यदि आप मुझसे कुछ सीखना चाहते है तो परिश्रम तो करना ही होगा। किसी को दो दिन में तारा चाहिए,तो किसी को ९ दिन में छिन्नमस्ता,किसी को ५ दिन में मातंगी सिद्ध करना है तो,किसी को ११ दिन में भुवनेश्वरी। कितनी बचकानी बात है. मेरा उद्देश्य किसी के ह्रदय को पीड़ित करना नहीं है.अगर किसी को दुःख हुआ हो तो हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हु.परन्तु कभी कभी व्यर्थ का रोग मिटाने के लिए कड़वे वचनो कि औषधि आवश्यक हो जाती है.
Saturday, April 21, 2018
माँ बगलामुखी
माँ बगलामुखी
माँ बगलामुखी वैष्णवी शक्ति हैं
लेकिन इनमे त्रिशक्ति की शक्ति का समावेश है ! यही रहस्य कारण है की उपासक शीघ्र ही अपनी समस्याओं से मुक्ति पा लेता है ! माँ बगलामुखी शत्रु शमन के साथ धन के आभाव को दूर कर बल बुद्धि देती हैं ! बगलामुखी का उपासक एक श्रेष्ठ वक्ता बनता है !
तंत्र शास्त्रों में कहा गया है – शिव भूमि यूँतूं शक्तिनाद बिन्दु समन्वितम ! बीजं रक्षाम प्रोक्तं मुनिभिव्रतस वादिभि: !! माँ बगलामुखी दोनों रूपों , वाममार्ग और दक्षिणमार्ग से प्रसन्न होती हैं !
हमारे भारतवर्ष में माँ बगलामुखी के पांच सिद्ध पीठ बतलाये गए हैं ! इन सिद्ध स्थानों में माँ बगलामुखी स्वयं उपस्थित रहती हैं ! प्रथम सिद्ध पीठ हिमाचल प्रदेश में ,दूसरा मध्य प्रदेश में सतना के पास , तीसरा उज्जैन में चौथा दतिया में और पांचवां सिद्ध पीठ उत्तरकाशी में बडकोट के पास है !
अगर आप गृहस्थ हैं तब आप साधना और हवन के लिए हिमाचल प्रदेश और उज्जैन की बगलामुखी का चयन करें ! माँ बगलामुखी की साधना , उपासना , आराधना के अनेक विधान हैं , जिनमे तांत्रिक साधकों की तंत्र – मन्त्र साधना , ओघढ़ लोगों की अघोर साधना , कापालिकों , मशानिकों की वीर साधना और परमपूज्य नाथ लोगों की सिद्ध साधना प्रमुख है !
माँ बगलामुखी के पांच अस्त्र हैं जो भीषण प्रभाव रखते हैं जिनका प्रयोग कभी निष्फल नही जाता है विरोधियो और शत्रुओ में आतंक और हड़कंप मच जाता है–
बड़वामुखी, उल्कामुखी ,जातवेदमुखी , ज्वालामुखी और वृहद भानुमुखी हैं !
गृहस्थ लोगों को कभी भी बगलामुखी का अनुष्ठान , जाप शमशान में स्थित बगलामुखी के सामने नहीं कराना चाहिए ! इससे विपरीत , अनिष्टकारी परिणाम मिल सकते हैं !
तांत्रिक साधक बगलामुखी का हवन तांत्रिक विधि से करते हैं !
बगलामुखी तंत्र की सबसे शक्तिशाली देवी मानी गयी हैं ! तांत्रिक विधि द्वारा हवन कराने पर प्रत्येक पल देवी का प्रभाव देखने को मिलता है ! अनिवार्य शर्त यह है कि वह तांत्रिक हो और तांत्रिक विधि का अच्छा जानकार हो !
