीवन साथी प्राप्त होने की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं और मनचाहा जीवनसाथी मिल जाता है.

3:- जिन साधक के वैवाहिक, पारिवारिक, सामाजिक जीवन में क्लेश व तनाव की स्थिति उत्पन्न हो, इस साधना के प्रभाव से उनके वैवाहिक, पारिवारिक व सामाजिक जीवन में प्रेम सौहार्द की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं.

4:- जो व्यक्ति अभिनय के क्षेत्र में सफल होने की इच्छा रखते हैं किन्तु सफल नहीं हो पाते हैं, इस साधना के प्रभाव से उनके अंदर उत्तम अभिनय की क्षमता की वृद्धि होने के साथ-साथ अभिनय के क्षेत्र में सफल होने की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं.

5:- जो साधक युवावस्था में होने पर भी पूर्ण यौवन से युक्त नहीं होते हैं, इस साधना से उनके अंदर उत्तम यौवन व व्यक्तित्व निखर आता है.

6:- जो साधक/साधिका सुन्दर रूप सौन्दर्य की इच्छा रखते हैं किन्तु प्रकृति द्वारा कुरूपता से दण्डित हैं, इस साधना के प्रभाव से उनके अंदर आकर्षक रूप सौन्दर्य निखर आता है.

7:- जो साधक कार्यक्षेत्र में मन के अनुकूल अधिकारी या सहकर्मी न होने के कारण असहज परिस्थियों में नौकरी करते हैं, या नौकरी चले जाने का भय रहता है, इस साधना के प्रभाव से उनके अधिकारी व सहकर्मी उनके साथ मित्रवत हो जाते हैं तथा नौकरी चले जाने का भय भी समाप्त हो जाता है.

8:- जो साधक ऐसा मानते हैं कि वह अन्य लोगों को अपनी बात या कार्य से प्रभावित नहीं कर पाते हैं, इस साधना के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक व चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी और आकर्षित होकर उनकी बातों या कार्य से प्रभावित होने लगते हैं.

9:- जो पुरुष/स्त्री जिवन मे अपने जिवनसाथी से प्राप्त होनेवाले सुखो से वंचित हो उनके लिये तो यह साधना सबसे ज्यादा करना उत्तम है क्युके इस साधना से पुरुष/स्त्री मे कामतत्व जाग्रत होकर जिवन मे पुर्ण सुख प्राप्त किया जाता है.

उपरोक्त विषयों में अत्यंत कम समय में ही अपेक्षित परिणाम देकर आनंदमय जीवन को प्रशस्त करने वाली यह अप्सरा साधना अवश्य ही संपन्न कर लेनी चाहिए, जिससे निश्चित ही आप अपनी इच्छा की पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं व आनंदमय भौतिक जीवन व्यतीत कर सकते हैं क्योंकि अप्सराएं सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, अभिनय, रस व रंग का ही प्रतिरूप होती हैं, अतः इनका प्रभाव जहाँ भी होता है वहां पर सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, अभिनय, रस व रंग ही व्याप्त होता है.

अप्सराओं की साधना अनेक रूपों में की जाती है, जैसे माँ, बहन, पुत्री, पत्नी अथवा प्रेमिका के रूप में इनकी साधना की जाती है, ओर साधक जिस रूप में इनको साधता है ये उसी प्रकार का व्यवहार व परिणाम भी साधक को प्रदान करती हैं,

अप्सराओं को पत्नी या प्रेमिका के रूप में साधने पर साधक को कोई कठिनाई या हानी नहीं होती है, क्योंकि यह तो साधक के व्यक्तित्व को इतना अधिक प्रभावशाली बना देती हैं कि साधक के संपर्क में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति अप्सरा साधक के मन के अनुकूल आचरण करने लगता है और अप्सरा को प्रत्यक्ष कर लिए जाने पर वह बिना किसी बाध्यता के साधक की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है.

माँ के रूप में साधने पर वह ममतामय होकर साधक का सभी प्रकार से पुत्रवत पालन करती हैं तो बहन व पुत्री के रूप में साधने पर वह भावनामय होकर सहयोगात्मक होती हैं, ओर पत्नी या प्रेमिका के रूप में साधने पर उस साधक को उनसे अनेक सुख प्राप्त हो सकते हैं.अनेक प्रकार के द्रव्य अप्सरा साधक को स्वयम ही प्रदान करती है.

समाग्री   : -

 पुष्पदेहा आकर्षण सिद्धि यंत्र . गुटिका  . सिफलल्या  मुद्धिका . स्फटिक का माला .  गुलाब का इत्र .

साधना विधी

सबसे पहिले किसी बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाये और उस पर एक चावल का ढेरि बनाये,चावल कुम्कुम से रंगे होने चाहीये.अब चावल पर "पुष्पदेहा आकर्षण सिद्धि यंत्र" स्‍थापित करके मंत्र का जाप करना है।इस साधना मे स्फटिक का माला होना जरुरी है,साधना सात दिवसीय  है और शुक्रवार से शुरू करना है,मंत्र का नित्य 11माला जाप करना जरुरी है।

साधक का मुख उत्तर दिशा के तरफ होना चाहीये,आसन-वस्त्र भी लाल रंग के होने चाहिये। यंत्र पर रोज गुलाब का इत्र और पाच गुलाब के फूल चढाये,घी का दिपक लगाये जो मंत्र जाप के समय प्रज्वलित रहे,धूप भी गुलाब का ही होना जरुरी है।

मंत्र जाप के समय नजर यंत्र के तरफ हो और बिना यंत्र के साधना ना करे क्युके इस यंत्र मे विशेष उर्जा है जो अप्सरा को स्वर्ग से लेकर पाताल लोक तक आकर्षित करने का क्षमता युक्त है।यंत्र के साथ आपको अप्सरा से वचन प्राप्त करने का मंत्र भी प्राप्त होगा जो यहा पर देना उचित नही है

मंत्र

।। ॐ आवे आवे शरमाती पुष्पदेहा प्रिया रुप आवे आवे हिली हिली मेरो कह्यौ करै,मनचिंतावे,कारज करे वेग से  आवे आवे,हर क्षण साथ रहे हिली हिली पुष्पदेहा अप्सरा फट् ॐ ।।

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Thursday, December 21, 2017

जुआ विजय करक प्रयोग

  जुआ    विजय करक प्रयोग





जो लोग जुआ , सट्टा , मटका , रेसकोर्स , इत्यादि खेलने के शौक़ीन हों अथवा जिन्होंने इस शौक को ही अपना व्यापार बना रखा हो तो जुए इत्यादि में निरंतर सफलता प्राप्त के लिए उन्हें इस प्रयोग को अवशय ही सम्पन्न कर के लाभ उठाना चाहिए .

सामग्री ;;----- स्वर्णाकर्षण गुटिका ( मंत्र सिद्धि प्राण -

 प्रतिष्ठित ) तेल का दीपक

माला ;-- विद्दुत माला ( मंत्र सिद्धि चैतन्य )

समय ;-- रात का कोई भी समय

दिन ;;--- शुक्रवार

धारणीय वस्त्र ;;---- सफ़ेद रंग की धोती

आसन ;;-- सफ़ेद रंग का सूती आसन

दिशा ;;--- उत्तर

जाप संख्या ;;-- इक्कीस हजार ( २१००० )

अवधि -- इस्क्किस दिन

मंत्र ;;-----

'' ॐ नमो वीर बैताल आकस्मिक धन देहि देहि नमः '''

प्रयोग विधि ;;---

किसी भी शुक्रवार की रात्रि को यह प्रयोग करें . अपने दाहिने हाथ में स्वर्णाकर्षण गुटिका लेकर उसे पहले भली प्रकार से देखें , फिर सामने रख कर तेल का दीपक लगाकर उपरोक्त मंत्र का इक्कीस हजार जाप करें , जप के बाद इक्कीस दिनों में वह स्वर्णाकर्षण गुटिका गुटिका सिद्धि हो जाती हैं .

 जब यह गुटिका सिद्धि हो जाये तो जब भी किसी जुए में जावें अथवा जुआ खेले या रेसकोर्स में जाये तो इस स्वर्णाकर्षण गुटिका को अपनी जेब में रखकर ले जाने से सफलता प्राप्त हो सकती हैं ,

नोट -

साधको को सूचित किया जाता हैं की हर चीज की अपनी एक सीमा होती हैं , इसलिए किसी भी साधना का प्रयोग उसकी सीमा में ही रहकर करे , और मानव होकर मानवता की सेवा करे अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाएँ ,.

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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बेताल साधना

बेताल साधना






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यह साधना रात्रि कालीन है स्थान एकांत होना चाहिए ! मंगलबार को यह साधना संपन की जा सकती है !
घर के अतिरिक्त इसे किसी प्राचीन एवं एकांत शिव मंदिर मे या तलब के किनारे निर्जन तट पर की जा सकती है !

पहनने के बस्त्र आसन और सामने विछाने के आसन सभी गहरे काले रंग के होने चाहिए ! साधना के बीच मे उठना माना है !

इसके लिए वीर बेताल यन्त्र और वीर बेताल माला का होना जरूरी है !

यन्त्र को साधक अपने सामने बिछे काले बस्त्र पर किसी ताम्र पात्र मे रख कर स्नान कराये और फिर पोछ कर पुनः उसी पात्र मे स्थापित कर दे !

सिन्दूर और चावल से पूजन करे और निम्न ध्यान उच्चारित करें

"!! फुं फुं फुल्लार शब्दो वसति फणिर्जायते यस्य कण्ठे डिम डिम डिन्नाति डिन्नम डमरू यस्य पाणों प्रकम्पम!
तक तक तन्दाती तन्दात धीर्गति धीर्गति व्योमवार्मि
सकल भय हरो भैरवो सः न पायात !! "

इसके बाद माला से  31माला मंत्र जप करें यह 21  दिन की साधना है !

!! ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं वीर सिद्धिम दर्शय दर्शय फट !!

साधना के बाद सामग्री नदी मे या शिव मंदिर मे विसर्जित कर दें साधना का काल और स्थान बदलना नहीं चाहिए

महाविद्या आश्रम

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Thursday, December 7, 2017

ओपल रत्न

शुक्रवार लक्ष्मी पूजा व पत्नी कारक शुक्र गृह वार है.

पत्नी सुख की गड़ना आदमी के हाथो मे अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत, छोटी ऊँगली के नीचे वैवाहिक रेखा व जन्मपत्री मे सप्तम भाव व शुक्र गृह से की जाती है,

जिस व्यक्ति के हाथो मे शुक्र पर्वत, वैवाहिक रेखा व जन्मपत्री मे सप्तम भाव ,सप्तमेश, शुक्र गृह शुभ ग्रहों से युक्त हो, तो उसे अच्छा पत्नी सुख मिलता है.

