यदि आप मुझसे कुछ सीखना चाहते है तो परिश्रम तो करना ही होगा। किसी को दो दिन में तारा चाहिए,तो किसी को ९ दिन में छिन्नमस्ता,किसी को ५ दिन में मातंगी सिद्ध करना है तो,किसी को ११ दिन में भुवनेश्वरी। कितनी बचकानी बात है. मेरा उद्देश्य किसी के ह्रदय को पीड़ित करना नहीं है.अगर किसी को दुःख हुआ हो तो हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थी हु.परन्तु कभी कभी व्यर्थ का रोग मिटाने के लिए कड़वे वचनो कि औषधि आवश्यक हो जाती है.
Friday, December 29, 2017
लवण वशीकरण
लवण वशीकरण
मंत्र- ओम भगवती भग भग दायनी देवदन्ति मम वास्यम कुरु कुरु स्वाहा ।
इस मंत्र का प्रयोग स्त्री को वश में करने के लिए किया जाता है । देवदन्ति के स्थान पर स्त्री का नाम बोले ।
गुरुवार के दिन थोड़ा नमक लेकर इस मंत्र से सात बार अभ्मंत्रित करे फिर स्त्री को खाने या पिने में मिलाकर दे दे ऐसा करने से वह स्त्री अवस्य ही जाएगी ।
- मिठाई वशीकरण मंत्र
मंत्र
ओम नमो आदेश कामाख्या देवी को
जल मोहु । थल मोहु । जंगल की हिरणी मोहू ।
बाट चलता बटोही मोहू । दरबार बैठा राजा मोहू ।
मोहिनी मेरा नाम । मोहू जगत संसार ।
तार तारिले तोतला । तीनो बसे कपाल
मात मोहिनी देवी की दुहाई । फुरे मंत्र खुदाई
इस मंत्र से मिठाई को अभिमंत्रित करके जिसे चाहो खिलाओ उसे अपने वश में करो ---
चेतावनी - इस वशीकरण तंत्र साधना प्रयोग में कुछ जानकारी पूरी नहीं बाताई गयी हैं . इस लिए की कोई मानव किसी के साथ गलत प्रयोग ना कर सके .
जिस किसी को भी इस वशीकरण प्रयोग की ज़रुरत हो ऑफ़ मुझसे फ़ोन पर बात कर सकता हैं .
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
08601454449
व्हाट्सप्प न०;- 09958417249
Tuesday, December 26, 2017
लक्षमी यक्षणी साधना
लक्षमी यक्षणी साधना
लक्ष्मी यक्षणी कुबेर ने धन पूर्ति के लिए जेबी महा लक्ष्मी की साधना की तो महा लक्ष्मी ने पर्सन हो कर वर मांगने को कहा तो श्री कुबेर जी ने उन्हे अपने लोक अल्का पूरी में निवास करने को कहा तो लक्ष्मी जी ने व्हा यक्षणी रूप में निवास किया और तभी से वहाँ धन की स्दह पूर्ति होती रहती है !
हर एक चाहता है उस के पास सभी सुख हो और उसे कभी किसी का मोहताज न होना पड़े जीवन में हर क्षेत्र में उच्ता मिले शरीर भी सोन्द्र्यवान हो और धन की भी प्रचुर अवस्ता में प्राप्ति हो ! इस के लिए यक्षणी साधनाए काफी महत्व पूर्ण मानी जाती है ! और उनसे भी उत्म यह है के ऐसी यक्षणी साधना हो जो जल्द सीध हो और जो सभी मनोरथ पूरे करे !
यह लक्ष्मी यक्षणी की साधना है इस एक साधना को करने से 108 यक्षणिए सिद्ध हो जाती ! और साधक की हर ईछा पूर्ण करती है !
इस साधना का विधान जटिल है फिर भी उसे आसान तरीके से दे रहा हु ! एक कटोरी में चावल संदूर चन्दन और कपूर मिश्रत कर ले और लक्ष्मी के 108 नाम से नमा लगा कर पूजन करे और लक्ष्मी के 108 नाम आप किसी भी लक्ष्मी पूजन की बूक में देख सकते है !
सुंगधित तेल का दिया लगा दे एक पात्र में कुश उपले जला के उस में गूगल और लोहवान धुखा दे सुगधित अगरवाती भी लगाई जा सकती है ! लाल कनेर से पूजन करे ! और गुरु मंत्र का एक माला जप कर के लक्ष्मी यक्षणी मंत्र का 101 माला जप करे यह कर्म 14 दिन करना है !
