Tuesday, October 31, 2017

64 योगिनी महा यंत्र

64 योगिनी महा यंत्र








इस यंत्र का महत्त्व नाथ सम्प्रदाय में अन्यतम है। कहा जाता है की यह साबर और महाविद्याओं की साधना में अनिवार्य है। इस यंत्र को योगिनी हृदयँ में महायंत्र की संज्ञा दी गई है।

यह यंत्र सदा ही गोपनीय रहा है क्योकि यह 64 योगिनियों को समर्पित है जो समस्त नाथ ,साबर ,अघोर आदि साधनाओ की सिद्धिदात्री है। बिना 64 योगिनी की सहायता से इन सभी साधनाओ में सफलता संदिग्ध ही रहती है।

बहुत दिनों से इस यंत्र की खोज में थे। आखिरकार हमे एक सिद्ध योगी से इसकी पूर्ण विधि प्राप्त हो गयी और साथ ही उसने सात्विक और तामसिक दोनों ही विधियों हमे बतादी जो इसे सिद्ध करने के लिए जरूरी है।

 सात्विक विधि में जहां नारियल, आदि सात्विक वस्तुए एक एक 64 योगिनी को समर्पित की जाती है वाही तामसिक विधि में मीट एवं मद्ध का इस्तमाल होता है।

 इस यंत्र को सर्वप्रथम भोजपत्र या ताँबे में बनाया जाता है फिर एक-एक योगिनी की पूजा अर्चना एवं मन्त्र जपना परता है।इसके बाद मूल योगिनी मन्त्र का पाठ कर हवंन कर इस यंत्र को सिद्ध करा जाता है। हमने जो लाभ इस यंत्र से अनुभव करे है -

# हर प्रकार की साधना में विचित्र अनुभव क्योकि 64 योगिनीय हमारी हर साधना में सफलता प्रदान करती है ।

#आध्यात्मिक रहस्यों एवं ज्ञान की प्राप्ति स्वप्न, शुषुप्ति अवस्था में। # कुण्डलिनी जागरण में तीव्रता से सफल होना

#साबर मंत्रो की सिद्धि

# पूर्ण सुरक्षा

# हमारे अनुभव में यह भी आया है की इस यंत्र के धारण से व्यक्ति की इच्छाओ की पूर्ती जल्द होती है। 64 योगिनियां महाविद्या साधना में विशेष सफलता प्रदान करती है।

 वास्तव में यह यंत्र धारणीय एवं पूजनीय है। और हमारा खुद का अनुभव है की साधक को इसे सिद्ध करना ही चाइये। यह यंत्र एक अखाड़े के योगी से मुझे प्राप्त है और उनके वचन से बंधे होने के कारण मैं इसकी पूर्ण विधि कही प्रकाशित नहीं करूँगा।

 इसलिए जो भी इस महायंत्र की पूर्ण विधि जानना चाहते है कृपया मुझे personally फ़ोन करके ले ले क्योकि मैं भी वचनबद्ध हूँ। महाविद्या आश्रम .

महाविद्या आश्रम

किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :

मोबाइल नं. : - 09958417249

                     08601454449

व्हाट्सप्प न०;- 09958417249

Sunday, October 29, 2017

वशीकारन

वशीकारन



 





सम्मोहान  वशीकारन  के लिए किसी  "" रवि  पुष्य    "" योग  के दिन सात लौंग   (  फूलदार  होनी चाहिए  )  लेकर उन्हे धूप  -  दीप  देकर इस मंत्र  द्वारा  अभिमांत्रित  करें  .

   | ॐ   ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ||

 समाग्री   : - 

सिद्धि  वशीकारनी  माला  . चामुण्डा  बीसा  यंत्र  प्राण  प्रातिष्टा  युक्त मंत्र  सिद्धि .

यह मंत्र 51 माला  जपना चाहिए  . तदूपरांत   इसी मंत्र से 51 आहुतियाँ  देकर हवन  करें . फिर लौंग को कहीं पवित्र स्थान पर रख दें . आवश्यकतानुसार  एक लौंग  पुन :  सात बार वही मंत्र पढ़कर  ""    अमुक   ""   व्यक्ति को खिला दें .

 यह कार्य   ""   रवि  या मंगल   ""   के दिन विशेष  प्रभावी  होता हैं . संभव हो तो उसे 3 या 4   दिन तक वह   ""  लौंग   ""   खिलाते रहें  .

यह प्रयोग उस व्यक्ति को आप की अोर आकर्षित  कर देगा . यथासम्भव  ऐसे प्रयोग किसी दुष्कामना  से प्रेरित होकर नहीं करना चाहिए .

महाविद्या आश्रम

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Friday, October 27, 2017

चामुंडा स्वप्न सिद्धि साधना

चामुंडा स्वप्न सिद्धि साधना









 ॐ ह्रीम आगच्छा गच्छ चामुंडे श्रीं स्वाहा ।।

सामग्री   :  -   स्वप्न सुंदरी यंत्र . चामुंडा गुटिका . विद्दुत माला . सभी सामग्री प्राण प्रतिष्ठा युक्त मंत्र सिद्धि चैतन्य होना ज़रूरी हैं .

 विधि :-

 सबसे पहले मिट्टी ओर गोबर से जमीन को लीप ले ओर वो जगह पर कोई बिछोना बिछाले । फिर पंचोपचार से मटा का पूजन करके देवी मटा को नेवेध्य अर्पण करे ।

 उसके बाद विद्दुत माला की माला से उपरोक्त मंत्र का जाप 10,000 बार करे ओर देवी का द्यान करे इस तरह मंत्र सिद्धि कारले फिर उसके बाद जब कभी भी कोई प्रश्न मन मे हो तो मंत्र का 1 माला यानि 108 बार मंत्र का जाप करके सो जाए तो देवी अर्धरात्रि को स्वप्न मे आकार प्रश्न का उत्तर प्रदान करती हे …

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम .

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Sunday, October 22, 2017

घोर रूपिणी वशीकरण साधना -

घोर रूपिणी वशीकरण साधना -

यह साधना बहुत ही तीक्ष्ण प्रवाभ रखती है | इसका उपयोग शत्रु वशीकरण के लिए और रूठी हुई पत्नी जा पति को वश में करने के लिए किया जाता है |यह भी ध्यान रखे के किसी भी अनुचित कार्य के लिए यह प्रयोग न करे अथवा आपको हानि होगी | यहा सिर्फ जिज्ञाशा के लिए यह प्रयोग दे रहा हु इसे अपने उच्च अधिकारी पत्नी अथवा पति को अनुकूल बनाने के लिए प्रयोग करे |

साधना विधि –

किसी भी अमावश ,ग्रहण काल ,दीपावली आदि शुभ महूरत में शुरू कर इसका जाप 7 दिन में 11000 कर के सिद्ध कर ले फिर किसी भी ख्द्य पदारथ भोजन आदि जब भी आप करने बैठे उसे 7 वार अभिमंत्रिक कर जिसका भी नाम लेकर खाया जाता है उसका निहचय ही वशीकरण हो जाता है और वह आपके अनुकूल कार्य करने लगेगा और आपकी आज्ञा का पालन करेगा |

१. किसी बेजोट पे एक लाल कपड़ा विशा दे उसके उपर एक नारियल तिल की ढेरी पे स्थाप्त करे |

२. नारियल का पूजन करे उस पे सिंदूर का तिलक करे धूप दीप आदि से घोर रूपिणी को स्मरण करते हुये पूजन करे |

३. भोग मिठाई का लगाए |

४. दिशा दक्षिण की तरफ मुख रखे |

५. आसन कंबल का ले जा कोई भी ऊनी आसन ले ले |

६. माला काले हकीक जा रुद्राक्ष की ठीक रहती है |

७. वस्त्र किसी भी तरह के पहन ले |इस साधना को शाम 8 से 10 व्जे के बीच कभी भी शुरू कर ले |

८. मंत्र जाप पूरा हो जाए तो नारियल किसी भी शिव मंदिर जा काली के मंदिर में कुश दक्षणा के साथ चढ़ा दे और सफलता के लिए प्रार्थना करे |

९. गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनिवार्य होता है इसका ध्यान रखे |
मंत्र---

|| ॐ नमः कट विकट घोर रूपिणी स्वाहा ||

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Saturday, October 21, 2017

वशीकरण चमत्कारी प्रयोग

वशीकरण  चमत्कारी प्रयोग





सामग्री   : - 

मँत्रसिद्धि प्राण प्रतिष्ठा युक्त वशीकरण यंत्र  . श्रीयंत्र . कनक धारा यंत्र . कुबेर यंत्र  सभी यंत्र भोजपत्र पर निर्मित हो . केशर . धूप . देशी घी का . अगरबत्ती . गुलाब का इत्र .

माला   : -    बैजन्ती माला .

समय   : -    दिन  या रात्रि  का कोई भी शुभ समय .

आसन  :  -   सफेद रंग का सूती आसन .

दिशा    :  -    पूर्व दिशा .

अवधि  : -     ग्यारह या 18 दन

मंत्र      : -     ॐ  नमो कुबेराय वैश्रवणाय

                अक्षय    समृद्धि  देहि  देहि कनक धारायें नम :

प्रयोग   : - 

यह उत्तम और अक अनुभूत प्रयोग  हैं . साधक को चाहिए कि वह किसी भी रविवार से यह प्रयोग करें . सामने  सफेद वस्त्र  बिछाकर  बीच मॆ कुबेर यंत्र और वशीकरण यँत्र . बायीं  तरफ़ श्री यंत्र  तथा दाहिनी तरफ़ कनक धारा यंत्र रख दे . सभी यंत्रों पर  इत्र का लेप करें और उनपर केशर आदि से तिलक कर पुष्प चढ़ाये और विधिवत रूप से पूजा आदि करके फिर जाप शुरू कर दें .

    जब मंत्र जाप पूरा हो जाऐं  तो तीनो यंत्रों को इसी क्रम  से पूजा घर मैं रख दें . और वशीकरण यन्त्र को लाल कपड़े मॆ रख कर जेब मॆ रख  ले . तो जीवन मैं किसी प्रकार की  कोई कमी नही रहती और सभी दृष्टियों से सुख -  समृद्धि  का अटूट बना रहता हैं . और जिसका भी वशीकरण करना होता होता हैं वह सदैव आप का अपना बनकर रहता हैं . जब भी अपने प्रेमी - प्रेमिका के  पास मिलने जाना हो तो वह  वशीकरण यंत्रणा और इत्र लगाकर जाऐँ  . तो गोली की तरह असर होगा  .

यह अक अनुभूत और परीक्षित प्रयोग हैं .

नोट    : - 

कोई भी साधना करने से पहले अपने गुरु जी या किसी योग्य साधक के मार्गदर्शन मॆ ही साधना सम्पन्न करें .साधना मॆ किसी भी प्रकार से गलत दुरपयोग करने पर साधक  खुद जिम्मेदार होगा

 राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम
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Friday, October 20, 2017

सिद्ध जप माला

सिद्ध जप माला










मित्रो आप सब जनते हे कोई भी मन्त्र करने के लिए एक जप माला की आवश्कता होती हे । परन्तु क्या आप ये जानते हे की यह माला शास्त्र के अनुसार सम्पूर्ण रूप से प्राण प्रतिष्टित और मंत्र से सिद्ध होनी आवश्यक हे अन्यथा किये गए जप का फल साधक को पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता और साधक की महेनत व्यर्थ जाती हे ।।

परन्तु आप चिंता मत करे हमने आपके लिए वैदिक ब्रह्मिनो के द्वारा प्राण प्रतिष्टित और सम्पूर्ण रूप से मन्त्र शक्ति से चैतन्य युक्त कर तैयार की हे और इस माला का मुल्य भी बहोत सामान्य रक्खा गया हे । कोई भी व्यक्ति यह माला को घर बैठे ही प्राप्त कर शकता हे ।।

विशेष नोध । आपके नाम से प्राण प्रतिष्टित माला का उपयोग आप स्वयं ही करे किसी और को मत करने दे अन्यथा जप का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा ।।

सिर्फ आपको अपना ऑर्डर निचे दिए नंबर पर sms कर या कोल कर बुक करका शकते हे । sms करने वाले अपना पूरा पता एवं पिन कोड अवश्य लिखे ।।

सिद्ध जप माला की तस्वीर यहाँ निचे दी गई हे ....