जब भी शुक्र पर्वत, वैवाहिक रेखा, शुक्र गृह दशा अंतर दशा गोचर मे पीड़ित होंगे तब पत्नी सुख मे बाधा (पत्नी बीमार / दूर / झगड़ा / पत्नी मृत्यु, शादी न होना ) होगी।     

ज्योतिष मे आदमी को पत्नी सुख (विवाह, पत्नी अच्छा स्वास्थ्य, वैचारिक तालमेल , पत्नी के साथ रहना) के लिए शुक्र गृह जन्मपत्री मे नीच का होने पर शुक्रवार को मंदिर मे मिश्री / रुयी की बत्ती / देशी घी दान व शुक्र गृह जन्मपत्री मे हाथो मे कमजोर हो, तो शुक्रवार को असली सफ़ेद ऑस्ट्रेलिया ओपल रत्न
(कुछ व्यक्ति सफ़ेद मार्बल को ओपल रत्न कह कर बेच देते है) धारण कर शुक्र गृह मंत्रो का जाप करना चाहिए.

कोई भी उपाय करने से पहिले किसी योग्य ज्योतिष की सलाह अवश्य लेनी चाहिए, क्योकि हर व्यक्ति की हाथो की रेखा व परिवारिक स्थति अलग अलग होती है.

प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया पर उपलब्ध ज्योतिष उपाय सबको लाभ नहीं देते है.

अपनी जन्मपत्री व हाथो की रेखा के माध्यम अपनी परेशानी की अवधि व निवारण का उपाय जानने व सर्टिफाइड ओपल रत्न, रुद्राक्ष, पारद, स्फटिक का सामान डाक से घर पर मंगवाने के लिए हमे फ़ोन करे.

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Thursday, November 23, 2017

अप्सरा साधना के नियम

अप्सरा साधना के नियम







यदि किसी भाई या बहन को साधना में यकीन ना हो तो यह साधनाए मत करें। यह साधना तो केवल साधक जगत के लोगों के लिए हैं ना कि किसी को यकीन दिलाने के लिए।

साधक इन सब साधनाओं के बारे मे पहले से ही जानते हैं। बिना किसी के मार्गदर्शन मे साधना करने से समय ज्यादा लगता है इसलिए अच्छा यही है कि अपने गुरु की सहायता और आज्ञा प्राप्त करने के बाद ही इस प्रकार की साधना करें तो अधिक उपयुक्त रहेगा।

 जिन लोगों को इस प्रकार की साधना मे यकीन ना हो वो सब इनको कहानीयाँ समझ कर भुल जायें ऐसी हमारी प्रार्थना हैं।

The name of many Nymphs or Apsara are: Ambika, Alamvusha, Anavdaya, Anuchana, Aruna, Asita, Budbudha, Chandra Jyotsna, Devi, Ghartchi, Gunmukya, Gunuvra-Herrsha, Indar-lakshmi, Kamya, Karnika, Keshini, Kshaema Lata, Lakshmna, Manorama, Maarichi, Maneka, Misrasthlah, Mrigakshi, Nabhidarshana, Puarv-chitti, Pushpdeha, Rakshaita, Rambha, Rituashalah, Sahjanya, Samichi, Sor-Bhedi, Saradvti, Shuchika, Somi, Shuvahu, Shugandha, Supriya, Surza, Surasa, Surata (Riti Priya), Tialottama, Umalocha, Urvashi, Wpu, Waraga, Vidyutparna, Vihaachi.

अप्सराये अत्यंत सुंदर और जवान होती हैं. उनको सुंदरता और शक्ति विरासत में मिली है. वह गुलाब का इत्र और चमेली आदि की गंध पसंद करती हैं। तुमको उसके शरीर से बहुत प्रकार की खुशबू आती महसूस कर सकते हैं. यह गन्ध किसी भी पुरुष को आकर्षित कर सकती हैं। वह चुस्त कपड़े पहनना के साथ साथ अधिक गहने पहना पसंद करती है. इनके खुले-लंबे बाल होते है। वह हमेशा एक 16-17 साल की लड़की की तरह दिखती है।

 दरअसल, वह बहुत ही सीधी होती है। वह हमेशा उसके साधक को समर्पित रहती है। वह साधक को कभी धोखा नहीं देती हैं। इस साधना के दौरान अनुभव हो सकता है, कि वह साधना पूरी होने से पहले दिखाई दे। अगर ऐसा होता है, तो अनदेखा कर दें। आपको अपने मंत्र जाप पूरा करना चाहिए जैसा कि आप इसे नियमित रूप से करते थे। कोई जल्दबाजी ना करे जितने दिन की साधना बताई हैं उतने दिन पुरी करनी चाहिए। काम भाव पर नियंत्रण रखे। वासना का साधना मे कोई स्थान नहीं होता हैं।

 अप्सरा परीक्षण भी ले सकती हैं। जब सुंदर अप्सरा आती है तो साधक सोचता है, कि मेरी साधना पूर्ण हो गया है। लेकिन जब तक वो विवश ना हो जाये तब तक साधना जारी रखनी चाहिए।

केई साधक इस मोड़ पर, अप्सरा के साथ यौन कल्पना लग जाते है। यौन भावनाओं से बचें, यह साधना ख़राब करती हैं। जब संकल्प के अनुसार मंत्र जाप समाप्त हो और वो आपसे अनुरोध करें तो आप उसे गुलाब के फूल और कुछ इत्र दे। उसे दूध का बनी मिठाई पान आदि भेंट दे। उससे वचन ले ले की वह जीवन-भर आपके वश में रहेगी। वो कभी आपको छोड़ कर नहीं जाएगी और आपक कहा मानेगी। जब तक कोई वचन न दे तब तक उस पर विश्वास नही किया जा सकता क्योंकि वचन देने से पहले तक वो स्वयं ही चाहती हैं कि साधक की साधना भंग हो जाये।

किसी भी साधना मैं सबसे महत्वपुर्ण भाग उसके नियम हैं. सामान्यता सभी साधना में एक जैसे नियम होते हैं. परतुं मैं यहाँ पर विशेष तौर पर यक्षिणी और अप्सरा साधना में प्रयोग होने वाले नियम का उल्लेख कर रहा हूँ । अप्सरा या यक्षिणी साधना में ऊपर जो अण्डरलाइन और हरे रंग से लिखे गये नियम ही प्रयोग में आने वाले नियम हैं ।

1. ब्रह्मचये : सभी साधना मैं ब्रह्मचरी रहना परम जरुरी होता हैं. सेक्स के बारे में सोचना, करना, किसी स्त्री के बारे में विचारना, सम्भोग, मन की अपवित्रा, गन्दे चित्र देखना आदि सब मना हैं, अगर कुछ विचारना हैं तो केवल अपने ईष्ट को, आप सदैव यह सोचे कि वो सुन्दर सी अलंकार युक्त अप्सरा या देवी आपके पास ही मौजुद हैं और आपको देख रही हैं. और उसके शरीर में से ग़ुलाब जैसी या अष्टगन्ध की खुशबू आ रही हैं । साकार रुप मैं उसकी कल्पना करते रहो.

2. भूमि शयन :

केवल जमीन पर ही अपने सभी काम करें. जमीन पर एक वस्त्र बिछा सकते हैं और बिछना भी चाहिए

3. भोजन :

मांस, शराब, अन्डा, नशे, तम्बाकू, लहसुन, प्याज आदि सभी का प्रयोग मना हैं. केवल सात्विक भोजन ही करें.

4. वस्त्र :

वस्त्रो में उन्ही रंग का चुनाव करें जो देवता पसन्द करता हो.( आसन, पहनने और देवता को देने के लिये) (सफेद या पीला अप्सरा के लिये)

5. क्या करना हैं :-

 नित्य स्नान, नित्य गुरु सेवा, मौन, नित्य दान, जप में ध्यान- विश्वास, रोज पुजा करना आदि अनिवार्य हैं. और जप से कम से कम दो-तीन घंटे पहले भोजन करना चाहिए

6. क्या ना करें :-

जप का समय ना बद्ले, क्रोध मत करो, अपना आसन किसी को प्रयोग मत करने दो, खाना खाते समय और सोकर जागते समय जप ना करें. बासी खाना ना खाये, चमडे का प्रयोग ना करना, साधना के अनुभव साधना के दोरान किसी को मत बताना (गुरु को छोडकर)

7. मंत्र जप के समय कृपा करके नींद्, आलस्य, उबासी, छींक, थूकना, डरना, लिंग को हाथ लगाना, बक्वास, सेल फोन को पास रखना, जप को पहले दिन निधारित संख्या से कम-ज्यादा जपना, गा-गा कर जपना, धीमे-धीमे जपना, बहुत् तेज-तेज जपना, सिर हिलाते रहना, स्वयं हिलते रहना, मंत्र को भुल जाना( पहले से याद नहीं किया तो भुल जाना ), हाथ-पैंर फैलाकर जप करना, पिछ्ले दिन के गन्दे वस्त्र पहनकर मंत्र जप करना, यह सब कार्य मना हैं (हर मंत्र की एक मुल ध्वनि होती हैं अगर मुल ध्वनि- लय में मंत्र जपा तो मज़ा ही जायेगा, मंत्र सिद्धि बहुत जल्द प्राप्त हो सकती हैं जो केवल गुरु से सिखी जा सकती हैं )

8. यादि आपको सिद्धि करनी हैं तो श्री शिव शंकर भगवान के कथन को कभी ना भुलना कि “जिस साधक की जिव्हा परान्न (दुसरे का भोजन) से जल गयी हो, जिसका मन में परस्त्री (अपनी पत्नि के अलावा कोई भी) हो और जिसे किसी से प्रतिशोध लेना हो उसे भला केसै सिद्धि प्राप्त हो सकती हैं”

9. और एक सबसे महत्वपुर्ण कि आप जिस अप्सरा की साधना उसके बारे में यह ना सोचे कि वो आयेगी और आपसे सेक्स करेंगी क्योंकि वासना का किसी भी साधना में कोई स्थान नहीं हैं । बाद कि बातें बाद पर छोड दे । क्योंकि सेक्स में उर्जा नीचे (मुलाधार) की ओर चलती हैं जबकि साधना में उर्जा ऊपर (सहस्त्रार) की ओर चलती हैं

10. किसी भी स्त्री वर्ग से केवल माँ, बहन, प्रेमिका और पत्नी का सम्बन्ध हो सकता हैं । यही सम्बन्ध साधक का अप्सरा या देवी से होता हैं।

11.यह सब वाक सिद्ध होती हैं । किसी के नसिब में अगर कोई चीज़ ना हो तब भी देने का समर्थ रखती हैं । इनसे सदैव आदर से बात करनी चाहिए।

अप्सरा और यक्षिणी वशीकरण कवच:

