Thursday, May 18, 2017

महाविद्या आश्रम की प्राथमिकता और उद्देश्य

मेरे बारे में इससे श्रेष्ठ और कुछ नहीं हो सकता हैं कि मैं उस समुद्र की एक बूंद हूँ, जिस समुद्र का नाम "  राज गुरु जी महाराज" हैं.

 कुछ कागज के नोटों को कमाना, कुछ कंकड़-पत्थर को जमा करना मैंने अपने  शिष्यों को नहीं सिखाया. अपितु   मैंने अपने शिष्यों को उत्तराधिकार में दिया :

 "प्रहार करने की कला - ताकि वे इस समाज में व्याप्त ढोंग और पाखण्ड पर प्रहार कर सके....... ..... और दे सके प्रेम, ताकि वे दग्ध हृदयों पर फुहार बनकर बरस सके, जलते हुए दिलों का मरहम बन सके, बिलखते हुए आंसुओं की हंसी बन सकें, छटपटाते हुए प्राणों की संजीवनी बन सकें."

जीवन के कुछ पल मिले    जिसको   वे साधना और मानवता की सेवा मैं समर्पित कर सके ...... जो मेरे जीवन की सर्वश्रेष्ठ और अनमोल निधि हैं....  यही    मेरी गुरु दीक्षा भी हैं.और यही मैं   कामना भी  करता  हूँ....... ....... ..............

 क्यूंकि जीवन का सौभाग्य यही हैं की मनुष्य इस जीवन में गुरु को प्राप्त करे

राजगुरु जी

महाविद्या आश्रम

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मोबाइल नं. : - 09958417249

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