पाठीन-नेत्रां परिपूर्ण-गात्रां,
पञ्जेन्दिय-स्तम्भन-चित्त-रूपां ।
पीताम्बराढ्यां पिशिताशिनीं तां,
भजामि स्तम्भन-कारिणीं सदा।।
ध्यायेत् पद्यासनस्थां विकसितवदनां पद्यपत्राऽऽयताक्षीम्।
हेमाभां पीतवस्त्रां करकलितलसश्ध्देमपद्मां वराङ्गीम् ।।
सर्वाऽलङ्कारयुक्तां सततमभयदां भक्तनम्रां भवानीम् ।
श्रीविद्यां शान्तमूर्ति सकलसुरनुतां सर्वसम्प्प्रदात्रीम् ।।
चतुर्भुजां त्रि-नयनां पीत-वस्त्र-धरां शिवाम्।
वन्देऽहंं बगलां देवीं शत्रु-स्तम्भन-कारिणीम्॥
ध्यानम्
चतुर्भुजां त्रिनयनां कमलासनसंस्थिताम्। त्रिशूलं पानपात्रंच गदां जिह्वां च बिभ्रतीम्।।
बिम्बोष्ठीं कम्बुकण्ठीं च समपीनपयोधराम्। पीताम्बरां मदाघूर्णां ध्यायेद् ब्रह्मास्त्रदेवताम्।।
उद्यत्सूर्यसहस्राभां पीनोन्नतपयोधराम्। पीतमाल्याम्बरधरां पीतभूषणभूषिताम्।।
गदामुद्गरहस्ताञ्च पीतगन्धानुलेपनाम्। लसन्नेत्रत्रयां स्वर्णमुकुटोद्भासिमस्तकाम्।।
गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीं राशिरूपिणीम्। देवीं पीठमयीं ध्यायेन्मातृकां बगलां पराम्।।
प्रत्यालीढपरां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम् ।
खर्वां लम्बोदरीं भीमां पीताम्बरपरिच्छदाम् ।।
नवयौवनसम्पन्नां पञ्चमुद्राविभूषिताम् ।
जतुर्भुजां ललज्जिह्वा महाभीमां वरप्रदाम् ।।
खड्गकर्त्रीसमायुक्तां सव्येतरभुजद्वयाम्।
कपालोत्पलसंयुक्तां सव्यपाणियुगान्विताम् ।
पिड्गोग्रैकसुखासीनां मौलावक्षोभ्यभूषिताम् ।
प्रज्वलत्पितृभूमध्यगतां दंष्ट्राकरालिनीम् ।
तां खेचरां स्मेरवदनां भस्मालड्कारभूषिताम् ।
विश्वव्यापकतोयान्ते पीतपद्मोपरिस्थिताम् ।।
जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं
वामेन शत्रून् परिपीडयन्तीम् ।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन
पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि ।।
वकारे वारुणी देवी गकारेसिद्धिदा स्मृता।
लकारे पृथिवी चैव चैतन्या या प्रकीर्तिता।।
।।ॐ ह्रीं बगलामुख्यै नम:।।
धन प्राप्ति एवम् रोजगार के नये साधनों को बढाने के लिए मन्दार मन्त्र
।।श्रीं ह्लीं ऐं भगवती बगले में श्रियम देहि-देहि स्वाहा ।।
" ॐ कुलकुमार्यै विद्महे पीताम्बरायै धीमहि। तन्नो बगला प्रचोदयात।।"
।। ॐ ह्ली पीताम्बराये ज्वालामालिन्यै शत्रुसेना विध्वंसन्ये स्वाहा ।।
" यन्त्रराजाय विद्मेह महायन्त्राय धीमहि तन्नो यन्त्रं प्रचोदयात्।
ॐ मलयाचल बगला भगवती महाक्रूरी महाकराली राजमुखबन्धनं ग्राममुखबन्धनं ग्रामपुरूषबन्धनं कालमुखबन्धनं चौरमुखबन्धनं ब्याघ्रमुखबन्धनं सर्वदुष्टग्रहबन्धनं सर्वजनबन्धनं वशीकुरु हुं फट् स्वाहा।
'' ॐ ह्रैं ह्रूं वाग्वादिनि सत्यं सत्यं ब्रूहि वद वद बगलामुखि ह्रैं ह्रूं नम: स्वाहा।
'' बगलां सुन्दरीं ध्यायेद् द्विभुजां सर्वसिद्धिदाम्।"
ॐ हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ॐ स्वाहा
ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो बागला प्रचोदयात।
ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
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