इस कवच को यक्षिणी पुजा से पहले 1,5 या 7 बार जप किया जाना चाहिए। इस कवच के जप से किसी भी प्रकार की सुन्दरी साधना में विपरीत परिणाम प्राप्त नहीं होते और साधना में जल्द ही सिद्धि प्राप्त होती हैं।

हम आशा करते हैं कि जब भी आप कोई भी यक्षिणी साधना करोगें तो इस कवच का जप अवश्य करोगें। इस कवच के जप से समस्त प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली यक्षिणी साधक के नियंत्रण मे आ जाती हैं और साधक के सभी मनोरथो को पूर्ण करती हैं।

यक्षिणी साधना से जुडा यह कवच अपने आप मे दुर्लभ हैं। इस कवच के जपने से यक्षिणीयों का वशीकरण होता हैं। तो क्या सोच रहे हैं आप……………………

।। श्री उन्मत्त-भैरव उवाच ।।

श्रृणु कल्याणि ! मद्-वाक्यं, कवचं देव-दुर्लभं। यक्षिणी-नायिकानां तु, संक्षेपात् सिद्धि-दायकं ।।
ज्ञान-मात्रेण देवशि ! सिद्धिमाप्नोति निश्चितं। यक्षिणि स्वयमायाति, कवच-ज्ञान-मात्रतः ।।
सर्वत्र दुर्लभं देवि ! डामरेषु प्रकाशितं। पठनात् धारणान्मर्त्यो, यक्षिणी-वशमानयेत् ।।

विनियोगः-

ॐ अस्य श्रीयक्षिणी-कवचस्य श्री गर्ग ऋषिः, गायत्री छन्दः, श्री अमुकी यक्षिणी देवता, साक्षात् सिद्धि-समृद्धयर्थे पाठे विनियोगः।

ऋष्यादिन्यासः-

श्रीगर्ग ऋषये नमः शिरसि, गायत्री छन्दसे नमः मुखे, श्री रतिप्रिया यक्षिणी देवतायै नमः हृदि, साक्षात् सिद्धि-समृद्धयर्थे पाठे विनियोगाय नमः सर्वांगे।

।। मूल पाठ ।।

शिरो मे यक्षिणी पातु, ललाटं यक्ष-कन्यका।
मुखं श्री धनदा पातु, कर्णौ मे कुल-नायिका ।।
चक्षुषी वरदा पातु, नासिकां भक्त-वत्सला।
केशाग्रं पिंगला पातु, धनदा श्रीमहेश्वरी ।।
स्कन्धौ कुलालपा पातु, गलं मे कमलानना।
किरातिनी सदा पातु, भुज-युग्मं जटेश्वरी ।।
विकृतास्या सदा पातु, महा-वज्र-प्रिया मम।
अस्त्र-हस्ता पातु नित्यं, पृष्ठमुदर-देशकम् ।।
भेरुण्डा माकरी देवी, हृदयं पातु सर्वदा।
अलंकारान्विता पातु, नितम्ब-स्थलं दया ।।
धार्मिका गुह्यदेशं मे, पाद-युग्मं सुरांगना।
शून्यागारे सदा पातु, मन्त्र-माता-स्वरुपिणी ।।
निष्कलंका सदा पातु, चाम्बुवत्यखिलं तनुं।
प्रान्तरे धनदा पातु, निज-बीज-प्रकाशिनी ।।
लक्ष्मी-बीजात्मिका पातु, खड्ग-हस्ता श्मशानके।
शून्यागारे नदी-तीरे, महा-यक्षेश-कन्यका।।
पातु मां वरदाख्या मे, सर्वांगं पातु मोहिनी।
महा-संकट-मध्ये तु, संग्रामे रिपु-सञ्चये ।।
क्रोध-रुपा सदा पातु, महा-देव निषेविका।
सर्वत्र सर्वदा पातु, भवानी कुल-दायिका ।।
इत्येतत् कवचं देवि ! महा-यक्षिणी-प्रीतिवं।
अस्यापि स्मरणादेव, राजत्वं लभतेऽचिरात्।।
पञ्च-वर्ष-सहस्राणि, स्थिरो भवति भू-तले।
वेद-ज्ञानी सर्व-शास्त्र-वेत्ता भवति निश्चितम्।
अरण्ये सिद्धिमाप्नोति, महा-कवच-पाठतः।
यक्षिणी कुल-विद्या च, समायाति सु-सिद्धदा।।
अणिमा-लघिमा-प्राप्तिः सुख-सिद्धि-फलं लभेत्।
पठित्वा धारयित्वा च, निर्जनेऽरण्यमन्तरे।।
स्थित्वा जपेल्लक्ष-मन्त्र मिष्ट-सिद्धिं लभेन्निशि।
भार्या भवति सा देवी, महा-कवच-पाठतः।।
ग्रहणादेव सिद्धिः स्यान्, नात्र कार्या विचारणा ।।

नोटः-

शुद्ध उच्चारण के साथ किसी साधक के मार्गदर्शन में इन मंत्रों का प्रयोग करना ही लाभकर होगा।यदि किसी भी प्रकार की दिक्कते हो,तो मुझसे सम्पर्क कर सकते है।
आप सभी को मेरी शुभकामनाएं साधना करें साधनामय बनें......

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Sunday, November 19, 2017

नारायन कवच

नारायन कवच









नारायन कवच में भगवान विषणु की अदभुत कृपा है।

इस कवच को धारण करने वाला या घर में स्थान पर रखना वाले की समस्त मनो कामना  पूर्व होती है।

इस कवच की महिमा का गज ने वर्णन किया था और गजेन्द्र मोक्ष के द्वारा सिद्ध यह कवच चारो दिशाओं में विजय दिलाने वाला है।

इस कवच के धारण करने वाले को मन में जो अनजाना डर रहता है चिन्ता रहती है, मन मस्तिक में चिंता रहती है,

हर समय भय- व असंतोष का वातावरण रहता है इसको धारण करने से
सभी विकार शीघ्र नष्ट हो जाता है।

गुरु चांडाल योग ,केंद्र दोष या गुरु जनित कष्ट ,परिवारीक तनाव हो ,या विवाह में विलंभ हो यह एह अचूक कवच है

यह कवच परम आदरणीय है इसके प्रभाव शीघ्र ही परिलक्षित होता हे आप इसे पूण्र श्रद्धा व विश्वास से इसे पहने भगवान नारायण की कृपा से शीघ्र ही समस्त दुःखो का निवारण हो जायेगा। -

दक्षिणा शुल्क 1500 रू +डाक व्यय

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Saturday, November 18, 2017

तंत्र बाधा निवारक : छिन्नमस्ता साधना

तंत्र बाधा निवारक : छिन्नमस्ता साधना








 संपन्न करें

॥ श्रीं ह्रीं क्लीं ऎं व ज्र वै रो च नी यै हुं हुं फ़ट स्वाहा ॥

नोट:-

यह साधना गुरुदीक्षा लेकर गुरु अनुमति से ही करें....

यह साधना एक प्रचंड साधना है.
इस साधना में मार्गदर्शक गुरु का होना जरूरी है.
दीक्षा लेने के बाद ही इस साधना को करें.
कमजोर मानसिक स्थिति वाले बच्चे तथा महिलायें इसे ना करें क्योंकि इस साधना के दौरान डरावने अनुभव हो सकते हैं.

प्रबल से प्रबल तंत्र बाधा की यह अचूक काट है.
हर प्रकार के तांत्रिक प्रयोग को, प्रयोग करने वाले सहित ध्वस्त करने में इस साधना का कोई जवाब नहीं है.

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Wednesday, November 15, 2017

नवनाथ-शाबर-मन्त्र

नवनाथ-शाबर-मन्त्र









“ॐ नमो आदेश गुरु की। ॐकारे आदि-नाथ, उदय-नाथ पार्वती। सत्य-नाथ ब्रह्मा। सन्तोष-नाथ विष्णुः, अचल अचम्भे-नाथ। गज-बेली गज-कन्थडि-नाथ, ज्ञान-पारखी चौरङ्गी-नाथ। माया-रुपी मच्छेन्द्र-नाथ, जति-गुरु है गोरख-नाथ। घट-घट पिण्डे व्यापी, नाथ सदा रहें सहाई। नवनाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई। ॐ नमो आदेश गुरु की।।”

विधिः-

 पूर्णमासी से जप प्रारम्भ करे। जप के पूर्व चावल की नौ ढेरियाँ बनाकर उन पर ९ सुपारियाँ मौली बाँधकर नवनाथों के प्रतीक-रुप में रखकर उनका षोडशोपचार-पूजन करे। तब गुरु, गणेश और इष्ट का स्मरण कर आह्वान करे। फिर मन्त्र-जप करे।

प्रतिदिन नियत समय और निश्चित संख्या में जप करे। ब्रह्मचर्य से रहे, अन्य के हाथों का भोजन या अन्य खाद्य-वस्तुएँ ग्रहण न करे। स्वपाकी रहे। इस साधना से नवनाथों की कृपा से साधक धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष को प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है।

उनकी कृपा से ऐहिक और पारलौकिक-सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

विशेषः-’

शाबर-पद्धति’ से इस मन्त्र को यदि ‘उज्जैन’ की ‘भर्तृहरि-गुफा’ में बैठकर ९ हजार या ९ लाख की संख्या में जप लें, तो परम-सिद्धि मिलती है और नौ-नाथ प्रत्यक्ष दर्शन देकर अभीष्ट वरदान देते हैं।

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Tuesday, November 14, 2017

हरिद्रा माला

प्राण प्रतिष्ठित हरिद्रा माला

हरिद्रा माला










मित्रों आज के सुचना युग में वैसे तो लोग काफी जानकारी रखते हैं पर हरिद्रा यानि हल्दी का सर्वाधिक उपयोग खाने में ही करते हैं। इसी हल्दी के कुछ अन्य उपयोग आज आपको बता रहा हूँ

 1. माँ पीताम्बरा यानि माँ बगुलामुखी की  साधना में जप हेतु हल्दी माला का प्रयोग होता है। इसके साथ ही माँ के शत्रुनाश या बाधानाश और कामनापूर्ति अनुष्ठान में भी इसका प्रयोग होता है।

 2. जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या शुभफल न दे रहा हो उन्हें हल्दी माला धारण करनी चाहिए।

बृहस्पति देव गुरु हैं बुद्धि शिक्षा पुत्र और धन के दाता हैं। 3. धनु और मीन लग्न एवं राशी वालों को ये माला धारण करनी चाहिए।

4. जो बच्चे बेहद चंचल या गुस्सैल हों और पढाई में बिलकुल मन न लगाते हों उन्हें ये माला पहनानी चाहिए।

5. भगवान श्री गणेश जी की साधना में भी हरिद्रा माला अतिफल्दायी है।

 6. क़र्ज़ नाश हेतु हरिद्रा गणपति साधना में ये माला सर्वोपयुक्त है। जो ये साधना करने में सक्षम न हो उन्हें भगवन गणेश को ये माला पहना कर कर्जमुक्ति हेतु ऋण नाशन गणपति स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