और साधना पूरी होने पे कनेर के फूल और घी से हवन करना है 10000 मंत्रो से ! इस प्रकार यह साधना सिद्ध हो जाती है और साधक को रसयान सिधी प्रदान करती है !
इस से साधक के जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती जैसे चाहे जितना भी खर्चे धन घर में आता ही रेहता है इस के लिए कुबेर यंत्र और श्री यंत्र का पूजन करे और कमल गट्टे की माला जा लाल चन्दन की माला का उपयोग करे ! दिशा उतर और वस्त्र पीले धारण करे !
हवन के बाद घर में बनी खीर जा मिष्ठान का भोग लगाए ! यह साधना सोमवार स्वाति नक्षत्र से शुरू करे !
मंत्र —
ॐ लक्ष्मी वं श्रीं कमलधारणी हंसह सवाहा !!
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
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Saturday, December 23, 2017
पुष्पदेहा अप्सरा साधना (शाबर मंत्र)
पुष्पदेहा अप्सरा साधना (शाबर मंत्र)
गुरु गोरखनाथ प्रणित एक श्रेष्ठ ग्रंथ मे वर्णित यह साधना अचुक और प्रामाणीक है
अप्सरा साधना से रूपवती स्त्री का आकर्षण होता है, सीधना सफल होने पर अप्सरा आपको स्वर्ग से द्रव्य और दिव्य रसायन लाकर देगी , जिसे पीने के बाद आपको कभी बुड़ापा नही आएगा
मेनका अप्सरा सिद्ध् पुरुष जो ब्रम्हश्री कहेलाये और उन्होने स्वयं विश्वामित्र ने यह कहा है 'कि पुष्पदेहा के समान अन कोइ अप्सरा स्वर्गलोक मे हो ही नही सकती,इसके आगे सभि सिद्धो ने स्वीकार्य किया है "कि पुष्प से भी ज्यादा सुंदर,पुष्प से भी ज्यादा कोमल और पुष्पदेहा अप्सरा से ज्यादा योवनवति और सुंदर अप्सरा है ही नही,उसका सौन्दर्य तो इतना अद्वितीय है कि इसके शरीर से निरंतर मादक,मनमोहक,कामभाव को उत्तेजित करने वाला सुगंध प्रवाहित होता रहता है।
पुष्पदेहा इतनी नाजुक है कि एक बार उसको जो भी देख ले वह उसको जिंदगी भर नही भुला सकता,उसके नयन अत्यंत दर्शनीय है
आज लाखों लोग अप्सरा साधना करना चाहते है
पर एक बात याद रखें कि उसका सही प्रयोग करेंगे तो जीवन में किसी वस्तु की कामना बाकी नही रहेगी
कौन नही चाहता कि स्वर्ग की सबसे शक्तिशाली अप्सरा उसके साथ हो वो चाहे तो आपको स्वर्ग का दर्शन भी करा सकती है
अप्सरा साधना से होने वाले मुख्य लाभ
1:- जो साधक पूर्ण रूप से हष्ट पुष्ट होते हुए भी आकर्षक व्यक्तित्व न होने के कारण अन्य लोगों को अपनी और आकर्षित नहीं कर पाते हैं तथा हीन भावना से ग्रस्त होते हैं , इस साधना के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक व चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी और आकर्षित होने लगते हैं.
2:- जो साधक मन के अनुकूल सुंदर जीवन साथी पाना चाहते हैं किन्तु किसी कारणवश यह संभव न हो रहा हो, इस साधना के प्रभाव से उनको मन के अनुकूल सुंदर जीवन साथी प्राप्त होने की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं और मनचाहा जीवनसाथी मिल जाता है.
3:- जिन साधक के वैवाहिक, पारिवारिक, सामाजिक जीवन में क्लेश व तनाव की स्थिति उत्पन्न हो, इस साधना के प्रभाव से उनके वैवाहिक, पारिवारिक व सामाजिक जीवन में प्रेम सौहार्द की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं.
4:- जो व्यक्ति अभिनय के क्षेत्र में सफल होने की इच्छा रखते हैं किन्तु सफल नहीं हो पाते हैं, इस साधना के प्रभाव से उनके अंदर उत्तम अभिनय की क्षमता की वृद्धि होने के साथ-साथ अभिनय के क्षेत्र में सफल होने की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं.
5:- जो साधक युवावस्था में होने पर भी पूर्ण यौवन से युक्त नहीं होते हैं, इस साधना से उनके अंदर उत्तम यौवन व व्यक्तित्व निखर आता है.