सिद्ध जप माला । प्रसादी मुल्य । Rs 450 /-
पोस्टल चार्जिस एक्स्ट्रा । Rs 50/-

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Tuesday, October 17, 2017

वशीकरण प्रयोग

 वशीकरण प्रयोग









      लोहट मंत्र  :- 

 ""    नमो भगवते कामदेवाय सर्वजन प्रियाय सर्वजन सम्मोहनाय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल हन हन  वद वद तप तप सम्मोहाय सम्मोहाय सर्वजन मे वशं कुरु कुरु स्वाहा  ""

सामग्री   : -    सम्मोहनी  कवच यंत्र . गुटिका . विड्डुत

माला . गोमती चक्र . कौड़ी .  रक्तगुँजा . सभी सामग्री

 प्राण प्रतिष्ठा यूक्त सम्पन्न हो .

मंत्र जाप संख्या  : - इक्कीश हजार

दिशा :- उत्तर

स्थान  :- घर का एकांत कक्ष

समय  :- मध्य रात्रि

दिन  ;- शुक्रवार  / या  मोहनी एकादशी

आसन :- सफ़ेद

वस्त्र :- सफ़ेद धोती

हवन  :- ( दशांश ) देशी घी , पंचमेवा  ( काजू , बादाम , किशमिश , पिश्ता , मखाना  )

विधि  :-

   मोहनी एकादशी या किसी भी शुक्रवार को स्नान आदि से निवित्र होकर कांशे की थाली में समस्त तांत्रिक पूजन  सामग्री स्थापित करके पंचोपचार पूजन करना चाहिए व्यक्ति विशेष को वश में करने का अथवा सिद्धि का संकल्प लेते हुए ,

विधि - विधान पूर्वक गुरु - गणेश वंदना करके , मूल मंत्र का जाप करे ,

. जाप की पूर्णता पर दशांश हवन करके  ब्राह्मण , एवं  पांच कुवारी कन्यायो को भोजन  सहित उपयुक्त दान - दक्षिणा देकर साधना को पूरा करे .

इस महत्व पूर्ण सम्मोहनी साधना से साधक का व्यक्तित्व अत्यंत सम्मोहक और आकर्षक हो जाता हैं .उसके संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रहता .

यदि कोई साधना करने में असमर्थ हो , तो योग्य विद्द्वान द्वारा या साधना सम्पन्न करा के करवाकर सम्मोहनी कवच धारण करके उक्त लाभ प्राप्त कर सकता हैं .

 नोट  : -

सम्मोहनी कवच का निर्माण हमारे यहा भी किया जाता हैं . और साधना  सामग्री भी हमारे यहा से प्राप्त किया जा सकता हैं

सम्मोहनी कवच का मूल्य   : -  2100

साधना सामग्री का मूल्य   : -    1100

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम
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Saturday, October 14, 2017

शत्रु मारण मंत्र

शत्रु मारण मंत्र









ॐ ऐं ह्रीं महा महा बिकराल भैरवाय ज्वालाक्ताय मम शत्रुं दह दह हन हन पच पच उन्मूलय उन्मूलय ॐ ह्रीं ह्रीं हुं फट् ।।

  सामग्री  -

 श्मशान भैरव यंत्र . गुटिका  . भूत केशी जड़ . काली हकीक माला . प्राण प्रतिष्ठा युक्त मंत्र सिद्धि चैतन्य .

विधि –

 उपरोक्त मंत्र का शनिवार या मंगलवार से जप शुरु करे, जप एक सप्ताह मे ३१०० इकत्तीस हजार जप करने के पश्चात सवा सेर सरसों लेकर हवन करें ।। अवश्य शत्रु नाश होगा ।।

शत्रु शमन के लिए

साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरुद्ध कोई कदमनहींउठाएगा।

चेतावनी  - साधना प्रयोग किसी योग्य तंत्रिका या गुरु के मार्ग दर्शन मे ही करें .

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Friday, October 13, 2017

सावधान! आने वाली है महारात्रि,

सावधान! आने वाली है महारात्रि,







तंत्र-मंत्र और अदृश्य शक्तियों से बचें

तंत्रशास्त्र में अनेक विधान हैं जैसे की टोना, टोटका, उपाय, उतारा, साधना सिद्धि आदि। टोना का उपयोग शत्रु के अनिष्ट के लिए होता है। जबकि टोटका स्वार्थ पूर्ति के लिए ही किया जाता है।

तंत्रशास्त्र का उपयोग त्यौहारों के आते ही आरंभ हो जाता है मगर तंत्रशास्त्र के अनुसार दीपावली पर किए गए टोटके अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं। दीपावली पर मंत्र जगाए जाते हैं व विशेष सिद्धियों पर विजय पाई जाती है।

 मॉडर्न युग में चाहे व्यक्ति मंगल पर पहुंच गया है मगर तंत्र-मंत्र में उसका विश्वास अडिग बना हुआ है। शास्त्रों में सांकेतिक भाषा में तंत्र-मंत्र के संबंध में कहा गया है। तंत्रशास्त्र में दो बातें मिलती हैं पहला साधना का फल व दूसरा विधि का अंश।