7. जिन लोगों का लीवर कमजोर हो या बार बार पीलिया हो जाता हो अथवा पीलिया लगातार रिपोर्ट में आता हो उन्हें पुनर्नवा की माला के साथ हरिद्रा की माला पहननी चाहिए।

8. धन सम्बन्धी समस्याओं के लिए हरिद्रा माला पर ताम्बे का श्रीयंत्र स्थापित कर पूजन करें।

 9. त्वचा रोगों से ग्रसित व्यक्ति नहाने से आधा घंटा पूर्व ये माला पानी की बाल्टी में डाल दें फिर उस पानी से नहा लें और माला धारण कर लें।

 10. ऊपरी बाधा से ग्रसित या बार बार पीड़ित होने वाले व्यक्ति को माँ बगुलामुखी के मन्त्र से अभिमंत्रित माला धारण करनी चाहिए।

11. घर में सुख शांति व् धार्मिक वातावरण बनाने के लिए ईशान यानि उत्तर पूर्व कोण पर श्रीकृष्ण की प्रतिमा या फोटो स्थापित कर पर हरिद्रा माला पहनानी चाहिए।

माला  दाक्षिना मूल्य   500 रूपये  मात्र

राजगुरु जी

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Sunday, November 12, 2017

शत्रु बाधा निवारक बगलामुखी प्रयोग

शत्रु बाधा निवारक बगलामुखी प्रयोग








वर्तमान समय में हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई शत्रु है.जिसके कारण जीवन में परेशानी बढती ही जाती है.और कभी कभी तो ये शत्रु हम पर इतने हावी हो जाते है की जीवन में म्रत्यु तुल्य कष्ट होने लगता है.

प्रस्तुत प्रयोग इसी विषय पर है जिसके करने मात्र से आपको निम्न समस्याओ से स्वतः मुक्ति मिल जाएगी। १. कोई न्यायालय में आपके खिलाफ मुकदमा चल रहा हो तो .

२. कोई शत्रु लगातार षड़यंत्र रच रहा हो तो.

 ३ . घर तथा परिवार का कोई अनिष्ट करना चाह रहा हो तो.

४. कार्य क्षेत्र में अधिकारी या सह कर्मी कोई कष्ट दे रहे हो तो.

५. निरंतर जीवन में बाधाए आ रही हो तो.

६ . आप पर या परिवार पर कोई तंत्र प्रयोग किया गया हो तो. उपरोक्त सभी समस्याओ से मुक्ति दिलाता है  ये,बगलामुखी प्रयोग।

आप ये प्रयोग किसी भी रविवार की रात्रि ११ बजे के बाद करे.आपके आसन वस्त्र पीले होंगे।तथा दिशा होगी दक्षिण।

अपने सामने बाजोट पर पिला वस्त्र बिछा दे,और उस पर एक पिली सरसों की ढेरी बना दे. अब एक सुपारी लीजिये और उसे हल्दी से
रंजित कर दीजिये और उस पर कच्चे सूत का धागा लपेटे जो की पहले से ही हल्दी से रंग लिया गया हो.सुपरि को पूरा लपेट देना है धागे से, अब उस सुपारी को,सरसों की ढेरी पर स्थापित करे.तथा सुपारी का सामान्य पूजन करे.

भोग में कोई पिली मिठाई अर्पण करे. सरसों के तेल का दीपक लगाये जो की मिटटी का हो,और उसकी बत्ती भी हल्दी से रंगी हुई हो.अब संकल्प ले की किस कार्य के लिये आप ये प्रयोग कर रहे है.

इसके बाद निम्न मंत्र को पड़ते हुए एक एक चुटकी हल्दी सुपारी पर अर्पण करे,ऐसा आपको ३६ बार करना है. ह्लीं बगलामुखी ह्लीं फट  HLEEM BAGLAMUKHI HLEEM PHAT

इसके बाद सुपारी की और देखते हुए स्थिर भाव से, निम्न मंत्र का बिना किसी माला के एक घंटे तक जाप करे. हूं हूं ह्लीं ह्लीं हूं हूं फट  HOOM HOOM HLEEM HLEEM HOOM HOOM PHAT

इसमें जप वाचिक होंगे।जब जाप पूर्ण हो जाये तब पुनः माँ से प्रार्थना करे.अगले दिन सरसों ,सुपारी,दीपक भोग भी उसी पीले वस्त्र में बांध कर,किसी निर्जन स्थान पर रख आये,और एक दीपक वहा जलाकर रख आये.

य़े दीपक भी मिटटी का होगा और,तेल सरसों का होगा। हो सके तो समस्त सामग्री को जमीन में गाड देना चाहिए।और दीपक गाडी हुयी जगह के ऊपर जलाकर आना चाहिए।अन्यथा रख कर भी आ सकते है.प्रयोग के पहले गुरु गणपति पूजन अवश्य करे.

माँ आपकी समस्त समस्याओका अंत करे

महाविद्या आश्रम

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Saturday, November 11, 2017

केसे करें मां बगलामुखी पूजन…??

केसे करें मां बगलामुखी पूजन…??









माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए.

 पूजा करने के लुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें.

इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें.

 इस पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें.

इस अवसर पर मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार पूजन करें-

साधक को माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर इस प्रकार संकल्प करें-

  संकल्प--------

ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य……(अपने गोत्र का नाम) गोत्रोत्पन्नोहं ……(नाम) मम सर्व शत्रु स्तम्भनाय बगलामुखी जप पूजनमहं करिष्ये। तदगंत्वेन अभीष्टनिर्वध्नतया सिद्ध्यर्थं आदौ: गणेशादयानां पूजनं करिष्ये।

यह हें माँ बगलामुखी मंत्र —-विनियोग -

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए….

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार…..

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

इसके बाद भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। नीचे लिखे मंत्रों से गौरी आदि षोडशमातृकाओं का पूजन करें-

गौरी पद्मा शचीमेधा सावित्री विजया जया।
देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातर:।।
धृति: पुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता।
गणेशेनाधिकाह्योता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश।।

इसके बाद गंध, चावल व फूल अर्पित करें तथा कलश तथा नवग्रह का पंचोपचार पूजन करें।
तत्पश्चात इस मंत्र का जप करते हुए देवी बगलामुखी का आवाह्न करें-

नमस्ते बगलादेवी जिह्वा स्तम्भनकारिणीम्।
भजेहं शत्रुनाशार्थं मदिरा सक्त मानसम्।।

आवाह्न के बाद उन्हें एक फूल अर्पित कर आसन प्रदान करें और जल के छींटे देकर स्नान करवाएं व इस प्रकार पूजन करें-

गंध-

 ऊँ बगलादेव्यै नम: गंधाक्षत समर्पयामि। का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीला चंदन लगाएं और पीले फूल चड़ाएं।

पुष्प-

ऊँ बगलादेव्यै नम: पुष्पाणि समर्पयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले फूल चढ़ाएं।

धूप-

ऊँ बगलादेव्यै नम: धूपंआघ्रापयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को धूप दिखाएं।

दीप-

 ऊँ बगलादेव्यै नम: दीपं दर्शयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को दीपक दिखाएं।

नैवेद्य-

ऊँ बगलादेव्यै नम: नैवेद्य निवेदयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।

अब इस प्रकार प्रार्थना करें-

जिह्वाग्रमादाय करणे देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयन्ताम्।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।।

अब क्षमा प्रार्थना करें-

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।

अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।

बगलामुखी साधना की सावधानियां :-

1. बगलामुखी साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना अत्यधिक आवश्यक है।

2. इस क्रम में स्त्री का स्पर्श, उसके साथ किसी भी प्रकार की चर्चा या सपने में भी उसका आना पूर्णत: निषेध है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपकी साधना खण्डित हो जाती है।

3. किसी डरपोक व्यक्ति या बच्चे के साथ यह साधना नहीं करनी चाहिए। बगलामुखी साधना के दौरान साधक को डराती भी है। साधना के समय विचित्र आवाजें और खौफनाक आभास भी हो सकते हैं इसीलिए जिन्हें काले अंधेरों और पारलौकिक ताकतों से डर लगता है, उन्हें यह साधना नहीं करनी चाहिए।

4. साधना से पहले आपको अपने गुरू का ध्यान जरूर करना चाहिए।

5. मंत्रों का जाप शुक्ल पक्ष में ही करें। बगलामुखी साधना के लिए नवरात्रि सबसे उपयुक्त है।

6. उत्तर की ओर देखते हुए ही साधना आरंभ करें।

7. मंत्र जाप करते समय अगर आपकी आवाज अपने आप तेज हो जाए तो चिंता ना करें।

8. जब तक आप साधना कर रहे हैं तब तक इस बात की चर्चा किसी से भी ना करें।

9. साधना करते समय अपने आसपास घी और तेल के दिये जलाएं।

10. साधना करते समय आपके वस्त्र और आसन पीले रंग का होना चाहिए।

जय मां पीताम्बरा ।।।

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Tuesday, November 7, 2017

आकर्षण हेतु हनुमद्-मन्त्र-तन्त्र`

आकर्षण हेतु हनुमद्-मन्त्र-तन्त्र











ॐ अमुक-नाम्ना ॐ नमो वायु-सूनवे झटिति आकर्षय-आकर्षय स्वाहा।”

विधि-

 केसर, कस्तुरी, गोरोचन, रक्त-चन्दन, श्वेत-चन्दन, अम्बर, कर्पूर और तुलसी की जड़ को घिस या पीसकर स्याही बनाए। उससे द्वादश-दल-कलम जैसा ‘यन्त्र’ लिखकर उसके मध्य में, जहाँ पराग रहता है, उक्त मन्त्र को लिखे। ‘अमुक’ के स्थान पर ‘साध्य’ का नाम लिखे।

 बारह दलों में क्रमशः निम्न मन्त्र लिखे- १॰ हनुमते नमः, २॰ अञ्जनी-सूनवे नमः, ३॰ वायु-पुत्राय नमः, ४॰ महा-बलाय नमः, ५॰ श्रीरामेष्टाय नमः, ६॰ फाल्गुन-सखाय नमः, ७॰ पिङ्गाक्षाय नमः, ८॰ अमित-विक्रमाय नमः, ९॰ उदधि-क्रमणाय नमः, १०॰ सीता-शोक-विनाशकाय नमः, ११॰ लक्ष्मण-प्राण-दाय नमः और १२॰ दश-मुख-दर्प-हराय नमः।

यन्त्र की प्राण-प्रतिष्ठा करके षोडशोपचार पूजन करते हुए उक्त मन्त्र का ११००० जप करें। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए लाल चन्दन या तुलसी की माला से जप करें। आकर्षण हेतु अति प्रभावकारी है।

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Thursday, November 2, 2017

शाबर रक्षा नारियल

शाबर रक्षा नारियल

















आपने देखा होगा की लगभग सभी दुकानों में लाल कपडे में नारियल बांधकर लटकाया जाता है, कई घरों में भी ऐसा किया जाता है. यह स्थान देवता की पूजा और गृह रक्षा के लिए किया जाता है.