6:- जो साधक/साधिका सुन्दर रूप सौन्दर्य की इच्छा रखते हैं किन्तु प्रकृति द्वारा कुरूपता से दण्डित हैं, इस साधना के प्रभाव से उनके अंदर आकर्षक रूप सौन्दर्य निखर आता है.
7:- जो साधक कार्यक्षेत्र में मन के अनुकूल अधिकारी या सहकर्मी न होने के कारण असहज परिस्थियों में नौकरी करते हैं, या नौकरी चले जाने का भय रहता है, इस साधना के प्रभाव से उनके अधिकारी व सहकर्मी उनके साथ मित्रवत हो जाते हैं तथा नौकरी चले जाने का भय भी समाप्त हो जाता है.
8:- जो साधक ऐसा मानते हैं कि वह अन्य लोगों को अपनी बात या कार्य से प्रभावित नहीं कर पाते हैं, इस साधना के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक व चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी और आकर्षित होकर उनकी बातों या कार्य से प्रभावित होने लगते हैं.
9:- जो पुरुष/स्त्री जिवन मे अपने जिवनसाथी से प्राप्त होनेवाले सुखो से वंचित हो उनके लिये तो यह साधना सबसे ज्यादा करना उत्तम है क्युके इस साधना से पुरुष/स्त्री मे कामतत्व जाग्रत होकर जिवन मे पुर्ण सुख प्राप्त किया जाता है.
उपरोक्त विषयों में अत्यंत कम समय में ही अपेक्षित परिणाम देकर आनंदमय जीवन को प्रशस्त करने वाली यह अप्सरा साधना अवश्य ही संपन्न कर लेनी चाहिए, जिससे निश्चित ही आप अपनी इच्छा की पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं व आनंदमय भौतिक जीवन व्यतीत कर सकते हैं क्योंकि अप्सराएं सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, अभिनय, रस व रंग का ही प्रतिरूप होती हैं, अतः इनका प्रभाव जहाँ भी होता है वहां पर सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, अभिनय, रस व रंग ही व्याप्त होता है.
अप्सराओं की साधना अनेक रूपों में की जाती है, जैसे माँ, बहन, पुत्री, पत्नी अथवा प्रेमिका के रूप में इनकी साधना की जाती है, ओर साधक जिस रूप में इनको साधता है ये उसी प्रकार का व्यवहार व परिणाम भी साधक को प्रदान करती हैं,
अप्सराओं को पत्नी या प्रेमिका के रूप में साधने पर साधक को कोई कठिनाई या हानी नहीं होती है, क्योंकि यह तो साधक के व्यक्तित्व को इतना अधिक प्रभावशाली बना देती हैं कि साधक के संपर्क में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति अप्सरा साधक के मन के अनुकूल आचरण करने लगता है और अप्सरा को प्रत्यक्ष कर लिए जाने पर वह बिना किसी बाध्यता के साधक की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है.
माँ के रूप में साधने पर वह ममतामय होकर साधक का सभी प्रकार से पुत्रवत पालन करती हैं तो बहन व पुत्री के रूप में साधने पर वह भावनामय होकर सहयोगात्मक होती हैं, ओर पत्नी या प्रेमिका के रूप में साधने पर उस साधक को उनसे अनेक सुख प्राप्त हो सकते हैं.अनेक प्रकार के द्रव्य अप्सरा साधक को स्वयम ही प्रदान करती है.
समाग्री : -
पुष्पदेहा आकर्षण सिद्धि यंत्र . गुटिका . सिफलल्या मुद्धिका . स्फटिक का माला . गुलाब का इत्र .
