योनि- महालक्ष्मी कामाख्या महामंत्र ' की अघोर रहस्यमयी साधना
गहराई से विचार करें तो मानव-जीवन में तुष्टि, पुष्टि, सृष्टि और सुख-समृद्धि की वृष्टि करनेवाली एकमात्र देवी भगवती 'योनि-लक्ष्मी' ही हैं | जिस घर में स्त्री-योनि संतुष्ट रहती है, वहाँ सभी प्रकार की शांति और संपदा स्वत: आकर विराजमान हो जाती हैं |
'योनि-तंत्र' की साधना वस्तुत: त्रिगुणात्मक आद्याशक्ति की ही उपासना है - योनि के ऊपरी भाग में कमल की पंखुड़ियों को सदृश भगोष्ठों के मध्य कमलासना लक्ष्मी, मध्य के गह्वर में महाकाली तथा मूल में स्थित गर्भनाल (कमलनाल) में सरस्वती की स्थिति कही गई है -
"कार्तिकी कुंतलंरूपं योन्युपरि सुशोभितम् ......."
या
"योनिमध्ये महाकाली छिद्ररूपा सुशोभना ....."
आदि-आदि श्लोकों में इसी त्रिगुणात्मिका शक्ति की ही अभ्यर्थना की गई है |
इसलिए 'कामतंत्र' में स्त्री (योनि) की संतुष्टि ही सभी प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि और समृद्धि का आधार मानी गई है | यानी जिस घर में स्त्री असंतुष्ट-अतृप्त रहती है, वहाँ दु:ख, दरिद्रता, कलह और रोग-शोक आदि का साम्राज्य हो जाता है |
शायद इसीलिए शास्त्रों ने यह उद्घोष किया है कि -
"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता |"
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योनि मात्र शरीराय कुंजवासिनि कामदा।
रजोस्वला महातेजा कामाक्षी ध्येताम सदा।।
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लिंग पूजा पूरे विश्व में होती है ,सभी बड़ी ख़ुशी से छू छू कर करते हैं ,पर योनी पूजा के नाम पर नाक भौं सिकुड़ता है ,जबकि मूल उत्पत्ति कारक यही है | इसे मूर्खता और छुद्र मानसिकता नहीं तो और क्या कहेंगे |
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सम्भोग का अर्थ है सम+भोग यथा एक दसरे का बराबर भोग करना
भोग मात्र शारीरिक नहीं होता भोग के कई स्वरुप है भोग जिससे आनंद की अनुभूति हो जोकि किसी एक तरीके से बंधा नहीं है या शारीरिक सुख भी उसका ही स्वरुप है,किसी भी शक्ति की पूर्ण संतुष्टि के लिए साधक को हर तरह से उसे प्रसन्न करने के लिए तत्पर होना चाहिए...
"योनिमध्ये महाकाली छिद्ररूपा सुशोभना ....."
इस बीज मंत्र का उपयोग करने के लिए प्रतिदिन सुबह उठकर स्नानादि करने के बाद शुद्ध हो जाएं, उसके बाद अपने पूजा गृह में मां कामाख्या की एक कामाख्या देवी यंत्र स्थापित करें और उस यंत्र के आगे धूप और दिया दे | उसके पश्चात निम्म्न दिए गए इस बीज मंत्र का 125 माला जप करें, मंत्र जप करते समय मन में मां कामाख्या का स्मरण करें और साथ ही जो भी आपकी मनोकामनाएं हैं उसकी पूर्ति हेतु मां कामाख्या से प्रार्थना करें | इस तरह एक 9 दिनों तक इसी तरह मंत्रों का जाप करें उसके पश्चात आप खुद ही देखेंगे कि आपके घर में हर तरह की सुख समृद्धि, धन का आगमन व्यापार व्यवसाय में वृद्धि होने लगेगी
कामाख्या यंत्र को स्थापित करे तथा निम्न रूप से उसका पूजन करे.
ॐ श्रीं स्त्रीं गन्धं समर्पयामि |
ॐ श्रीं स्त्रीं पुष्पं समर्पयामि |
ॐ श्रीं स्त्रीं धूपं आध्रापयामि |
ॐ श्रीं स्त्रीं दीपं दर्शयामि |
ॐ श्रीं स्त्रीं नैवेद्यं निवेदयामि |
साधक को पूजन में तेल का दीपक लगाना चाहिए तथा भोग के रूपमें कोई भी फल या स्वयं के हाथ से बनी हुई मिठाई अर्पित करे. इसके बाद साधक निम्न रूप से न्यास करे. इसके अलावा इस प्रयोग के लिए साधक देवी यंत्र का अभिषेक शहद से करे.
करन्यास
ॐ श्रीं स्त्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
ॐ महापद्मे तर्जनीभ्यां नमः
ॐ पद्मवासिनी मध्यमाभ्यां नमः
ॐ द्रव्यसिद्धिं अनामिकाभ्यां नमः
ॐ स्त्रीं श्रीं कनिष्टकाभ्यां नमः
ॐ हूं फट करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
हृदयादिन्यास
ॐ श्रीं स्त्रीं हृदयाय नमः
ॐ महापद्मे शिरसे स्वाहा
ॐ पद्मवासिनी शिखायै वषट्
ॐ द्रव्यसिद्धिं कवचाय हूं
ॐ स्त्रीं श्रीं नेत्रत्रयाय वौषट्
ॐ हूं फट अस्त्राय फट्
न्यास के बाद साधक को देवी कामाख्या का ध्यान करना है.
इस प्रकार ध्यान के बाद साधक देवी के निम्न मन्त्र की 125 माला मन्त्र जाप करे. साधक यह जाप शक्ति माला, से करे तो उत्तम है. अगर यह कोई भी माला उपलब्ध न हो तो साधक को स्फटिक माला या रुद्राक्ष माला से जाप करना चाहिए.
मंत्र -
क्लीं क्लीं कामाख्या क्लीं क्लीं नमः
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किसी भी एक मंत्र का जाप रात्रि काल में ९ से ३ बजे के बीच करना चाहिये.
साधना से पहले गुरु से कामाख्या दीक्षा लेना लाभदायक होता है.
साधक यह क्रम 9 दिन तक करे. 9 दिन जाप पूर्ण होने पर साधक शहद से इसी मन्त्र की १०८ आहुति अग्नि में समर्पित करे. इस प्रकार यह प्रयोग 9 दिन में पूर्ण होता है.
साधक की धनअभिलाषा की पूर्ति होती है
चेतावनी -
सिद्ध गुरु कि देखरेख मे साधना समपन्न करेँ , सिद्ध गुरु से दिक्षा , आज्ञा , सिद्ध यंत्र , सिद्ध माला , सिद्ध सामग्री लेकर हि गुरू के मार्ग दरशन मेँ साधना समपन्न करेँ ।
विशेष -
किसी विशिष्ट समस्या ,तंत्र -मंत्र -किये -कराये -काले जादू -अभिचार ,नकारात्मक ऊर्जा प्रभाव आदि पर परामर्श /समाधान हेतु संपर्क करें
राजगुरु जी
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