विधि विधान संकेतों में बताए गए हैं। किस मनोभूमि का व्यक्ति, किस काल, किन मंत्रों का किन उपकरणों द्वारा क्या प्रयोग करें, यह सब संकेत सूत्र में छिपाकर रखा गया है। तंत्रशास्त्र गुप्त इस कारण है कि अनाधिकारी लोग इसे प्रयोग न कर सकें। साधना और उसके विधि-विधान को गुप्त रखने के अनेक आध्यात्मिक कारण हैं।

संसार की रचना के साथ ही कई चीजों का अविष्कार हुआ है। जैसे-जैसे मनुष्य ने उन्नति की अपने स्वार्थ, पुरुषार्थ, परोपकार के लिए कुछ न कुछ खोजता रहा, ये जिज्ञासा संसार में सदैव प्रबल रही है।

कई ऐसे सिद्धिप्रद मुहुर्त होते हैं जिनमें तंत्रशास्त्र में रुचि लेने वाले तथा इसके प्रकांड ज्ञाता तंत्र-मंत्र की सिद्धि, प्रयोग, व अनेक क्रियाएं करते हैं।

इन महूर्तों में सर्वाधिक प्रबल महूर्त हैं धनतेरस, दीपावली की रात, दशहरा, नवरात्र व महाशिवरात्री। इसमें दीपावली की रात्र को तंत्रशास्त्र की महारात्रि कहा जाता है।

बदलते समय के साथ दीपावली पर होने वाले टोने-टोटके और ‍तांत्रिक गतिविधियों में अब कई तरह के बदलाव आ गए हैं। माना जाता है‍ कि दीपावली के पांच दिनों में खास करके दीपावली की रात्रि कई तांत्रिक अनेक प्रकार की तंत्र साधनाएं करते हैं।

वे कई प्रकार के तंत्र-मंत्र अपना कर शत्रुओं पर विजय पाने, गृह शांति बढ़ाने, लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने तथा जीवन में आ रही कई तरह की बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए विचित्र टोने-टोटके अपनाते हैं।

मान्यतानुसार दीपावली की महारात्रि देवी लक्ष्मी अपनी बहन दरिद्रा के साथ भू-लोक की सैर पर आती हैं। जिस घर में साफ-सफाई और स्वच्छता रहती है, वहां मां लक्ष्मी अपने कदम रखती हैं और जिस घर में ऐसा नहीं होता वहां दरिद्रा अपना डेरा जमा लेती है।

जादू-टोना, व टोटका आदि का संबंध ऋग्वेदकाल से माना जाता है। अथर्ववेद में भी इन विषयों का वर्णन है। कई स्थानों पर नवरात्र आरंभ होते ही लोग सजग हो जाते हैं तथा उनकी यह सजगता दीपावली के खत्म होने तक बनी रहती है।

यहां तक की घर में बुजुर्ग स्त्रियों द्वारा भी घरेलू टोटके अपनाए जाते हैं। यह केवल गांवों ओर कस्बों तक ही सीमित नहीं बल्कि छोटे-बड़े शहरों में भी किए जाते हैं। त्यौहारों के मौसम में जब किसी दूसरे के घर से मिष्ठान आता है तो घर की महिलाएं उससे चुटकी भर पकावान निकाल कर फेंक देती हैं।

इसके बाद ही वह पारिवारिक सदस्यों को खाने के लिए देती हैं। उनका मानना होता है कि अगर खाने में कोई टोना-टोटका किया गया होगा तो परिजनो पर इसका दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।

कुछ परिवारों में नजर उतारने हेतु थोड़ा सा नमक हाथों में लेकर नजर लगने वाले से उतारा जाता है और बाद में इसे पानी में बहा दिया जाता है।

 मान्यता है कि इस टोटके से बुरी बलाएं पास नहीं फटकती। लड़कियों को बाल खोल कर न घूमने की हिदायत दि जाती है। यहां तक कि घर में छत या सुनसान जगहों पर खेलने की इजाजत नहीं देते।

मान्यतानुसार टोना सिद्ध करना मंत्र सिद्ध करने की अपेक्षा कठिन होता है। मंत्र को पढ़ उसे फेंका जाता है जबकि टोना केवल संकेत मात्र से काम कर जाता है। मंत्र को सिद्ध करने हेतु मांस-मदिरा की आवश्यकता पड़ती है।

टोना सिद्ध करने हेतु विभिन्न जानवरों के मल-मूत्र की आवश्यकता होती है। मंत्र झाड़ने हेतु पलीते का उपयोग होता है। टोना झाड़ने हेतु मोर पंख या झाड़ू का उपयोग होता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह सभी कर्म रात्रि के समय किए जाते हैं अर्थात सूर्य के आभाव में। जब महामावस्या अर्थात दीपावली पर चंद्रमा बलहीन हो जाता है तभी अभिचार कर्मा अपने परचम पर होता है।

नोट:

इस लेख का उद्देश्य नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए जानकारी देना मात्र है। दीपावली पर अनेक प्रकार के शास्त्रीय कवच अपनाकर व यंत्र पहनकर ऐसी नकारात्मक शक्तियों से बचा जा सकता है।


राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Saturday, October 7, 2017

शाबर रक्षा नारियल

शाबर रक्षा नारियल








आपने देखा होगा की लगभग सभी दुकानों में लाल कपडे में नारियल बांधकर लटकाया जाता है, कई घरों में भी ऐसा किया जाता है. यह स्थान देवता की पूजा और गृह रक्षा के लिए किया जाता है.

नवरात्रि पर अपने घर मे गृह शांति और रक्षा के लिए एक विधि प्रस्तुत है जिसके द्वारा आप अपने घर पर पूजन करके नारियल बाँध सकते हैं.

आवश्यक सामग्री :-

लाल कपडा सवा मीटर
नारियल
सामान्य पूजन सामग्री
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यदि आर्थिक रूप से सक्षम हों तो इसके साथ रुद्राक्ष/ गोरोचन/केसर भी डाल सकते हैं.
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वस्त्र/आसन लाल रंग का हो तो पहन लें यदि न हो तो जो हो उसे पहन लें.