नवरात्रि पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.

आवश्यक सामग्री :-

लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
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वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.

सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."

इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.

नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.

लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.

नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 1008 बार जाप करें ऐसा कम से कम तीन दिन तक करें. पूरी नवरात्रि कर सकें तो और भी बेहतर है.

"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"

अब इस नारियल को लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें.

यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

महाविद्या आश्रम में इस depawali के shubh मुहूर्त  में इस शाबर रक्षा नारियल का nirman किया जा रहा हैं जिस  किसी को भी शाबर रक्षा नारियल मांगना  हैं तो आप सब मेरे   व्हाट्सप्प न०;- 9958417249. पर संपर्क  कर सकते हैं .

दक्षिणा  न्यौच्छावर.   550 .रुपये

राजगुरु जी

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Tuesday, October 31, 2017

64 योगिनी महा यंत्र

64 योगिनी महा यंत्र








इस यंत्र का महत्त्व नाथ सम्प्रदाय में अन्यतम है। कहा जाता है की यह साबर और महाविद्याओं की साधना में अनिवार्य है। इस यंत्र को योगिनी हृदयँ में महायंत्र की संज्ञा दी गई है।

यह यंत्र सदा ही गोपनीय रहा है क्योकि यह 64 योगिनियों को समर्पित है जो समस्त नाथ ,साबर ,अघोर आदि साधनाओ की सिद्धिदात्री है। बिना 64 योगिनी की सहायता से इन सभी साधनाओ में सफलता संदिग्ध ही रहती है।

बहुत दिनों से इस यंत्र की खोज में थे। आखिरकार हमे एक सिद्ध योगी से इसकी पूर्ण विधि प्राप्त हो गयी और साथ ही उसने सात्विक और तामसिक दोनों ही विधियों हमे बतादी जो इसे सिद्ध करने के लिए जरूरी है।

 सात्विक विधि में जहां नारियल, आदि सात्विक वस्तुए एक एक 64 योगिनी को समर्पित की जाती है वाही तामसिक विधि में मीट एवं मद्ध का इस्तमाल होता है।

 इस यंत्र को सर्वप्रथम भोजपत्र या ताँबे में बनाया जाता है फिर एक-एक योगिनी की पूजा अर्चना एवं मन्त्र जपना परता है।इसके बाद मूल योगिनी मन्त्र का पाठ कर हवंन कर इस यंत्र को सिद्ध करा जाता है। हमने जो लाभ इस यंत्र से अनुभव करे है -

# हर प्रकार की साधना में विचित्र अनुभव क्योकि 64 योगिनीय हमारी हर साधना में सफलता प्रदान करती है ।

#आध्यात्मिक रहस्यों एवं ज्ञान की प्राप्ति स्वप्न, शुषुप्ति अवस्था में। # कुण्डलिनी जागरण में तीव्रता से सफल होना

#साबर मंत्रो की सिद्धि

# पूर्ण सुरक्षा

# हमारे अनुभव में यह भी आया है की इस यंत्र के धारण से व्यक्ति की इच्छाओ की पूर्ती जल्द होती है। 64 योगिनियां महाविद्या साधना में विशेष सफलता प्रदान करती है।

 वास्तव में यह यंत्र धारणीय एवं पूजनीय है। और हमारा खुद का अनुभव है की साधक को इसे सिद्ध करना ही चाइये। यह यंत्र एक अखाड़े के योगी से मुझे प्राप्त है और उनके वचन से बंधे होने के कारण मैं इसकी पूर्ण विधि कही प्रकाशित नहीं करूँगा।

 इसलिए जो भी इस महायंत्र की पूर्ण विधि जानना चाहते है कृपया मुझे personally फ़ोन करके ले ले क्योकि मैं भी वचनबद्ध हूँ। महाविद्या आश्रम .

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 09958417249

Sunday, October 29, 2017

वशीकारन

वशीकारन



 





सम्मोहान  वशीकारन  के लिए किसी  "" रवि  पुष्य    "" योग  के दिन सात लौंग   (  फूलदार  होनी चाहिए  )  लेकर उन्हे धूप  -  दीप  देकर इस मंत्र  द्वारा  अभिमांत्रित  करें  .

   | ॐ   ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ||

 समाग्री   : - 

सिद्धि  वशीकारनी  माला  . चामुण्डा  बीसा  यंत्र  प्राण  प्रातिष्टा  युक्त मंत्र  सिद्धि .

यह मंत्र 51 माला  जपना चाहिए  . तदूपरांत   इसी मंत्र से 51 आहुतियाँ  देकर हवन  करें . फिर लौंग को कहीं पवित्र स्थान पर रख दें . आवश्यकतानुसार  एक लौंग  पुन :  सात बार वही मंत्र पढ़कर  ""    अमुक   ""   व्यक्ति को खिला दें .

 यह कार्य   ""   रवि  या मंगल   ""   के दिन विशेष  प्रभावी  होता हैं . संभव हो तो उसे 3 या 4   दिन तक वह   ""  लौंग   ""   खिलाते रहें  .

यह प्रयोग उस व्यक्ति को आप की अोर आकर्षित  कर देगा . यथासम्भव  ऐसे प्रयोग किसी दुष्कामना  से प्रेरित होकर नहीं करना चाहिए .

महाविद्या आश्रम

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Friday, October 27, 2017

चामुंडा स्वप्न सिद्धि साधना

चामुंडा स्वप्न सिद्धि साधना









 ॐ ह्रीम आगच्छा गच्छ चामुंडे श्रीं स्वाहा ।।

सामग्री   :  -   स्वप्न सुंदरी यंत्र . चामुंडा गुटिका . विद्दुत माला . सभी सामग्री प्राण प्रतिष्ठा युक्त मंत्र सिद्धि चैतन्य होना ज़रूरी हैं .

 विधि :-

 सबसे पहले मिट्टी ओर गोबर से जमीन को लीप ले ओर वो जगह पर कोई बिछोना बिछाले । फिर पंचोपचार से मटा का पूजन करके देवी मटा को नेवेध्य अर्पण करे ।

 उसके बाद विद्दुत माला की माला से उपरोक्त मंत्र का जाप 10,000 बार करे ओर देवी का द्यान करे इस तरह मंत्र सिद्धि कारले फिर उसके बाद जब कभी भी कोई प्रश्न मन मे हो तो मंत्र का 1 माला यानि 108 बार मंत्र का जाप करके सो जाए तो देवी अर्धरात्रि को स्वप्न मे आकार प्रश्न का उत्तर प्रदान करती हे …

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम .

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Sunday, October 22, 2017

घोर रूपिणी वशीकरण साधना -

घोर रूपिणी वशीकरण साधना -

यह साधना बहुत ही तीक्ष्ण प्रवाभ रखती है | इसका उपयोग शत्रु वशीकरण के लिए और रूठी हुई पत्नी जा पति को वश में करने के लिए किया जाता है |यह भी ध्यान रखे के किसी भी अनुचित कार्य के लिए यह प्रयोग न करे अथवा आपको हानि होगी | यहा सिर्फ जिज्ञाशा के लिए यह प्रयोग दे रहा हु इसे अपने उच्च अधिकारी पत्नी अथवा पति को अनुकूल बनाने के लिए प्रयोग करे |

साधना विधि –

किसी भी अमावश ,ग्रहण काल ,दीपावली आदि शुभ महूरत में शुरू कर इसका जाप 7 दिन में 11000 कर के सिद्ध कर ले फिर किसी भी ख्द्य पदारथ भोजन आदि जब भी आप करने बैठे उसे 7 वार अभिमंत्रिक कर जिसका भी नाम लेकर खाया जाता है उसका निहचय ही वशीकरण हो जाता है और वह आपके अनुकूल कार्य करने लगेगा और आपकी आज्ञा का पालन करेगा |

१. किसी बेजोट पे एक लाल कपड़ा विशा दे उसके उपर एक नारियल तिल की ढेरी पे स्थाप्त करे |

२. नारियल का पूजन करे उस पे सिंदूर का तिलक करे धूप दीप आदि से घोर रूपिणी को स्मरण करते हुये पूजन करे |

३. भोग मिठाई का लगाए |

४. दिशा दक्षिण की तरफ मुख रखे |

५. आसन कंबल का ले जा कोई भी ऊनी आसन ले ले |

६. माला काले हकीक जा रुद्राक्ष की ठीक रहती है |

७. वस्त्र किसी भी तरह के पहन ले |इस साधना को शाम 8 से 10 व्जे के बीच कभी भी शुरू कर ले |

८. मंत्र जाप पूरा हो जाए तो नारियल किसी भी शिव मंदिर जा काली के मंदिर में कुश दक्षणा के साथ चढ़ा दे और सफलता के लिए प्रार्थना करे |

९. गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनिवार्य होता है इसका ध्यान रखे |
मंत्र---

|| ॐ नमः कट विकट घोर रूपिणी स्वाहा ||

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Saturday, October 21, 2017

वशीकरण चमत्कारी प्रयोग

वशीकरण  चमत्कारी प्रयोग





सामग्री   : - 

मँत्रसिद्धि प्राण प्रतिष्ठा युक्त वशीकरण यंत्र  . श्रीयंत्र . कनक धारा यंत्र . कुबेर यंत्र  सभी यंत्र भोजपत्र पर निर्मित हो . केशर . धूप . देशी घी का . अगरबत्ती . गुलाब का इत्र .

माला   : -    बैजन्ती माला .

समय   : -    दिन  या रात्रि  का कोई भी शुभ समय .

आसन  :  -   सफेद रंग का सूती आसन .

दिशा    :  -    पूर्व दिशा .

अवधि  : -     ग्यारह या 18 दन

मंत्र      : -     ॐ  नमो कुबेराय वैश्रवणाय

                अक्षय    समृद्धि  देहि  देहि कनक धारायें नम :

प्रयोग   : - 

यह उत्तम और अक अनुभूत प्रयोग  हैं . साधक को चाहिए कि वह किसी भी रविवार से यह प्रयोग करें . सामने  सफेद वस्त्र  बिछाकर  बीच मॆ कुबेर यंत्र और वशीकरण यँत्र . बायीं  तरफ़ श्री यंत्र  तथा दाहिनी तरफ़ कनक धारा यंत्र रख दे . सभी यंत्रों पर  इत्र का लेप करें और उनपर केशर आदि से तिलक कर पुष्प चढ़ाये और विधिवत रूप से पूजा आदि करके फिर जाप शुरू कर दें .