साधना विधी
सबसे पहिले किसी बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाये और उस पर एक चावल का ढेरि बनाये,चावल कुम्कुम से रंगे होने चाहीये.अब चावल पर "पुष्पदेहा आकर्षण सिद्धि यंत्र" स्थापित करके मंत्र का जाप करना है।इस साधना मे स्फटिक का माला होना जरुरी है,साधना सात दिवसीय है और शुक्रवार से शुरू करना है,मंत्र का नित्य 11माला जाप करना जरुरी है।
साधक का मुख उत्तर दिशा के तरफ होना चाहीये,आसन-वस्त्र भी लाल रंग के होने चाहिये। यंत्र पर रोज गुलाब का इत्र और पाच गुलाब के फूल चढाये,घी का दिपक लगाये जो मंत्र जाप के समय प्रज्वलित रहे,धूप भी गुलाब का ही होना जरुरी है।
मंत्र जाप के समय नजर यंत्र के तरफ हो और बिना यंत्र के साधना ना करे क्युके इस यंत्र मे विशेष उर्जा है जो अप्सरा को स्वर्ग से लेकर पाताल लोक तक आकर्षित करने का क्षमता युक्त है।यंत्र के साथ आपको अप्सरा से वचन प्राप्त करने का मंत्र भी प्राप्त होगा जो यहा पर देना उचित नही है
मंत्र
।। ॐ आवे आवे शरमाती पुष्पदेहा प्रिया रुप आवे आवे हिली हिली मेरो कह्यौ करै,मनचिंतावे,कारज करे वेग से आवे आवे,हर क्षण साथ रहे हिली हिली पुष्पदेहा अप्सरा फट् ॐ ।।
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
08601454449
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गुरु गोरखनाथ प्रणित एक श्रेष्ठ ग्रंथ मे वर्णित यह साधना अचुक और प्रामाणीक है
अप्सरा साधना से रूपवती स्त्री का आकर्षण होता है, सीधना सफल होने पर अप्सरा आपको स्वर्ग से द्रव्य और दिव्य रसायन लाकर देगी , जिसे पीने के बाद आपको कभी बुड़ापा नही आएगा
मेनका अप्सरा सिद्ध् पुरुष जो ब्रम्हश्री कहेलाये और उन्होने स्वयं विश्वामित्र ने यह कहा है 'कि पुष्पदेहा के समान अन कोइ अप्सरा स्वर्गलोक मे हो ही नही सकती,इसके आगे सभि सिद्धो ने स्वीकार्य किया है "कि पुष्प से भी ज्यादा सुंदर,पुष्प से भी ज्यादा कोमल और पुष्पदेहा अप्सरा से ज्यादा योवनवति और सुंदर अप्सरा है ही नही,उसका सौन्दर्य तो इतना अद्वितीय है कि इसके शरीर से निरंतर मादक,मनमोहक,कामभाव को उत्तेजित करने वाला सुगंध प्रवाहित होता रहता है।
पुष्पदेहा इतनी नाजुक है कि एक बार उसको जो भी देख ले वह उसको जिंदगी भर नही भुला सकता,उसके नयन अत्यंत दर्शनीय है
आज लाखों लोग अप्सरा साधना करना चाहते है
पर एक बात याद रखें कि उसका सही प्रयोग करेंगे तो जीवन में किसी वस्तु की कामना बाकी नही रहेगी
कौन नही चाहता कि स्वर्ग की सबसे शक्तिशाली अप्सरा उसके साथ हो वो चाहे तो आपको स्वर्ग का दर्शन भी करा सकती है
अप्सरा साधना से होने वाले मुख्य लाभ
1:- जो साधक पूर्ण रूप से हष्ट पुष्ट होते हुए भी आकर्षक व्यक्तित्व न होने के कारण अन्य लोगों को अपनी और आकर्षित नहीं कर पाते हैं तथा हीन भावना से ग्रस्त होते हैं , इस साधना के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक व चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी और आकर्षित होने लगते हैं.
2:- जो साधक मन के अनुकूल सुंदर जीवन साथी पाना चाहते हैं किन्तु किसी कारणवश यह संभव न हो रहा हो, इस साधना के प्रभाव से उनको मन के अनुकूल सुंदर जीवन साथी प्राप्त होने की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं और मनचाहा जीवनसाथी मिल जाता है.
3:- जिन साधक के वैवाहिक, पारिवारिक, सामाजिक जीवन में क्लेश व तनाव की स्थिति उत्पन्न हो, इस साधना के प्रभाव से उनके वैवाहिक, पारिवारिक व सामाजिक जीवन में प्रेम सौहार्द की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं.
4:- जो व्यक्ति अभिनय के क्षेत्र में सफल होने की इच्छा रखते हैं किन्तु सफल नहीं हो पाते हैं, इस साधना के प्रभाव से उनके अंदर उत्तम अभिनय की क्षमता की वृद्धि होने के साथ-साथ अभिनय के क्षेत्र में सफल होने की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं.
5:- जो साधक युवावस्था में होने पर भी पूर्ण यौवन से युक्त नहीं होते हैं, इस साधना से उनके अंदर उत्तम यौवन व व्यक्तित्व निखर आता है.