सबसे पहले शुद्ध होकर आसन पर बैठ जाएँ. हाथ में जल लेकर कहें " मै [अपना नाम ] अपने घर की रक्षा और शांति के लिए यह पूजन कर रहा हूँ मुझपर कृपा करें और मेरा मनोरथ सिद्ध करें."

इतना बोलकर हाथ में रखा जल जमीन पर छोड़ दें. इसे संकल्प कहते हैं.

नारियल पर मौली धागा [अपने हाथ से नापकर तीन हाथ लम्बा तोड़ लें.] लपेट लें.

लपेटते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें." ॐ श्री विष्णवे नमः"
अब अपने सामने लाल कपडे पर नारियल रख दें. पूजन करें.

नारियल के सामने निम्नलिखित मंत्र का 1008 बार जाप करें ऐसा कम से कम तीन दिन तक करें. पूरी नवरात्रि कर सकें तो और भी बेहतर है.

"ॐ नमो आदेश गुरून को इश्वर वाचा अजरी बजरी बाडा बज्जरी मैं बज्जरी को बाँधा, दशो दुवार छवा और के ढालों तो पलट हनुमंत वीर उसी को मारे, पहली चौकी गणपति दूजी चौकी में भैरों, तीजी चौकी में हनुमंत,चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देव जी शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र इश्वरी वाचा"

अब इस नारियल को लाल कपडे में लपेट ले. आपका रक्षा नारियल तय्यार है. इसे आप दशहरा, दीपावली, पूर्णिमा, अमावस्या या अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन घर की छत में हुक हो तो उसपर बांधकर लटका दें.

यदि न हो तो पूजा स्थान में रख लें. नित्य पूजन के समय इसे भी अगरबत्ती दिखाएँ.

महाविद्या आश्रम में इस depawali के shubh मुहूर्त  में इस शाबर रक्षा नारियल का nirman किया जा रहा हैं जिस  किसी को भी शाबर रक्षा नारियल मांगना  हैं तो आप सब मेरे   व्हाट्सप्प न०;- 9958417249. पर संपर्क  कर सकते हैं .

दक्षिणा  न्यौच्छावर.   550 .रुपये

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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गुरू गोरखनाथ,अवधूत दतात्रेय

गुरू गोरखनाथ,अवधूत दतात्रेय





,श्रीस्वामी,श्रीरामकृष्ण परमहंस,श्रीसाईबाबा,स्वामी समर्थ,तैलंग स्वामी,वामाखेपा,अघोरी कीनाराम ,आचार्य श्रीरामशर्मा ये सभी परम संत,साधक,तथा स्वयं परमतत्व ही है।

आज नकली साधक,संत से बाजार पटा है,सभी सिद्ध बनते है परन्तु ये किसी काम के नही है कारण माता धूमावती ने सभी को मोह से ग्रसित कर दिया है।

साधक को ज्यादा समय मिलता ही कहाँ जो शिविर लगाए,दीक्षा दे,ज्यादा भीड़ जुटाने वाले का लक्ष्य एक ही है कि मेरे भक्त ज्यादा लोग हो जाए और धनार्जन हो।दशमहाविद्या ब्रह्मविद्या है और इसके अधिपति शिव हैं।

बिना शिव कृपा किसी को महाविद्या की साधना फलीभूत नहीं होती।मेरा मन जब तक कृपण है,गणितीय बुद्धि है तब तक साधना के क्षेत्र में प्रगति संभव नहीं हैं।ऐसी कोई समस्या नहीं है,जो धूमावती माता दूर न करे। भूख लगी हो उस समय शरीर का क्या हाल होता है,इसे कोई भी समझता है।

 शिव ने लीला की और परम प्रेमी पुरूष शिव को ही उदरस्थ कर लिया यह जीव के प्रति शिव का प्रेम ही है, तभी तो करूणा से भरी उग्र शक्ति धूमावती को हम बार बार नमस्कार करते है।

माता हम सच्चे मन से आपको पकौड़ा,पकवान का भोग देकर आपकी स्तुति कर रहे है,हमारे,संतान,परिवार के साथ ही हमारे राष्ट की भी रक्षा करे,तभी तो दतिया में आप विराजमान है।आपकी जय हो,जय हो,जय हो।श्रीस्वामी सहित माता धूमावती को बार बार नमस्कार हैं।

इसके बाद उस सुपारी को माँ धूमावती का रूप मानते हुए,अक्षत,काजल,भस्म,काली मिर्च और तेल के दीपक से और उबाली हुयी उडद और फल का नैवेद्य द्वारा
उनका पूजन करे, तत्पश्चात उस पात्र के दाहिने अर्थात अपने बायीं और एक मिटटी या लोहे का छोटा पात्र स्थापित कर उसमे सफ़ेद तिलों की ढेरी बनाकर उसके ऊपर एक दूसरी सुपारी स्थापित करे,और
निम्न ध्यान मंत्र का ५ बार उच्चारण करते हुए माँ धूमावती के भैरव अघोर रूद्र का ध्यान करे –

त्रिपाद हस्त नयनं नीलांजनं चयोपमं,
शूलासि सूची हस्तं च घोर दंष्ट्राटट् हासिनम् ||

और उस सुपारी का पूजन,तिल,अक्षत,धूप-दीप तथा गुड़ से करे तथा काले तिल डालते हुए ‘ॐ अघोर रुद्राय नमः’ मंत्र का २१ बार उच्चारण करे |

इसके बाद बाए
हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से निम्न मंत्र का ५ बार उच्चारण करते हुए पूरे शरीर पर छिडके –

धूमावती मुखं पातु धूं धूं स्वाहास्वरूपिणी |
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्यसुन्दरी ||
कल्याणी ह्रदयपातु हसरीं नाभि देशके |
सर्वांग पातु देवेशी निष्कला भगमालिना ||
सुपुण्यं कवचं दिव्यं यः पठेदभक्ति संयुतः |
सौभाग्यमयतं प्राप्य जाते देवितुरं ययौ ||

