Tuesday, December 13, 2016


|| उच्छिष्ट चाण्डालिनि सिद्धी ||



मंत्र--

उच्छिट चाण्डालिनि सुमुखि देवी'
महापिशाचिनी ह्री ठः ठः ठः |


मंत्र-(२)- उच्छिष्ट चाण्डालिनि मातंगी सर्व'
वशंड़्करी नमः सवाहा |


उक्त दोनों मंत्रों में से किसी एक का १००८ बार जप अमावश्या से अगली अमावश्या तक रात्री में करे! तथा दशांश हवन करें! देवी को उच्छिष्ट पदार्थ की बली अर्पित करें!



जप के पश्चात उच्छिष्ट पदार्थ द्वारा हवन करें! देवी को अग्नि स्वरूपा ध्यान कर' दही और श्वेत सरसों से युक्त चावल द्वारा हवन करें|

विद्या की अभिलाषा वाले शर्करा युक्त खीर से हवन करें!
घी' मधु' शर्करा युक्त विल्वपत्र से एक मास तक १०८ बार प्रतिदिन हवन करने से बन्ध्या नारी को भी पुत्र प्राप्त होता है!
मधु युक्त रक्तबदरी पुष्प से हवन से भाग्यहीन नारी सौभाग्यवती होती है!

 ऐसा हवन १००० बार करना चाहिये!
रजस्वला के वस्त्र के टुकड़े-टुकड़े कर मधु और खीर से युक्त कर यदि लगातार एक माह तक १००० बार हवन किया जाये तो उत्तम वशीकरण होता है!


|| ये साधना गुरुके सानिध्य में ही करें अन्यथा साधक पागल हो सकता है और पतन भी||



राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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