    जब मंत्र जाप पूरा हो जाऐं  तो तीनो यंत्रों को इसी क्रम  से पूजा घर मैं रख दें . और वशीकरण यन्त्र को लाल कपड़े मॆ रख कर जेब मॆ रख  ले . तो जीवन मैं किसी प्रकार की  कोई कमी नही रहती और सभी दृष्टियों से सुख -  समृद्धि  का अटूट बना रहता हैं . और जिसका भी वशीकरण करना होता होता हैं वह सदैव आप का अपना बनकर रहता हैं . जब भी अपने प्रेमी - प्रेमिका के  पास मिलने जाना हो तो वह  वशीकरण यंत्रणा और इत्र लगाकर जाऐँ  . तो गोली की तरह असर होगा  .

यह अक अनुभूत और परीक्षित प्रयोग हैं .

नोट    : - 

कोई भी साधना करने से पहले अपने गुरु जी या किसी योग्य साधक के मार्गदर्शन मॆ ही साधना सम्पन्न करें .साधना मॆ किसी भी प्रकार से गलत दुरपयोग करने पर साधक  खुद जिम्मेदार होगा

 राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम
.
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Friday, October 20, 2017

सिद्ध जप माला

सिद्ध जप माला










मित्रो आप सब जनते हे कोई भी मन्त्र करने के लिए एक जप माला की आवश्कता होती हे । परन्तु क्या आप ये जानते हे की यह माला शास्त्र के अनुसार सम्पूर्ण रूप से प्राण प्रतिष्टित और मंत्र से सिद्ध होनी आवश्यक हे अन्यथा किये गए जप का फल साधक को पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता और साधक की महेनत व्यर्थ जाती हे ।।

परन्तु आप चिंता मत करे हमने आपके लिए वैदिक ब्रह्मिनो के द्वारा प्राण प्रतिष्टित और सम्पूर्ण रूप से मन्त्र शक्ति से चैतन्य युक्त कर तैयार की हे और इस माला का मुल्य भी बहोत सामान्य रक्खा गया हे । कोई भी व्यक्ति यह माला को घर बैठे ही प्राप्त कर शकता हे ।।

विशेष नोध । आपके नाम से प्राण प्रतिष्टित माला का उपयोग आप स्वयं ही करे किसी और को मत करने दे अन्यथा जप का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा ।।

सिर्फ आपको अपना ऑर्डर निचे दिए नंबर पर sms कर या कोल कर बुक करका शकते हे । sms करने वाले अपना पूरा पता एवं पिन कोड अवश्य लिखे ।।

सिद्ध जप माला की तस्वीर यहाँ निचे दी गई हे ....

सिद्ध जप माला । प्रसादी मुल्य । Rs 450 /-
पोस्टल चार्जिस एक्स्ट्रा । Rs 50/-

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Tuesday, October 17, 2017

वशीकरण प्रयोग

 वशीकरण प्रयोग









      लोहट मंत्र  :- 

 ""    नमो भगवते कामदेवाय सर्वजन प्रियाय सर्वजन सम्मोहनाय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल हन हन  वद वद तप तप सम्मोहाय सम्मोहाय सर्वजन मे वशं कुरु कुरु स्वाहा  ""

सामग्री   : -    सम्मोहनी  कवच यंत्र . गुटिका . विड्डुत

माला . गोमती चक्र . कौड़ी .  रक्तगुँजा . सभी सामग्री

 प्राण प्रतिष्ठा यूक्त सम्पन्न हो .

मंत्र जाप संख्या  : - इक्कीश हजार

दिशा :- उत्तर

स्थान  :- घर का एकांत कक्ष

समय  :- मध्य रात्रि

दिन  ;- शुक्रवार  / या  मोहनी एकादशी

आसन :- सफ़ेद

वस्त्र :- सफ़ेद धोती

हवन  :- ( दशांश ) देशी घी , पंचमेवा  ( काजू , बादाम , किशमिश , पिश्ता , मखाना  )

विधि  :-

   मोहनी एकादशी या किसी भी शुक्रवार को स्नान आदि से निवित्र होकर कांशे की थाली में समस्त तांत्रिक पूजन  सामग्री स्थापित करके पंचोपचार पूजन करना चाहिए व्यक्ति विशेष को वश में करने का अथवा सिद्धि का संकल्प लेते हुए ,

विधि - विधान पूर्वक गुरु - गणेश वंदना करके , मूल मंत्र का जाप करे ,

. जाप की पूर्णता पर दशांश हवन करके  ब्राह्मण , एवं  पांच कुवारी कन्यायो को भोजन  सहित उपयुक्त दान - दक्षिणा देकर साधना को पूरा करे .

इस महत्व पूर्ण सम्मोहनी साधना से साधक का व्यक्तित्व अत्यंत सम्मोहक और आकर्षक हो जाता हैं .उसके संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रहता .

यदि कोई साधना करने में असमर्थ हो , तो योग्य विद्द्वान द्वारा या साधना सम्पन्न करा के करवाकर सम्मोहनी कवच धारण करके उक्त लाभ प्राप्त कर सकता हैं .

 नोट  : -

सम्मोहनी कवच का निर्माण हमारे यहा भी किया जाता हैं . और साधना  सामग्री भी हमारे यहा से प्राप्त किया जा सकता हैं

सम्मोहनी कवच का मूल्य   : -  2100

साधना सामग्री का मूल्य   : -    1100

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम
.
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Saturday, October 14, 2017

शत्रु मारण मंत्र

शत्रु मारण मंत्र









ॐ ऐं ह्रीं महा महा बिकराल भैरवाय ज्वालाक्ताय मम शत्रुं दह दह हन हन पच पच उन्मूलय उन्मूलय ॐ ह्रीं ह्रीं हुं फट् ।।

  सामग्री  -

 श्मशान भैरव यंत्र . गुटिका  . भूत केशी जड़ . काली हकीक माला . प्राण प्रतिष्ठा युक्त मंत्र सिद्धि चैतन्य .

विधि –

 उपरोक्त मंत्र का शनिवार या मंगलवार से जप शुरु करे, जप एक सप्ताह मे ३१०० इकत्तीस हजार जप करने के पश्चात सवा सेर सरसों लेकर हवन करें ।। अवश्य शत्रु नाश होगा ।।

शत्रु शमन के लिए

साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरुद्ध कोई कदमनहींउठाएगा।

चेतावनी  - साधना प्रयोग किसी योग्य तंत्रिका या गुरु के मार्ग दर्शन मे ही करें .

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Friday, October 13, 2017

सावधान! आने वाली है महारात्रि,

सावधान! आने वाली है महारात्रि,







तंत्र-मंत्र और अदृश्य शक्तियों से बचें

तंत्रशास्त्र में अनेक विधान हैं जैसे की टोना, टोटका, उपाय, उतारा, साधना सिद्धि आदि। टोना का उपयोग शत्रु के अनिष्ट के लिए होता है। जबकि टोटका स्वार्थ पूर्ति के लिए ही किया जाता है।

तंत्रशास्त्र का उपयोग त्यौहारों के आते ही आरंभ हो जाता है मगर तंत्रशास्त्र के अनुसार दीपावली पर किए गए टोटके अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं। दीपावली पर मंत्र जगाए जाते हैं व विशेष सिद्धियों पर विजय पाई जाती है।

 मॉडर्न युग में चाहे व्यक्ति मंगल पर पहुंच गया है मगर तंत्र-मंत्र में उसका विश्वास अडिग बना हुआ है। शास्त्रों में सांकेतिक भाषा में तंत्र-मंत्र के संबंध में कहा गया है। तंत्रशास्त्र में दो बातें मिलती हैं पहला साधना का फल व दूसरा विधि का अंश।

विधि विधान संकेतों में बताए गए हैं। किस मनोभूमि का व्यक्ति, किस काल, किन मंत्रों का किन उपकरणों द्वारा क्या प्रयोग करें, यह सब संकेत सूत्र में छिपाकर रखा गया है। तंत्रशास्त्र गुप्त इस कारण है कि अनाधिकारी लोग इसे प्रयोग न कर सकें। साधना और उसके विधि-विधान को गुप्त रखने के अनेक आध्यात्मिक कारण हैं।

संसार की रचना के साथ ही कई चीजों का अविष्कार हुआ है। जैसे-जैसे मनुष्य ने उन्नति की अपने स्वार्थ, पुरुषार्थ, परोपकार के लिए कुछ न कुछ खोजता रहा, ये जिज्ञासा संसार में सदैव प्रबल रही है।

कई ऐसे सिद्धिप्रद मुहुर्त होते हैं जिनमें तंत्रशास्त्र में रुचि लेने वाले तथा इसके प्रकांड ज्ञाता तंत्र-मंत्र की सिद्धि, प्रयोग, व अनेक क्रियाएं करते हैं।

इन महूर्तों में सर्वाधिक प्रबल महूर्त हैं धनतेरस, दीपावली की रात, दशहरा, नवरात्र व महाशिवरात्री। इसमें दीपावली की रात्र को तंत्रशास्त्र की महारात्रि कहा जाता है।

बदलते समय के साथ दीपावली पर होने वाले टोने-टोटके और ‍तांत्रिक गतिविधियों में अब कई तरह के बदलाव आ गए हैं। माना जाता है‍ कि दीपावली के पांच दिनों में खास करके दीपावली की रात्रि कई तांत्रिक अनेक प्रकार की तंत्र साधनाएं करते हैं।

वे कई प्रकार के तंत्र-मंत्र अपना कर शत्रुओं पर विजय पाने, गृह शांति बढ़ाने, लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने तथा जीवन में आ रही कई तरह की बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए विचित्र टोने-टोटके अपनाते हैं।

मान्यतानुसार दीपावली की महारात्रि देवी लक्ष्मी अपनी बहन दरिद्रा के साथ भू-लोक की सैर पर आती हैं। जिस घर में साफ-सफाई और स्वच्छता रहती है, वहां मां लक्ष्मी अपने कदम रखती हैं और जिस घर में ऐसा नहीं होता वहां दरिद्रा अपना डेरा जमा लेती है।

जादू-टोना, व टोटका आदि का संबंध ऋग्वेदकाल से माना जाता है। अथर्ववेद में भी इन विषयों का वर्णन है। कई स्थानों पर नवरात्र आरंभ होते ही लोग सजग हो जाते हैं तथा उनकी यह सजगता दीपावली के खत्म होने तक बनी रहती है।

यहां तक की घर में बुजुर्ग स्त्रियों द्वारा भी घरेलू टोटके अपनाए जाते हैं। यह केवल गांवों ओर कस्बों तक ही सीमित नहीं बल्कि छोटे-बड़े शहरों में भी किए जाते हैं। त्यौहारों के मौसम में जब किसी दूसरे के घर से मिष्ठान आता है तो घर की महिलाएं उससे चुटकी भर पकावान निकाल कर फेंक देती हैं।