इसके बाद जिस थाली में माँ धूमावती की स्थापना की थी,उस सुपारी को अक्षत और काली मिर्च मिलकर निम्न मंत्र की आवृत्ति ११ बार कीजिये अर्थात क्रम से हर मंत्र ११-११ बार बोलते हुए अक्षत मिश्रित काली मिर्च डालते रहे |

ॐ भद्रकाल्यै नमः
ॐ महाकाल्यै नमः
ॐ डमरूवाद्यकारिणीदेव्यै नमः
ॐ स्फारितनयनादेव्यै नमः
ॐ कटंकितहासिन्यै नमः
ॐ धूमावत्यै नमः
ॐ जगतकर्त्री नमः
ॐ शूर्पहस्तायै नमः

इसके बाद निम्न मंत्र का जप रुद्राक्ष माला से २१,५१ , १२५ माला करें, यथासंभव एक बार में ही ये जप हो सके तो अतिउत्तम,अब मंत्र जाप प्रारंभ करे.

मंत्र:- ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट् ||

मंत्र जप के बाद मिटटी या लोहे के हवन कुंड में लकड़ी जलाकर १०८ बार घी व काली मिर्च के द्वारा आहुति डाल दें |

आहुति के दौरान ही आपको आपके आस पास एक तीव्रता का अनुभव हो सकता है और पूर्णाहुति के साथ अचानक मानो सब कुछ शांत हो जाता है…

इसके बाद आप पुनः स्नान कर ही सोने के लिए जाए और दुसरे दिन सुबह आप सभी सामग्री को बाजोट पर बीछे वस्त्र के साथ ही विसर्जित कर दें और जप माला को कम से कम २४ घंटे नमक मिश्रित जल में डुबाकर रखे और फिर साफ़ जल से धोकर और उसका पूजन कर अन्य कार्यों में प्रयोग करें |

इस प्रयोग को करने पर स्वयं ही अनुभव हो जाएगा की आपने किया क्या है,कैसे परिस्थितियाँ आपके अनुकूल हो जाती है ये तो स्वयं अनुभव करने वाली
बात है….

देवी धूमावती को आज तक कोई योद्धा युद्ध में नहीं परास्त कर पाया, तभी देवी का कोई संगी नहीं हैं।

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Friday, October 6, 2017

बेताल साधना

 बेताल साधना







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यह साधना रात्रि कालीन है स्थान एकांत होना चाहिए ! मंगलबार को यह साधना संपन की जा सकती है !
घर के अतिरिक्त इसे किसी प्राचीन एवं एकांत शिव मंदिर मे या तलब के किनारे निर्जन तट पर की जा सकती है !
पहनने के बस्त्र आसन और सामने विछाने के आसन सभी गहरे काले रंग के होने चाहिए ! साधना के बीच मे उठना माना है !

इसके लिए वीर बेताल यन्त्र और वीर बेताल माला का होना जरूरी है !

यन्त्र को साधक अपने सामने बिछे काले बस्त्र पर किसी ताम्र पात्र मे रख कर स्नान कराये और फिर पोछ कर पुनः उसी पात्र मे स्थापित कर दे !

सिन्दूर और चावल से पूजन करे और निम्न ध्यान उच्चारित करें

"!! फुं फुं फुल्लार शब्दो वसति फणिर्जायते यस्य कण्ठे डिम डिम डिन्नाति डिन्नम डमरू यस्य पाणों प्रकम्पम!
तक तक तन्दाती तन्दात धीर्गति धीर्गति व्योमवार्मि
सकल भय हरो भैरवो सः न पायात !! "

इसके बाद माला से  31माला मंत्र जप करें यह 21  दिन की साधना है !

!! ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं वीर सिद्धिम दर्शय दर्शय फट !!

साधना के बाद सामग्री नदी मे या शिव मंदिर मे विसर्जित कर दें साधना का काल और स्थान बदलना नहीं चाहिए

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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Wednesday, October 4, 2017

वशीकरण प्रयोग

 वशीकरण प्रयोग



तंत्र की क्रिया में तो सैकड़ो सम्मोहन प्रयोग है पर यह प्रयोग अपने आप में अचूक और अत्यंत तीष्ण,तुरंत असर दिखने वाली प्रयोग है.बाकि प्रयोग असफल हो सकती है परन्तु इस प्रयोग की सफलता किसी चमत्कार से कम नहीं.

यह प्रयोग अघोरि और कपाली ओकी है.जिसे संपन्न करने से पाहिले १०० बार सोच समज़कर ही करनी चाहिए.

सामग्री -

   सिद्धि अघोरी  वशीकरण  यन्त्र प्राण  प्रतिष्ठा  युक्त ,  लाल  हकीक  माला   , वशीकरण काजल 

अमावस्या की रात्रि में बगीचा या फिर घरमे किसी कोने में बैट जाईये और अपने आसन की निचे श्मशान से लाकर थोड़ी सी राख राख दे आसन लाल रंग की होनी चाहिये फिर दक्षिण दिशा की और मुहकर सामने उस व्यक्ति की चित्र रख दे  तथा   सिद्धि अघोरी  वशीकरण  यन्त्र प्राण  प्रतिष्ठा  युक्त स्थापित    करें ,जिसे पूर्ण वशीकरण या सम्मोहित करनी/करना है.माला लाल हकिक की होनी चाहिये.

इसके बाद उस चित्र के सामने मात्र ५१ माला मन्त्र जाप करनी है और येसा करने से आश्चर्यजनक रूप से चमत्कार देखने को मिलती है और जो आपकी सर्वथा विरोधी व्यक्ति है वह भी आपके अनुकूल हो कर आपके कहे अनुसार कार्य संपन्न करती है.

