नियमानुसार ही निकालें तांत्रोक्त जड़ी
मित्रों, वनस्पति तंत्र में ऐसी अनेक जडी़ और बांदे हैं जो यदि बताए गए शुभ मुहूर्त में पूर्ण विधि-विधान से निकाल कर प्रयोग में लाए जाएं तो वे आशातीत लाभ प्रदान करते हैं। इन जडी़यों को निकालने की एक शास्त्रोक्त प्रक्रिया होती है उसे किए बिना प्राप्त की गई जड़ या बांदा लाभदायक नहीं होता। हम यहां जड़ और बांदे को निकालने के शास्त्रोक्त नियम व विधि आपको बता रहे हैं।
१. सर्वप्रथम कोई भी जड़ या बांदा किसी स्वच्छ स्थान पर लगे पेड से ही प्राप्त करें।
१. सर्वप्रथम कोई भी जड़ या बांदा किसी स्वच्छ स्थान पर लगे पेड से ही प्राप्त करें।
२. जड़ या बांदा बताए गए निश्चित मुहूर्त या नक्षत्र में ही प्राप्त करें।
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३. जड़ या बांदा निकाले से ठीक एक दिन पूर्व उस पेड़ की जड़ में एक लोटा जल डालें तत्पश्चात पंचोपचार पूजन कर नैवेद्य व दक्षिणा अर्पण कर आरती करें।
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३. जड़ या बांदा निकाले से ठीक एक दिन पूर्व उस पेड़ की जड़ में एक लोटा जल डालें तत्पश्चात पंचोपचार पूजन कर नैवेद्य व दक्षिणा अर्पण कर आरती करें।
४.आरती के पश्चात पीले चावल रखकर उस जड़ को अपने साथ चलने हेतु निमंत्रित करें।
५.बताए गए मुहूर्त या नक्षत्र में जाकर जड़ को प्रणाम करें तत्पश्चात दिग्बंध हेतु पीली सरसों को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित कर अपने एवं पेड़ चारों फ़ेंकें।
मंत्र-““ॐ बेतालाश्य पिशाचाश्य राक्षसाश्च सरीसृपां।
अपसर्पन्तु ते सर्वे वृक्षादिस्माच्छिवाज्ञार्या॥”
६. दिग्बंध के उपरांत लकड़ी के नुकीले पटिये से जड़ को सावधानी से खोदकर निकालें। ध्यान रखें जड़ निकालने में लोहे का का प्रयोग ना हो। निकालते वक्त पूर्ण श्रद्धाभाव रखें।
७. जड़ का एक छोटा सा भाग ही निकालें। आवश्यकता से अधिक निकालना निषेध है।
८. जड निकालते समय गोपनीयता का ध्यान रखें। सुनिश्चित करें कि किसी व्यक्ति की नज़र या टोक आप पर नहीं पड़े।
९. जड़ निकालते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करते रहें।
खनन मंत्र-
“येन त्वां खनते ब्रह्म, येन त्वां खनते भृगु।
येन हीन्दो· वरूणो, येन त्वापचक्रमे।
तेनाहं खनिष्यामि मंत्रपूतेन पाणिना
मा पातेमानि पतित जोन्यथा माते भवेत।
अत्रैव तिष्ठ कल्याणि मम कार्यकरी भव।
मम कार्ये सिद्धे ततः स्वर्ग गमिष्यमि।”
येन हीन्दो· वरूणो, येन त्वापचक्रमे।
तेनाहं खनिष्यामि मंत्रपूतेन पाणिना
मा पातेमानि पतित जोन्यथा माते भवेत।
अत्रैव तिष्ठ कल्याणि मम कार्यकरी भव।
मम कार्ये सिद्धे ततः स्वर्ग गमिष्यमि।”
१०. जड़ निकल जाने के उपरांत मिट्टी से गड़्ढा भर दें। मौन धारण किये अपने घर लौट आएं।
घर आकर जड को नर्मदाजल व दूध से स्नान कराएं एवं पंचोपचार पूजन कर प्रयोग करें।
॥शुभमस्तु॥
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
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