6:- जो साधक/साधिका सुन्दर रूप सौन्दर्य की इच्छा रखते हैं किन्तु प्रकृति द्वारा कुरूपता से दण्डित हैं, इस साधना के प्रभाव से उनके अंदर आकर्षक रूप सौन्दर्य निखर आता है.
7:- जो साधक कार्यक्षेत्र में मन के अनुकूल अधिकारी या सहकर्मी न होने के कारण असहज परिस्थियों में नौकरी करते हैं, या नौकरी चले जाने का भय रहता है, इस साधना के प्रभाव से उनके अधिकारी व सहकर्मी उनके साथ मित्रवत हो जाते हैं तथा नौकरी चले जाने का भय भी समाप्त हो जाता है.
8:- जो साधक ऐसा मानते हैं कि वह अन्य लोगों को अपनी बात या कार्य से प्रभावित नहीं कर पाते हैं, इस साधना के प्रभाव से उनका व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक व चुम्बकीय हो जाता है तथा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उनकी और आकर्षित होकर उनकी बातों या कार्य से प्रभावित होने लगते हैं.
9:- जो पुरुष/स्त्री जिवन मे अपने जिवनसाथी से प्राप्त होनेवाले सुखो से वंचित हो उनके लिये तो यह साधना सबसे ज्यादा करना उत्तम है क्युके इस साधना से पुरुष/स्त्री मे कामतत्व जाग्रत होकर जिवन मे पुर्ण सुख प्राप्त किया जाता है.
उपरोक्त विषयों में अत्यंत कम समय में ही अपेक्षित परिणाम देकर आनंदमय जीवन को प्रशस्त करने वाली यह अप्सरा साधना अवश्य ही संपन्न कर लेनी चाहिए, जिससे निश्चित ही आप अपनी इच्छा की पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं व आनंदमय भौतिक जीवन व्यतीत कर सकते हैं क्योंकि अप्सराएं सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, अभिनय, रस व रंग का ही प्रतिरूप होती हैं, अतः इनका प्रभाव जहाँ भी होता है वहां पर सौन्दर्य, यौवन, प्रेम, अभिनय, रस व रंग ही व्याप्त होता है.
अप्सराओं की साधना अनेक रूपों में की जाती है, जैसे माँ, बहन, पुत्री, पत्नी अथवा प्रेमिका के रूप में इनकी साधना की जाती है, ओर साधक जिस रूप में इनको साधता है ये उसी प्रकार का व्यवहार व परिणाम भी साधक को प्रदान करती हैं,
अप्सराओं को पत्नी या प्रेमिका के रूप में साधने पर साधक को कोई कठिनाई या हानी नहीं होती है, क्योंकि यह तो साधक के व्यक्तित्व को इतना अधिक प्रभावशाली बना देती हैं कि साधक के संपर्क में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति अप्सरा साधक के मन के अनुकूल आचरण करने लगता है और अप्सरा को प्रत्यक्ष कर लिए जाने पर वह बिना किसी बाध्यता के साधक की सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है.
माँ के रूप में साधने पर वह ममतामय होकर साधक का सभी प्रकार से पुत्रवत पालन करती हैं तो बहन व पुत्री के रूप में साधने पर वह भावनामय होकर सहयोगात्मक होती हैं, ओर पत्नी या प्रेमिका के रूप में साधने पर उस साधक को उनसे अनेक सुख प्राप्त हो सकते हैं.अनेक प्रकार के द्रव्य अप्सरा साधक को स्वयम ही प्रदान करती है.
समाग्री : -
पुष्पदेहा आकर्षण सिद्धि यंत्र . गुटिका . सिफलल्या मुद्धिका . स्फटिक का माला . गुलाब का इत्र .