इसके बाद ही वह पारिवारिक सदस्यों को खाने के लिए देती हैं। उनका मानना होता है कि अगर खाने में कोई टोना-टोटका किया गया होगा तो परिजनो पर इसका दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।

कुछ परिवारों में नजर उतारने हेतु थोड़ा सा नमक हाथों में लेकर नजर लगने वाले से उतारा जाता है और बाद में इसे पानी में बहा दिया जाता है।

 मान्यता है कि इस टोटके से बुरी बलाएं पास नहीं फटकती। लड़कियों को बाल खोल कर न घूमने की हिदायत दि जाती है। यहां तक कि घर में छत या सुनसान जगहों पर खेलने की इजाजत नहीं देते।

मान्यतानुसार टोना सिद्ध करना मंत्र सिद्ध करने की अपेक्षा कठिन होता है। मंत्र को पढ़ उसे फेंका जाता है जबकि टोना केवल संकेत मात्र से काम कर जाता है। मंत्र को सिद्ध करने हेतु मांस-मदिरा की आवश्यकता पड़ती है।

टोना सिद्ध करने हेतु विभिन्न जानवरों के मल-मूत्र की आवश्यकता होती है। मंत्र झाड़ने हेतु पलीते का उपयोग होता है। टोना झाड़ने हेतु मोर पंख या झाड़ू का उपयोग होता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह सभी कर्म रात्रि के समय किए जाते हैं अर्थात सूर्य के आभाव में। जब महामावस्या अर्थात दीपावली पर चंद्रमा बलहीन हो जाता है तभी अभिचार कर्मा अपने परचम पर होता है।

नोट:

इस लेख का उद्देश्य नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए जानकारी देना मात्र है। दीपावली पर अनेक प्रकार के शास्त्रीय कवच अपनाकर व यंत्र पहनकर ऐसी नकारात्मक शक्तियों से बचा जा सकता है।


राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Saturday, October 7, 2017

शाबर रक्षा नारियल

शाबर रक्षा नारियल








आपने देखा होगा की लगभग सभी दुकानों में लाल कपडे में नारियल बांधकर लटकाया जाता है, कई घरों में भी ऐसा किया जाता है. यह स्थान देवता की पूजा और गृह रक्षा के लिए किया जाता है.

नवरात्रि पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.

आवश्यक सामग्री :-

लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
-------
यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
-----

वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.

सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."

इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.

नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.

लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.

नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 1008 बार जाप करें ऐसा कम से कम तीन दिन तक करें. पूरी नवरात्रि कर सकें तो और भी बेहतर है.

"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"

अब इस नारियल को लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें.

यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

महाविद्या आश्रम में इस depawali के shubh मुहूर्त  में इस शाबर रक्षा नारियल का nirman किया जा रहा हैं जिस  किसी को भी शाबर रक्षा नारियल मांगना  हैं तो आप सब मेरे   व्हाट्सप्प न०;- 9958417249. पर संपर्क  कर सकते हैं .

दक्षिणा  न्यौच्छावर.   550 .रुपये

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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गुरू गोरखनाथ,अवधूत दतात्रेय

गुरू गोरखनाथ,अवधूत दतात्रेय





,श्रीस्वामी,श्रीरामकृष्ण परमहंस,श्रीसाईबाबा,स्वामी समर्थ,तैलंग स्वामी,वामाखेपा,अघोरी कीनाराम ,आचार्य श्रीरामशर्मा ये सभी परम संत,साधक,तथा स्वयं परमतत्व ही है।

आज नकली साधक,संत से बाजार पटा है,सभी सिद्ध बनते है परन्तु ये किसी काम के नही है कारण माता धूमावती ने सभी को मोह से ग्रसित कर दिया है।

साधक को ज्यादा समय मिलता ही कहाँ जो शिविर लगाए,दीक्षा दे,ज्यादा भीड़ जुटाने वाले का लक्ष्य एक ही है कि मेरे भक्त ज्यादा लोग हो जाए और धनार्जन हो।दशमहाविद्या ब्रह्मविद्या है और इसके अधिपति शिव हैं।

बिना शिव कृपा किसी को महाविद्या की साधना फलीभूत नहीं होती।मेरा मन जब तक कृपण है,गणितीय बुद्धि है तब तक साधना के क्षेत्र में प्रगति संभव नहीं हैं।ऐसी कोई समस्या नहीं है,जो धूमावती माता दूर न करे। भूख लगी हो उस समय शरीर का क्या हाल होता है,इसे कोई भी समझता है।

 शिव ने लीला की और परम प्रेमी पुरूष शिव को ही उदरस्थ कर लिया यह जीव के प्रति शिव का प्रेम ही है, तभी तो करूणा से भरी उग्र शक्ति धूमावती को हम बार बार नमस्कार करते है।

माता हम सच्चे मन से आपको पकौड़ा,पकवान का भोग देकर आपकी स्तुति कर रहे है,हमारे,संतान,परिवार के साथ ही हमारे राष्ट की भी रक्षा करे,तभी तो दतिया में आप विराजमान है।आपकी जय हो,जय हो,जय हो।श्रीस्वामी सहित माता धूमावती को बार बार नमस्कार हैं।

इसके बाद उस सुपारी को माँ धूमावती का रूप मानते हुए,अक्षत,काजल,भस्म,काली मिर्च और तेल के दीपक से और उबाली हुयी उडद और फल का नैवेद्य द्वारा
उनका पूजन करे, तत्पश्चात उस पात्र के दाहिने अर्थात अपने बायीं और एक मिटटी या लोहे का छोटा पात्र स्थापित कर उसमे सफ़ेद तिलों की ढेरी बनाकर उसके ऊपर एक दूसरी सुपारी स्थापित करे,और
निम्न ध्यान मंत्र का ५ बार उच्चारण करते हुए माँ धूमावती के भैरव अघोर रूद्र का ध्यान करे –

त्रिपाद हस्त नयनं नीलांजनं चयोपमं,
शूलासि सूची हस्तं च घोर दंष्ट्राटट् हासिनम् ||

और उस सुपारी का पूजन,तिल,अक्षत,धूप-दीप तथा गुड़ से करे तथा काले तिल डालते हुए ‘ॐ अघोर रुद्राय नमः’ मंत्र का २१ बार उच्चारण करे |

इसके बाद बाए
हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से निम्न मंत्र का ५ बार उच्चारण करते हुए पूरे शरीर पर छिडके –

धूमावती मुखं पातु धूं धूं स्वाहास्वरूपिणी |
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्यसुन्दरी ||
कल्याणी ह्रदयपातु हसरीं नाभि देशके |
सर्वांग पातु देवेशी निष्कला भगमालिना ||
सुपुण्यं कवचं दिव्यं यः पठेदभक्ति संयुतः |
सौभाग्यमयतं प्राप्य जाते देवितुरं ययौ ||

इसके बाद जिस थाली में माँ धूमावती की स्थापना की थी,उस सुपारी को अक्षत और काली मिर्च मिलकर निम्न मंत्र की आवृत्ति ११ बार कीजिये अर्थात क्रम से हर मंत्र ११-११ बार बोलते हुए अक्षत मिश्रित काली मिर्च डालते रहे |

ॐ भद्रकाल्यै नमः
ॐ महाकाल्यै नमः
ॐ डमरूवाद्यकारिणीदेव्यै नमः
ॐ स्फारितनयनादेव्यै नमः
ॐ कटंकितहासिन्यै नमः
ॐ धूमावत्यै नमः
ॐ जगतकर्त्री नमः
ॐ शूर्पहस्तायै नमः

इसके बाद निम्न मंत्र का जप रुद्राक्ष माला से २१,५१ , १२५ माला करें, यथासंभव एक बार में ही ये जप हो सके तो अतिउत्तम,अब मंत्र जाप प्रारंभ करे.

मंत्र:- ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट् ||

मंत्र जप के बाद मिटटी या लोहे के हवन कुंड में लकड़ी जलाकर १०८ बार घी व काली मिर्च के द्वारा आहुति डाल दें |

आहुति के दौरान ही आपको आपके आस पास एक तीव्रता का अनुभव हो सकता है और पूर्णाहुति के साथ अचानक मानो सब कुछ शांत हो जाता है…

इसके बाद आप पुनः स्नान कर ही सोने के लिए जाए और दुसरे दिन सुबह आप सभी सामग्री को बाजोट पर बीछे वस्त्र के साथ ही विसर्जित कर दें और जप माला को कम से कम २४ घंटे नमक मिश्रित जल में डुबाकर रखे और फिर साफ़ जल से धोकर और उसका पूजन कर अन्य कार्यों में प्रयोग करें |

इस प्रयोग को करने पर स्वयं ही अनुभव हो जाएगा की आपने किया क्या है,कैसे परिस्थितियाँ आपके अनुकूल हो जाती है ये तो स्वयं अनुभव करने वाली
बात है….

देवी धूमावती को आज तक कोई योद्धा युद्ध में नहीं परास्त कर पाया, तभी देवी का कोई संगी नहीं हैं।

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Friday, October 6, 2017

बेताल साधना

 बेताल साधना







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यह साधना रात्रि कालीन है स्थान एकांत होना चाहिए ! मंगलबार को यह साधना संपन की जा सकती है !
घर के अतिरिक्त इसे किसी प्राचीन एवं एकांत शिव मंदिर मे या तलब के किनारे निर्जन तट पर की जा सकती है !
पहनने के बस्त्र आसन और सामने विछाने के आसन सभी गहरे काले रंग के होने चाहिए ! साधना के बीच मे उठना माना है !

इसके लिए वीर बेताल यन्त्र और वीर बेताल माला का होना जरूरी है !

यन्त्र को साधक अपने सामने बिछे काले बस्त्र पर किसी ताम्र पात्र मे रख कर स्नान कराये और फिर पोछ कर पुनः उसी पात्र मे स्थापित कर दे !

सिन्दूर और चावल से पूजन करे और निम्न ध्यान उच्चारित करें

"!! फुं फुं फुल्लार शब्दो वसति फणिर्जायते यस्य कण्ठे डिम डिम डिन्नाति डिन्नम डमरू यस्य पाणों प्रकम्पम!
तक तक तन्दाती तन्दात धीर्गति धीर्गति व्योमवार्मि
सकल भय हरो भैरवो सः न पायात !! "

इसके बाद माला से  31माला मंत्र जप करें यह 21  दिन की साधना है !

!! ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं वीर सिद्धिम दर्शय दर्शय फट !!

साधना के बाद सामग्री नदी मे या शिव मंदिर मे विसर्जित कर दें साधना का काल और स्थान बदलना नहीं चाहिए

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Wednesday, October 4, 2017

वशीकरण प्रयोग

 वशीकरण प्रयोग



तंत्र की क्रिया में तो सैकड़ो सम्मोहन प्रयोग है पर यह प्रयोग अपने आप में अचूक और अत्यंत तीष्ण,तुरंत असर दिखने वाली प्रयोग है.बाकि प्रयोग असफल हो सकती है परन्तु इस प्रयोग की सफलता किसी चमत्कार से कम नहीं.