                                                                       मंत्र

                      ||ॐ ऐम ऐम अमुक वाश्यमानय मम आज्ञा परिपालय ऐम ऐम फट ||

यह प्रयोग दिखने में अत्यंत सरल है परन्तु प्रभाव अचूक देखने मिलती है और तुरंत ही जिसे सम्मोहित करना चाहते है उसे अपने वश में करने में समर्थ हो जाते है.

राज गुरु जी

महाविद्या आश्रम

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महाविद्या मातंगी

महाविद्या मातंगी







सांसारिक रूप में महाविद्या कमला का आराधना से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति के बाद किसी भी आदमी को जरूरत होती है, अपने आभामंडल और प्रभाव को बढ़ाने की। इंसान चाहता है कि लोग उसके धन व ऐश्वर्य को समझें और उसे सम्मान दें।

दूसरी ओर आध्यात्मिक क्षेत्र का साधक कमला की साधना से खुद को अंदर से परिपूर्ण करने के बाद प्रकृति को मोहित कर अपने साधना के स्तर को उठाना चाहता है। इसके लिए आवश्यकता पड़ती है नौवीं महाविद्या मातंगी की। इनमें पूरे ब्रह्मांड को मोहित करने की शक्ति है। जैसा कि मैंने पहले ही कहा था कि सभी महाविद्या में सब कुछ प्रदान करने की शक्ति है लेकिन उनके विशेषज्ञता के खास क्षेत्र हैं।

तंत्र के क्षेत्र में मातंगी की साधना का काफी महत्व है। यह ममता की मूर्ति हैं और सामन्यतया साधकों पर प्रसन्न होने में अधिक देर नहीं लगाती हैं। इनकी प्रसन्नता से ज्ञान वृद्धि, शास्त्राज्ञाता, कवित्व शक्ति एवं संगीत विद्या की भी प्राप्ति संभव है।

 यह सम्मोहन और वशीकरण की अधिष्ठात्री हैं। इनके प्रयोग से भंडार की अक्षयवृद्धि होती है। आवश्यकता सिर्फ श्रद्धा का नियमपूर्वक साधना करने की है। मातंगी की साधना के बारे में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी जा रही है। विस्तृत जानकारी के लिए अपने आसपास के किसी योग्य व्यक्ति से या मेल से मुझसे जानकारी ली जा सकती है।

मातंगी के कई नाम हैं। इनमें प्रमुख हैं-सुमुखी, लघुश्यामा या श्यामला, उच्छिष्टचांडालिनी, उच्छिष्टमातंगी, राजमातंगी, कर्णमातंगी, चंडमातंगी, वश्यमातंगी, मातंगेश्वरी, ज्येष्ठमातंगी, सारिकांबा, रत्नांबा मातंगी एवं वर्ताली मातंगी।

1-अष्टाक्षर मातंगी मंत्र- कामिनी रंजनी स्वाहा

विनियोग— अस्य मंत्रस्य सम्मोहन ऋषिः, निवृत् छंदः, सर्व सम्मोहिनी देवता सम्मोहनार्थे जपे विनियोकगः।

ध्यान--- श्यामंगी वल्लकीं दौर्भ्यां वादयंतीं सुभूषणाम्। चंद्रावतंसां विविधैर्गायनैर्मोहतीं जगत्।

फल व विधि------ विनियोग से ही मंत्र का फल स्पष्ट 20 हजार जप कर मधुयुक्त मधूक पूष्पों से हवन करने पर अभीष्ट की सिद्धि होती है।
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2-दशाक्षर मंत्र------ ऊं ह्री क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।

विनियोग— अस्य मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषिःर्विराट् छंदः, मातंगी देवता, ह्रीं बीजं, हूं शक्तिः, क्लीं कीलकं, सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः।

अंगन्यास--- ह्रां, ह्रीं, ह्रूं, ह्रैं, ह्रौं, ह्रः से हृदयादि न्यास करें।

फल व विधि------ साधक छह हजार जप नित्य करते हुए 21 दिन प्रयोग करें। फिर दशांस हवन करें। चतुष्पद श्मसान या कलामध्य में मछली, मांस, खीर व गुगल का धूप दे तो कवित्व शक्ति की प्राप्ति होती है। इससे जल, अग्नि एवं वाणी का स्तंभन भी संभव है।

 इसकी साधना करने वाला वाद-विवाद में अजेय बन जाता है। उसके घर में स्वयं कुबेर आकर धन देते हैं।

3-लघुश्यामा मातंगी का विंशाक्षर मंत्र--------- ऐं नमः उच्छिष्ट चांडालि मांतगि सर्ववशंकरि स्वाहा।

विधि---

विनियोग व न्यास आदि के साथ देवी की पूजा कर 11, 21, 41 दिन या पूर्णिमा/आमावास्या से पूर्णिमा/आमावास्या तक एक लाख जप पूर्ण करें। मंत्र से ऐसा प्रतीत होता है कि इसका जप उच्छिष्ट मुंह किया जाना चाहिए। ऐसा किया भी जा सकता है लेकिन विभिन्न ग्रंथों में इसे पवित्र होकर करने का भी विधान है।

 अतः साधक सुविधानुसार जप करें। जप पू्र्ण होने के बाद महुए के फूल व लकड़ी के दशांस होम कर तर्पन व मार्जन करें।

फल-------

 इसके प्रयोग से डाकिनी, शाकिनी एवं भूत-प्रेत बाधा नहीं पहुंचा सकते हैं। इसकी साधना से प्रसन्न होकर देवी साधक को देवतुल्य बना देती है। उसकी समस्त अभिलाषाएं  पूरी होती हैं।

चूंकि मातंगी वशीकरण विद्या की देवी हैं, इसलिए इसके साधक की वह शक्ति भी अद्भुत बढ़ती है। राजा-प्रजा सभी उसके वश में रहते हैं।