साधना विधी
सबसे पहिले किसी बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाये और उस पर एक चावल का ढेरि बनाये,चावल कुम्कुम से रंगे होने चाहीये.अब चावल पर "पुष्पदेहा आकर्षण सिद्धि यंत्र" स्थापित करके मंत्र का जाप करना है।इस साधना मे स्फटिक का माला होना जरुरी है,साधना सात दिवसीय है और शुक्रवार से शुरू करना है,मंत्र का नित्य 11माला जाप करना जरुरी है।
साधक का मुख उत्तर दिशा के तरफ होना चाहीये,आसन-वस्त्र भी लाल रंग के होने चाहिये। यंत्र पर रोज गुलाब का इत्र और पाच गुलाब के फूल चढाये,घी का दिपक लगाये जो मंत्र जाप के समय प्रज्वलित रहे,धूप भी गुलाब का ही होना जरुरी है।
मंत्र जाप के समय नजर यंत्र के तरफ हो और बिना यंत्र के साधना ना करे क्युके इस यंत्र मे विशेष उर्जा है जो अप्सरा को स्वर्ग से लेकर पाताल लोक तक आकर्षित करने का क्षमता युक्त है।यंत्र के साथ आपको अप्सरा से वचन प्राप्त करने का मंत्र भी प्राप्त होगा जो यहा पर देना उचित नही है
मंत्र
।। ॐ आवे आवे शरमाती पुष्पदेहा प्रिया रुप आवे आवे हिली हिली मेरो कह्यौ करै,मनचिंतावे,कारज करे वेग से आवे आवे,हर क्षण साथ रहे हिली हिली पुष्पदेहा अप्सरा फट् ॐ ।।
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Thursday, December 21, 2017
जुआ विजय करक प्रयोग
जुआ विजय करक प्रयोग
जो लोग जुआ , सट्टा , मटका , रेसकोर्स , इत्यादि खेलने के शौक़ीन हों अथवा जिन्होंने इस शौक को ही अपना व्यापार बना रखा हो तो जुए इत्यादि में निरंतर सफलता प्राप्त के लिए उन्हें इस प्रयोग को अवशय ही सम्पन्न कर के लाभ उठाना चाहिए .
सामग्री ;;----- स्वर्णाकर्षण गुटिका ( मंत्र सिद्धि प्राण -
प्रतिष्ठित ) तेल का दीपक
माला ;-- विद्दुत माला ( मंत्र सिद्धि चैतन्य )
समय ;-- रात का कोई भी समय
दिन ;;--- शुक्रवार
धारणीय वस्त्र ;;---- सफ़ेद रंग की धोती
आसन ;;-- सफ़ेद रंग का सूती आसन
दिशा ;;--- उत्तर
जाप संख्या ;;-- इक्कीस हजार ( २१००० )
अवधि -- इस्क्किस दिन
मंत्र ;;-----
'' ॐ नमो वीर बैताल आकस्मिक धन देहि देहि नमः '''
प्रयोग विधि ;;---
किसी भी शुक्रवार की रात्रि को यह प्रयोग करें . अपने दाहिने हाथ में स्वर्णाकर्षण गुटिका लेकर उसे पहले भली प्रकार से देखें , फिर सामने रख कर तेल का दीपक लगाकर उपरोक्त मंत्र का इक्कीस हजार जाप करें , जप के बाद इक्कीस दिनों में वह स्वर्णाकर्षण गुटिका गुटिका सिद्धि हो जाती हैं .
जब यह गुटिका सिद्धि हो जाये तो जब भी किसी जुए में जावें अथवा जुआ खेले या रेसकोर्स में जाये तो इस स्वर्णाकर्षण गुटिका को अपनी जेब में रखकर ले जाने से सफलता प्राप्त हो सकती हैं ,
नोट -
साधको को सूचित किया जाता हैं की हर चीज की अपनी एक सीमा होती हैं , इसलिए किसी भी साधना का प्रयोग उसकी सीमा में ही रहकर करे , और मानव होकर मानवता की सेवा करे अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाएँ ,.
राज गुरु जी
महाविद्या आश्रम
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जो लोग जुआ , सट्टा , मटका , रेसकोर्स , इत्यादि खेलने के शौक़ीन हों अथवा जिन्होंने इस शौक को ही अपना व्यापार बना रखा हो तो जुए इत्यादि में निरंतर सफलता प्राप्त के लिए उन्हें इस प्रयोग को अवशय ही सम्पन्न कर के लाभ उठाना चाहिए .
सामग्री ;;----- स्वर्णाकर्षण गुटिका ( मंत्र सिद्धि प्राण -
प्रतिष्ठित ) तेल का दीपक
माला ;-- विद्दुत माला ( मंत्र सिद्धि चैतन्य )
समय ;-- रात का कोई भी समय
दिन ;;--- शुक्रवार
धारणीय वस्त्र ;;---- सफ़ेद रंग की धोती
आसन ;;-- सफ़ेद रंग का सूती आसन
दिशा ;;--- उत्तर
जाप संख्या ;;-- इक्कीस हजार ( २१००० )
अवधि -- इस्क्किस दिन
मंत्र ;;-----
'' ॐ नमो वीर बैताल आकस्मिक धन देहि देहि नमः '''
प्रयोग विधि ;;---
किसी भी शुक्रवार की रात्रि को यह प्रयोग करें . अपने दाहिने हाथ में स्वर्णाकर्षण गुटिका लेकर उसे पहले भली प्रकार से देखें , फिर सामने रख कर तेल का दीपक लगाकर उपरोक्त मंत्र का इक्कीस हजार जाप करें , जप के बाद इक्कीस दिनों में वह स्वर्णाकर्षण गुटिका गुटिका सिद्धि हो जाती हैं .