यह प्रयोग अघोरि और कपाली ओकी है.जिसे संपन्न करने से पाहिले १०० बार सोच समज़कर ही करनी चाहिए.

सामग्री -

   सिद्धि अघोरी  वशीकरण  यन्त्र प्राण  प्रतिष्ठा  युक्त ,  लाल  हकीक  माला   , वशीकरण काजल 

अमावस्या की रात्रि में बगीचा या फिर घरमे किसी कोने में बैट जाईये और अपने आसन की निचे श्मशान से लाकर थोड़ी सी राख राख दे आसन लाल रंग की होनी चाहिये फिर दक्षिण दिशा की और मुहकर सामने उस व्यक्ति की चित्र रख दे  तथा   सिद्धि अघोरी  वशीकरण  यन्त्र प्राण  प्रतिष्ठा  युक्त स्थापित    करें ,जिसे पूर्ण वशीकरण या सम्मोहित करनी/करना है.माला लाल हकिक की होनी चाहिये.

इसके बाद उस चित्र के सामने मात्र ५१ माला मन्त्र जाप करनी है और येसा करने से आश्चर्यजनक रूप से चमत्कार देखने को मिलती है और जो आपकी सर्वथा विरोधी व्यक्ति है वह भी आपके अनुकूल हो कर आपके कहे अनुसार कार्य संपन्न करती है.

                                                                       मंत्र

                      ||ॐ ऐम ऐम अमुक वाश्यमानय मम आज्ञा परिपालय ऐम ऐम फट ||

यह प्रयोग दिखने में अत्यंत सरल है परन्तु प्रभाव अचूक देखने मिलती है और तुरंत ही जिसे सम्मोहित करना चाहते है उसे अपने वश में करने में समर्थ हो जाते है.

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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महाविद्या मातंगी

महाविद्या मातंगी







सांसारिक रूप में महाविद्या कमला का आराधना से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति के बाद किसी भी आदमी को जरूरत होती है, अपने आभामंडल और प्रभाव को बढ़ाने की। इंसान चाहता है कि लोग उसके धन व ऐश्वर्य को समझें और उसे सम्मान दें।

दूसरी ओर आध्यात्मिक क्षेत्र का साधक कमला की साधना से खुद को अंदर से परिपूर्ण करने के बाद प्रकृति को मोहित कर अपने साधना के स्तर को उठाना चाहता है। इसके लिए आवश्यकता पड़ती है नौवीं महाविद्या मातंगी की। इनमें पूरे ब्रह्मांड को मोहित करने की शक्ति है। जैसा कि मैंने पहले ही कहा था कि सभी महाविद्या में सब कुछ प्रदान करने की शक्ति है लेकिन उनके विशेषज्ञता के खास क्षेत्र हैं।

तंत्र के क्षेत्र में मातंगी की साधना का काफी महत्व है। यह ममता की मूर्ति हैं और सामन्यतया साधकों पर प्रसन्न होने में अधिक देर नहीं लगाती हैं। इनकी प्रसन्नता से ज्ञान वृद्धि, शास्त्राज्ञाता, कवित्व शक्ति एवं संगीत विद्या की भी प्राप्ति संभव है।

 यह सम्मोहन और वशीकरण की अधिष्ठात्री हैं। इनके प्रयोग से भंडार की अक्षयवृद्धि होती है। आवश्यकता सिर्फ श्रद्धा का नियमपूर्वक साधना करने की है। मातंगी की साधना के बारे में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी जा रही है। विस्तृत जानकारी के लिए अपने आसपास के किसी योग्य व्यक्ति से या मेल से मुझसे जानकारी ली जा सकती है।

मातंगी के कई नाम हैं। इनमें प्रमुख हैं-सुमुखी, लघुश्यामा या श्यामला, उच्छिष्टचांडालिनी, उच्छिष्टमातंगी, राजमातंगी, कर्णमातंगी, चंडमातंगी, वश्यमातंगी, मातंगेश्वरी, ज्येष्ठमातंगी, सारिकांबा, रत्नांबा मातंगी एवं वर्ताली मातंगी।

1-अष्टाक्षर मातंगी मंत्र- कामिनी रंजनी स्वाहा

विनियोग— अस्य मंत्रस्य सम्मोहन ऋषिः, निवृत् छंदः, सर्व सम्मोहिनी देवता सम्मोहनार्थे जपे विनियोकगः।

ध्यान--- श्यामंगी वल्लकीं दौर्भ्यां वादयंतीं सुभूषणाम्। चंद्रावतंसां विविधैर्गायनैर्मोहतीं जगत्।

फल व विधि------ विनियोग से ही मंत्र का फल स्पष्ट 20 हजार जप कर मधुयुक्त मधूक पूष्पों से हवन करने पर अभीष्ट की सिद्धि होती है।
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2-दशाक्षर मंत्र------ ऊं ह्री क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।

विनियोग— अस्य मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषिःर्विराट् छंदः, मातंगी देवता, ह्रीं बीजं, हूं शक्तिः, क्लीं कीलकं, सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः।

अंगन्यास--- ह्रां, ह्रीं, ह्रूं, ह्रैं, ह्रौं, ह्रः से हृदयादि न्यास करें।

फल व विधि------ साधक छह हजार जप नित्य करते हुए 21 दिन प्रयोग करें। फिर दशांस हवन करें। चतुष्पद श्मसान या कलामध्य में मछली, मांस, खीर व गुगल का धूप दे तो कवित्व शक्ति की प्राप्ति होती है। इससे जल, अग्नि एवं वाणी का स्तंभन भी संभव है।

 इसकी साधना करने वाला वाद-विवाद में अजेय बन जाता है। उसके घर में स्वयं कुबेर आकर धन देते हैं।

3-लघुश्यामा मातंगी का विंशाक्षर मंत्र--------- ऐं नमः उच्छिष्ट चांडालि मांतगि सर्ववशंकरि स्वाहा।

विधि---

विनियोग व न्यास आदि के साथ देवी की पूजा कर 11, 21, 41 दिन या पूर्णिमा/आमावास्या से पूर्णिमा/आमावास्या तक एक लाख जप पूर्ण करें। मंत्र से ऐसा प्रतीत होता है कि इसका जप उच्छिष्ट मुंह किया जाना चाहिए। ऐसा किया भी जा सकता है लेकिन विभिन्न ग्रंथों में इसे पवित्र होकर करने का भी विधान है।

 अतः साधक सुविधानुसार जप करें। जप पू्र्ण होने के बाद महुए के फूल व लकड़ी के दशांस होम कर तर्पन व मार्जन करें।

फल-------

 इसके प्रयोग से डाकिनी, शाकिनी एवं भूत-प्रेत बाधा नहीं पहुंचा सकते हैं। इसकी साधना से प्रसन्न होकर देवी साधक को देवतुल्य बना देती है। उसकी समस्त अभिलाषाएं  पूरी होती हैं।

चूंकि मातंगी वशीकरण विद्या की देवी हैं, इसलिए इसके साधक की वह शक्ति भी अद्भुत बढ़ती है। राजा-प्रजा सभी उसके वश में रहते हैं।

4-एकोन विंशाक्षर उच्छिष्ट मातंगी तथा द्वात्रिंशदक्षरों मातंगी मंत्र

मंत्र (एक)--- नमः उच्छिष्ट चांडालि मातंगी सर्ववशंकरि स्वाहा।

मंत्र (दो)---- ऊं ह्रीं ऐं श्रीं नमो भगवति उच्छिष्टचांडालि श्रीमातंगेश्वरि सर्वजन वशंकरि स्वाहा।

विधि-----

 विधिपूर्वक दैनिक पूजन के बाद निश्चित (जो साधक जप से पूर्व तय करे) समयावधि (घंटे या दिन) में दस हजार जप कर पुरश्चरण करे। उसके बाद दशांस हवन करे।

फल-----

मधुयुक्त महुए के फूल व लकड़ी से हवन करने पर वशीकरण का प्रयोग सिद्ध होता है। मल्लिका फूल के होम से योग सिद्धि, बेल फूल के हवन से राज्य प्राप्ति, पलास के पत्ते व फूल के हवन में जन वशीकरण, गिलोय के हवन से रोगनाश, थोड़े से नीम के टुकड़ों व चावल के हवन से धन प्राप्ति, नीम के तेल से भीगे नमक से होम करने पर शत्रुनाश, केले के फल के हवन से समस्त कामनाओं की सिद्धि होती है।

 खैर की लकड़ी से हवन कर मधु से भीगे नमक के पुतले के दाहिने पैर की ओर हवन की अग्नि में तपाने से शत्रु वश में होता है।

5-सुमुखी मातंगी प्रयोग

इसमें दो मंत्र हैं जिसमें सिर्फ ई की मात्रा का अंतर है पर ऋषि दोनों के अलग-अलग हैं। इसमें फल समान है।

पहला मंत्र---- उच्छिष्ट चांडालिनी सुमुखी देवी महापिशाचिनी ह्रीं ठः ठः ठः।

इसके ऋषि अज, छंद गायत्री और देवता सुमुखी मातंगी हैं।

विधि----

देवी के विधिपूर्वक पूजन के बाद जूठे मुंह आठ हजार जप करने से ही इसका पुरश्चरण होता है। साधक को धन की प्राप्ति होती है और उसका आभामंडल बढ़ता है। हवन की विधि नीचे है।

दूसरा मंत्र-----

 उच्छिष्ट चांडालिनि सुमुखि देवि महापिशाचिनि ह्रीं ठः ठः ठः।

इसके ऋषि भैरव, छंद गायत्री और देवता सुमुखी मातंगी हैं।

विधि----

इसकी कई विधियां हैं। एक में एक लाख मंत्र जप का भी विधान वर्णित है। लेकिन मेरा मानना है कि देवी के विधिपूर्वक पूजन के बाद जूठे मुंह दस हजार जप करने से ही इसका पुरश्चरण होता है और साधक को धन की प्राप्ति होती है तथा उसका आभामंडल बढ़ता है।

हवन विधि------

दही से सिक्त पीली सरसो व चावल से हवन करने पर राजा-मंत्री सभी वश में हो जाते हैं। बिल्ली के मांस से हवन करने पर शस्त्र का वसीकरण होता है। बकरे के मांस के हवन से धन-समृद्धि मिलती है।

खीर के हवन से विद्या प्राप्ति तथा मधु व घी युक्त पान के पत्तों के हवन से महासमृद्धि की प्राप्ति होती है।

 कौवे व उल्लू के पंख के हवन से शत्रुओं का विद्वेषण होता है।

राजगुरु जी

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महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...