4-एकोन विंशाक्षर उच्छिष्ट मातंगी तथा द्वात्रिंशदक्षरों मातंगी मंत्र

मंत्र (एक)--- नमः उच्छिष्ट चांडालि मातंगी सर्ववशंकरि स्वाहा।

मंत्र (दो)---- ऊं ह्रीं ऐं श्रीं नमो भगवति उच्छिष्टचांडालि श्रीमातंगेश्वरि सर्वजन वशंकरि स्वाहा।

विधि-----

 विधिपूर्वक दैनिक पूजन के बाद निश्चित (जो साधक जप से पूर्व तय करे) समयावधि (घंटे या दिन) में दस हजार जप कर पुरश्चरण करे। उसके बाद दशांस हवन करे।

फल-----

मधुयुक्त महुए के फूल व लकड़ी से हवन करने पर वशीकरण का प्रयोग सिद्ध होता है। मल्लिका फूल के होम से योग सिद्धि, बेल फूल के हवन से राज्य प्राप्ति, पलास के पत्ते व फूल के हवन में जन वशीकरण, गिलोय के हवन से रोगनाश, थोड़े से नीम के टुकड़ों व चावल के हवन से धन प्राप्ति, नीम के तेल से भीगे नमक से होम करने पर शत्रुनाश, केले के फल के हवन से समस्त कामनाओं की सिद्धि होती है।

 खैर की लकड़ी से हवन कर मधु से भीगे नमक के पुतले के दाहिने पैर की ओर हवन की अग्नि में तपाने से शत्रु वश में होता है।

5-सुमुखी मातंगी प्रयोग

इसमें दो मंत्र हैं जिसमें सिर्फ ई की मात्रा का अंतर है पर ऋषि दोनों के अलग-अलग हैं। इसमें फल समान है।

पहला मंत्र---- उच्छिष्ट चांडालिनी सुमुखी देवी महापिशाचिनी ह्रीं ठः ठः ठः।

इसके ऋषि अज, छंद गायत्री और देवता सुमुखी मातंगी हैं।

विधि----

देवी के विधिपूर्वक पूजन के बाद जूठे मुंह आठ हजार जप करने से ही इसका पुरश्चरण होता है। साधक को धन की प्राप्ति होती है और उसका आभामंडल बढ़ता है। हवन की विधि नीचे है।

दूसरा मंत्र-----

 उच्छिष्ट चांडालिनि सुमुखि देवि महापिशाचिनि ह्रीं ठः ठः ठः।

इसके ऋषि भैरव, छंद गायत्री और देवता सुमुखी मातंगी हैं।

विधि----

इसकी कई विधियां हैं। एक में एक लाख मंत्र जप का भी विधान वर्णित है। लेकिन मेरा मानना है कि देवी के विधिपूर्वक पूजन के बाद जूठे मुंह दस हजार जप करने से ही इसका पुरश्चरण होता है और साधक को धन की प्राप्ति होती है तथा उसका आभामंडल बढ़ता है।

हवन विधि------

दही से सिक्त पीली सरसो व चावल से हवन करने पर राजा-मंत्री सभी वश में हो जाते हैं। बिल्ली के मांस से हवन करने पर शस्त्र का वसीकरण होता है। बकरे के मांस के हवन से धन-समृद्धि मिलती है।

खीर के हवन से विद्या प्राप्ति तथा मधु व घी युक्त पान के पत्तों के हवन से महासमृद्धि की प्राप्ति होती है।

 कौवे व उल्लू के पंख के हवन से शत्रुओं का विद्वेषण होता है।

राजगुरु जी

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Tuesday, October 3, 2017

धूत विजय प्रयोग

धूत विजय  प्रयोग




जो लोग जुआ , सट्टा , मटका , रेसकोर्स , इत्यादि खेलने के शौक़ीन हों अथवा जिन्होंने इस शौक को ही अपना व्यापार बना रखा हो तो जुए इत्यादि में निरंतर सफलता प्राप्त के लिए उन्हें इस प्रयोग को अवशय ही सम्पन्न कर के लाभ उठाना चाहिए .

सामग्री ;;----- स्वर्णाकर्षण गुटिका ( मंत्र सिद्धि प्राण - प्रतिष्ठित ) तेल का दीपक

माला ;-- विद्दुत माला ( मंत्र सिद्धि चैतन्य )
समय ;-- रात का कोई भी समय
दिन ;;--- शुक्रवार
धारणीय वस्त्र ;;---- सफ़ेद रंग की धोती
आसन ;;-- सफ़ेद रंग का सूती आसन
दिशा ;;--- उत्तर

जाप संख्या ;;-- इक्कीस हजार ( २१००० )
अवधि -- इस्क्किस दिन

मंत्र ;;-----

'' ॐ नमो वीर बैताल आकस्मिक धन देहि देहि नमः '''

प्रयोग विधि ;;---

किसी भी शुक्रवार की रात्रि को यह प्रयोग करें . अपने दाहिने हाथ में स्वर्णाकर्षण गुटिका लेकर उसे पहले भली प्रकार से देखें , फिर सामने रख कर तेल का दीपक लगाकर उपरोक्त मंत्र का इक्कीस हजार जाप करें , जप के बाद इक्कीस दिनों में वह स्वर्णाकर्षण गुटिका गुटिका सिद्धि हो जाती हैं .

जब यह गुटिका सिद्धि हो जाये तो जब भी किसी जुए में जावें अथवा जुआ खेले या रेसकोर्स में जाये तो इस स्वर्णाकर्षण गुटिका को अपनी जेब में रखकर ले जाने से सफलता प्राप्त हो सकती हैं ,

नोट -

 साधको को सूचित किया जाता हैं की हर चीज की अपनी एक सीमा होती हैं , इसलिए किसी भी साधना का प्रयोग उसकी सीमा में ही रहकर करे , और मानव होकर मानवता की सेवा करे अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाएँ ,.

राज गुरु जी

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महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि

  ।। महा प्रचंड काल भैरव साधना विधि ।। इस साधना से पूर्व गुरु दिक्षा, शरीर कीलन और आसन जाप अवश्य जपे और किसी भी हालत में जप पूर्ण होने से पह...