जब यह गुटिका सिद्धि हो जाये तो जब भी किसी जुए में जावें अथवा जुआ खेले या रेसकोर्स में जाये तो इस स्वर्णाकर्षण गुटिका को अपनी जेब में रखकर ले जाने से सफलता प्राप्त हो सकती हैं ,
नोट -
साधको को सूचित किया जाता हैं की हर चीज की अपनी एक सीमा होती हैं , इसलिए किसी भी साधना का प्रयोग उसकी सीमा में ही रहकर करे , और मानव होकर मानवता की सेवा करे अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाएँ ,.
राज गुरु जी
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बेताल साधना
बेताल साधना
****************
यह साधना रात्रि कालीन है स्थान एकांत होना चाहिए ! मंगलबार को यह साधना संपन की जा सकती है !
घर के अतिरिक्त इसे किसी प्राचीन एवं एकांत शिव मंदिर मे या तलब के किनारे निर्जन तट पर की जा सकती है !
पहनने के बस्त्र आसन और सामने विछाने के आसन सभी गहरे काले रंग के होने चाहिए ! साधना के बीच मे उठना माना है !
इसके लिए वीर बेताल यन्त्र और वीर बेताल माला का होना जरूरी है !
यन्त्र को साधक अपने सामने बिछे काले बस्त्र पर किसी ताम्र पात्र मे रख कर स्नान कराये और फिर पोछ कर पुनः उसी पात्र मे स्थापित कर दे !
सिन्दूर और चावल से पूजन करे और निम्न ध्यान उच्चारित करें
"!! फुं फुं फुल्लार शब्दो वसति फणिर्जायते यस्य कण्ठे डिम डिम डिन्नाति डिन्नम डमरू यस्य पाणों प्रकम्पम!
तक तक तन्दाती तन्दात धीर्गति धीर्गति व्योमवार्मि
सकल भय हरो भैरवो सः न पायात !! "
इसके बाद माला से 31माला मंत्र जप करें यह 21 दिन की साधना है !
!! ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं वीर सिद्धिम दर्शय दर्शय फट !!
साधना के बाद सामग्री नदी मे या शिव मंदिर मे विसर्जित कर दें साधना का काल और स्थान बदलना नहीं चाहिए
महाविद्या आश्रम
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****************
यह साधना रात्रि कालीन है स्थान एकांत होना चाहिए ! मंगलबार को यह साधना संपन की जा सकती है !
घर के अतिरिक्त इसे किसी प्राचीन एवं एकांत शिव मंदिर मे या तलब के किनारे निर्जन तट पर की जा सकती है !
पहनने के बस्त्र आसन और सामने विछाने के आसन सभी गहरे काले रंग के होने चाहिए ! साधना के बीच मे उठना माना है !
इसके लिए वीर बेताल यन्त्र और वीर बेताल माला का होना जरूरी है !
यन्त्र को साधक अपने सामने बिछे काले बस्त्र पर किसी ताम्र पात्र मे रख कर स्नान कराये और फिर पोछ कर पुनः उसी पात्र मे स्थापित कर दे !
सिन्दूर और चावल से पूजन करे और निम्न ध्यान उच्चारित करें
"!! फुं फुं फुल्लार शब्दो वसति फणिर्जायते यस्य कण्ठे डिम डिम डिन्नाति डिन्नम डमरू यस्य पाणों प्रकम्पम!
तक तक तन्दाती तन्दात धीर्गति धीर्गति व्योमवार्मि
सकल भय हरो भैरवो सः न पायात !! "
इसके बाद माला से 31माला मंत्र जप करें यह 21 दिन की साधना है !
!! ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं वीर सिद्धिम दर्शय दर्शय फट !!
साधना के बाद सामग्री नदी मे या शिव मंदिर मे विसर्जित कर दें साधना का काल और स्थान बदलना नहीं चाहिए
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Thursday, December 7, 2017
ओपल रत्न
शुक्रवार लक्ष्मी पूजा व पत्नी कारक शुक्र गृह वार है.
पत्नी सुख की गड़ना आदमी के हाथो मे अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत, छोटी ऊँगली के नीचे वैवाहिक रेखा व जन्मपत्री मे सप्तम भाव व शुक्र गृह से की जाती है,
जिस व्यक्ति के हाथो मे शुक्र पर्वत, वैवाहिक रेखा व जन्मपत्री मे सप्तम भाव ,सप्तमेश, शुक्र गृह शुभ ग्रहों से युक्त हो, तो उसे अच्छा पत्नी सुख मिलता है.
जब भी शुक्र पर्वत, वैवाहिक रेखा, शुक्र गृह दशा अंतर दशा गोचर मे पीड़ित होंगे तब पत्नी सुख मे बाधा (पत्नी बीमार / दूर / झगड़ा / पत्नी मृत्यु, शादी न होना ) होगी।
ज्योतिष मे आदमी को पत्नी सुख (विवाह, पत्नी अच्छा स्वास्थ्य, वैचारिक तालमेल , पत्नी के साथ रहना) के लिए शुक्र गृह जन्मपत्री मे नीच का होने पर शुक्रवार को मंदिर मे मिश्री / रुयी की बत्ती / देशी घी दान व शुक्र गृह जन्मपत्री मे हाथो मे कमजोर हो, तो शुक्रवार को असली सफ़ेद ऑस्ट्रेलिया ओपल रत्न
(कुछ व्यक्ति सफ़ेद मार्बल को ओपल रत्न कह कर बेच देते है) धारण कर शुक्र गृह मंत्रो का जाप करना चाहिए.
कोई भी उपाय करने से पहिले किसी योग्य ज्योतिष की सलाह अवश्य लेनी चाहिए, क्योकि हर व्यक्ति की हाथो की रेखा व परिवारिक स्थति अलग अलग होती है.
प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया पर उपलब्ध ज्योतिष उपाय सबको लाभ नहीं देते है.
अपनी जन्मपत्री व हाथो की रेखा के माध्यम अपनी परेशानी की अवधि व निवारण का उपाय जानने व सर्टिफाइड ओपल रत्न, रुद्राक्ष, पारद, स्फटिक का सामान डाक से घर पर मंगवाने के लिए हमे फ़ोन करे.
राजगुरु जी
महाविद्या आश्रम
किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए इस नंबर पर फ़ोन करें :
मोबाइल नं. : - 09958417249
08601454449
व्हाट्सप्प न०;- 09958417249
पत्नी सुख की गड़ना आदमी के हाथो मे अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत, छोटी ऊँगली के नीचे वैवाहिक रेखा व जन्मपत्री मे सप्तम भाव व शुक्र गृह से की जाती है,
जिस व्यक्ति के हाथो मे शुक्र पर्वत, वैवाहिक रेखा व जन्मपत्री मे सप्तम भाव ,सप्तमेश, शुक्र गृह शुभ ग्रहों से युक्त हो, तो उसे अच्छा पत्नी सुख मिलता है.
जब भी शुक्र पर्वत, वैवाहिक रेखा, शुक्र गृह दशा अंतर दशा गोचर मे पीड़ित होंगे तब पत्नी सुख मे बाधा (पत्नी बीमार / दूर / झगड़ा / पत्नी मृत्यु, शादी न होना ) होगी।
ज्योतिष मे आदमी को पत्नी सुख (विवाह, पत्नी अच्छा स्वास्थ्य, वैचारिक तालमेल , पत्नी के साथ रहना) के लिए शुक्र गृह जन्मपत्री मे नीच का होने पर शुक्रवार को मंदिर मे मिश्री / रुयी की बत्ती / देशी घी दान व शुक्र गृह जन्मपत्री मे हाथो मे कमजोर हो, तो शुक्रवार को असली सफ़ेद ऑस्ट्रेलिया ओपल रत्न
(कुछ व्यक्ति सफ़ेद मार्बल को ओपल रत्न कह कर बेच देते है) धारण कर शुक्र गृह मंत्रो का जाप करना चाहिए.
कोई भी उपाय करने से पहिले किसी योग्य ज्योतिष की सलाह अवश्य लेनी चाहिए, क्योकि हर व्यक्ति की हाथो की रेखा व परिवारिक स्थति अलग अलग होती है.
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अपनी जन्मपत्री व हाथो की रेखा के माध्यम अपनी परेशानी की अवधि व निवारण का उपाय जानने व सर्टिफाइड ओपल रत्न, रुद्राक्ष, पारद, स्फटिक का सामान डाक से घर पर मंगवाने के लिए हमे फ़ोन करे.
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